श्रापित बंगला E-1 || bhayanak horror story || hindi story my

 


श्रापित बंगला E-1


नमस्कार आज आपका फिर स्वागत है एक नई कहानी में। तो चलिए चलते हैं आज की कहानी की ओर जिसका नाम हैं श्रापित बंगला -
संतोष एक सरकारी का स्कूल टीचर था संतोष का अभी-अभी तबादला हुआ था देहरादून एक सरकारी स्कूल में बतौर टीचर लगभग एक हफ्ते तक संतोष स्कूल के ही एक सरकारी कमरे में ही था। लेकिन संतोष को एक घर की जरूरत थी जहाँ पर वो अपनी बीवी और बच्चे के साथ आराम से रह सके। एक दिन संतोष रोज की तरह क्लास में बच्चों को पढ़ा रहा था और पढ़ाते पढ़ाते वो टेबल पर रखा आज का अख़बार देखने लगा।
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अखबार में बहुत सारे किराए के लिए घरों के एडवरटाइजिंग थे संतोष ने बहुत सारे ऐड देखें और उसको एक बंगला पसंद भी आ गया जो देहरादून में उसके स्कूल से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर राजपुर रोड पर था। संतोष ने मन बना लिया था की हो ना हो अब इसी बंगले को लेना है क्योंकि बाकी सभी घरों से इसका किराए भी बहुत कम था और ऐड में जिस हिसाब से बताया था उस हिसाब से घर भी बहुत बड़ा और आलीशान था। और उसके बाद स्कूल जैसे खत्म हुआ संतोष अपने रूम पर जाकर खाना वगैरह खाकर सबसे पहले उसने उसी अखबार में जो ऐड था उसमें दिए फोन नंबर पर फोन लगाया फोन लगाते ही संतोष ने कहा कि - सर आपने अपने बंगले का ऐड दिया था अखबार में वो मुझे चाहिए किराए के लिए -

दूसरी तरफ से आवाज आई - हाँ ठीक है आप देख सकते हो एक बार और फिर जब तक आपका मन करे तब तक आप इसमें रह सकते हैं - फिर संतोष ने आज शाम को ही उस बंगले को देखने के लिए कह दिया। और शाम को लगभग 4:00 या 4:30 बजे के करीबन संतोष अपने रूम से निकला और वहाँ पर जाकर उसने उस मकान मालिक को फोन कर के बता दिया। और मकान मालिक ने आकर संतोष को बंगला खोलकर हर जगह से दिखाया और संतोष बंगले में हर तरफ घूम घूम कर देख रहा था। और यही सोच रहा था कितना अच्छा बंगला इतने अच्छे रेट में मिल गया सच में बंगला बहुत बड़ा और बहुत आलीशान था।

फिर उसके बाद संतोष ने मकान मालिक से कहा - सर यह बंगला कितने दिनों से खाली है - फिर मकान मालिक ने कहा - यह लगभग 1 साल से खाली पड़ा है - संतोष ने कहा - यह तो शहर में इतना बढ़िया घर है और रेट भी बहुत अच्छा है फिर क्यों खाली है - फिर मकान मालिक ने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा - सबका अपना-अपना मानना है शुभ अशुभ - और इसके अलावा ज्यादा कुछ बताया नहीं मकान मालिक ने उसके बाद संतोष ने किराए वगेरे की सारी बात करी और दो से 3 दिन के अंदर यहां अपनी फैमिली के साथ शिफ्ट होने को कह। उसके बाद संतोष ने रूम पर पहुंचते ही उसने अपने वाइफ को फोन मैं सारी बात बता दी की एक बंगला देख लिया है अब यहीं पर आ जाओ संतोष की वाइफ भी बहुत खुश थी और अगले दिन ही वो भी नैनीताल से देहरादून आ गई।

संतोष की वाइफ और उसकी एक छोटी बच्ची दोनों बहुत खुश थे और संतोष भी उस दिन स्कूल में पढ़ाने के लिए नहीं गया था संतोष ने अपनी वाइफ को बताया कि उसने जो बंगला देखा है वो बहुत बड़ा और बहुत आलीशान है वहाँ हमें और कुछ भी ले जाने की जरूरत नहीं है घर के काम की सारी चीजें हैं वहाँ पर इसलिए बस हमें सीधा वहाँ सिर्फ जाना ही है फिर उसकी वाइफ ने कहा - चलो फिर अब कब चलोगे - संतोष ने हंसते हुए कह - हाँ हाँ अभी मैं टैक्सी बुक कर रहा हूँ फिर हम तीनों उस बंगले में चले जाएंगे - उसके बाद संतोष ने टैक्सी बुक करी और थोड़ी देर में टैक्सी वाला टैक्सी लेकर आ गया। संतोष ने टैक्सी वाले को एड्रेस बताया और वो और उसकी वाइफ और उसकी बच्ची तीनों टैक्सी में अपना सामान वगैरह लेकर बैठ गए।

संतोष टैक्सी वाले के साथ आगे ही बैठा हुआ था संतोष ने कहा कि - आप यहीं के रहने वाले हो - फिर टैक्सी वालों ने कहा - मेरा नाम गुड्डू है और सर मैं रहने वाला तो यूपी का हूँ पर कई सालों से यहां रहता हूँ और टैक्सी चलाता हूँ - टैक्सी वाले ने बात ही बात में पूछा कि - आप उधर कहां जा रहे हो - फिर संतोष ने कहा - राजपुर रोड साल जंगल के पास एक बंगला है जिसे मैंने किराए पर लिया है अब हम वहीं पर रहेंगे - टैक्सी वाला शायद तुरंत समझ गया फिर उसने कहा - मनोज प्रसाद जी का बंगला है जो राजपुर रोड साल जंगल के पास हैं - फिर संतोष ने कहा - हां आप जानते हो क्या - उसके बाद टैक्सी वाले ने बड़ी हैरानी भरी नजरों से संतोष को देखा और कहा - सर आपको किसने आईडिया दिया कि आप उस बंगले को किराए पर लो -

उस टैक्सी वाले की बात सुनकर संतोष ने कहा - क्यों किसी ने नहीं मैंने अखबार में उसका ऐड देखा था - टैक्सी ड्राइवर मानो उस बंगले के बारे में बहुत कुछ जानता था उसने गाड़ी धीरे करी और कहा - सर आप कहीं और देख लो वो बंगला सही नहीं है क्योंकि वहां तभी तो कोई नहीं रहता 1 साल से ज्यादा हो गया वो बंगला इसीलिए खाली है कहते हैं कि वहाँ रहने वाले इंसान ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाता - संतोष ने टैक्सी ड्राइवर गुड्डू की सारी बात सुनी और कहा - कैसी बेतुकी बातें कर रहे हो मैं ऐसी चीजों को नहीं मानता इतना अच्छा बंगला इतने अच्छे रेट मैं कैसे छोड़ दूं - उसके बाद टैक्सी ड्राइवर कुछ बोलने ही जा रहा था की संतोष ने उसकी बात बीच में ही काट दी और संतोष ने कह - तुम अब तुम चुप हो जाओ -

लेकिन संतोष की बीवी कहने लगी - नहीं भैया आप बताओ उस बंगले के बारे में आप तो यहीं के रहने वाले हो आप ज्यादा जानते होगे - उसकी वाइफ के बार बार कहने पर गुड्डू ने फिर बताना शुरू करा गुड्डू ने कहा - मैडम मैं आप सबके लिए भलाई के लिए ही कह रहा हूँ कि आप उस बंगले में मत जाओ हाँ मानता हूँ उसका किराया और सभी घरो से बहुत ज्यादा कम है लेकिन उस किराए का ही क्या जो आपकी जिंदगी ही ले ले - फिर गुड्डू ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा - मैडम आप से पहले यहां बहुत लोग रहने को आए जैसे आप कम किराए की लालच में उस बड़े बंगले में जा रहे हो और लोग भी उस बंगले में बहुत शौक से जाते हैं लेकिन ज्यादा से ज्यादा 10 या 15 दिन के अंदर ही जो भी वहाँ जाता है उसकी मौत जरूर हो जाती है -

गुड्डू की सारी बात सुनकर संतोष की वाइफ ने थोड़ा घबराते और डरते हुए कहा - पर ऐसा क्या है उस बंगले में क्यों होता है ऐसा - फिर गुड्डू ने कहा - मैडम यह तो पता नहीं उस में ऐसा क्या है लेकिन शायद कोई श्राप मिला हुआ है उस बंगले को क्योंकि अब तक न जाने कितने लोगों की जान चली गई है वहाँ पर किसी की भी मौत होती है तो पुलिस जांच के बाद कुछ दिन साल या 6 महीने उस बंगले का मालिक उस बंगले को बंद रखता है फिर दोबारा कुछ दिनों बाद उसको किराए पर दे देता है। लेकिन यह तो सच है कि कोई भी वहाँ जाता है तो ज्यादा दिन तक टिकता नहीं है बहुत किस्मत वाला होता है जो वहाँ से जिंदा वापस चला आता हैं वरना जो वहाँ शिफ्ट होता है उसका मरना तो तय है -

यह सब बातें सुनकर संतोष की वाइफ बहुत डर गई थी और उसने कहा - संतोष हम कहीं और घर देख लेते हैं आज वापस उसी तुम्हारे रूम पर चलते हैं - लेकिन संतोष को शायद इन चीजों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं था पढ़ा लिखा स्कूल टीचर आज के खयालों का था। इसलिए संतोष ने कहा - तुम्हें क्या हो गया है प्रीति तुम भी कैसी कैसी बातों पर विश्वास कर लेती हो - और फिर उसने गुड्डू की तरफ मुस्कुराते हुए देखते हुए कहा - और क्या बात है ड्राइवर साहब तुम कहानियां बड़ी अच्छी बना लेते हो - संतोष ने अपनी वाइफ को कहा - ऐसा कुछ भी नहीं है मैं वहाँ पर 2 दिन से लगातार जा रहा हूँ कल जाकर हमने साफ-सफाई भी करवाई थी बहुत अच्छा बंगला है इसलिए इन सब फालतू की बातों पर कोई ध्यान मत दो और तुम ड्राइवर भाई बस तुम गाड़ी चलाओ और हमें उस बंगले पर जाकर उतार दो -

फिर ड्राइवर ने कहा - जैसी आपकी इच्छा - और थोड़ी देर में वो सब लोग उस बंगले के पास पहुंच गए। बंगला साल जंगल के थोड़ा अंदर की तरफ था वहाँ पहुते ही गुड्डू ने टैक्सी रॉकी और उन लोगों का सम्मान वगैरह उत्तरा कर रखवा कर वो चला गया। और उसके बाद संतोष अपनी वाइफ अपनी बच्ची नेहा के साथ उस बंगले के अंदर चला गया। और संतोष अपनी वाइफ को दिखा रहा था कह रहा था -देखो कितना अच्छा और कितना बड़ा बंगला है यह नजारा भी कितना अच्छा लग रहा है - पर संतोष की वाइफ थोड़ा परेशान थी लेकिन उसे भी बंगला बहुत पसंद आ रहा था और बंगले के चारों तरफ जो हरा भरा नजारा लग रहा था वो प्रीति को सच में बहुत अच्छा लग रहा था।

 फिर प्रीति ने संतोष से कहा - बंगला तो सच में बहुत अच्छा और बहुत प्यारा है - लेकिन सामने जंगल देखने में भी बड़ा खतरनाक लग रहा था इसलिए उसने संतोष से कहा - एक तो यह जंगल बहुत बड़ा और भयानक सा हैं और दूसरा वो जो ड्राइवर बता रहा था मुझे सच में बहुत अजीब सा लग रहा है यहाँ - संतोष ने फिर उसे समझाने की कोशिश करी - यार तुम समझती क्यों नहीं हो लोग तो पता नहीं क्या क्या कहते हैं लोगों का तो काम है कहना लेकिन सच बताऊं तो इस शहर में इससे अच्छा और इतना बढ़िया बंगला कहीं मिलेगा इतने कम रेट पर - संतोष को तो बस यह बंगला भा गया था। इसलिए उसके बाद वो लोग घर में सारा सामान वगैरा इधर उधर सेट करने लगते हैं और पूरा घर सेट करने के बाद शाम के लगभग 5:00 या 5:30 बजे के करीबन संतोष बाहर चला गया सब्जी वगैरह लेने।

घर में प्रीति और नेहा अकेले थे संतोष के जाते ही हैं प्रीति को मानो बहुत डर लग रहा था। और सोफे पर बैठे हुए बस जो बात टैक्सी ड्राइवर गुड्डू ने बताई थी वही बार-बार सोच रही थी। तभी उसकी नजर आस पास पड़ी तो उसे नेहा कही पर नहीं दिख रही थी उसके प्रीति घर में हर तरफ नेहा को आवाज मार कर ढूंढ रही थी लेकिन नेहा कहीं नहीं दिखाई दे रही थी। प्रीति परेशान थी हो गई और बंगले में हर तरफ जाकर नेहा को खोज रही थी और जोर-जोर से चिल्ला चिल्लाकर नेहा को आवाज मार रही थी। लेकिन शायद नेहा आस पास कहीं थी ही नहीं तभी तो नेहा को सुनाई नहीं दे रहा था। आवाज लगा लगा प्रीति थक हार कर एक जगह बैठ कर रोने लगी। इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।


इस कहानी के लेखक हैं - रामचंद्र यादव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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