पुराना हॉस्पिटल
राजिस्थान का __ हॉस्पिटल पिछले दस सालो से बंद पड़ा हुआ हैं। इस हॉस्पिटल के बंद होने का करण को यह बताते हैं की दस साल पहले इस हॉस्पिटल में डॉ सागर रहा करते थे वो इस हॉस्पिटल के एक सीनियर डॉ थे पर एक दिन जब डॉ सागर हॉस्पिटल की छत पर टहल रहे थे तब को कुछ लोगो ने डॉ सागर को मार कर पानी की टंकी में डाल दिया था। और उनकी मौत के कुछ दिनों बाद से ही इस हॉस्पिटल हॉरर एक्टिविटी होने लगी। और उसके बाद हॉस्पिटल में काई लोगो को की लाश छत पर पड़ी मिलती थी और कभी-कभी तो खुद डॉ सागर को काई लोगो ने हॉस्पिटल में घूमते देखा था। जिसके बाद इस हॉस्पिटल को बंद करना पड़ा था। और आज भी कोई उस हॉस्पिटल नहीं जाता।
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सूरज और अखिलेश आज ही इस हॉस्पिटल के बगल वाले हॉटल में रहने को आई थे। पूरा दिन घूमने के बाद दोनों जब हॉटल वापस आ रहे थे तब सूरज की नजर __ हॉस्पिटल में पड़ी सूरज ने अखिलेश को हॉस्पिटल दिखते हुए कह - अरे भाई यह हॉस्पिटल बंद क्यों पड़ा हैं ऐसा लग रहा हैं जैसे काई सालो से यह बंद पड़ा हो - सूरज की बात सुनकर अखिलेश बोलता हैं - मुझे क्या पता भाई मैं भी तेरे साथ यहाँ पहली बार आया हूँ - यही सब बाते करते हुए दोनों अपने हॉटल में पाउच जाते हैं। वहाँ पाउचते ही सूरज हॉटल के एक आदमी से पूछता हैं - अरे भैया वो हॉटल के बगल वाला हॉस्पिटल बंद क्यों पड़ा हैं - सूरज की बात सुनकर वो आदमी बोलता हैं - क्यूंकि वो एक भूतिया हॉस्पिटल हैं - उस आदमी की बात सुनकर सूरज बोलता हो - अरे भाई जी मज़ाक मत करो और कुछ सही में पता हो तो बोलता - सूरज की ऐसी बाते सुनकर वो आदमी इस बार थोड़ा दांत पीसते हुए बोलता हैं - अगर मेरी बातो पर विश्वास नहीं तो खुद ही जाकर देख लो - इतना बोलकर वो आदमी वहाँ से चला जाता हैं।
उसके जाते ही अखिलेश, सूरज से बोलता हैं - अरे तू भी कहाँ इस पागल की बातो में आ रहा हैं - पर सूरज तो जैसे अब उस हॉस्पिटल में जाने का मन बना बैठा था। इसलिए वो अखिलेश से बोलता हैं - यार एक बार देख के आने में क्या जाता हैं चल आज देख कर ही आते हैं वो आदमी सच बोल रहा था या झूठ - अखिलेश, सूरज की ऐसी पागलो भरी बाते सुनकर सूरज को समझाते हुए बोलता हैं - तू पागल तो नहीं हो गया हैं और वैसे भी हमें क्या मिलेगा उस आदमी को झूठा सभीत करके - सूरज एक बार और कोशिश करते हुए अखिलेश से बोलता हैं - भाई तुझे अपनी दोस्ती की कसम तू मेरे साथ आज रात को उस हॉस्पिटल में चल रहा हैं - अखिलेश जानता था सूरज बहुत जिद्दी हैं और अब वो वहाँ जाकर ही मानेगा इसलिए अखिलेश सूरज की बात मन जाता हैं और दोनों रात के 12 बजे उस हॉस्पिटल में जाने का प्लेन बनाते हैं। रात के 12 बजने का इंतजार करने लगते हैं।
और जैसे ही घड़ी में रात के 12 बजते हैं दोनों उस हॉस्पिटल में जाने लगते हैं और वहाँ पाउच कर हॉस्पिटल के गेट का ताला तोड़ कर अंदर चले जाते हैं।अंदर जाने के बाद दोनों एक एक कर हॉस्पिटल में हर जगह देखने लगते हैं की कुछ तो भूतिया हो पर उन्हें सिवाय धूल के वहाँ कुछ नहीं देखता अभी अखिलेश, सूरज से बोलता हैं- भाई मुझे तो इस हॉस्पिटल में कुछ भी भूतिया जैसा नहीं दिख रहा चल यार अब हॉटल चलते हैं फालतू का टाइम वैस्ट कर रहे हैं हम वहाँ - सूरज के पास उसकी बातो का कुछ जवाब नहीं था इसलिए वो भी बोलता हैं - चल यार मुझे भी लगता हैं वहाँ ऐसा कुछ नहीं हैं - इतना बोलकर दोनों बाहर जाने लगते हैं।
तभी उनके पिछे से किसी की आवाज आती - कौन हो तुम लोग - आवाज सुनकर जैसे ही सूरज और अखिलेश आपने पिछे को मुडे तो उनके होश उठ गए और उनकी रगो में बैहता खून जम सा गया। क्यूंकि उन दोनों ने देखा उनके सामने एक बड़ा ही भयानक सा आदमी खड़ा था। क्यूंकि उस आदमी सर कटा हुआ था और उसने आपने सर को हाथो में पकड़ रखा था। उस आदमी को देखकर सूरज डरते डरते हुए उसे बोलता हैं - को-को-कौन हो तुम - सूरज के इतना बोलते ही वो आदमी पहले तो जो सर उसे आपने हाथो में पकड़ रखा था उसे उसने अपनी गर्दन पर रखा और अपनी भयानक आवाज में कह - मैं डॉ सागर हूँ और तुम मेरे पैसाड - इतना बोलकर वो सूरज और अखिलेश के हाथ पकड़ लेता हैं और घसीटता हुआ आपने साथ ले जाने लगता हैं। वो डॉ सागर उन दोनों को आपने साथ ऑपरेशन थिएटर ले जाता हैं पहले तो वो अखिलेश को एक कुर्सी में बांध देता हैं उसके बाद सूरज को ऑपरेशन थिएटर के बैड पर लेटा देता हैं और कैची से उसका पैर काटने लगता हैं और काटते काटते सूरज के दोनों पैर लग कर के रख देता हैं।
सूरज दर्द से तड़प और चीलाए जा रहा था पर उस डॉ सागर पर उसका कोई असर नहीं हो रहा था। तभी अखिलेश के हाथो में बँधी रसिया आपने आप खोल जाती हैं और अखिलेश जिस कुर्सी से बांधा था उसको उठा कर डॉ सागर के सर में मार देता हैं कुर्सी डॉ सागर के सर पे लगते ही उसका सर नीचे गिर जाता हैं। अखिलेश थोड़ा भी ख़ुश हो पता उसे पहले ही डॉ सागर का सर आपने आप उड़ता हुआ डॉ सागर की गार्डन में लग जाता हैं। अखिलेश बस खड़ा खड़ा यह सब देख रह था वो बैचारा कर भी क्या सकता था। और सूरज को तो आपने दर्द के आगे कोई होश ही नहीं था क्यूंकि बेचारे के दोनों पैर जो कट चुके थे। तभी डॉ सागर अखिलेश की तरफ मोड़ता हैं बोलता हैं - अच्छा तुम्हारे दिमाग़ का ऑपरेशन करना हैं - इतना बोलकर ही डॉ सागर ने अखिलेश को पकड़ लिया और घसीटते हुए उसके ले जाकर सूरज के बगल में लेटा दिया।
अगले दिन जब वहाँ के पास के लोगो ने हॉस्पिटल का गेट खुला देखा तो लोगो ने सोचा की हॉस्पिटल में चोरी हुई होंगी। इसलिए वहाँ के लोगो ने पुलिस को बुला लिया और पुलिस ने जब अंदर जाकर देखा तो उनको लोगो की कटी पीटी लाश मिली। सूरज की लाश के तो दोनों पैर कटे हुए थे और अखिलेश का सर ऊपर से कटा हुआ था।
डॉ सागर मार तो गए थे लेकिन वो अभी भी लोगो का ऑपरेशन कर रह हैं।