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                        मौत का बदला


रात के 11 बज गए थे तभी सिद्धार्थ, रोहित से आकर बोलता हैं -भाई बहुत रात हो गई हैं दीपक से बोल घर चलने को - सिद्धार्थ की बात का जवाब देते हुए रोहित बोलता हैं - अरे क्या जरूरत हैं भाई आज घर जाने की आज ऋषि के घर में ही रुक जाते हैं - (ऋषि इन तीनो का दोस्त था और आज ऋषि का बर्थडे था इसलिए तीनो ऋषि के घर आए हुए थे) सिद्धार्थ रोहित को समझाते हुए बोलता हैं - भाई तुझे पता नहीं क्या कल एग्जाम हैं - रोहित को भी याद आए जाता हैं की कल उनका एग्जाम हैं।
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इसलिए वो दीपक को घर जाने के लिए बोलने जाने लगता हैं क्यूंकि यह तीनो एक साथ ही रहते थे रोहित, दीपक के पास आया तो देखा वो नशे में टुन था। और रोहित उसे कुछ भी बोल रहा था तो उसे कुछ सोनाई नहीं दे रहा था। पर किसी तरह सिद्धार्थ और रोहित ने दीपक को पकड़ कर गाड़ी की पिछे वाली सीट पर बैठा देते हैं। सिद्धार्थ और रोहित ने भी शराब पी थी पर वो दोनों इतने होश में थे की गाड़ी चला सकें। रात के लगभग 12 बजे इन तीनो की गाड़ी रात के स्नाटे को चिरती चली जा रही थी। ऋषि के घर से इन तीनो के घर की दुरी लगभग एक घंटे की थी और जिस रास्ते से तीनो को जाना था वो पूरा जंगल वाला रास्ता था। यह तीनो अभी कुछ ही आगे गए होंगे तभी दीपक पिछे बैठे बैठे अपने आप सोने लगता हैं।

 दीपक को ऐसे सोते देख ये दोनों समझ जाते हैं की यह बस शराब का असर हैं। और यह दोनों दीपक के सोने को अनदेखा कर देते हैं और सिद्धार्थ गाड़ी चलते रहता हैं। और रोहित से बोलता हैं - यार एक सिगरेट दे तो - रोहित सिगरेट की डिब्बी से एक सिगरेट निकाल कर सिद्धार्थ को दे देता हैं। और सिद्धार्थ सिगरेट जलाने लगता हैं सिद्धार्थ सिगरेट जला ही रहा था तभी एकदम से बहुत तेज धड़ाम से आवाज आती हैं। और बहुत तेज झटका लगता हैं और उनकी गाड़ी रोड के बगल में लगे एक पेड़ से जा टकराती हैं और तभी रोहित गुस्सा करते हुए सिद्धार्थ से बोलता हैं - और बंजा हीरो गाड़ी रुक कर सिगरेट पी लेता पर नहीं हमें तो हीरोपंती करनी हैं ना - रोहित की बात सुनकर सिद्धार्थ बोलता हैं - भाई हो गई गलती और इन फालतू बातो में समय मत बार बाद कर और गाड़ी को दक्का लगा कर सड़क पर लाने में मदद कर - इतना बोलकर दोनों गाड़ी से बाहर निकलते हैं।

और गाड़ी को पिछे की ओर ढक्का लगने लागते हैं थोड़ा सा ढक्का लगने से ही गाड़ी फिर से सड़क पर आए जाती हैं। और दोनों गाड़ी में बैठने को जाते हैं। पर दोनों जैसे ही गाड़ी का गेट खोलते हैं तो वो देखते हैं की दीपक गाड़ी में नहीं था। गाड़ी में दीपक को ना देख कर रोहित बोलता हैं - अब कहाँ चला गया यह बेवड़ा - रोहित का इतना ही कहना था तभी सिद्धार्थ रोहित को अपने हाथ से इशारा करते हुए बोलता हैं - भाई वो देख दीपक वहाँ जंगल के अंदर भागे जा रहा हैं - जिस तरफ सिद्धार्थ ने इशारा करा था उस तरफ रोहित देखता और दीपक को आवाज लगने लगता हैं पर दीपक को रहित की आवाज सुनाई नहीं देती और वो लगातार अंदर की ओर भागे चला जाता हैं। रोहित सिद्धार्थ से बोलता हैं - जल्दी चल जल्दी पता नहीं अब बेवड़े को क्या हो गया हैं - सिद्धार्थ रोहित की बात सुनकर बोलता हैं - अबे भाई पागल हो गया हैं क्या इतनी रात को इतने घने जंगल में वैसे भी मैंने हिन्दी स्टोरी माय वेबसाइट की कहानियो में पढ़ा हैं की इस समय भूत हर जगह खुमते हैं - रोहित, सिद्धार्थ की बात सुनकर पूछता हैं - यह हिन्दी स्टोरी माय क्या हैं - सिद्धार्थ, रोहित की बात का जवाब देते हुए बोलता हैं - हिन्दी स्टोरी माय एक वेबसाइट हैं जिसमे आप हॉरर स्टोरी पढ़ और सुन सकते हैं -

रोहित इस बार सिद्धार्थ को समझाते हुए बोलता हैं - भाई हाँ हाँ कहानियाँ बाद में पढ़ लेंगे पर अभी चल दीपक को वापस लाने क्यूंकि यार वो हमारा दोस्त हैं उसे ऐसे नहीं छोड़ सकते - सिद्धार्थ इस बार रोहित की बात समझ जाता हैं और वो भी जंगल की उस ओर अंदर जाने लागते हैं जिस ओर दीपक गया था।
दोनों अब जंगल के काफ़ी अंदर आ गए थे पर उन दोनों को दीपक कही नजर नहीं आ रहा था इसलिए दोनों दीपक को आवाज देने लागते हैं - दीपक दीपक दीपक - पर दीपक का कुछ जवाब नहीं आता। दोनों दीपक को ढूंढ ही रहे थे तभी सिद्धार्थ, रोहित से बोलता हैं - अबे वो देख - जिस तरफ सिद्धार्थ ने बोलता था उस तरफ जैसे ही रोहित ने देखा तो उसका खून जम सा गया था। रोहित ने देखा दीपक उसने थोड़ा ही दूर एक पेड़ पर अपना सर पटक रहा था। दीपक ऐसा करते देख दोनों भग कर दीपक के पास जाते हैं

 और उसको रुकने की कोशिश करने लागते हैं पर दोनों से दीपक रुक नहीं रहा था। मानो उसमे बहुत सारे लोगो की जान आ गई हो। तभी दीपक सर पटकते पटकते ही बोलता हैं - मरोगे तुम सब तुम सब मरोगे। दीपक की ऐसी बार सुनकर दोनों को बड़ा ही अजीब लगता हैं क्यूंकि दीपक कभी भी शराब पीकर भी ऐसी बाते नहीं करता था। दीपक इतनी तेजी से अपना सर पटक रहा था की अब उसका पूरा सर फट चूका था और देखते ही देखते दीपक वही पर अपना दम थोड़ देता हैं। दीपक की ऐसी हालत देखकर रोहित और सिद्धार्थ पूरी तरह से डर चुके थे। और यही सोच रहे थे की अब वो दोनों क्या करें। तभी उनके पिछे से एक आवाज आती - अरे तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो - आवाज सुनकर दोनों ने जैसे ही पिछे मूड कर देखा तो उन्हें अपनी आँखो पर विश्वास नहीं हो रहा था। दोनों ने देखा उनके पिछे दीपक खड़ा था और बिलकुल ठीक ठाक था। दोनों ने फिर एकदम से ओर देखा जिस ओर पहले दीपक पड़ा था।

 पर अब वहाँ कोई नहीं था दोनों सोच ही रहे थे की उनके साथ क्या हो रहा हैं। तभी एक बार फिर दीपक उन दोनों से बोलता हैं - अरे क्या हो गया तुम दोनों को और जंगल में क्या करने आए हो मैं गाड़ी से उतर कर पिशाब करने गया था और वापस आया तो देखा वहाँ कोई नहीं था। और मैं तुम दोनों को ढूंढ़ते हुए वहाँ आ गया - रोहित और सिद्धार्थ, दीपक की बात कुछ जवाब नहीं देते क्यूंकि उन्हें समझ नहीं आ रहा की वो क्या कहे इसलिए दोनों जंगल के बाहर की ओर जाने लागते हैं और उनके साथ ही दीपक भी बाहर आ जाता हैं। तीनो बाहर आकर अपनी गाड़ी में बैठ जाते हैं और सिद्धार्थ गाड़ी स्टार्ट काने लगता हैं पर गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही थी। इसलिए सिद्धार्थ, रोहित और दीपक को गाड़ी में दक्का लगने के बोलता हैं उसके बाद दीपक और रोहित गाड़ी में दक्का लगने लागते थे दोनों थोड़ा सा ही दक्का लगा कर रुक जाते हैं। उनके रुकते ही सिद्धार्थ उनको फिर से दक्का लगने के लिए बोलने के लिए जैसे ही गाड़ी नीचे उतर कर गाड़ी के पिछे गया तो उसने देखा वो दोनों वहाँ नहीं थे। पहले सिद्धार्थ इधर इधर देखता हैं फिर दोनों को आवाज देने लगता हैं। पर उन दोनों का कोई जवाब नहीं आता।

 सिद्धार्थ अब समझ नहीं पा रहा था वो क्या करें। दीपक वाले हादसे के बाद से सिद्धार्थ पहले से ही काफ़ी डरा हुआ था। और उन दोनों का ऐसे गायब होना सिद्धार्थ को और डरा रहा था ना ही उस रास्ते पर कोई गाड़ी आ रही थी की वो किसी से मदद मांग सकें। सिद्धार्थ यही सब सोच ही रहा था तभी सिद्धार्थ को किसी ने आवाज लगाई - सिद्धार्थ - जिस ओर से आवाज आई थी उस ओर जैसे ही सिद्धार्थ ने मूड कर देखा तो उसका खून जम सा गया और हाथ पैर डर से कंपने लगे। उसने देखा उसके सामने विकास खड़ा था। और उसके दोनों हाथो में रोहित और दीपक के कटे हुए सर थे। और वो अब सिद्धार्थ की ओर बड़ रहा था।

विकास को अपनी ओर बढ़ते देख सिद्धार्थ उसे डरते हुए बोलता हैं - तुम तो मार गए थे ना - विकास उसकी बात का जवाब देते हुए अपनी बड़ी ही भयानक आवाज में बोलता हैं - मैं उस समय मरा था पर अब तू मरेगा मैंने पहले तो तेरे दोस्तों को मारा और अब तेरी बारी - इतना बोलकर वो सिद्धार्थ की ओर बढ़ने लगता हैं। तभी सिद्धार्थ अपने दोनों हाथो को झोड़ कर विकास से अपने विनती के सुर में बोलता हैं - भाई हमने तुझे जान कर नहीं मारा था यार वो एक हादसा था प्लीज मुझे माफ कर दे प्लीज भाई - सिद्धार्थ, विकास से माफ़ी मांगे जा रहा था पर विकास पर उसकी बातो का कोई असर नहीं हो रहा था। और देखते ही देखते विकास, सिद्धार्थ के एकदम पास आकर खड़ा हो गया। पहले तो उसने रोहित और दीपक के कटे हुए सर को नीचे रखा फिर उसने अपने दोनों हाथो से सिद्धार्थ का गला पकड़ लिया। उसके कुछ देर बाद ही उस जंगल में सिद्धार्थ की एक बहुत तेज और दर्दनाक चिख गुंजी।

एक महीने पहले की ही बात हैं सिद्धार्थ, रोहित, दीपक और विकास एक साथ ही रहते थे पर उनका किसी बात पर झगड़ा हो गया। सिद्धार्थ, रोहित और दीपक एक ही गाँव के थे इसलिए यह तीनो एक साथ हो गए और विकास अकेले पड़ गया। यह तीनो विकास को मारना तो नहीं चाहते थे पर झगडे में गलती से इन्होने विकास को ढक्का दे दिया और विकास एक तेज चाकू पर जा गिरा और विकास उसी समय मर गया। तब इन तीनो ने पुलिस से बचने के लिए विकास को इसी जंगल में फैक कर चले गए थे। और आज जाकर यह तीनो विकास को मिले और उसका बदला पूरा हुआ।

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