अधूरा सपना एपिसोड 1
एपिसोड 2 - यहाँ हैं 👉 click
रात का समय था और राजेश की ट्रेन थोड़ी लेट हो गई थी लेकिन किसी तरह हॉस्टल पहुंच ही गया। सामान रखकर राजेश थोड़ा सुकता यही होगा कि हॉस्टल में बहुत हलचल सी मच गई सभी जूनियर कह रहे थे कि सीनियर ने बुलाया है। ऊपर छत पर डरे सहमे सभी जूनियर छत पर पहुंचे तो उन्होंने छत पर देखा दो सीनियर विनीत और आशीष एक कोने में बैठ कर सभी का इंतजार कर रहे थे। न्यू फर्स्ट ईयर स्टूडेंट का और उनके चमचे इधर उधर आसपास उन दोनों को घेर कर खड़े थे।
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फिर उसके बाद एक के बाद एक सबका इंट्रोडक्शन हुआ। और थोड़ी मामूली सी मस्ती हो रही थी कि कौन गाना गाएगा कौन डांस करेगा। तभी अचानक आशीष की नजर राजेश पर पड़ी फिर दोनों के दोनों सीनियर उठे और राजेश के कंधे पर हाथ रख कर आशीष ने कहा - अच्छा तो तुम हो नया आइटम चलो कपड़े उतार कर नाचो बेटा - राजेश ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतने अच्छे और बड़े कॉलेज में ऐसी गंदी रैगिंग भी हो सकती है। राजेश भी जिद्दी था राजेश ने कहा चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन मैं नाचूंगा तो नहीं और किसी ने अगर जोर जबरदस्ती करी तो फिर मैं कंप्लेन भी कर दूंगा। राजेश में इतनी हिम्मत देखकर बाकी जूनियर में भी अब हिम्मत आने लगी थी।
लेकिन आशीष और विनीत दोनों बड़े दबंग किस्म के थे तो फिर ऐसी बगावत उनको रास नहीं आई आशीष गुस्से में दांत पीसते हुए बोला - सुनो बेटा इतनी जो क्रांति दिखा रहे हो ना कुछ ही समय की गर्मी है 4 साल इस कॉलेज में रहोगे तो बेटा हम से बच कर कहां जाओगे इसलिए जो बोला जाए और जितना बोला जाए उतना ही करना है वरना 4 साल की जिंदगी नरक बना दूंगा तुम सबकी -आशीष की बात सुनकर राजेश को छोड़कर बाकी सब की हालत खराब हो गई थी। राजेश डरने वालो में से तो नहीं था राजेश ने कहा हार तो मैं मानूंगा नहीं गुस्से में राजेश छत की रेलिंग तक गया और थोड़ा रोते हुए बोला - तुम जैसे सीनियर के वजह से हम जूनियर कॉलेज में आने से तो क्या कॉलेज के नाम से ही डर जाते हैं पर आज के बाद ऐसा कभी नहीं होगा - और इतना बोलते ही राजेश छत से नीचे कूद गया राजेश की ऐसी खतरनाक चीख गूंजी कि पूरे हॉस्टल में आवाज आई और नीचे हड्डियां तक टूटने की आवाज सुनाई दी सबको लेकिन डरे घबराए सभी लड़कों ने जब नीचे झांका तो।
वहाँ राजेश की लाश तो होनी चाहिए थी लेकिन वहाँ राजेश की लाश नहीं थी। आशीष और विनीत दोनों ने सभी जूनियर को एक लाइन में खड़ा किया और चिल्लाते हुए कहा - यहां जो अभी हुआ है ना वह यहीं पर खत्म हो गया है इसके बारे में अगर किसी को भी पता चला ना या किसी ने किसी को बताने की कोशिश भी करीना तो बेटा अगली बारी तुम्हारी होगी चलो निकलो अब यहां से भागो जल्दी - अगले दिन सुबह रात की सारी बातें भुला कर आशीष और विनीत जब क्लास में ही बैठे थे तब जानी पहचानी एक आवाज - आई मे आई कम इन टीचर - आशीष और विनीत ने सर उठा कर देखा तो राजेश खड़ा था और टीचर कह रही थी - स्टूडेंट यह राजेश है बहुत होशियार और समझदार लड़का है हमारे कॉलेज में यह पहली बार हुआ है कि कोई स्टूडेंट सीधा थर्ड ईयर में आ रहा है - टीचर ने एक-एक करके जब राजेश को सबसे मिलवाया तब आशीष और विनीत के सामने आए तो राजेश ने कहा - टीचर इनको तो मैं बहुत अच्छे से जानता हूं कल ही मिला था इन दोनों से उस समय और हमारी बात भी बहुत देर तक हुई। और भाई लोगों क्या हाल हैं आप दोनों के - राजेश के इतना कहते ही आशीष और विनीत के तो होश ही उड़ गए थे।
और जब क्लास खत्म हुई तो आशीष और विनीत ने देखा राजेश अब क्लास में नहीं है उसके बाद दोनों ने पूरा कॉलेज छान मारा लेकिन राजेश कहीं नहीं मिला। लेकिन आशीष ने विनीत से कहा - चलो एक बार हॉस्टल में राजेश के रूम में जाकर देख लेते हैं - उसके बाद दोनों हॉस्टल में जाते हैं तो देखते हैं। राजेश के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था और आसपास भी कोई नहीं था। अंदर क्या हो रहा है यह देखने के लिए आशीष और विनीत दोनों ने अपने कान दरवाजे से चिपका लिए। और सुनने की कोशिश करते रहे पहले तो फोन पर किसी के बात करने की आवाज आती रही नॉर्मल सी लेकिन थोड़ी देर में अंदर से आने वाली आवाज सब पूरी तरह से बंद हो गई और तभी किसी ने जैसे अंदर से दोनों के कानों में पुश फसाते हुए कहां - कान हटाओ मेरे दरवाजे से तुम दोनों और यहां से भाग जाओ वरना अच्छा नहीं होगा तुम्हारे साथ -
आशीष और विनीत वैसे तो पूरे कॉलेज के लिए सिरदर्द थे लेकिन अब यह सुनकर दोनों के होश उड़ गए थे। क्योंकि दोनों यही सोच रहे थे अगर राजेश अंदर है तो उसको कैसे पता कि हम दोनों कान लगा कर सुन रहे हैं। क्योंकि दरवाजे में तो ना ही कोई छेद था और ना कोई और तरीका जिससे यह पता चल पाता कि बाहर कोई है या फिर बाहर कुछ भी है। दोनों यही सोच रहे थे तभी उनको कल रात की बात याद आई यही सोचकर आशीष और विनीत ने अपने कमरे की तरफ दौड़ लगाई। और कमरे में पहुंचते ही सीधा दरवाजा बंद किया दोनों ने उसके बाद तब दोनों को थोड़ा राहत सी आई। कमरे में ही दोनों की सारी शाम बीती पर अब रात का समय आ गया था। आशीष और विनीत दोनों डिनर के लिए डिनर हॉल में गए दोनों ने डिनर करा लेकिन उनको कहीं पर वहां राजेश नहीं दिखा। तब दोनों चुपचाप अपने कमरे में आए और थोड़ी पढ़ाई करी फिर दोनों लेट गए। ऐसा अक्सर होता नहीं था क्यूंकि दोनों हॉस्टल के सबसे दबंग किस्म के स्टूडेंट थे।
इसलिए रात को कभी इतनी जल्दी सोते तो नहीं थी लेकिन आज तुरंत लेट गए दोनों को लेटे हुए लगभग 10 ही मिनट हुए होंगे तभी आशीष जिसके कमरे के बगल में ही बाथरूम का दरवाजा था। उसने करवट बदली तो उसकी आंखों के सामने ही बाथरूम की लाइट का स्विच ऑन हुआ और लाइट जली आशीष को नींद में लगा कि विनित गया होगा। और तभी उसकी स्विच पर जमी हुई आंखें चौड़ी हो गई जब उसने देखा कि बाथरूम का स्विच अपने आप ऑफ हो गया। आशीष घबराया जरूर लेकिन वह उठकर बाथरूम की लाइट जो ऑन ऑफ ऑन ऑफ हो रही थी उसको रोकने के लिए उसने स्विच पर हाथ रखा ही था। तभी आशीष को साफ समझ में आया कि उसके हाथ के ऊपर किसी और का हाथ भी है और धीमे धीमे उस हाथ का दबाव बढ़ता जा रहा था। इसकी वजह से देखते ही देखते वह स्विच चटकने लगा था और देखते ही देखते छोटा सा वह स्विच बोर्ड टूटा और आशीष का हाथ सीधा जाकर नंगी तारों पर लगा। इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।
Very nice story
जवाब देंहटाएंआप की कहानियां सभी बहुत अच्छी लगती हैं हम आपके कहानियां रोज पढ़ते और सुनते हैं धन्यवाद
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