श्रापित गांव E -3 || gaon ki horror story || Hindi story my

 


श्रापित गांव एपिसोड 3

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विनय कमरे के बाहर ही खड़ा था तभी 2 लोग उस कमरे से बाहर निकले और जैसे ही विनय ने उन दोनों को देखा तो विनय की आंखें फटी की फटी रह गई क्यूंकि वो बिल्कुल जले हुए थे। एक लड़का और एक लड़की दोनों बिल्कुल जली भुजी झुलसी हुई हालत में थे उन दोनों का चेहरा बड़ा ही भयानक सा था। और दोनों ने बाहर आते ही विनय से अपनी डरावनी आवाज में एक साथ कहा - कल से समोसे तुम लेकर आओगे और रोज लेकर आओगे इसी समय लेकर आओगे नहीं तो जो अभी इनके साथ यहां हुआ हैं कल तुम्हारे साथ होगा इतना बोलकर वो दोनों अंदर की तरफ चले गए। पर विनय अभी भी बाहर उसी जगह पर खड़ा था तभी अंदर से किसी ने उस चाचा को बाहर फेंक दिया।

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और चाचा की हर जगह से कटी पीटी लाश विनय के सामने आकर गिरी। विनय ने जैसे ही उस चाचा की लाश को देखा वो तुरंत अपने घर को वापस भग गया। और घर में आते ही अपने कमरे में जाकर सो गया। उस दिन तो विनय ने अपने घर में किसी को कुछ नहीं बताया और अगले दिन सुबह उठते ही विनय ने अपने पिताजी से कहा - पिताजी मुझे आज दिल्ली जाना है नौकरी के लिए इंटरव्यू हैं मेरे पास कल रात को ही फोन आया है - पिताजी और उसके परिवार के लोग उसकी बात सुनकर बड़े ही हैरान थे और उसके पिताजी ने उसे समझाते हुए कह - अभी कुछ दिन रुक जाओ बेटा तुम्हारे चाचा की तेरवी नहीं हुई - अपने पिताजी की बात बिच में काटते हुए विनय ने कहा - नहीं पिताजी मुझे जाना ही पड़ेगा बहुत जरूरी इंटरव्यू है और इतना बोलकर उसने अपना सामान वगैरह पैक करा और घर से रेलवे स्टेशन के लिए निकल गया।


उसने सोचा दिल्ली के लिए जो भी पहली ट्रेन मिलेगी उसी में बैठ कर निकल जाऊंगा। तब देखता हूँ कौन मेरा क्या कर लेगा कल रात वाली घटना भी विनय ने किसी को नहीं बताई थी। विनय स्टेशन पहुंचा तो पता चला कि दिल्ली के लिए जो पहली ट्रेन है वह रात 9:00 बजे की है। विनय सोच रहा था कोई बात नहीं दिनभर यही बैठा रहूंगा और रात में ट्रेन आते ही सीधा दिल्ली। विनय ने पूरा दिन स्टेशन की बेंच पर ही बैठे हुए निकाल दिया। और जब रात के 9 बजते ही ट्रेन आई और विनय जाकर सीधा अपनी जगह पर बैठ गया। अभी ट्रेन थोड़ा दूर ही चली होगी तभी विनय के पास एक समोसा बेचने वाला आया और उसने विनय से कहा - साहब यह लो आपके दो समोसे पैक कर दिए हैं इसमें तीखी चटनी भी डाल दी है ले जाओ इसे अभी भी टाइम हैं। टाइम पर पहुंचा देना इने - उस समोसे वाले की बात सुनकर अब विनय की हालत खराब हो चुकी थी।


विनय सोच रहा था इसको कैसे पता लेकिन फिर भी विनय ने उसकी बात नहीं मानी और उसे गुस्से में बोला - मुझे नहीं जाना कहीं समोसे लेकर तुम्हे इतना शौक है तो तुम ही ले जा लो - उसके बाद विनय दांत पीसते हुए बोला - अब जाओ यहां से - लेकिन समोसे वाला समोसे को विनय के पास में रख कर चला गया। और जाते-जाते विनय से कह - इसे ले जाओ इसी में भलाई है वरना फालतू में मारे जाओगे जैसे तुम्हारे चाचा मारे गए थे - इतना बोलकर वो वहाँ से चला जाता हैं। विनय ने सोचा जो भी हो जाए मैं तो नहीं लेकर जाऊंगा समोसे इतना बोलकर विनय ने समोसे उठाकर खिड़की से बाहर फेंक दिए।


और कुछ समय बाद विनय दिल्ली पहुंच गया और जैसे ही विनय ट्रेन से उतरते तो आंखें फिर फटी की फटी रह गई क्योंकि विनय के सामने ट्रेन से उतरते ही स्टेशन पर वही समोसे वाला खड़ा था। विनय ने सोचा ये वही समोसे वाला है क्या जो रात को अंबाला स्टेशन पर मिला था। पर यह कैसे हो सकता है विनय यही सब सोच ही रहा था तभी वो समोसे वाला विनय के पास आया और विनय से बोला - साहब जी क्यों फालतू में बेवकूफी कर रहे हो मरने का बहुत शौक है क्या तुमको अभी भी समय है जाओ समोसे दे आओ 1 दिन की गलती हो गई हैं माफी मांग लेना बस जाओगे नहीं तो मरने के लिए तैयार रहना - उस समोसे वाले ने इतना ही बोला था तभी किसी ने विनय को अपने हाथो से हिला कर उठा दिया।


और विनय की आँखे खुली तो वो चौक गया क्यूंकि वो अभी भी अंबाला स्टेशन पर था और वो बेंच पर ही बैठे-बैठे सो गया था। यानी विनय ने यह एक भयानक सपना देखा था विनय अभी भी स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार ही कर रहा था विलन ने एक राहत की सांस तो ली कि चलो वो सपना था लेकिन विनय को जिस ने उठाया था विनय ने जैसे ही को उसका चेहरा देखा तो वो फिर चौंक गया उसने देखा वही समोसे वाला उसके सामने खड़ा था जो उसे अभी सपने में दिखा था। उस समोसे वाले ने विनय से कहा - साहब जी समय हो गया है जाओ समोसे दे आओ - इतना बोलकर उसने विनय के हाथ में समोसे पकड़ाते हुए कहा - साहब जी इसमें दो समोसे और तीखी वाली चटनी भी है अब देर मत करो जाओ जाओ। वरना अंजाम ठीक नहीं होगा - समोसे वाला इतना बोलकर वहाँ स्वागत चला गया।


लेकिन विनय अभी भी गुस्से में था उसने कहा - चाहे कुछ भी हो जाए अब मैं समोसे देने तो नहीं जाऊंगा। - इतना बोलकर विनय ने घड़ी में टाइम देखा तो 9:00 बजने वाले थे और देखते-देखते विनय की दिल्ली वाली ट्रेन भी आ गई। विनय बड़ी खुशी से भागते हुए ट्रेन में जाकर चडगया और अपनी सीट पर तुरंत जाकर बैठ गया। और कहने लगा - चलो कम से कम अब तो ट्रेन आई अब मैं नहीं रखूंगा यहाँ अब क्या कर लेगा कोई मेरा - विनय बहुत खुश था और मन ही मन सोच रहा था अब दिल्ली जाकर वही रहूंगा। और कुछ सालों बाद आऊंगा जब सब शांत हो जाएगा। विनय ट्रेन में बैठे-बैठे अपने ख्याली पलाव पका रहा था। और थोड़ी देर बाद ट्रेन का होरन बजा और ट्रेन चल पड़ी लेकिन तभी विनय ने देखा कि ट्रेन की पूरी बोगी खाली है और उस बोगी में सिर्फ एक सीट पर एक लड़की और एक लड़का ही बैठे हैं और पूरी ट्रेन खाली हैं।


विनय ने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा और कह - मुझे क्या मुझे तो दिल्ली जाना है बस -अब ट्रेन को चले बड़ी देर हो गई थी। और विनय खिड़की के बगल में ही बैठा हुआ था और खिड़की भी खुली हुई थी पर उसे ऐसा लग रहा था यह जगह सब जानी पहचानी हैं। विनय ने थोड़ा ध्यान से देखा तो पता चला की ट्रेन उसके ही गाँव के अंदर ही घूम रही थी। जैसे ही विनय को यह समझ में आया तो उसके होश उड़ना लाजमी ही थे। क्योंकि उस गाँव में ना कोई रेल की पटरिया तो दूर की बात उस गाँव में आज तक कभी अंदर बस भी नहीं गई थी और अब ट्रेन पूरे गाँव के अंदर-अंदर घूम रही थी। विनय ने सोच क्या पता इस बार भी ये मेरा कोई सपना ही हो। इसलिए विनय ने जोर-जोर से अपने आप को नोचने लगा और थप्पड़ मारने लगा।


लेकिन यह विनय को कोई सपना नहीं था। अब विनय को समझते देर नहीं लगी की उसने कितनी बड़ी गलती कर दी यहां से बिना बताए भागने की। विनय तुरंत अपनी सीट से उठकर गेट के पास गया उसने देखा ट्रेन तो बहुत तेजी से चल रही है वो अब कुछ भी नहीं कर सकता था। तो विनय चीखने चिल्लाने लगा - छोड़ दो मुझे मुझे मत मारो मैंने क्या करा है ऐसा लेकिन उस बोगी में और तो कोई था नहीं। बस एक लड़का और एक लड़की और वो भी अपनी सीट पर बैठे हुए थे विनय को चिल्लाता देख वो दोनों विनय के पास आए। और उन दोनों ने विनय से कह - क्या हुआ तुम अपने आप को तो बहुत समझदार समझते हो ना इस गांव से कोई भी जिन्दा नहीं जा सकता वापस। मरने के बाद का पता नहीं - विनय अब उनकी बाते सुनकर बहुत डर चुका था।


और वो रोते हुए नीचे गिर कर बोला - माफ कर दो मुझे मैंने क्या किया है - इतना बोलकर विनय ने जैसे ही उन दोनों का चेहरा देखा तो मानो विनय की धड़कन अब रुकी ही गई हो।ऐसा लग रहा था विनय के शरीर का चलता खून अब जम गया हो क्योंकि विनय ने देखा यह तो वही दोनों हैं जो उस दिन सुरेश के घर पर मिले थे। और इन्होंने उस बूढ़े चाचा को भी मार दिया था विनय की हालत अब बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। उसके बाद उन दोनों ने अपनी डरावनी और खतरनाक आवाज में विनय से कहा - क्यों तुम समोसे नहीं ले जाओगे तुम को फिर मरना होग । याद है ना तुम्हारे चाचा गाँव के प्रधान थे उनकी हालत कैसी हुई थी। उन्होंने भी मना कर दिया था और गांव में कितने लोगों की मौत हुई है शायद तुम भूल गए। चलो आज नंबर तुम्हारा है - इतना बोलकर उन दोनों ने विनय के सर के बाल से पकड़ के उठा लिया।


लेकिन विनय चीख चिल्ला रहा था और माफी मांग रहा था। और बार-बार कह रहा था - मुझे माफ कर दो अब रोज सही समय पर मैं समोसे लेकर आ जाऊंगा - विनय गिड़गिड़ा कर रो रहा था तभी उन्होंने विनय को बूगी की फर्श पर बड़ी जोर से पटका। फिर उस जले हुए कंकाल जैसे लड़के ने विनय से कहा - अगर तुझे जिंदा रहना है तो फिर तू उसी घर में रोज सही समय पर समोसे लेकर आ जाना जब तक आएगा तब तक ही बचेगा वरना बचेगा तो कोई नहीं इस गाँव का मरेंगे तो सब जल्दी मरेंगे - विनय डरा तो हुआ था लेकिन डरते डरते हुए ही उसकी थोड़ी हिम्मत आई और उसने बोला - तुम लोग क्यों मारना चाहते हो सबको क्या बिगाड़ा है तुम लोगों का हम सबने - विनय की बात का उसको जवाब तुरंत मिला उन दोनों ने कहा - तुम सब लोग दरिंदे हो और तुम सब लोगों को तुम्हारे किए की सजा जरूर मिलेगी तुम लोगों ने हमें मारा है और हम अब सब को मार देंगे। -


विनय ने उसके बाद पूछा - किसने मारा है आपको - विनय की बात का जवाब देते हुए उसने कह - मैं सुरेश हूं और मेरे साथ ये मेरी प्रेमिका सकीना है हम लोगों के प्यार के दुश्मन तुम्हारे गाँव वालों ने हमें जिंदा जला दिया इसलिए जब तक हम उनको उनके किए की सजा नहीं दिला देंगे तब तक हमें मुक्ति नहीं मिलेगी। - विनय ने सुरेश की बात सुनकर कहा - मैं दिलाऊंगा आप लोगों को मुक्ति बताओ क्या करना होगा मुझे आप की मुक्ति के लिए। तभी सुरेश ने अपनी डरावनी और गंभीर आवाज में विनय से फिर कहा - मुफ्ती तो हमको मिलेगी लेकिन हम खुद लेंगे क्योंकि हम को मुक्ति दिलाना इतना आसान नहीं है तुम नहीं दिला पाओगे हमको मुक्ति हमारी मुक्ति के लिए इस गांव के एक-एक आदमी को को मरना होगा इस गांव को जो श्राप दिया है उस श्राप का पूरा होना जरूरी है तुम सब मरोगे तभी हमें मुक्ति मिलेगी बस। -


विनय ने एक बार और हिम्मत करते हुए कहा - लेकिन जिन लोगों ने आपके साथ ऐसा किया कसूरवार तो बस वही लोग हैं ना बाकी निर्दोष लोगों को क्यों मारना चाहते हो आप दोनों । - सुरेश और सकीना ने कहा - कसूरवार गाँव का हर एक इंसान है सब लोगों ने हमारी मौत का तमाशा देखा था और गाँव के हर एक इंसान ने कहा था कि इन प्यार करने वालों को जिंदा रहने का कोई हक नहीं है इसलिए कसूरवार गाँव का हर एक इंसान है। - सुरेश ने फिर कहा लेकिन तुम जिंदा रहोगे बस तुमको रोज समोसे लेकर आना होगा उसी घर पर सही समय पर अगर ऐसी गलती फिर करी उसी समय मारे जाओगे - इतना बोलकर विनय को चलती ट्रेन से सुरेश और सकीना ने नीचे फेंक दिया। लेकिन आश्चर्य की बात तो यह थी। जब विनय की थोड़ी देर बाद आंख खुली तो विनय सुरेश के घर के बाहर खिड़की के पास पड़ा हुआ था यानी जो विनय को चलती हुई ट्रेन दिख रही थी वह सुरेश का घर था।


 लेकिन विनय समझ चुका था अब चालाकी नहीं चलेगी क्योंकि जान आज बड़ी मुश्किल से बची है। उसके बाद विनय अपने घर चला गया। विनय बता कर गया था कि वो शहर जा रहा हैं इसलिए उसके घर आते ही घर के लोग कहने लगे - क्या हुआ विनय तुम वापस आ गए और दिनभर कहां थे और इतनी रात को वापस आए - विनय ने उनकी बात का जवाब देते हुए कहा - मेरा मन नहीं हो रहा मैं बाद में जाऊंगा दिल्ली - विनय की बात सुनकर घर के लोग भी शुक्र मना रहे थे चलो ठीक है। उसके बाद उसके पिताजी ने कहा - अब तुम्हारे चाचा जी की तेरवि हो जाएगी तब ही जाना जहां जाना हो - विनय ने हां कह दिया लेकिन विनय ने घर वालों को कुछ भी नहीं बताएं जो सब घटना विनय के साथ घाटी थी। और विनय जाकर बिस्तर पर लेट गया।


 लेकिन इतना कुछ होने के बाद अब विनय को नींद कहां आने वाली थी। विनय लेटे हुए बस यही सोच रहा था - आज तो बड़ी मुश्किल से बचा हूँ लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा क्योंकि गया था वो रेलवे स्टेशन में और वहाँ से ट्रेन पकड़ी ट्रेन पर बैठा ट्रेन भी चल रही थी। फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि जब उन लोगों ने मुझे ट्रेन से नीचे से फेका तो मैं गांव में ही था सुरेश के घर पर। इसी उधेड़बुन में विनय बिस्तर पर पड़ा हुआ था क्योंकि आश्चर्यजनक बात तो थी ही। लेकिन विनय ने यह भी सोच लिया था इस गाँव को तो अब वो इस श्राप से आजाद करा के ही रहेगा। और विनय ने कह - जब तक इस गांव को मैं मुक्त नहीं करा लूंगा अब तब तक मैं यहां से नहीं जाऊंगा कहीं। चाहे कुछ भी हो जाए अब मैं अपने गाँव के लोगों को ऐसे मरते हुए नहीं छोड़ सकता। इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।


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