भूतिया रास्ता
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रात के 11 बजे सुनसान सड़क पर एक बाइक रात के सन्नाटे को चिरती चले जा रही थी। दो दोस्त रोहन और मुकेश अपने दोस्त मोहित के घर जा रहे थे। रोहन और मुकेश आज पुरे दो साल बाद अपने दोस्त मोहित से मिलने जा रहे थे ।तभी रोहन मुकेश से बोलता हैं - यार अपने शहर में तो कुछ भी नहीं बदला- फिर मुकेश ने कहा - हाँ यार तुने सही कहा - यही सब बात करते दोनों चले जा रहे थे।
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तभी मुकेश ने कहा - यार रोहन रात हो गई हैं मैं तो कहता हूँ वो कब्रिस्तान वाली रोड से मत चलियों यार - फिर रोहन ने कहा - क्यों भाई तुझे डर लगता हैं क्या अरे डर मत मैं हूँ ना तेरे साथ - फिर रोहन की बात सुन कर मुकेश बोलता हैं - ना यार डर की बात नहीं हैं तुझे तो पाता ही हैं वो कब्रिस्तान कितना श्रापित हैं - रोहन निडर लड़का था इसलिए मुकेश की बात सुन कर रोहन बोलता हैं - अरे भाई तू कैसी बात कर रहा हैं मैं तो उसी रास्ते से ही जाऊंगा उस रास्ते से टाइम कम लगेगा - मुकेश जनता था रोहन बहुत जिद्दी हैं वो नहीं मानेगा इसलिए मुकेश कुछ नहीं बोलता और फिर उसके बाद रोहन उस ही रास्ते से अपनी बाइक ले जाने लगता हैं।
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ये दोनों कुछ ही आगे गये थे तभी इनकी बाइक झटके देने लगती हैं तभी मुकेश कहता हैं- अरे क्या कर रहा हैं सही से चला भाई- फिर रोहन बोलता हैं - अरे भाई मैं तो सही से ही चला रहा हूँ पर पता नहीं इस बाइक में क्या हो गया हैं - रोहन ने इतना ही कहा था की इनकी बाइक झटके देते-देते थोड़ा आगे जा कर बंद हो जाती हैं। बाइक बंद होते ही रोहन बोलता हैं - अरे ये बाइक कैसे बंद हो गई - फिर मुकेश कहता हैं - अरे यार बंद हो गई तो क्या फिर से स्टार्ट कर - मुकेश के इतना बोलते ही रोहन बाइक फिर से स्टार्ट करने की कोशिश करने लगता हैं।
पर बाइक स्टार्ट नहीं होती तभी मुकेश ने एक ऐसी चीज देख लेता हैं। जिसे देख कर मुकेश बस उसे ही देखे जा रहा था मुकेश को देख कर साफ़ पता चल रहा था की मुकेश ने जो चीज देखी हैं उसे देख कर मुकेश बहुत डर चूका हैं। तभी रोहन की नजर मुकेश पर पड़ी तो उसे ऐसे डरे हुए देख कर रोहन बोलता हैं - अरे अब तुझे क्या हो गया - पर मुकेश कुछ नहीं बोलता बस अपनी ऊँगली से इशारा करते हुए दिखता हैं।
जिस तरफ मुकेश की ऊँगली थी उस ही दिशा में रोहन जैसे ही देखता हैं तो उसे दिखता हैं की उनकी बाइक और कही नहीं बल्कि उस ही कब्रिस्तान के गेट के आगे ख़राब हुई थी।
पर रोहन एक निडर लड़का था इसलिए वो मुकेश से बोलता हैं - अरे भाई तू डर क्यों रहा हैं बाइक इतने समय से घर में ही खड़ी थी इसलिए बाइक बंद हो गई और यार तू अब बाइक से नीचे उतर पहले कोई मकैनिक देखते हैं - रोहन ने इतना ही कहा था तभी मुकेश बोलता हैं - यार वो देख मकैनिक की दुकान - रोहन जैसे ही उस तरफ देखता तो उसे दिखता हैं एक छोटी सी झोपडी बनी थी जिसमे एक पीला वाला बल्प टंगा था और उसमे 45-50 साल का आदमी बैठा था।
फिर उसके बाद वो दोनों अपनी बाइक उस मकैनिक के पास ले जाते हैं और रोहन बोलता हैं - अरे काका देखना तो हमारी बाइक अचानक बंद हो गई देखना तो इसमें क्या हो गया हैं - रोहन की बात सुनकर वो मकैनिक उनकी तरफ देखा हैं और बोलता हैं - अच्छा बेटा तुम कुछ देर यही बैठो मैं अभी देखता हूँ इसमें क्या हुआ हैं - इतना बोलकर वो आदमी बाइक ठीक करने लगता हैं। और रोहन और मोकेश अभी वहाँ बैठे ही थे तभी रोहन बोलता हैं - यार तू यही बैठ मैं अभी एक नम्बर करके आया -
इतना बोलकर रोहन थोड़ा ही आगे जाकर टॉयलेट करने लगता हैं और जैसे रोहन एक नम्बर कर के पीछे मोड़ता हैं वो देखता हैं उसकेपीछे एक आदमी खड़ा था और वो उसे ही देखे जा रहा था। रोहन को ये देख कर बड़ा अजिब लगता पर तभी वो आदमी उससे बोलता हैं - वो जो लड़का जो वहाँ बैठा हैं वो तुम्हारा दोस्त हैं ना - फिर रोहन जवाब देते हुए बोलता हैं - हाँ हैं तो - फिर वो आदमी बोलता हैं - पर तुम्हारा वो दोस्त उस फटी हुई और बंद झोपड़ी के पास बैठ कर क्या कर रहा हैं -
रोहन उसकी बात सुनकर बोलता हैं - बंद झोपडी अरे - इनता बोल कर रोहन पिछे मोड़ता हैं चुप हो जाता हैं क्यूंकि वो देखता हैं जो मकैनिक अभी उनकी बाइक ठीक कर रहा था वो अब वहाँ नहीं हैं। और उसकी दुकान भी बंद थी और मुकेश अभी भी वही बैठा था यह देख कर रोहन बोलता हैं - ये मकैनिक इतनी जल्दी कहाँ गया और इसने अपनी दुकान भी इतनी जल्दी कैसे बंद कर दी - इनता बोल कर रोहन जैसे ही पीछे मोड़ता हैं तो वो देखता हैं जो आदमी अभी तक उसके पास खड़ा था वो आदमी भी अब वहाँ नहीं था।
उस आदमी को वहाँ ना देखकर रोहन बड़ी ही हैरानी के साथ बोलता हैं - अरे ये आदमी कहाँ गया अभी तो यही था - रोहन वैसे तो कभी डरता नहीं था पर आज जो कुछ भी उसने अभी देखा तो उसे देखकर अब वो भी डरने लगा था। फिर उसके बाद रोहन बिना टाइम गवाएं मुकेश के जाता हैं और बोलता हैं - भाई उठ जल्दी उठ और अभी यहाँ से चल - फिर मुकेश बोलता हैं - पर क्यों भाई गाड़ी तो अभी ठीक होने ही वाली हैं - मुकेश के इतना बोलने के तुरंत बाद एक आवाज और आती हैं - अरे क्या हुआ बेटा आपकी बाइक बस ठीक होने ही वाली हैं - ये और किसी की आवाज नहीं बल्कि उसी मकैनिक की आवाज थी।
रोहन जैसे ही अपना सर ऊपर करके देखता हैं तो उसे दिखता हैं वो मकैनिक वही खड़ा था और उसकी दुकान भी खुली हुई थी। रोहन यही सोच रहा था की ये कैसे हो सकता हैं अभी तो यहाँ कोई नहीं था यह सब हो किया रहा हैं यही सब रोहन सोच ही रहा था तभी मुकेश बोलता हैं - अरे तुझे हुआ क्या हैं तू बोलगा भी कुछ - पर रोहन यही सोच रहा था मुकेश को कैसे बताऊं की उसके पिछले 10 मिनट में उसके साथ क्या-क्या हुआ।
पर थोड़ा सोचने के बाद रोहन बोलता हैं - मुकेश तू मेरे साथ एक मिनट के लिए तोड़ा इधर तो आ - इतना बोलकर रोहन मुकेश को तोड़ा साइड में ले जाता हैं और बोलता हैं - यार मुकेश ये जो मकैनिक हैं यह मुझे लगता हैं की भूत हैं - मुकेश रोहन की बात सुनकर हँसने लगता हैं और हँसते हुऐ ही कहता हैं - माना मैं भूत से डरता पर इतना भी नहीं की तू जो कुछ भी बोले मैं उसको मान लू चल अब मज़ाक बंद कर और चल अब गाड़ी के पास ही बैठते हैं - फिर रोहन बोलता हैं - रुक भाई - फिर उसके बाद रोहन उसे सारी बात बताता हैं जो उसके साथ पिछले 10 मिनट में हुई थी। फिट मुकेश रोहन की बात सुन कर बोलता हैं - यार तुझे कोई वैहम हुआ होगा - इनता बोलकर वो वापस गाड़ी के पास जाने लगता हैं।
मुकेश ने रोहन की बात को मज़ाज में ले लिया था इसलिए वो दोनों वही अपनी गाड़ी के पास ही आकर बैठ जाते हैं। पर तभी वो मकैनिक अपनी गंभीर आवाज में बोलता हैं - बाबू साहब क्या अपने यह अभी तक ये नहीं सोचा एक सुनसान सड़क हैं और आस पास कोई दुखाना नहीं हैं बस कब्रिस्तान के गेट के सामने एक मकैनिक की दुकान हैं और बगल में जंगल भी हैं और उसने तभी भी रात के 12 बजे तक अपनी दुकान खोल रखी हैं - वो दोनों कुछ नहीं बोलते बस एक दूसरे को देखते हैं और उस मकैनिक की बात सुनते रहते।
फिर वो मकैनिक अपनी बात को जारी रखते हुऐ कहता हैं - मैं आपकी बाइक ठीक तो कर दूंगा पर उसके मैं कोई पैसे नहीं लूंगा - फिर मुकेश ने झिझकते हुए कहा - पर क्यों - फिर वो मकैनिक मुस्कुराते हुए बोला - मैं पैसे नहीं लेता और मुझे पैसे भी नहीं चाहिए मुझे तुम दोनों की जान चाहिए - यह सुन कर दोनों हकेबके रह गए और दोनों अब ना आउ देखते ना तओ दोनों वहाँ से तुरंत उठ के भगने लागते हैं।
दोनों लगातार भागे ही जा रहे थे पर वो कब्रिस्तान की दीवार पार नहीं कर पा रहे थे यानी वो कब्रिस्तान से आगे नहीं जा पा रहे थे। दोनों को अब भागते-भागते लग भग आधा घंटा हो गया था और दोनों की सांस भी फूलने लगी थी। पर तभी दोनों अचानक रुक जाते हैं और वो दोनों देखते हैं आगे उस ही मकैनिक की दुकान थी और वही कब्रिस्तान का गेट था यानी वो दोनों भागते-भागते वही वापस आ गए थे। फिर तभी वो दोनों देखते हैं की वो मकैनिक अभी भी उने ही देखकर मुस्कुरा रहा था मानो वो यह कह रहा हो की तुम अब कही नहीं जा सकते। दोनों सोच ही रहे थे वो क्या करें तभी रोहन मुकेश को जंगल की ओर भागने को बोलता हैं।
फिर उसके बाद दोनों जंगल की ओर भागने लागते हैं। और दोनों भागते भागते अब जंगल के काफ़ी अंदर आ गए थे तभी दोनों को किसी औरत के रोने की आवाज सुनाई आती हैं। आवाज सुनकर दोनों पहले एक ही जगह पर रुक जाते हैं फिर दोनों जिस ओर से रोने की आवाज आ रही थी उस ही ओर जाने लगते हैं पर थोड़ा ही आगे जाकर वो दोनक देखते हैं। एक औरत उनसे तोड़ी ही दूर पर बैठी अपने सर को नीचे की ओर करे रो रही थी। पर रोहन को पता नहीं क्या होता हैं वो उस ही औरत के पास जाने लगता हैं मुकेश उसे रोकना तो चाहता था पर वो कुछ नहीं बोलता और वो भी उसके साथ ही वही जाने लगता हैं।
फिर उसके बाद रोहन उस औरत के पास जाता हैं और बोलता हैं - अरे सुनिए कौन हैं आप और इतनी रात को यहाँ क्या कर रही हैं - पर वो औरत रोहन की बात का कुछ जवाब नहीं देती जैसे उसने रोहन की बात सुनी ही ना हो। फिर रोहन अपने हाथ से उस औरत को टच करते हुए एक बार फिर से बोलता हैं - अरे कौन हैं आप और आप रो क्यों रही हैं - इसबार वो उनकी बात सुन लेती हैं और वो अचानक से अपना रोना रोककर बोलती हैं - उसने मेरे पति को मार दिया - बस इतना बोल कर वो औरत फिर से रोने लगती हैं। फिर मुकेश डरते-डरते बोलता हैं - किसने तुम्हारे पति को मार दिया -
फिर वो औरत अपनी गंभीर आवाज में बोलती हैं - उसने मेरे पति से अपनी गाड़ी ठीक कराई और जब मेरे पति ने उससे पैसे मांगे तो उसने मेरे पति को मार दिया और अब हम सबकी गाड़ी ठीक तो करते हैं पर पैसे नहीं लेते - इतना बोल कर वो औरत चुप हो जाती हैं पर यह सुनकर उन दोनों के होश उठ जाते हैं। और तभी वो औरत अचानक से अपना सर ऊपर करती हैं और उन दोनों की तरफ जैसे देखती हैं और जैसे ही वो दोनों उस औरत का चेहरा देखते तो उनका दिल अपनी दुगनी रफ़्तार से धडकने लगता हैं। क्यूंकि उस औरत का चेहरा पूरा सफ़ेद पड़ा हुआ था जैसे उसके शरीर में खून की एक बून्द भी ना हो।
फिर वो औरत इन दोनों की तरफ देखती और बोलती हैं - अब तुम ने हमसे अपनी बाइक ठीक कराई हैं अब तुम्हे मरना होगा क्यूंकि तुम भी पैसे नहीं देते और मेरे पति को मार देते - दोनों जैसे यह सुनते हैं तो उनके अंदर डर की एक लेहर सी चलने लगती हैं इसलिए तुरंत अपना हाथ जोड़ते हैं और विनती के सूर में बोलते हैं - हमें जाने दो हम तो पैसे देने ही वाले थे हमें जाने दो - तभी उनके पीछे से एक आवाज आती हैं - बाइक ठीक हो गई बाबू साहिब - आवाज़ सुनकर दोनों जैसे ही अपने पीछे देखते हैं तो वो मकैनिक उनके पीछे ही खड़ा था। और वो मकैनिक फिर बोलता हैं - आपकी बाइक ठीक हो गई - उसके इतना बोलने के बाद रोहन और मुकेश रोते हुए बोलते हैं - हमें जाने दो हमने कुछ नहीं करा हमें जाने दो -
पर उनकी बात सुनकर वो मकैनिक बोलता हैं - कुछ करने के लिए तुम बचोगे कब - इतना बोलकर वो उनके पास आने लगता हैं और वो जितना पास जा रहा था वो मकैनिक उतना ही भयंकर होते जा रहा था यानी उसका चेहरा सफ़ेद हो गया था और उसकी एक आँख से खून आने लगा था। और तभी उस औरत के रोने की आवाज भी बढ़ने लगी हैं उसकी आवाज इतनी तेज हो रही थी की अब रोहन और मुकेश के कान में चुब रही थी और देखते ही देखते रोहन और मुकेश के कान से खून आने लगा था। फिर उसके बाद मकैनिक भी उनके एकदम पास आ जाता हैं पर वो दोना कुछ नहीं कर पा रहे थे उन दोनों को ऐसा लग रहा था जैसे उनके ऊपर लाखो चीटिया छोड़ दी हो और वो सब चीटिया एक साथ उन्हें काट रही हो।
वो दोनों कुछ कर पाते उससे पहले ही उस मकैनिक ने रोहन की दोनों आँखे निकल ली थी। रोहन ने दर्द से तड़प तड़प कर वही मुकेश के सामने ही अपना दम तोड़ दिया हैं पर मुकेश कुछ नहीं कर पा रहा था और तभी वो मकैनिक उसकी ही तरफ देखने लगा हैं । और देखते ही देखते मकैनिक ने मुकेश की भी दोनों आँखे निकल दी और मुकेश ने भी यही तड़प-तड़प कर अपना दम तोड़ देता हैं।
कहते हैं आज भी उस कब्रिस्तान के गेट के आगे वही मकैनिक रात को अपनी दुकान खोलता हैं। और वो अभी भी गाड़ी ठीक करने के पैसे भी नहीं लेता क्या आपको भी अपनी गाड़ी फ्री में ठीक करानी हैं।
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