फिर वही आवाज || horror storie in hindi || hindi story my

 


                     फिर वही आवाज


फिर वही आवाज यह एक सच्ची घटना है जो मेरे साथ घटी है। मेरा नाम अमित है और आज हम सब पूरे परिवार के साथ देहरादून से अपने गाँव आए हैं जो उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में हैं। मेरे परिवार में मेरे मम्मी पापा मेरी दो बहन और एक छोटा भाई है हमारा गाँव आने का कारण यह है कि इसी महीने बड़ी बहन की शादी होनी है। 21 जून 2011 घड़ी में लगभग समय दोपहर के 12 या 12:30 बज रहे होंगे मेरे दादाजी ने मुझसे कहा कि - अमित जाओ बगीचै से कच्चेआम तोड़कर ले आओ आम की जरूरत है। - मैं और मेरा भाई और मेरे चाचा के लड़के लगभग हम 7 या 8 जने सब बगीचे मैं जाने लागते हैं।
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जो जो मेरे साथ आए थे वो सब आम तोड़ रहे थे लेकिन मैं बगीचे में एक किनारे खड़ा हुआ था। इन सबने इस बगीचे में आम तोड़ लिए थे और अब हमें और आम चाहिए थे तो मेरे दूसरे चाचा के बगीचे में वो सब लोग चले गए। वह लोग आम तोड़ ही रहे थे। पर मैं अपने ही बगीचे में एक पेड़ के किनारे बैठा हुआ था तभी मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मेरे बगल में कोई है। और मेरा नाम लेकर बोल रही है - अमित कब आए हो और ठीक हो अमित - तो मैंने इधर उधर देखा लेकिन मुझे कोई दिखा नहीं पर मैंने सोचा गाँव की ही कोई औरत होंगी क्या पता। खेतों में कहीं हो और मुझे नहीं दिखाई दी हो। तो मैंने भी इस बात पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

 लगभग 5 मिनट बाद फिर मुझे ऐसा एहसास हुआ। की मेरे जस्ट बगल में ही एक महिला की आवाज मेरे कानो में साफ-साफ आए कि - अमित ठीक हो तुम और अमित कब आए - अब मुझे थोड़ा सा डर लगने लगा था । सामने ही के बगीचे में सब लोग थे इसलिए मैं बड़ी तेजी से भागा और भागते-भागते मेरा पैर एक नाली में पड़ा और मैं नीचे गिर गया। तभी मेरे छोटे भाई जो मेरे चाचा का लड़का था उसने मुझे देखा और वो तुरंत भागता हुआ मेरे पास आया और उसने मुझे पकड़कर उठाया और कहां - क्या हुआ अमित भैया - मैंने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा - कुछ नहीं शुभम - उसने मुझे फिर से कहा - आप इतनी तेज क्यों भागे क्या हुआ था - मैंने कहा - कुछ नहीं - मैंने किसी को कुछ भी नहीं बताया जो सब मेरे साथ आए थे वो सब मेरे से कई बार पूछ रहे थे लेकिन मैंने कुछ भी नहीं बताया। और हम सब आम लेकर घर वापस आ गए।

 लेकिन मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई मुझे लगा लोग पता नहीं क्या सोचेंगे यकीन करेंगे कि नहीं करेंगे इसलिए मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई इस दौरान मेरी बहन की भी शादी हो चुकी थी और अब हम वापस देहरादून भी लौट आए थे। लेकिन 5 साल बाद यानी 2016 तारीख 8 मार्च मुझे किसी वजह से अपने गाँव आना पड़ा इस बार हमारे घर से और कोई नहीं आया था। सिर्फ मैं आया था आज मैं गाँव में अपने सभी भाइयों के साथ जो मेरे चाचा के लड़के हैं इनके साथ पूरे गाँव में घूम रहा था मैं आज खेत खलियान में और बगीचे मैं भी घूमे ऐसे पूरा दिन बीत गया और हम वापस शाम को घर आए। गाँव में उस समय शौचालय ज्यादा नहीं बने होते थे। तो सभी गाँव के लोग शौच के लिए खेतों में ही जाया करते थे। मैं और मेरा भाई श्यामू हम दोनों करीबन 7:30 बजे शाम को शौच के लिए अपने बगीचे की तरफ ही चले गए थे।

 मेरे भाई ने - कहा अमित भैया चलो कहीं और चलते हैं - पर मैंने कहा - नहीं इधर ही चलते हैं - तो मैं और मेरा भाई हम दोनों अभी बैठे ही होंगे की। तभी मुझे किसी की आवाज आई - अमित ठीक हो - मैंने इधर उधर नजर दौड़ाई लेकिन मुझे कोई दिखाई नहीं दिया मैंने सोचा मुझे ऐसा लगा होगा। इस पर मैंने फिर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन एक बार फिर से मुझे आवाज आई - अमित ठीक हो तुम और अमित कब आए - मैं जल्दी जल्दी अपनी शौच खत्म करके उठा और बाहर निकला फिर मैंने कहा - श्यामू चलो जल्दी - श्यामू अभी बैठा नहीं था और बाहर दूसरे खेत में टहल रहा था श्यामू भाग कर मेरे पास आया और उसने कहा - भैया क्या हुआ - पर मैंने उसे ही सवाल करते हुए कहा -अभी मुझे कौन आवाज मार रहा था अभी कोई है क्या यहाँ -श्याम मेरी बात का जवाब देते हुए बोलता हैं - नहीं भैया कोई तो नहीं है यहां पर सिर्फ मैं और आप ही हैं - तब मैंने उसे कहा - अच्छा चलो फिर - मेरे भाई ने देखा कि मैं शायद डरा हुआ हूं इसलिए उसने कहा - भैया क्या हुआ बताओ - मैंने कहा - कुछ नहीं हुआ भाई चलो अब। और हम दोनों वापस घर आ गए।

 यह बात मैंने तभी भी किसी को नहीं बताई लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि यह आवाज तो जानी पहचानी है पर यह किसकी आवाज है। इसी उधेड़बुन में मैं सो गया लेकिन जब अगले दिन सुबह मैं जगा तब थोड़ी देर बाद मैंने अपने दादा जी से पूछा दादा कल हम रात को खेतों में गए थे। तो मेरे साथ जो कुछ हुआ मैंने सब दादा जी को बता दिया। मेरे दादाजी ने मुझे बिल्कुल शांति से कहा - कुछ नहीं है यह तुम्हारी बड़ी वाली बुआ हैं यह तुम्हे कुछ नहीं करेंगी तुम्हें बहुत प्यार करती थी इस वजह से तुम्हें उनकी आवाज आई थी। - मैंने अपने दादा जी से फिर कहा - बड़ी वाली बुआ वह तो मरी हुई हैं कैसे आवाज मारेंगी - दादाजी ने मुझे समझाते हुए कहा - कुछ लोग मरने के बाद भी अपने लोगों को नहीं भूल पाते हम सब लोग तो रोज यही रहते हैं तुम कभी-कभी आते हो इसलिए तुमको महसूस हुआ होगा कि उन्होंने तुम्हें आवाज मारी है वह कुछ नहीं करेंगी लेकिन - दादा जी की बात सुनकर मैं बहुत डर गया था।

 लेकिन इस कहानी में एक अगला अध्याय भी है उस घटना के बाद मैं वापस देहरादून आ गया। हम लोग अपने गाँव जाते तो थे। लेकिन कभी-कभी साल या 2 साल और कभी कभी तो 3 साल भी हो जाते थे। अब वह दिन भी आ गया था जब हम लोग फिर सब एक साथ अपने गाँव जा रहे थे 2021 अप्रैल का महीना इस बार गाँव आने का कारण था। मेरी शादी अब कुछ ही दिनों में मेरी शादी होने वाली थी इस वजह से सब के घर लोग कहते थे। कि अमित ज्यादा बाहर घूमना मत और खेत और बगीचे में तो बिलकुल मत जाना। लेकिन मैं था डीड पर किसी ना किसी बहाने खेतों की तरफ चला जाता था। मेरी शादी का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा था वैसे सब घर के लोग मुझ पर खास नजर रख रहे थे। कि मैं कहीं इधर उधर घूमने ना जाऊं मेरी शादी में एक-दो दिन ही बचे होंगे कि मुझे थोड़ा अजीब अजीब सा लगने लगा मैं जब रात को अकेले बाथरूम जाता या घर के अगल-बगल भी अकेले घूमता तो मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस होने लगा था।

वैसे हमारे घर के ठीक आगे कृष्ण भगवान का एक मंदिर भी है लेकिन फिर भी मैं रात को अगर मैं बाथरूम भी जाता तो ऐसा लगता की कोई है मेरे आस-पास हैं मुझे ऐसा महसूस कई दिनों तक हुआ। कई बार आवाज सी भी आती थी - अमित ठीक हो लेकिन मैंने यह बात किसी को नहीं बताई। और मुझे दो-तीन दिन से रात में बहुत डर सा लग रहा था पर पता नहीं क्यों। और अगर मैं किसी को बताता तो सब लोग कहते - मना करते हैं हम तुमको तो क्यों इधर-उधर घुमा करते हो - हालांकि अब मैं कही नहीं जाता था घर पर ही रहता था। कहते हैं कि काली बिल्ली का रोना बहुत अशुभ होता है काली बिल्ली किसी अनहोनी का ही प्रतीक बताई जाती है। पर शादी के लिए जो मंडप लगा हुआ था उसमें रोज रात को 2 या 3 बजे के करीबन रोज बिल्ली रोया करती थी। काली बिल्ली का रोना बहुत अशुभ माना जाता है इसलिए घर का कोई भी सदस्य उसे रोता देखता तो उसे तुरंत भगा देता था।

 पता नहीं बिल्ली का रोना एक संजोग था या फिर कुछ अनहोनी का संदेश। अब वह दिन भी आया जिस दिन मेरी शादी होनी थी और शादी हुई। मुझे शादी के एक-दो दिन तक कोई दिक्कत नहीं हुई रात में भी सब नॉर्मल था अब डर भी नहीं लग रहा था। किंतु शादी के लगभग 1 हफ्ते बाद मेरी पत्नी अपने घर यानी माईके गई थी। उस दिन हम लोग भी कहीं गए हुए थे। तो हम सब शाम को घर लौटे तब थोड़ा अंधेरा भी हो चुका था उस दिन बारिश भी हो रही थी जिसके कारण लाइट चली गई थी। गाँव में अक्सर होता है कि बारिश होती है तो फिर लाइट चली जाती है। इसलिए मैं अपने कमरे में सोने के लिए जा रहा था। तभी मुझे पता नहीं क्या हुआ मेरा मन मिठाई खाने को हुआ। वैसे मैं रात को मीठा नहीं खाता था पर उस रात मैंने मिठाईयां खाना शुरु कर दी और एक के बाद एक में लगभग 8 या 10 रसगुल्ले खा गया। ऐसा कभी नहीं होता था कि मैं मीठा खाऊ और बिना मुंह धोए सो जाऊं पर उस दिन मैं तुरंत अपने कमरे में जाकर लेट गया।

 पहले तो मैंने हिन्दी स्टोरी माय वेबसाइट पर एक दो कहानियाँ सुनी हिन्दी स्टोरी माय एक हॉरर कहानियो की वेबसाइट हैं जिसमे कहानियाँ पढ़ और सुन सकते हैं। कहानियाँ सुनने के बाद में फिर से लेट गया। मुझे लेटे हुए लगभग 15 मिनट हो चुके थे तभी मुझे ऐसा महसूस हुआ कोई महिला साड़ी पहने हुए सज धज कर बिल्कुल मेरे सामने खड़ी है। मुझे तुरंत याद आया मेरी पत्नी तो मायके गई हुई है। तो यह कौन है और थोड़ी ही देर में वह महिला मेरे ओर पास आकर बड़े प्यार से मेरे कान में बोली - अमित शादी हो गई तुम्हारी अच्छा और ठीक हो तुम चलो अब मैं तुम्हें लेने आई हूं। चलो अमित मेरे साथ मैं अब तुमको लेकर जाऊंगी - मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं उस समय नींद में भी नहीं था मैं पूरी तरह से जगह हुआ था। मैं यह सब सोच ही रहा था तभी उस महिला ने मेरे सीने को बड़ी जोर से दबा दीया और उसके बाद वो मेरे सीने पर चढ़ चुकी थी। मुझे लग रहा था मेरी जान अभी निकल जाएगी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था उस समय मुंह से आवाज भी नहीं निकल रही थी।

 मैंने हक लाते हुए दो तीन बार आवाज मारने की कोशिश करी परंतु किसी ने नहीं सुना किस्मत अच्छी थी। शायद इस बार मेरे जीजा ने सुना उस समय सब लोग बाहर ही थे और सब आपस में बात कर रहे थे इसलिए कोई सोया नहीं था। मेरी आवाज सुन्नर के बाद जीजा ने मुझे आवाज मारी - अमित अमित क्या हुआ - जीजा का इतना ही कहना था कि घर के सभी लोग तुरंत मेरे कमरे के अंदर आ गए और सब ने मुझे पकड़ कर बाहर बैठा दिया। उस समय तो मैं कुछ बोलना नहीं चाह रहा था लेकिन मेरे मुंह से खुद आवाज निकल रही थी शायद मैं रो रहा था। मैं मैंने अपने पापा को कहा भैया मुझे नहीं बुलाया तुमने भैया मुझे भूल गए क्या तुमने मुझे नहीं बुलाया मेरा हक मुझे नहीं मिला अब मैं अपना हक लूंगी और अमित को लेकर जाऊंगी चाहे कुछ भी हो जाए अमित मेरे साथ चलेगा - तभी मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि घर के बाहर बहुत सारे लोग खड़े हैं और सब मुझे बुला रहे हैं - अमित चलो यहां से अब तुम्हारा यहां कोई नहीं है - वह महिला मेरे सर के पीछे खड़ी थी और मुस्कुरा रही थी उसने मुझसे एक बार फिर से कहा - अमित तुमको चलना होगा तुमको लेने पूरी बारात आई है - मेरे घर वाले सब परेशान हो रहे थे।

परंतु मुझे उस औरत की आवाज जानी पहचानी ही लग रही थी क्योंकि वह वही आवाज थी हां फिर वही आवाज थी। किंतु अब वह कह रही थी - अमित तुम्हें मेरे साथ चलना होगा मैं तुमको लेने आई हूं - तभी मेरे घर वालों ने पास के ही एक व्यक्ति बुलवा लिया जो थोड़ा भूत-प्रेतों में ज्यादा रुचि रखते थे। उन्होंने कहा यहाँ एक औरत की आत्मा थी पर लेकिन इस समय नहीं है अब वह जा चुकी है। वह व्यक्ति इतना बोलकर वही खड़ा रहा परंतु मैं उस महिला को अभी भी अपनी आंखों से साफ-साफ देख रहा था। वह महिला लाल साड़ी में मेरे पीछे खड़ी हुई थी और मुस्कुरा रही थी। और उसके साथ सैकड़ों संख्या में लोग बाहर थे जो मेरा नाम लेकर कह रहे थे - अमित चलो यहां से - परंतु उस व्यक्ति को वो सब पता क्यों नहीं दिख रही थी। यह सब मेरे साथ सारी रात तक चलता रहा। और मेरे सभी घर वाले पूरी जगे हुए थे मेरे साथ और मेरे एक तरफ पापा दूसरी तरफ मेरा एक भाई श्यामू लेता हुआ था और मैं बिज में था। तभी मेरे छोटे भाई ने एक बार हनुमान चालीसा लगाकर मेरे पास रख दिया।

 परंतु जैसे हनुमान चालीसा चलाई वैसे ही वह महिला को पता नहीं क्या होने लगा और वो महिला मेरे सीने पर चढ़ गई थी। और मुझे कह रही थी - तुम्हे अब तुम्हें चलना होगा अमित, अमित तुम मेरे साथ चलो - मेरी ऐसी हालत देखकर मेरे घर वालो ने हनुमान चालीसा भी बंद कर दी तब जाकर वो महिला मेरे ऊपर से नीचे उत्तरी यह सब मेरे साथ पूरी रात होता रहा। लेकिन लगभग सुबह के 4 या 4:30 बजे के बाद मुझे ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हो रहा था। और वो महिला और उसके साथ के लोग भी गायब हो गए थे। और मुझे सब नॉर्मल सा लगने लगा और उसके बाद मुझे नींद भी आ गई और मैं सुबह 8:00 बजे तक सोया रहा। फिर अगलर दिन मेरे पापा और मेरे जीजा मुझे किसी बाबा के पास लेकर गए। उन्होंने बताया कोई अपने ही घर का है जिसे उसका हक नहीं मिला उन्होंने एक ताबीज मेरे को दी और कहा सतर्क रहना। बाकी उस दिन से मुझे वह महिला अभी तक फिर से नहीं दिखी और ना ही उसकी आवाज सुनाई दी।और उस घटना के 15 दिन बाद हम वापस देहरादून आ गए। और अब सब ठीक है।

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