श्रापित गाँव E-4 || Gaon ki horror kahani || Hindi story my


श्रापित गाँव एपिसोड 4 (गाँव को श्राप से मुक्ति )

एपिसोड 3👉क्लिक

एपिसोड 2👉क्लिक

एपिसोड 1👉क्लिक 


विनय अपने कमरे में लेटे लेटे बस यही सोच रहा था की गाँव को श्राप से मुक्त कराने के लिए कुछ तो करना होगा। फिर अगले दिन विनय, सुरेश और सकीना के बताया अनुसार समोसे लेकर शाम को 7:00 बजे सुरेश के घर जाता है और उस कमरे में समोसे रख कर आ जाता है। लगातार ऐसा कई दिनों तक चला और गाँव में भी सब कुछ ठीक था। साथ ही साथ विनय इस प्रयास में भी था की वो गाँव को श्राप से मुक्त करा सकें। सब कुछ सही चल ही रहा था तभी 1 दिन विनय शाम को 7:00 बजे समोसे लेकर सुरेश के घर पर जाता है समोसे वहाँ पर रख कर वापस आ ही रहा था।

#

इस कहानी को ऑडियो में सुने

तभी उसे खबर मिलती हैं कि विनय के घर के पास में ही एक ताऊ जी रहा करते और आज उनकी मौत हो गई मौत का कारण वही बिल्कुल उसी अंदाज में ताऊ जी की भी मौत हुई जैसे ही विनय ने बात सुनी तो उसे अब अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था। क्यूंकि वो रोज उसको समोसे लेकर जा रहा हैं फिर भी वह गाँव में किसी ना किसी की जान ले रहा है वो। और अब उस ताऊ जी का अंतिम संस्कार करने के लिए सब लोग जा रहे थे और अब तो गाँव के लोगों को इसकी आदत पड़ ही चुकी थी क्यूंकि हर 10-15 दिन में किसी ना किसी की जान जा रही थी। आज अंतिम संस्कार में विनर भी शामिल था।


और रात हुई और विनय समोसे लेकर फिर गया लेकिन समोसे रखते ही विनय जोर-जोर चिल्लाने लगा - अब तो मैं रोज समोसे लेकर आ ही रहा हूँ तो तुम अभी भी लोगो की जान क्यों तुम ले रहे हो अब तो छोड़ दो सबको - विनय का इतना ही कहना था कि। विनय के सामने तुरंत सुरेश और सकीना आ गए। अपनी जल्दी भूनी झुलसी हुई हालत में दोनों आकर विनय के सामने खड़े हुए और एक साथ डरावनी आवाज में बोलने लगे - तुमको अपनी जान प्यारी है या सबकी तुम भी तभी तक जिंदा हो जब तक समोसे लेकर आ रहे हो मरना तो सबको इस गाँव में सबका नंबर आएगा बारी-बारी से - इतना ही बोल कर वो दोनों तुरंत विनय की आंखों से ओझल हो गए।


विनय करता भी तो क्या करता रोता और अपने आप को कोसते हुए वापस आ गया। लेकिन विनय ने सोच लिया था अब शांत तो बैठना नहीं है हार नहीं मानूंगा चाहे कुछ भी हो जाए। इसलिए विनय इन चीजों के बारे में अब हर जगह पढ़ने लगा इंटरनेट में तरह-तरह की जानकारी जुटा रहा था। कि कैसे छुटकारा मिल सकता है ऐसे श्राप से इस गाँव को। और विनय एक दिन सुबह जल्दी उठा। और अपने गांव से दूर दूसरे गाँव में गया। विनय को पता चला था कि यहां कुछ बाबा तांत्रिक रहते हैं जो थोड़ा भूत प्रेत के बारे में जानकारी रखते हैं। विनय की इतनी सारी खोज के बाद तो यह पता चल चुका था कि अगर श्राप से मुक्त कराना है गाँव को तो सुरेश सकीना को पहले मुक्ति दिलानी होगी इसलिए उस गाँव में जाते ही विनय ने एक जाने पहचाने बाबा को ढूंढ लिया इन बाबा का नाम लोगों में बहुत सुना था।


विनय बाबा के पास गया और जाते ही रोने लगा और बाबा के पैरों में गिर कर उसने कहा - बाबा आप हमारे गाँव को बचा लीजिए हमारे गाँव में हर दिन मौत का खेल हो रहा है। क्योंकि वो हमारे गाँव में किसी को नहीं छोड़ेगा धीरे-धीरे उसने आधी आबादी खत्म कर दी है। - बाबा ने विनय की बात बहुत शांति से सुनी और फिर कहा - अच्छा तुम उसी गाँव से आए हो वहाँ के लोगों को तो मैंने पहले भी समझाया था लेकिन वहां के लोग भी तो नहीं मानते कुछ - बाबा की बात सुनकर विनय ने कहा - बाबा आपने पहले भी सुना था हमारे गाँव के बारे में क्या - फिर विनय को जवाब देते हुए बाबा ने कहा - इस गांव के बारे में 2 साल से ही सुन रहे हैं हम वहाँ के कई लोग आए हमारे पास इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मैंने उन लोगों को कहा सुरेश और सकीना का अंतिम संस्कार विधि विधान से करना होगा तब उनको मुक्ति मिल जाएगी और उस गांव के लोग भी श्राप से बच जाएंगे।


लेकिन सुरेश के पिता और सकीना के घरवाले कह रहे थे हम उनके लिए कोई पूजा नहीं कराएंगे क्योंकि हमने उनसे अपने सारे रिश्ते नाते तोड़ लिए थे इसलिए ना वह हमारे लिए मरने से पहले कुछ थे और ना वो अब मरने के बाद हैं गांव के लोगों ने कई बार सुरेश के पिताजी को समझाया लेकिन वह कह रहे थे मैं सुरेश के लिए कोई पूजा नहीं कर आऊंगा। - बाबा की सारी बात सुनकर विनय ने कहा - बाबा कोई ना कोई उपाय जरूर करो बचा लो इस गाँव को उस भयानक श्राप से। - बाबा ने विनय की ऐसी हालत देखी तो बाबा ने कहा - उपाय तो है और समय भी बहुत अच्छा है अभी 3 दिन बाद अमावस है और अमावस की रात सभी भूत प्रेत और पितरों की शक्ति बढ़ जाती है और मौका भी सही होता है इन को प्रसन्न करने का इसलिए अगर सुरेश के पिताजी मान जाते हैं तो विधि विधान से सभी अंतिम संस्कार पूरा करके उस गाँव को बचाया जा सकता है।


बाबा ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा - इसलिए अभी तुम्हारे पास 3 दिन है 3 दिन में गाँव वालों को कह कर सुरेश और सकीना के घरवालों को राजी कर लो अंतिम संस्कार के लिए। - विनय ने बाबा को शुक्रिया कहा और वहां से तुरंत अपने गाँव की ओर लौट आया गाँव आते ही विनय बस वही सोच रहा था सुरेश की अंतिम क्रिया कर्म के लिए सुरेश के पिताजी को कैसे राजी किया जाए। विनय को यह तो पता था गाँव के सब लोग बोलेंगे तभी सुरेश के पिता जी राजी होंगे इस काम के लिए इसलिए विनय ने सबसे पहले यह बात अपने पिताजी को ही बताई विनय ने सारी घटना बताई और अपने पिताजी को कहां - मैंने एक तांत्रिक बाबा से भी बात करी है उन्होंने बताया 3 दिन बाद अमावस की रात है यह बहुत सही समय है। -


विनय की बात सुनकर उसके पिताजी ने कहा - तुम सही कह रहे हो बेटा उन बाबा जी के पास हम लोग पहले भी गए थे और उन्होंने पहले भी हमें बहुत उपाय बताए थे लेकिन सुरेश के पिता जी अंतिम संस्कार के लिए राजी नहीं हुए थे। - उसके बाद विनय के पिता जी ने इस गाँव के सरपंच जी को जाकर सारी बात बताई और कहा - आखिर सुरेश के पिता अंतिम संस्कार के लिए तैयार क्यों नहीं हो रहे उनको भी तो पता है इस गांव में अब तक कितने लोगों की मौत हो चुकी है। - विनय भी वही था अपने पिता जी की बात खत्म होते ही विनय ने कहा - सरपंच जी सुरेश के पिता लगता है जानबूझकर ही अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते जानबूझकर इस गाँव के लोगों को मर वाना चाहते हैं -


अगले दिन गाँव के सरपंच ने गाँव के सभी लोगों को बुलाया। सुरेश के पिता और सकीना के परिवार के लोग भी वहाँ आए हुए थे। उसके बाद सरपंच जी ने कहा - इस गाँव में 2 साल में 300 से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई है और सबको पता है मौत का कारण क्या है लेकिन फिर भी हम लोग आंखें मूंद कर बैठे हुए हैं लेकिन अब नहीं अब हमको इस गाँव को श्राप से मुक्त कराना ही होगा। इसलिए मैं और मेरे साथी सभी पंचों का कहना है और पूरे गाँव का भी यही मानना है की अब 2 दिन बाद अमावस की रात आने वाली है इसलिए सुरेश के पिताजी सुरेश का अंतिम संस्कार करेंगे विधि विधान से और सकीना के घर वाले भी अपने रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करेंगे यही हमारा फैसला है और इसको सबको मानना पड़ेगा -


सरपंच की बात सुनकर गांव की सभी लोग भी खुश थे और सब लोगों ने कहा - हाँ सही बात है यह फैसला मानना ही पड़ेगा और आने वाली अमावस की रात को अंतिम संस्कार का रस्म करना ही होगा - सरपंच ने सुरेश के पिता से उनकी राय मांगनी चाहिए तो फिर सुरेश के पिता ने साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा - सुरेश जिंदा रहते हुए भी हमारे लिए कुछ नहीं था और ना ही मरने के बाद कुछ हैं इसलिए हम नहीं करेंगे - सुरेश के पिता का इतना ही कहना था। तभी वहाँ उपस्थित गाँव के सभी लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। और कहां - यह जानबूझकर अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते हमको लगता है ये जानबूझकर इस गाँव को मरवा देना चाहते हैं -

उसके बाद सुरेश के पिताजी भरी सभा में रोने लगे और जोर-जोर से बोल रहे थे - तुम सब लोगों ने भी तो मेरे सुरेश को तड़पा तड़पा कर मारा और जिंदा जला दिया। तो तुम लोगों को भी तो तुम्हारे किए की सजा मिलनी चाहिए इसलिए सही हो रहा है इस गाँव के साथ - लेकिन सरपंच जी ने गरजते हुए कहा - तुम्हारे बेटै के साथ जो हुआ गलत हुआ और उनको मौत के घाट उतारने वाले गाँव के कुछ लोग थे। अब 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जिन लोगों ने सुरेश और सकीना को मारा उनकी गलती की वजह से इस गाँव को हमेशा के लिए तो नहीं श्रापित रहने दिया जाएगा इसलिए यह पंचों का फैसला है और तुमको इसे किसी भी हालत में मानना पड़ेगा 2 दिन बाद अमावस की रात है और तुमको सुरेश का अंतिम संस्कार करवाना ही होगा -


इतना कहकर पंचौ की पंचायत सभा खत्म हो गई। गाँव के सभी लोगों के कहने पर सुरेश के पिता अमावस वाली रात को अंतिम क्रिया कर्म करने को तैयार हो गए। यह समझो उनको अब सभी के दबाव में यह करना पड़ रहा था। और इस दौरान विनय शाम को समोसे लेकर जाता ही रहा और मन ही मन खुश भी हो रहा था - बस अब अमावस के बाद मुझे और मेरे गाँव को इस श्राप से छुटकारा मिल जाएगा - 2 दिन बीते और अमावस बी आई और दिन मे विनय और गाँव के लोग तुरंत जाकर बाबा को ले आए। बाबा ने दिन भर उस जगह पर जाकर थोड़ी पूजा करी जहाँ सुरेश को जिंदा जला दिया गया था। और उसके बाद बाबा ने कहा - बाकी की पूजा रात को ही होगी। -


अमावस की रात घनघोर अंधेरा था उस दिन बाबा और बाबा के कहने पर सुरेश के परिवार के लोग और गाँव के कुछ लोग उसी जगह पर गए जहां सुरेश और सकीना अंतिम दिनों में रहा करते थे बाबा ने पूजा शुरू करी और सुरेश के पिता जी अब अंतिम संस्कार पूर्ण करा रहे थे। सुरेश का अंतिम संस्कार मरने के बाद नहीं किया गया था इस वजह से शुरू से ही सभी विधि विधान से अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की गई। पूजा चल ही रही थी तभी बाबा ने कहा - आज अमावस है इसलिए आज भूत प्रेत और पितरों की शक्ति बहुत ज्यादा बढ़ जाती है इसलिए अगर अभी सुरेश और सकीना की आत्मा वहाँ आए तो सब लोग माफी मांगना तभी इस गांव को श्राप से मुक्ति मिलेगी। -


तभी अचानक वहाँ बैठे सभी लोगों ने महसूस किया कि जैसे हवा तेजी से इसी तरफ आ रही हो और देखते ही देखते बाबा के सामने सुरेश और सकीना आ गए। और सभी लोगों को दिखाई देने लगे लेकिन वहाँ बैठे सभी लोग डर कर भागने लग गए थे। क्योंकि सुरेश और सकीना की शक्ल बहुत भयानक लग रही थी बिल्कुल जली हुई हालत में दोनों खड़े थे हड्डी हड्डी नजर आ रही थी। लेकिन बाबा ने सभी लोगों को रोका और कहा - इन से माफी मांग लो अब ताकि इस गाँव के लोगों की जान अब बच जाए - बाबा के कहने पर वहाँ बैठे सभी लोग रो-रो कर माफी मांग रहे थे और कह रहे थे - अब माफ कर दो हमें हम से जो गलती हुई थी उसकी सजा भुगत चुके हैं हम लोग। - लेकिन वहाँ पर खड़े सुरेश और सकीना की आत्मा कुछ भी जवाब नहीं दे रही थी।


तभी बाबा ने जो जोर से मंत्र पढ़ना शुरू करा और कहा - हम तुम्हें मुक्त कर देंगे या अभी भस्म कर देंगे बाबा ने कहा तुम्हारे पास दो ही रास्ते हैं मुक्ति या अभी हम भस्म कर देंगै। - बाबा का गुस्से में गरजते हुए इतना ही कहना था और फिर तुरंत सुरेश और सकीना अपनी भयानक आवाज में बोलते हैं - हमारी क्या गलती थी हमें क्यों मारा इन लोगों ने। हमारा क्या कसूर था। - बाबा ने जवाब देते हुए कहा - जिन लोगों ने तुम्हे मारा तुमने उन सब को मार दिया है। तो अब तो मुक्त कर दो इस गाँव को - लेकिन उन दोनों ने कहा - इस गाँव का हर एक आदमी अपराधी है और हम उन सबको उनके मौत के घाट उतारकर ही मानेंगे -


बाबा ने फिर कहा - अभी तुम्हारे पिताजी और तुम्हारे परिवार के लोगों ने तुम्हारी मुक्ति के लिए अंतिम संस्कार पूर्ण कर दिए हैं तुम मुक्त हो सकते हो लेकिन मैं तुम्हें अभी भस्म कर दूंगा - बाबा ने सुरेश को मानो एक छड़ी से ही पकड़ लिया और कहा - मैं अभी इसी अग्नि में तुम्हें डाल दूंगा। - अब बाबा के कैद में हो गए थे वो दोनों। उसके बाद बाबा ने बोला - बताओ क्या करें तुम्हारे साथ तुम इस गाँव को श्राप से मुक्त कर दो और तुम्हारी भी मुक्ति हो ही जाएगी आज - वहाँ बैठे सभी लोग गिड़गिड़ा कर माफी मांग रहे थे सुरेश और सकीना से। और सुरेश और सकीना को बाबा ने अपने पास कैद कर लिया था। इसलिए वह भी बहुत तड़प रहे थे


तो फिर सुरेश ने कहा - ठीक है अब हम नहीं लेंगे किसी की जान आप हमें आजाद कर दो - उसके बाद बाबा ने कहा - अब आजाद तो तुम हो ही गए हो मैं तुम्हें छोड़ दूंगा और तुम सीधा चले जाओगे क्योंकि अब तुम्हारी मुक्ति भी हो गई है - फिर बाबा ने तुरंत दोनों को आजाद कर दिया और गांव वालों के सामने ही सुरेश और सकीना दोनों की आत्मा अदृश्य हो गई। फिर बाबा ने कहा - अब कभी नहीं दिखाई देंगे वह बस उन लोगों का अंतिम संस्कार नहीं हुआ था अब सभी क्रिया कर्म पूरे हो चुके हैं इसलिए उन्हें मुक्ति मिल गई और आज से यह गाँव भी श्राप मुक्त हो गया गाँव में जो भी इतने सालों तक हुआ वह कहीं ना कहीं गाँव वालों की ही गलती थी गाँव वालों ने बहुत गलत किया था उन दोनों के साथ। -


विनय की मेहनत और हिम्मत ने बाबा के साथ मिलकर गाँव को बचा लिया और गाँव श्राप मुक्त हो गया। तब से आज तक गाँव में सब ठीक है और ना ही विनय को या फिर किसी को कहीं समोसे ले जाने की जरूरत पड़ती है।



और हॉरर कहानियाँ 👇


मौत का इंसाफ


अधूरा सपना


चिता की राख़ 



एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने