मरने के बाद भी दोस्ती जिन्दा
रात के 9 बजे मंजीत और प्यूष अपने कमरे में बैठे अपने अपने फ़ोन चला रहे थे तभी उनके दरवाजे पर से किसी के दरवाजा खट खटाने आवाज आई। मंजीत ने प्यूष से कहा - देख तो भाई कौन आया हैं - मंजीत की बात सुनकर प्यूष ने जवाब देते हुए कहा - अबे भाई मैं अभी अपने फ़ोन में कुछ जरूर काम कर रहा हूँ तू जाकर देख लेना कौन हैं - प्यूष का जवाब सुनकर मंजीत ने फिर कहा - हाँ पता हैं का जरूर काम कर रहा हैं तू जरूर किसी से चैट कर रहा होगा - यह दोनों आपस में ही दरवाजा खोलने के लिए एक दूसरे को बोल ही रहे थे
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तभी एक बार फिर किसी ने इनका दरवाजा खट खटाया इस प्यूष ने फिर मंजीत से कह - जा भाई तू ही देख ले कौन हैं समझा कर ना बहुत जरूर बात चल रही हैं अभी मेरी - इस मंजीत अपनी जगह से उठा और प्यूष से बोला - घुस जा अपने फ़ोन में - इतना बोलकर मंजीत दरवाजा खोलने के लिए दरवाजे के पास गया थोड़ा जोर से बोला - कौन हैं - मंजीत के इतना बोलने के बाद तुरंत बाहर से आवाज आई - अरे मैं हूँ सूरज अब जल्दी दरवाजा खोल - सूरज इन दोनों का ही दोस्त था और वो यहाँ कभी कभी इनके साथ पार्टी करने के लिए आया करता था। पर इतना सुनते ही मंजीत के जो हाथ दरवाजे की कुण्डी खोलने के लिए ऊपर ऊठे थे वो वही पर रुक गए।
और मंजीत तुरंत पिछे प्यूष की तरफ मुड़ा तो उसने देखा प्यूष भी अपना फ़ोन नीचे रखे उसे ही देख रहा था। मंजीत तुरंत दरवाजे के पास से प्यूष के पास आया और बोला - सुना भाई - प्यूष ने जवाब देते हुए कहा - भाई पर ये हो कैसे सकता हैं अभी एक घंडे पहले ही तो हम लोग सूरज के अंतिम संस्कार में से होकर आए हैं - यह दोनों सूरज की आवाज सुनकर इसलिए डर रहे थे क्यूंकि कल सूरज का एक्सीडेंट होने की वजह से उसकी मौत हो गई थी। वैसे भी सूरज बहुत तेज बाइक चलाता था और हेलमेट भी कभी नहीं पहनता था और इसी वजह से उसका जब एक्सीडेंट हुआ तो उसका पूरा सर फट गया था। और उसकी उसी समय मौत हो गई थी और आज उसका अंतिम संस्कार था और वही से एक घंटा पहले होकर मंजीत और प्यूष आई थे।
और दोनों हैरान होकर बस यही सोच रहे थे की तभी एक बार फिर बाहर से सूरज की आवाज आई - अबे कहाँ चले गए दोनों के दोनों मैं कबसे बाहर खड़ा हूँ जल्दी दरवाजा खोलो - पर मंजीत और प्यूष की तो जैसे रगो में खून ही ना हो वो दोनों मूर्ति बने बस एक दूसरे को देखे जा रहे थे। और सूरज बाहर खड़े खड़े बस दोनों को आवाज लगाए जा रहा था वो बोल रहा था - यार दरवाजा तो खोलो मैं आज पार्टी का पूरा सामान लाया हूँ - पर उन दोनों की पार्टी तो सूरज की आवाज सुनकर ही निकल गई थी। पर तभी एकदम से वो सभी आवाजे जो सूरज की आ रही थी वो सभी आना बंद हो गई अब ऐसा लग रहा था जैसे अब बाहर कोई नहीं हो।
अब मंजीत और प्यूष भी यही सोच रहे थे की यह हो कैसे सकता हैं कोई मरा हुआ इंसान जिसका अंतिम संस्कार भी हो गया हो वो आकर आवाज कैसे मार सकता हैं यही सब सोचते हुए दोनों बैठे ही और अभी दोनों ने उस डर को खत्म भी नहीं करा था की तभी उनके बाथरूम से ऐसी आवाजे आने शुरू हो गई जैसे कोई बाथरूम के अंदर हो पर यह भी कैसे हो सकता हैं क्यूंकि इस घर में मंजीत और प्यूष के सिवा कोई रहता ही नहीं हैं और ना ही कोई आज इनके घर आया हुआ था। आवाजे सुनकर दोनों बाथरूम के दरवाजे की तरफ ही देखे जा रहे थे की तभी बाथरूम का दरवाजा अपने आप खुला और उसके अंदर से सूरज निकला जिसने अपने एक हाथ में दो तीन बोतल और चकने का सामान ले रखा था।
उसके बाद सूरज बाथरूम से बाहर आया और उन दोनों के पास पार्टी का सारा सामान रखा और फिर सूरज ने उन दोनों से कहा - अरे खड़े खड़े मुझे घूर क्यों रहे हो - पर वो दोनों डरे डरे सूरज को घूरे ही जा रहे थे उन दोनों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो दोनों क्या करें। तभी सूरज इन दोनों के और पास गया और बोला पर इस बार उसकी आवाज बहुत भयानक सी हो गई था उसने कहा - जब मैं दारू पीता नहीं था तब तुम दोनों ने ही मुझे कल जबरदस्ती दारू पिलाई और अब तुम पिने से मना कर रहे हो - उसकी बात सुनकर मंजीत ने डरते हुए कहा - भाई हम तो तेरे दोस्त हैं भाई हमें जाने दे -
सूरज ने फिर कहा - तुम मेरे दोस्त हो इसलिए तो मैं तुम्हारे पास आया हूँ अब मैं तुम दोनों को अपने साथ लेकर जाऊंगा फिर हम तीनो मिलकर फिर पार्टी करेंगे - पर मंजीत और प्यूष को तो जैसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वो दोनों बस यही सोच रहे थे कही यह हम दोनों का कोई सपना तो नहीं हैं पर यह उन दोनों का कोई सपना नहीं था। दोनों डरे डरे बार बार सूरज से अपनी जान की बिख मांग रहे थे पर सूरज पर उसका कोई ऐसा असर नहीं हो रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे सूरज मारने के बाद अपने दोस्तों के बिना रह ना पा रहा हो इसलिए वो आज अपने दोस्तों को लेने के लिए आ गया हो।
उसके सूरज जो बोतल अपने साथ लाया था उसे उन दोनों के मुँह में लगा दी। और बोतल तब तक खाली नहीं हुई जब तक मंजीत और प्यूष दारू पीते पीते मर नहीं गए। सूरज उन दोनों को अपने साथ ले जाने आया था और उन दोनों को अपने साथ लेकर ही चला गया इसलिए कहते हैं ज्यादा दोस्ती भी अच्छी नहीं होती क्यूंकि कई बार दोस्त मारने के बाद भी अपने दोस्त के पास आ जाते हैं।
इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव
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