रहस्यमय शक्ति || Horror Story to read in Hindi || Hindi story my

 


रहस्यमय शक्ति


मेरा नाम धीरज हैं यह बात तब की हैं जब देहरादून के बॉयस हॉस्टल में मेरा चौकीदार के रूप में पेहला दिन था। उससे पहले मैं उसी हॉस्टल में खाना बनाया करता था पर वहाँ खाना बनाने वालो की संख्या बड़ गई थी इस वजह से आधे कर्मचारियों को अलग अलग कामों में बाट दिया था और मुझे चौकीदार का काम दिया गया पर मुझे वहाँ रात को चौकीदारी करनी थी। वो हॉस्टल देहरादून के उस तरफ था जहाँ ज्यादा तर जंगल ही था इसलिए मुझे अपना वो रात वाला काम पसंद नहीं आ रहा था क्यूंकि वहाँ कभी कभी जंगली जानवर भी आ जाते थे। और ऊपर से लोगो द्वारा इस हॉस्टल की जो बाते मैंने सुनी थी की इस हॉस्टल में रात में भूतों को कई लोगो ने देखा था।

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और अब मुझे उसी हॉस्टल में रात जग कर बितानी थी यही सब सोच कर में घबराए जा रहा था। पर फिर भी उस दिन में हिम्मत कर के रात के 8 बजे हॉस्टल में पहुंच गया। क्यूंकि मेरी ड्यूटी का टाइम रात के 8 बजे से सुबह 8 बजे तक था। मैं रात 8 बजे से आकर हॉस्टल गेट पर बैठ गया उस समय तो सब ठीक था और मुझे अब ऐसा लगने लगा था की जो सारी बाते मैंने सुनी थी वो सब बकवास हैं। पर उसके बड़ जो मेरे साथ हुआ उसने मेरी राए तुरंत बदल थी। क्यूंकि रात के लगभग 11 बज रहे होंगे की तभी मैंने देखा एक बड़ी तेज रौशनी उठने लगी पर रौशनी हॉस्टल के पिछे से आ रही थी रौशनी ऐसी थी जैसे किसी ने हॉस्टल के पिछे आग जला रखी हो।


और यही देखने के लिए मैं अपनी जगह से उठा हॉस्टल के पिछे जाने लगा। पर जैसे ही मैं वहाँ पहुंचा तो वो जो रौशनी उठ रही थी अब ना तो वो रौशनी थी और ना ही वहाँ कोई आग जल रही थी। मैं वहाँ खड़े खड़े बस यही सोच रहा था की यह कैसे हो सकता हैं क्यूंकि अभी थोड़ी देर पहले इतनी तेज रौशनी उठ रही थी की ऐसा लग रहा जैसे किसी ने बहुत तेज आग जला रखी हो। पर अब वहाँ ऐसा कुछ भी नहीं था मैं यही सब सोच रहा की तभी मैंने जो देखा उसे देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई। क्यूंकि मैंने देखा एक कमंडल हवा ने अपने आप उड़ा जा रहा था और उस कमंडल के पिछे पिछे एक आग की ज्योति चले जा रही थी।


और कमंडल और वो आग की ज्योति कभी आगे की ओर जाती तो कभी पिछे की ओर वापस आ जाती । और मैं बस खड़े खड़े उसे देखे ही जा रहा था मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की यह क्या हो रहा हैं। और उसके बाद 5-6 चक्कर लगाने के बाद वो आग की ज्योति और कमंडल गायब हो गया। उसके बाद मैं भी अपनी जगह पर जाकर बैठ तो गया पर मैं अभी भी उसके बारे में ही सोच रहा था जो मैंने अभी थोड़ी देर पहले देखा था क्यूंकि जो मैंने देखा था उस पर मुझे विश्वास करना मुश्किल सा हो रहा था। पर उसके बाद मेरे साथ जो हुआ उसके आगे तो जो मेरे साथ अभी तक हुआ था वो तो कुछ भी नहीं था।


मैं अपनी जगह पर बैठे बैठे यही सब सोच रहा था की तभी मुझे ऐसी आवाज आने लगी जैसे हॉस्टल में घोड़ा दौड़ रहा हो। आवाज सुनकर मैं भी अपनी जगह से तुरंत उठ गया और हॉस्टल में इधर उधर जाकर देखने लगा पर मुझे हॉस्टल में कही भी ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा था जहाँ से वो आवाज आ रही हो पर मुझे अभी भी वो आवाज सुनाई दे रही थी। और मैं भी हॉस्टल के हर तरफ जाकर उस आवाज का पीछा करने की कोशिश कर रहा था। और मुझे जब वहाँ कोई नहीं दिखा तो मैं अपनी जगह पर फिर वापस जैसे ही गया तो जो मैंने वहाँ देखा उसको देखकर मेरे शरीर में डर की के बड़ी भयानक सी लेहर सी जलने लगी और मेरे हाथ पैर डर के मारे कापने लगे।


क्यूंकि मैंने देखा हॉस्टल के गेट के पास एक घोड़ा चक्कर लगा रहा था और उस घोड़े पर एक बिना सर वाला आदमी बैठा हुआ था। और जैसे ही मैं वहाँ पहुंचा तो शायद उस बिना सर वाले आदमी को पता चल गया था की मैं उन्हे देख रहा हूँ। और तभी उस बिना सर वाले आदमी ने अपना घोड़ा रुका और मेरी ओर अपना घोड़ा घुमा लिया और मेरी ओर आने लगा । पर पता नहीं उस समय मुझे क्या हो गया था की उसको अपनी ओर आते देख भी मैं वहाँ से भाग नहीं रहा था। और देखते देखते वो आदमी ने अपना घोड़ा मेरे पास आके रुका और अपने घोड़े से नीचे नीचे उतर कर उसने अपनी तलवार निकाल ली। सच बताऊ तो उस समय मुझे ऐसा लगने लगा था की जैसे वो दिन मेरा आखरी दिन हैं।


क्यूंकि एक बिना सर वाला आदमी अपनी तलवार हाथ में लिए खड़ा था और उसने जैसे ही अपनी तलवार ऊपर उठाई वैसे ही मैंने अपने हाथ जोड़ लिए और अपनी आँखे बंद करके उसके पैरो में गिर गया। और उसके बाद जैसे ही मैंने अपनी आँख खोली तो आदमी और वो घोड़ा जैसे गायब से हो गए क्यूंकि वहाँ कोई नहीं था। और उस घटना के बाद मैंने उस हॉस्टल में 10 सालो तक चौकीदार का काम करा और मुझे हर रात को वो ज्योति और बिना सर वाला आदमी जो घोड़े पर आता था वो मुझे हर रात को दिखते थे और उनके आते ही मैं अपने हाथ जोड़ लेता और वो भी अपने चक्कर लगा कर चले जाते थे।


इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव



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