चिता की राख || Horror storie in hindi || hindi story my

 


                     चिता की राख


चिता की राख। देहरादून का खास बंगला इलाका 22 दिसंबर 2017 आज मोहनलाल की मृत्यु हो गई थी। मोहन जी इलाके के एक दुकानदार थे मोहन को अंतिम विदाई देने के लिए इलाके के सभी लोग जमा हो रखे थे।मेरा नाम राहुल है मैं और मेरे सभी दोस्त भी मोहनलाल जी की अंतिम यात्रा में शामिल थे। मोहनलाल की पार्थिव शरीर को हरिद्वार श्मशान घाट ले जाया जा रहा था। लगभग 2 घंटे बाद हम हरिद्वार के श्मशान घाट पहुंच चुके थे।
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 पूरे विधि विधान से मोहन का अंतिम संस्कार हुआ। वहां पर मैं और मेरे दोस्त सोनू, अमित और नितिन हम सभी श्मशान घाट में हर तरफ घूम रहे थे। हम सभी लाशों को देख रहे थे हमने देखा सैकड़ों चिता जल रही है। श्मशान घाट में हम फोटो खींच रहे थे उनकी और कुछ की वीडियो भी बना रहे थे। हमारे साथी जो मोहन की डेड बॉडी लेकर आए थे वह सब मोहन की चिता के पास ही थे। लेकिन हम लोग इधर-उधर घूम रहे थे मेरे दोस्त सोनू ने मुझसे कहा - राहुल तू अपने आप को बहुत निडर समझता है ना -मैंने ने उसकी बात का जवाब देते हुए कह - हाँ तो - सोनू अपनी बात जारी रखते हुए बोलता हैं - तो तेरे अंदर हिम्मत है तो तू यहां से किसी भी एक चिता से थोड़ी सी राख अपनी जेब में लेकर जा सकता है क्या - मैंने कहा - इसमें कौन सी बड़ी बात है -  सोनू ने फिर से कहा - ले जा चल आज 5 हज़ार की शर्त है - मैंने ने कहा - ठीक है - मैंने फिर एक मुट्ठी राख उठाई और उसको  एक प्लास्टिक थैली में डाल दी और अपनी जैब में रख लिया।

 मैं सोच रहा था की अभी रखा है थोड़ी देर में निकाल कर फेंक दूंगा क्या हुआ। और तभी हम वहां पर पहुंच गए जहां पर मोहन की चिता जल रही थी चिता अब जल चुकी थी लगभग और सभी क्रिया कर्म भी पूरे हो चुके थे जो साथ में आए थे। सब ने कहा चलो अब गंगा स्नान करने चलते हैं मैंने और मेरे सभी दोस्तों ने गंगा स्नान किया। और सभी के साथ बस में बैठकर अपने घर रवाना हो गए। घर पहुंच ने में लगभग 7:00 बज चुके थे खाना तो हम लोग वहीं पर सब खाकर आए थे। और मैं जाकर अपने बिस्तर में लेट गया। लेटे हुए अभी 15 मिनट हुए होंगे कि मुझे ऐसा महसूस हुआ। कि मैं बहुत सारे अजीब-अजीब लोगों के बीच मैं हूं और सभी लोग अजीब तरह की आवाज कर रहे थे। मैं अब बहुत डर चुका था और मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई आग से जला हुआ आदमी मेरे पास खड़ा है। किसी के सर कटा हुआ है और सब विचित्र हालत में थे।

 मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मैं भूत परिजनों के बीच पूरी तरह से फसा हुआ हूं। और थोड़ी देर बाद मेरी पत्नी आई मेरी पत्नी ने देखा कि मेरी आंखें बहुत अजीब हो रखी हैं। और मैं बड़े बुरी तरह से अपनी पत्नी घूर रहा था। मेरी पत्नी मुझ से कहती है - राहुल क्या हुआ ठीक हो तुम - मैं जो नहीं बोलना चाहता था लेकिन मेरे मुंह से वही शब्द निकल रहे थे मैंने कह - इसे लेकर जाऊंगा यह मुझे लेकर आया है अब यह भी मेरे साथ जाएगा यह अब मेरा हो गया - मेरी पत्नी मेरी बात सुनकर पूरी तरह से डर चुकी थी उसने तुरंत मेरे पापा मम्मी और घर के सभी लोगों को बुला लिया और मेरे पापा बड़ी जोर से बोले - राहुल क्या हुआ - मेरे मुंह से कुछ भी नहीं निकल रहा था लेकिन मैं सबको पड़ी भयानक निगाहों से देख रहा था। तभी पता नहीं क्या हुआ मैं ऐसा कुछ करना नहीं चाहता था लेकिन मेरे हाथों या मेरे शब्द मेरे काबू में नहीं थे

मैंने तुरंत अपने पापा का गला पकड़ लिया मैंने कहा - मैं सबको मार दूंगा और सब को ले चलूंगा अपने साथ - पापा ने तो मुझे झटका और कहा - कौन है तू - मेरे मुंह से आवाज निकली - यह मुझे लेकर आया है और अब मैं इसको लेकर जाऊंगा अब यह बस मेरा है अगर कोई हमारे बीच में आया तो मैं उसको भी मार दूंगा और उसे भी अपने साथ लेकर जाऊंगा मैं सबको मार दूंगा आज मैं सबको मार दूंगा। - आज बस मैं ऐसे ही चिल्ला रहा था जोर-जोर से मैं मेरे घर के लोग सब बहुत डर चुके थे। मेरी मम्मी भी बहुत रोने लगी ऐसे ही समय बीत गया लगभग 10:30 बज चुके थे। मेरे पापा तुरंत मोहल्ले की एक बाबा के पास गए बाबा ने भी देरी नहीं लगाई और तुरंत हमारे घर आए। बाबा को देखकर मेरे मुंह से तुरंत आवाज निकली - सबको मार दूंगा आज मैं और सब को अपने साथ लेकर चलूंगा मुझे यह लेकर आया है और अब मैं इसे लेकर जाऊंगा। यह अब सिर्फ मेरा है मेरा इतना कहने के बाद मैं अपना सर बड़ी तेज-तेज दीवार से मारने लगा।

 तभी बाबा ने तुरंत मुझे पकड़ लिया और बड़ी जोर से चिल्लाते हुए कहां - कौन है तू कहां से आया है - लेकिन मेरे मुँह से सिर्फ एक ही आवाज निकली - यह मुझे लेकर आया है और अब मैं इसे लेकर जाऊंगा हम दोनों साथ रहेंगे अब यह बस मेरा है। - इसके बाद बाबा ने मेरी गर्दन पकड़ कर तुरंत जमीन पर पटक दिया। और बड़ी तेज तेज झापड़ मारने लगे और कहने लगे - बता कौन है तू कहां से आया - बाबा ने कुछ पूजा करी तभी मैंने कहा - यह मुझे श्मशान घाट से लेकर आया है और अब मैं इसको भी लेकर जाऊंगा अपने साथ - बाबा ने मेरी बात सुनने के बाद कह - ये श्मशान घाट से तुझे कैसे लाया - बाबा की बात पूरी होने के बाद मैंने कहा - यह मुझे लाया है बस अब हम साथ ही जाएंगे। -  बाबा ने मुझे पकड़ा और दबा लिया और मैं बड़ी जोर से चीखने लगा।फिर मैंने कहा - यह मेरी राख लेकर आया है चिता से इसलिए मैं यहां पर आया हूं - बाबा ने मेरे पापा को कहा - उनकी जेब से निकालो यह राख मेरी जेब में राख की थैली फट गई थी तो उसमे से सारी राख बिखर चुकी थी। जेब के अंदर मेरे पापा ने सारी राख इकट्ठा करके घर के पास की ही नदी में ही डाल दी।

उस समय तो में ठीक हो गया और अगले दिन मेरा सिर बहुत भारी भारी लग रहा था। मुझे अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन यह बात मैंने किसी को नहीं बताई मुझे पता था। कल की घटना की वजह से ही क्या पता मेरी तबीयत खराब हो। पर जब रात को मैं अपने बिस्तर पर सोने गया। तभी मेरी आंख लगी ही थी तभी पता नहीं मुझे क्या हुआ की मैं तेज तेज से चिल्लाने लगा। और कहने लगा - मैं इसे लेकर जाऊंगा अब मैं इसे लेकर ही जाऊंगा यह मुझे लाया है और मैं इसको लेकर जाऊंगा। - इतना बोलकर मैं अपने घर से बाहर भागने लगा गिरते पड़ते मैं भाग रहा था। तभी मेरे पापा और आस पास के लोगों ने मुझे पकड़ कर घर लेकर आ गए। और बिस्तर पर लिटा दिया। लेटने के कुछ समय बाद मैं उठकर अपना सर दीवार पर मारने लगा। और जोर-जोर से रोने लगा और मैं बस एक ही बात बोल रहा था - इसे मैं ले जाऊंगा अब यह मुझे लाया है और मैं इसे लेकर जाऊंगा - इस बार मेरे अंदर पहले वाली रात से ज्यादा ही गुस्सा था। और मैं सबका गला पकड़ने की कोशिश कर रहा था तभी बाबा फिर आ गए।

 अबकी बार बाबा ने पूरे घर में गंगा जल छिड़का और मंत्र पढ़ने लगे बाबा ने कहा कि - उसकी राख अभी बिस्तर में गिरी है और इसके कपड़े पर भी है इन्हें अभी विसर्जित करो तब मेरे पापा ने मेरी चादर यानी बेडशीट और मेरे कपड़े सभी नदी में विसर्जित कर दिए। और बाबा ने मेरे गले में एक ताबीज मंत्र पढ़कर बांध दिया। बाबा ने कहा अब ऐसा कभी नहीं होगा तब से मैं अपने काम से काम रखता हूं।

यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित हैं।

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