डायन
कुमारपुर गाँव के पास से ही एक नदी होकर गुजरती हैं और उस नदी के उस पार बिजली के चार खम्बे हैं और उस गाँव में रहने वालो के सामने अगर कोई उन चार खम्बो का नाम भी लेता हैं तो उनके चेहरों पर एक डर की रेखा सी बन जाती हैं। क्यूंकि उस गाँव में रहने वालो का यह कहना हैं की उन खम्बो के पास एक डायन रहती हैं। इसलिए उन खम्बो के पास कोई भी रात में तो क्या दिन में भी नहीं जाता अगर कोई गलती से भी वहाँ चला जाता हैं तो वो कभी वापस नहीं आता।
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वैसे भी वो जगह नदी के उस पार हैं और नदी के उस पार बस जंगल ही हैं इसलिए कोई जल्दी से नदी के उस पार नहीं जाता और अगर कोई जाता भी हैं तो बस वो अपने जानवरों को घाँस चराने के लिए ही जाते थे। और महेश भी रोज नदी के उस पार अपनी बकरीयो को घाँस चराने लिए जाया करता था। वैसे तो उसके पास बस दो ही बकरीया थी और उसने अपनी उन दोनों बकरीयो के नाम भी रखे हुए थे। उसकी एक बकरी का नाम चम्पा और दूसरी का नाम चमेली था। और महेश अगर कही से भी उन दोनों बकरीयो को उनका नाम लेकर बुलाता तो वो बकरीया तुरंत भागती हुई उसके पास आ जाती थी।
और ऐसे एक दिन महेश रोज की तरह अपनी बकरीयो को घाँस चराने के लिए नदी के उस पार गया हुआ था। वो नदी के उस पार तो गया हुआ था पर वो उन चार खम्बो के पास नहीं गया हुआ था। वो उन खम्बो से दूर ऊपर की तरफ गया हुआ था जहाँ बहुत सारे लोग अपने जानवरों को चराने के लिए जाया करते थे। और महेश ने वहाँ पहुंचते ही अपनी बकरीयो को घाँस चरने के लिए छोड़ दिया। और खुद जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ कर अपने फ़ोन में हिन्दी स्टोरी माय वेबसाइट पर कहानियाँ पढ़ने और सुनने लगा। और तीन चार कहानियाँ सुनने के बाद महेश ने जैसे ही अपने आस पास देखा तो उसे उसकी बकरीया कही पर भी नजर नहीं आ रही थी।
और अपनी उन्ही बकरीयो को ढूंढ़ने के लिए महेश अपनी जगह से उठा और अपनी बकरीयो को आवाज लगाते हुए जंगल के अंदर की तरफ जाने लगा। क्यूंकि उसे लग रहा था की शायद उसकी बकरीया घाँस खाते खाते जंगल के अंदर चली गई होंगी। इसलिए वो लगातर अपनी बकरीयो को आवाज लगाता हुआ जंगल के अंदर की तरफ चले जा रहा था। पर उसको उसकी बकरीया कही पर भी नहीं दिख रही थी और अब समय भी काफ़ी होने लगा था और वो जंगल भी काफ़ी बड़ा था अगर महेश ऐसे ही चलते जाता तो उसे इस जंगल को पार करने में लगभग दो दिन लग जाते।
इसलिए वो वापस नदी की तरफ आने लगा पर वो बाहर जाने का रास्ता भूल गया था पर वो वहाँ रुका नहीं और सीधा सीधा चलते जा रहा था तभी उसके कानो में नदी के पानी की आवाज आने लगी। महेश समझ चूका था की वो जंगल से बाहर अब नदी के पास आ गया हैं। पर वो अभी भी अपनी बकरीयो को ढूंढ रहा था और उनका नाम लेकर आवाज लगा रहा था - चम्पा चमेली, चम्पा चमेली - वो आवाज लगाते हुए नदी की तरफ चले जा रहा था पर तभी उसके पैर के नीचे कुछ आ गया। उसने जैसे ही अपने पैरो की तरफ देखा तो उसके शरीर में चला खून बर्फ सा ठंडा हो गया और उसके अंदर एक डर की लेहर सी चलने लगी क्यूंकि उसके पैर के नीचे एक बोर्ड था और उस बोर्ड में लिखा सावधान आगे खतरा हैं आगे चार खम्बे हैं। महेश यह पढ़कर जैसे ही भागने वाला था तभी उसे उसकी बकरीयो की आवाज आने लगी।
आवाज सुनकर पहले तो महेश ने वही से खड़े खड़े अपनी बकरीयो को आवाज लगाई पर काफ़ी देर तक जब उसकी बकरीया वापस नहीं आई तो महेश डरते डरते उस ओर जाने लगा जाने लगा जहाँ से उसकी बकरीयो कक आवाज आ रही थी और जहाँ पर वो चार खम्बे थे। वो डरता डरता चले जा रहा था तभी उसने देखा एक लड़की चार खम्बो के सामने एक पत्थर पर बैठी थी और उसका मुँह दूसरी तरफ था और उस लड़की के बाल इतने बड़े थे की वो जमीन को छू रहे थे और उस लड़की के पास में ही महेश की एक बकरी खड़ी हुई थी।
अपनी बकरी को देखते ही महेश ने अपनी बकरी को आवाज मारी - चम्पा चम्पा इधर आओ - उसकी आवाज उसकी बकरी ने तो नहीं सुनी पर वो लड़की जो वहाँ पर बैठी थी उसने महेश की आवाज सुनकर जैसे ही पिछे देखा तो उसको देखकर महेश उस लड़की को बस देखता ही रह गया। क्यूंकि वो लड़की देखने बहुत सुन्दर और आकर्षक थी। महेश उस लड़की को खड़े खड़े बस देखे ही जा रहा था तभी उस लड़की ने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कह - यह आपकी बकरी हैं क्या - उस लड़की की आवाज सुनते ही महेश का भी ध्यान टुटा और उसने अपने सर पर एक हाथ फैरते हुए कह - जी हाँ पर इसके साथ मेरी एक बकरी और थी क्या अपने उसे कही पर देखा -
महेश की बात का जवाब देते हुए उस लड़की ने अपने हाथ से इशारा करते हुए कह - वो एक बकरी उस तरफ हैं - उस लड़की के इतना बोलने के बाद महेश ने जैसे उस तरफ जाकर तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गई क्यूंकि महेश ने देखा उसकी दोनों बकरीयो के सर कटे वही पर पड़े हुए थे। महेश यह देखकर बहुत डर चूका था क्यूंकि अभी थोड़ी देर पहले उसकी एक बकरी तो उस लड़की के साथ बिलकुल सही थी पर अब यहाँ पर तो उसकी दोनों बकरीया मरी पड़ी हुई थी। महेश अब शायद समझ चूका था की वो लड़की कौन हैं इसलिए वो बिना समय गवाए वहाँ से भागने लगा था पर तभी वो भागते भागते अचानक वही पर रुक गया।
क्युकी उसने देखा वो लड़की उसके आगे से ही चले आ रही थी उसको आगे से आते देख महेश तुरंत पिछे भागने को जैसे जी मुड़ा तो एक छटका उसे फिर लग गया क्यूंकि उसने देखा वही लड़की अब उसके पिछे से भी आ रही थी उसने डरते हुए फिर से आगे की तरफ देखा तो वो लड़की अब आगे भी थी और पिछे भी थी और उसके दोनों तरफ भी थी यानी उस लड़की या उस डायन ने अब महेश को चारो तरफ से घेर लिया था। उसके बाद वो लड़की चारो तरफ से उसके ओर आने लगी और उसके पास आते ही उस लड़की का चेहरा बिलकुल बदल गया और एकदम भयानक सा हो गया। और महेश के पास आते ही उस डायन ने एकदम अपना एक हाथ महेश की छाती में डाल दिया और उसका दिल एकदम से बाहर निकाल लिया। कहते हैं वो चार खम्बो वाली डायन अगर किसी को मारती हैं तो उसे वो पहले चारो तरफ से घेर लेती हैं फिर उसके बाद उसका दिल निकाल लेती हैं।
इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव
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