अनोखी घड़ी E-1 || anokhi kahaniyan bhooton ki || Hindi story my

 


अनोखी घड़ी E-1


मुकरा गाँव के पास एक पुरना कब्रिस्तान हैं कहते हैं यह कब्रिस्तान अंग्रेजों ने बनवाया था। और उनके जाने के बाद से ही ये कब्रिस्तान बंद पड़ा हुआ हैं। अब बस पास के गाँव के लड़के यहाँ क्रिकेट खेलने को आते हैं ऐसे ही एक दिन अंशुल अपने चार-पाँच दोस्तों के साथ उसी कब्रिस्तान में क्रिकेट खेलने को गया। संडे का दिन था इसलिए यह सभी सुबह 10 बजे ही क्रिकेट खेलने को चले गए। वहाँ जाकर यह सभी क्रिकेट खेल ही रहे थे तभी अंशुल ने कहा - यार एक मिनट रुको मैं अभी टॉयलेट कर के आया - इतना बोलकर अंशुल कब्रिस्तान की बाउंड्री के पास जाकर टॉयलेट करने लगा।
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और जैसे ही अंशुल टॉयलेट कर के पिछे मुड़ा तो उसके सामने एक चमकदार चीज दिखी पर वो जमीन में आधी दबी हुई थी। अंशुल ने जैसे ही उसे जमीन से खींच कर निकला तो उसने देखा वो चमकदार चीज एक पुराने ज़माने की हाथ घड़ी हैं। वो घड़ी देखने में बहुत पुरानी लग रही थी ऐसा लग रहा था जैसे अंग्रेजों के ज़माने की हो आश्चर्य की बात तो यह थी की यह घड़ी देखने में बड़ी पुरानी थी और जमीन के अंदर भी दबी हुई थी पर वो अभी भी चल रही थी। पर शायद उस घड़ी का टाइम सही नहीं चल रहा था क्यूंकि अभी लगभग सुबह के 11 या 12 ही बज रहे होंगे पर उस घड़ी में टाइम 5 बजे का दिखा रहा था।

वो घड़ी देखने में काफ़ी आकर्षक लग रही थी इसलिए अंशुल ने उस घड़ी को तुरंत उठा कर पैहन लिया। और फिर वापस वही चला गया जहाँ वो और उसके दोस्त क्रिकेट खेल रहे थे। वहाँ जाकर अंशुल ने अपने एक दोस्त से अपनी घड़ी में टाइम मिलने के लिए उसने कहा - भाई नीरज देख तो तेरी घड़ी में टाइम कितना हुआ हैं वो मुझे वहाँ एक घड़ी मिली हैं ना इसलिए इसमें टाइम सही करना हैं - नीरज ने अपनी घड़ी में टाइम देखा और कहा - 11बजके 20 मिनट हो रहे हैं - उसके बाद अंशुल ने जैसे ही घड़ी में टाइम सही करने के लिए देखा तो वो चौक गया क्यूंकि की अभी थोड़ी देर पहले इस घड़ी में 5 बज रहे थे अब उसमे अपने आप टाइम सही होकर 11 बजके 20 मिनट हो गए हैं।

अंशुल हैरान था और यही सोच रहा था कही यह घड़ी ख़राब तो नहीं हैं फिर भी उसने अपने आप से कहा कुछ देर और पैहन कर देखता हूँ। अगर इस बार टाइम ख़राब हुआ तो निकाल कर फैक दूंगा। इतना बोलकर अंशुल फिर क्रिकेट खेलने लगता हैं और कुछ समय बाद यह सभी क्रिकेट खेल ही रहे थे तभी नीरज अपनी घड़ी में टाइम देखकर बोलता हैं - चलो भाइयो 1 बजने वाला हैं और आज इंडिया का मैच भी तो हैं - नीरज की बात सुनकर अंशुल अपनी वही घड़ी में टाइम देखता हैं जो उसे अभी थोड़ी देर पहले मिली थी। वो देखता हैं उसकी घड़ी में भी 1 बजने वाले थे इसका मतलब यह था की उसकी यह घड़ी सही ही चल रही हैं।

एक बजने ही वाले थे इसलिए यह सभी अपने अपने घर की ओर जाने लगते हैं। यह सभी अभी कुछ ही आगे होंगे तभी अंशुल के बगल से एक बाइक वाला बड़ी तेजी निकल कर चला जाता हैं। और अंशुल चिल्लाता हुआ बोलता हैं - मरेगा क्या ये इतनी तेजी से जा रहा हैं - अंशुल की बात खत्म होते ही नीरज बोलता हैं - अरे भाई ऐसा क्यों बोल रहा हैं किसी को - अंशुल फिर बोलता हैं - तुने देखा नहीं क्या भाई वो कितनी तेजी से जा रहा था और वैसे भी मेरे बोलने से कौन सा वो मर जायेगा चल अब यह सब छोड़ और जल्दी जल्दी चल मैच बस शुरू होने ही वाला हैं - इतना बोलकर वो सब फिर अपने घर की ओर जाने लगते हैं। यह सब तभी थोड़ा ही आगे गए होंगे की वो देखते हैं उनसे थोड़ा आगे काफ़ी भीड़ लगी हुई हैं।

यह सब सोच ही रहे थे की क्या हुआ होगा जो यहाँ इतनी भीड़ लगी हैं।  यह लोग थोड़ा ओर पास गए तो देखा सामने उसी बाइक वाले का एक ट्रक के साथ एक्सीडेंट  हो गया हैं। और वहाँ खड़े सभी लोग बात कर रहे थे। - बेचारा ट्रक से टकराते ही मर गया अब कोई क्या करें ये थाही इतनी स्पीड में - उन लोगो की बात सुनकर अंशुल और उसके दोस्त बड़े ही हैरान थे क्यूंकि अभी थोड़ी देर पहले अंशुल ने इसे मरने के लिए कहा और ये मर भी गया। पर सब ने सोचा ये बस एक इत्तेफाक होगा इसलिए अंशुल और उसके दोस्त घर की ओर चल दिए। और यह सब गाँव में पहुंचे तो देखा गाँव के हैंड पंप (नलके) पर बहुत भीड़ लगी हैं और तभी अंशुल बोलता हैं - कही ये नलका गायब ना हो जाए दिन भर भीड़ ही लगी रहती हैं इसने - अंशुल ने इतना बोला अपने घर चला गया मैच देखने के लिए। घर पहुंच कर अंशुल ने टीवी लगाई और मैच देखने लगा। अंशुल अभी मैच ही देख रहा था तभी अंशुल ने कहा - ये रोहित शर्मा आज आउट ना हो जाए बहुत तेजी से खेल रहा हैं आज - 

अंशुल के इतना बोलने के बाद ही रोहित शर्मा अगली बॉल में कैच आउट हो जाता हैं। रोहित शर्मा के आउट होते ही अंशुल गुस्से में बोलता हैं - मैं कह ही रहा था ये आउट ना हो जाए और देखो ये आउट हो गया अब मैं नहीं देख रहा मैच - इतना बोलकर अंशुल गुस्से में उठा और टीवी बंद कर दी क्यूंकि रोहित शर्मा उसका फेवरेट प्लेयर था। टीवी बंद करने के बाद अंशुल जैसे ही अपने घर से बाहर जा रहा था तो उसने देखा उसकी मम्मी पानी के डिब्बे खाली ही लेकर आ रही हैं उसकी मम्मी के आते ही अंशुल ने कहा - क्या हुआ मम्मी आप पानी के डिब्बे खाली ही क्यों ले आई हो नलके पर कुछ ज़्यदा ही भीड़ हैं क्या -

अंशुल की मम्मी ने अंशुल की बात का जवाब देते हुए कहा - अरे बेटा नलका ही ख़राब हो गया सुबह से सही चल रहा था और जैसे ही मेरा नम्बर आया तो नलका ही ख़राब हो गया जाओ बेटा गाँव की दूसरी तरफ जो हैंड पंप ( नलका ) हैं उसमे से दो डिब्बे पानी भर के लेओ - इतना बोलकर अंशुल की मम्मी ने अपने हाथ से डिब्बे अंशुल को पकड़ा दिए। और अंशुल गाँव की दूसरी तरफ पानी भरने के लिए जाने लगता हैं। और जाते जाते बार यही सोच रहा था की आज उसके साथ यह क्या हो रहा हैं सुबह से वो जो भी बोल रहा हैं वो सच हो जा रहा हैं। यही सोचते सोचते उसकी नजर एक से उसकी घड़ी पर पड़ी जो उसे सुबह ही मिली थी। अंशुल सोचता हैं कही यह सब इस घड़ी की वजह से तो नहीं हो रहा हैं अगर ऐसा हैं तो दीपक मर जाए बहुत हरामी हैं वो उसके चक्कर में मेरी कई बार लड़ाई हुई हैं गाँव में वो मर ही जाए तो ही ठीक हैं।

इतना बोलकर वो गाँव के दूसरी तरफ वाले नकले की तरफ जाने लगता हैं। और वहाँ पहुंच कर अपने डिब्बो में पानी भरता हैं और अपने घर की ओर जाने लगता हैं। और जैसे ही अंशुल दीपक के घर के पास पहुंचता हैं तो उसे वहाँ कई लोगो के रोने की आवाज आती हैं। और वो यह यही सोच रहा था कही मेरी यह वाली बात भी तो सच नहीं हो गई।



इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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