अनोखी घड़ी E-2 || rahasya horror story || Hindi story my

 


अनोखी घड़ी एपिसोड 2

एपिसोड 1👉क्लिक


अंशुल, दीपक के घर के पास पहुंचता हैं तो उसे वहाँ कई लोगो के रोने की आवाज आती हैं। और वो यह यही सोच रहा था कही मेरी यह वाली बात भी तो सच नहीं हो गई।अंशुल यह देखने के लिए दीपक के घर के पास जाता हैं और वहाँ खड़े एक आदमी से पूछता हैं - अरे काका यह दीपक के घर में सब रो क्यों रहे हैं - अंशुल की बात सुनकर वो आदमी बोलता हैं - अरे बेटा वो दीपक की मौत हो गई हैं ना आज सुबह से तो ठीक था और अभी थोड़ी देर पहले ही एकदम ठीक ठाक गाँव से घूम कर घर आया और जैसे ही उसने एक गिलास पानी पिया और तभी पता नहीं क्या हुआ वो एकदम नीचे गिर गया।

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सबने सोचा क्या पता बेहोश हो गया होगा और सबने उसे उठाने की बहुत कोशिश करी पर वो होश ने नहीं आया और जब गाँव के डॉ को बुलाया तो उन्होने बताया की यह तो मर चूका हैं - उस आदमी की सारी बात सुनने के बाद अंशुल अपने घर की ओर जाने लगता हैं। और घर जाते जाते अंशुल बस यही सोच रहा था की - क्या बवाल चीज मिलगई हैं मुझे मतलब मैं जो कुछ भी सोचूंगा वो सच हो जायेगा। यार बड़ी सही चीज मिल गई मुझे चलो एक बार और ट्राई कर के देखता हूँ पर किस पर ट्राई करू हाँ विवेक हाँ विवेक पे ही फिर से ट्राई करता हूँ उसकी वजह से मैं कभी भी रेस में फर्स्ट नहीं आ पाता अगर उसकी एक टांग टूट जाए तो मैं ही हमेशा रेस में फर्स्ट आऊंगा हाँ विवेक की टांग टूट जाए - इतना बोलकर अंशुल अपने घर में जाता हैं और पानी के डिब्बे अपने घर में रख कर विवेक के घर की ओर जाने लगता हैं।


अंशुल विवेक के घर की ओर जा ही रहा था तभी उसकी नजर विवेक पर पड़ी पर विवेक को बिलकुल ठीक ठाक गाँव के चौराहे पर जो आम का पेड़ था उसके नीचे बैठकर अपने दो तीन दोस्तों के साथ गप्पे मार रहा था। अंशुल, विवेक को ठीक देखकर बड़ा ही हैरान था और यही सोच रहा था की - अब तक मैं जो भी बोल रहा था वो तुरंत सच हो जा रहा था पर मेरी यह वाली बात अभी तक सच क्यों नहीं हुई - अंशुल खड़े खड़े बस यही सोच रहा था तभी उसके पिछे से किसी ने कहा - अबे ओये अंशुल क्या कर रहा हैं तू यहाँ खड़े खड़े - आवाज सुनकर अंशुल ने जैसे ही पिछे मूड कर देखा तो उसके पिताजी उसके सामने खड़े थे।


और उन्होने अपनी बात जारी रखते हुए कहा - चल जल्दी घर चल कुछ काम वाम कर ले कर पूरा दिन बस आवारा की तरह घूमता रहता हैं - अंशुल ने अपने पिताजी की बात का जवाब देते हुए कहा - जी पिताजी अभी थोड़ी देर में आया - अंशुल के पिताजी ने फिर कहा - ठीक हैं जल्दी आ जाइयो खेतो में भी अभी बहुत काम हैं - इतना बोलकर अंशुल के पिताजी वहाँ से चले जाते हैं और अंशुल जैसे ही विवेक को देखने के लिए पिछे मुड़ा तो उसने देखा विवेक को वहाँ हैं ही नहीं। विवेक को वहाँ ना देख कर अंशुल बोलता हैं - अब कहाँ चला गया ये - अंशुल के इतना बोलने के बाद ही उसकी नजर उसी आम के पेड़ के ऊपर पड़ी उसने देखा विवेक तो अपने दो तीन दोस्तों के साथ आम के पेड़ ऊपर चढ़ा हुआ हैं। अंशुल उन्हें देख ही रहा था तभी विवेक जिस टहनी पर चढ़ कर आम तोड़ रहा था तभी वो टहनी ही टूट गई और विवेक सिदा नीचे जमीन पर बड़ी जोर से गिरा।


उसके गिरते ही एक और आवाज बड़ी जोर से आई जैसे उसकी हटिया टूट गई हो। उसके गिरने के बाद उसके दोस्त तुरंत नीचे उतरे और तुरंत विवेक को उठाया पर उन्होने देखा विवेक का एक पैर बिलकुल काम नहीं कर रहा था। और अंशुल खड़ा खड़ा बस उन्हे दूर से देख रहा था तभी अंशुल के पिताजी वहाँ आए और अंशुल पे चिल्लाते हुए कहा - तुझे कब बोला था घर आने को और तू अभी तक यहाँ खड़ा खड़ा आवारा गिरी कर रहा हैं चल अब खेतो में बहुत काम हैं - अंशुल के पिताजी इतना बोला और खेतो की ओर जाने लगे और अंशुल अपना मुँह बना कर वो भी अपने पिताजी के पिछे पिछे जाने लगता हैं और बोलता हैं - क्या जिंदगी हैं मेरी बस काम काम बस काम मैं तो तंग आ गया हूँ अपनी इस जिंदगी से इसे अच्छा तो मैं मर ही जाऊ -


उसने इतना ही बोला था तभी उसे एकदम याद आया की आज वो जो भी बोल रहा था वो सच हो जा रहा था पर शायद वो सब उस घड़ी की वजह से हो रहा था इसलिए अंशुल ने सोचा मैं इस घड़ी को ही फैक देता हूँ कही मेरी यह वाली बात भी सच ना हो जाए। यही सब सोचते हुए वो अपने खेत में पहुंच जाता हैं और वहाँ पहुंच कर काम कर ही रहा था तभी उसके पिताजी बोलते हैं - अंशुल तुम खेत में ही रुको मैं अभी नैहर में पानी देख कर आता हूँ की नैहर में पानी आया या नहीं - अंशुल के पिताजी ने इतना बोल ओर नैहर की ओर चल दिए और अंशुल अभी भी खेतो में ही काम कर रहा था तभी अंशुल के कंधे पर किसी ने हाथ रखा और कहा - मेरी घड़ी - आवाज सुन कर अंशुल तुरंत पिछे मूड कर देखा तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गई। और डर के मरे उसकी दिल की धड़कन अपनी दुगनी रफ़्तार से चलने लगी।


क्यूंकि अंशुल ने देखा एक बिना सर वाला आदमी उसके सामने खड़ा था और उसने अपना कटा हुआ सर दोनों हाथो से पकड़ रखा था और उसी कटे हुए मुँह से उसने अंशुल को कहा - मेरी घड़ी दे - उस कटे मुँह वाले आदमी की बात सुनकर अंशुल ने डरते हुए कहा - कौन सी घड़ी मेरे पास कोई घड़ी नहीं हैं - अंशुल ने इतना ही बोला था की तभी उस आदमी ने एकदम से अपने एक हाथ से अंशुल का गला पकड़ लिया और कहा - मेरी घड़ी दे - इस बार अंशुल ने अपनी गुटी हुई आवाज में कहा - वो वो घड़ी तो मैंने फैक दी - अंशुल के इतना बोलने के बाद उसी कटे मुँह वाले आदमी ने कहा - फैक दिया तो मैंने तेरा सर फैक दिया - इतना बोलते ही उसने अंशुल का सर उसके गले से अलग करा और फैक दिया। 

अंशुल ने कहा था की वो मर जाए इसलिए उसकी ये वाली बात भी सच हो गई क्यूंकि जब उसने यह बोला था तब उसने वो वाली घड़ी पैहनी हुई थी।



इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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