भूतिया हॉटल E-3 || haunted kahani in hindi || Hindi story my

 

भूतिया हॉटल E-3


उस समय मेरा दिमाग़ पूरा ख़राब हो गया था क्यूंकि उन दोनों महेश के हाथ में बिलकुल वैसा ही निशान था जिस निशान के बारे में मैं अब तक सोच रहा था । और साथ ही मुझे अब यह भी समझ में नहीं आ रहा था की मैं अब क्या करू और मैं इन दोनों में से किस पर विश्वास करू और किस पर ना करू। और मैं वहाँ से भाग भी तो नहीं सकता था क्यूंकि इन दोनों में एक मेरा दोस्त महेश था पर यह समझ में नहीं आ रहा था की महेश असली कौन हैं।
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और साथ ही मैं यह भी सोच रहा था की आखिर यह हो क्या रहा हैं हमारे साथ यह अचानक से एक और महेश कहाँ से आ गया। मैं वहाँ बैठे बैठे यही सब सोच रहा था तभी जो महेश बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा था उसने मुझसे कहा - अबे विक्की ज्यादा सोच मत और उठ जल्दी वहाँ से क्यूंकि यहाँ आते समय उस खच्चर वाले ने भी हमें बताया था की यह हॉटल भूतिया हैं पर हम दोनों ने उसकी बात नहीं मानी और यहाँ आकर इस मुसीबत में फस गए -

उस महेश की बात खत्म होती उससे पहले ही जो महेश मेरे बगल में बैठा था उसने कहा - विक्की मुझे तो लगता हैं यही वो भूत हैं जिसकी वो खच्चर वाला बात कर रहा था - पर अब मैं और ज्यादा गबरा गया था क्यूंकि इन दोनों में से एक तो महेश था और दूसरा इस हॉटल का भूत। मैं यही सब सोच रहा था तभी जो महेश बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा था उसने कहा - विक्की जो तेरे बगल में बैठा हैं उससे पूछ की तेरे को घर में किस नाम से बुलाते हैं -

उस महेश ने जैसे ही यह कहा तभी जो महेश मेरे बगल में बैठा हुआ था उसने कहा - विक्की इसकी बात मत सुन यह तुझे फालतू की बातों में फसा रहा हैं - मुझे शायद अब समझ में आने लगा था की इनमे से असली महेश कौन हैं पर तभी जो महेश बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा हुआ था उसने कहा - विक्की बातों में तो यह फसा रहा हैं इससे पूछ अभी फैसला हो जायेगा कौन हैं असली और कौन हैं नकली - महेश की बात अब मुझे समझ तो आ गई थी पर मैं यही सोच रहा था की एकदम से पूछना भी सही नहीं होगा क्यूंकि जो महेश का रूप ले सकता हैं वो और भी बहुत कुछ कर सकता हैं।

पर तभी जो मेरे बगल में महेश बैठा हुआ था उसने कहा - अबे विक्की उठ और चल जल्दी मेरे साथ हमारा रहा रुकना सही नहीं हैं - फिर मैंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा - महेश तू बता दे ना की मुझे घर में किस नाम से बुलाते हैं - पर जो महेश मेरे बगल में बैठा था उसने पहले तो कुछ नहीं कहा पर थोड़ी देर में उसने कहा - अबे विक्की तू मुझ पर शक कर रहा हैं क्या - फिर मैंने कहा - ना भाई शक नहीं कर रहा हूँ पर तू बता ना फिर मैं बिलकुल शक नहीं करूंगा -

फिर मेरी बात खत्म होते ही जो महेश बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा हुआ उसने कहा - देखा विक्की इसे बता ही नहीं हैं तो यह तुझे बताएगा ही कैसे अब उठ जल्दी वहाँ से - फिर उस दूसरे महेश ने कहा - ना भाई मुझे पता हैं पर अभी याद नहीं रहा पर भाई मैं ही महेश हूँ और उठ और चल मेरे साथ - उसके इतना कहते ही मैं तुरंत अपने बिस्तर से उतरा और और तुरंत भागता हुआ उस महेश के पास गया जो बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा हुआ था।

फिर इसके बाद हम दोनों तुरंत भागते हुए उस कमरे से निकले सीधा उस हॉटल से बाहर जाने लगे। पर वो दूसरा वाला महेश भी उठकर हमारे पिछे आने लगा और पिछे से ही आवाज लागाते हुए बोल रहा था - अबे विक्की रुक मैं ही असली महेश हूँ तू गलती कर रहा हैं - पर हम दोनों उसकी आवाज को अनसुना करते हुए भागे जा रहे थे। और भागते भागते सीधा हम हॉटल के दरवाजे तक पहुचे तो हमने जैसे ही दरवाजा खोलने की कोशिश करी तो पता चला की शायद किसी ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था क्यूंकि हमारे पूरी जान से कोशिश करने के बाद भी दरवाजा नहीं खुल रहा था।

पर तभी हमारे पिछे से उस दूसरे महेश ने कहा - विक्की तू मुझे अकेले ही जोड़कर जा रहा हैं तू कैसा दोस्त हैं विक्की मेरी बात का यकीन कर और आजा मेरे साथ मुझे यहाँ से बाहर जाने का दूसरा रास्ता पता हैं और वैसे भी यह तुझे नहीं बचा पायेगा बस मैं ही तुझे यहाँ से निकाल सकता हूँ क्यूंकि मैं ही असली महेश हूँ भाई विश्वास कर मुझ पर और आजा मेरी तरफ और दोनों साथ में ही बाहर चलते हैं यह पता नहीं कौन हैं और पता नहीं यह तेरे साथ क्या करेगा - वो लगातार बाद बोले ही जा रहा था और मुझे अपने पास बुला रहा था। पर तभी मेरे साथ वाले महेश ने कहा - विक्की वो देख खिड़की उसे ही तोड़कर बाहर जाते हैं।

फिर उसके बाद हम दोनों तुरंत खिड़की के पास गए और पास में ही रखी कुर्सी उठकर खिड़की में फेक कर मारी जिससे वो खिड़की तुरंत तोड़ गई। और दूसरा वाला महेश अंदर ही रह गया। फिर उसके बाद मैं और महेश हम दोनों पैदल ही विनोद के घर की तरफ गए और जब हम वहाँ पहुचे तो हमने सारी बात विनोद और उसके घर वालो को बताई तो विनोद के पिता जी ने हमें बताया की अगर मैं गलती से भी उस दूसरे वाले महेश पर विश्वास कर लेता तो हम दोनों मारे जाते क्यूंकि उस हॉटल में जो भूत हैं वो पहले अपने ऊपर विश्वास कराता हैं फिर उसके बाद मारता हैं। और आज उस घटना को पुरे एक साल हो गए हैं और मैं आज भी यही सोचकर डरता हूँ की मैं कही उस दिन गलती से भी उस पर विश्वास कर लेता तो फिर क्या होता।


इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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