श्रापित बंगला E-2
प्रीति नेहा को ढूंढ ढूंढ कर थक हार कर एक जगह पर बैठ कर रोने लगी और उसने संतोष को फोन लगाया और रोते हुए बोलने लगी - संतोष नेहा पता नहीं कहाँ चली गई कहीं नहीं दिख रही हैं - दूसरी तरफ से संतोष ने कहा - अरे बाबा कितना परेशान हो जाती हो तुम अरे वही कहीं होगी और कहाँ चली जाएगी देखो आसपास होगी घर के पीछे या दूसरे फ्लोर पर होगी तुम परेशान मत हो मैं आ रहा हूँ अभी - इतना कहकर संतोष ने तो फोन डिस्कनेक्ट कर दिया पर प्रीति वहीं पर बैठी हुई कुछ सोच रही थी। तभी उसके कानों में ऐसी आवाज आई जैसे लग रहा था कोई जोर-जोर से हंस रहा हो वह शायद इसमें नेहा की आवाज भी थी। आवाज भी ऊपर के फ्लोर से आ रही थी प्रीति भागते हुए ऊपर के फ्लोर पर जाने लगी लेकिन वो यह सोच रही थी की नेहा को कैसे पता ऊपर भी घर है क्योंकि अभी तक तो प्रीति भी ऊपर के फ्लोर पर नहीं गई थी।
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और सीढ़ियों से भागते भागते प्रीति फर्स्ट से सेकंड फ्लोर तक चली गई। और अब प्रीति को बिल्कुल साफ साफ सुनाई दे रहा था कि नेहा किसी से बात कर रही है और उसके साथ दो आवाजे और भी आ रही थी यानी नेहा के साथ दो जने और थे नेहा की आवाज जिस कमरे से आ रही थी। प्रीति ने तुरंत उस कमरे का दरवाजा खोला और देखा नेहा अकेले ही बैट बॉल खेल रही थी नेहा के हाथ में बैट था और वो कह रही थी - जल्दी फेंको बोल जल्दी बोल डालो तुम रुक क्यों गई - तभी प्रीति ने नेहा को पीछे से पकड़ा और एक थप्पड़ खींच कर मारा और कह - क्या हुआ नेहा तू पागल हो गई हैं क्या तू किससे बात कर रही हैं अकेले कोई तो नहीं है यहाँ - नेहा ने चौक ते हुए अपनी मम्मी की तरफ देखा और कहा - अरे यही तो थे अभी वो दोनों - प्रीति ने फिर कहा - कौन दोनों -
फिर नेहा ने कहा - मम्मी वो रश्मि और प्रिया यही तो रहते हैं वो और अब वो दोनों मेरी नई फ्रेंड बन गई वो बहुत अच्छी है मम्मी उन दोनों ने बताया कि वो हमेशा से यही रहती हैं और अब मैं भी उनकी फ्रेंड बन गई हूँ - प्रीति ने नेहा को पकड़ा और अपने साथ नीचे ले आई प्रीति नेहा को डांट रही थी कि - तू पागल हो गई क्या और क्यों गई थी ऊपर और तुझे कैसे पता कि ऊपर जाने का रास्ता कहाँ से है - नेहा ने फिर बताया - अरे मम्मी मुझे तो रश्मि और प्रिया ऊपर ले गए थे उन्होंने तो मुझे बताया यहाँ से है रास्ता मम्मी उन्होंने मुझे पूरा घर भी घुमाया तीसरी मंजिल तक पूरे जगह देखी मैंने उनके साथ - प्रीति ने थोड़ा घबराते हुए और गुस्से में कहा - अरे कौन दोनों कौन हैं यह रश्मि और प्रिया -
नेहा ने फिर कहा - मम्मी वो यहीं पर तो रहती हैं मेरी नई दोस्त है वो दोनों और उनकी मम्मी भी रहती है ऊपर वाले फ्लोर में चलो मैं आपको मिलवा दू उनसे - फिर प्रीति ने चौकते हुए कहा - ऊपर के फ्लोर पर लेकिन तुम्हारे पापा तो कह रहे थे बंगला पूरा खाली है और बस हम लोग ही रहेंगे हमने लिया है किराए पर और गेट भी तो बंद था ताला भी तो हमने ही खोला था तो फिर ऊपर कौन रहता हैं - और थोड़ी देर में संतोष भी सामान वगैरा लेकर घर आ गया। संतोष ने आते ही बोला - क्यों नेहा कहीं चली गई थी और तुम भी यार थोड़ी थोड़ी सी बात में डर जाती हो कहाँ गई थी नेहा - फिर प्रीति ने तुरंत कहा - संतोष अब हम नहीं रहेंगे यहाँ मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है इस घर में और नेहा भी पता नहीं कैसी कैसी बातें कर रही है यह ऊपर के फ्लोर पर अकेले बैट बॉल खेल रही थी और मुझे भी वहाँ दो तीन बच्चों की हंसने की आवाज आ रही थी लेकिन जब मैं वहाँ गई तो वहाँ कोई नहीं था बस नेहा अकेले ही खेल रही थी -
संतोष ने फिर थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा - यार तुम्हारा ना दिमाग हो गया खराब जबसे तुम्हें टैक्सी वाले ने इस घर के वारे में अनाप-शनाप बता दिया हैं तब से तुम ऐसी बाते कर रही हो अरे तुम समझती क्यों नहीं यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं है तुम्हें कोई बहम हुआ है क्योंकि तुम बस उस ड्राइवर के बताएं अनुसार ही सोच रही हो और तुम थक भी तो काफ़ी गई हो क्योंकि आज ही नैनीताल से आई हो और सीधा यहाँ पर आकर सामान वगैरा सेट करने में लग गई हो इसलिए अब चलो खाना वाना बनाते हैं फिर आराम कर लो तब शायद तुम्हें ठीक लगेगा - फिर संतोष की बात बीच में ही काटते हुए प्रीति ने कहा - संतोष क्या ऊपर वाले फ्लोर में कोई और भी रहते हैं क्या नेहा ने बताया कि 2 बच्चे और उनकी मम्मी ऊपर तीसरे फ्लोर पर है और वो वही रहती हैं -
संतोष ने प्रीति की बात सुनी फिर थोड़ा हंसते और मुस्कुराते हुए बोला - यार कैसी बातें कर रहे हो तुम दोनों ऊपर तो कोई नहीं है पूरा बंगला तो हमने ले रखा है किराए पर और बंगला पूरे 1 साल से खाली हैं अगर कोई होता तो बाहर ताला क्यों लगा होता और मुझे मकान मालिक बताते नहीं क्या - फिर नेहा ने कहा - नहीं पापा चलो मैं आपको दिखाती हूँ ऊपर रश्मि और प्रिया रहते हैं अपनी मम्मी के साथ और वो बहुत अच्छे हैं मेरी उन दोनों से फ्रेंडशिप भी हो गई है और वो दोनों मेरी नई फ्रेंड हैं अब - संतोष ने नेहा की बात सुनी और कहा - चलो दिखाओ फिर कौन हैं - उसके बाद नेहा संतोष और प्रीति को लेकर आगे आगे भागती हुई चली जा रही थी और कह रही थी - पापा देखो अभी दिखाती हूँ मैं आपको -
और जैसे ही नेहा ऊपर पहुंची तो उसने आवाज लगाई - प्रिया रश्मि प्रिया - लेकिन ऊपर तो कोई नहीं था और सभी कमरे के दरवाजे भी बंद थे। उसके बाद संतोष ने कहा - अरे नेहा हम सबको उल्लू बना रही है ऐसा कुछ नहीं है यहाँ - फिर नेहा ने कहा - नहीं पापा अभी तो यही पर थे पता नहीं अब कहाँ चले गए पर उन्होंने तो कहा था हम तो हमेशा यही रहते हैं वो हमेशा से यही पर है पर अभी पता नहीं कहाँ गए - नेहा की बात सुनकर संतोष ने हंसते हुए दोनों को पकड़कर नीचे ले आया और अपनी वॉइस से कहा - देख लिया और मिल लिया तुमने ऊपर फ्लोर वालों से पता चल गया ऊपर कौन है - लेकिन प्रीति ने कहा - नहीं संतोष आवाज तो मैंने भी सुनी थी नेहा के साथ और दो बच्चों की आवाज आ रही थी इसलिए मैं कहती हूँ सच में कुछ ना कुछ तो है इस घर में -
फिर संतोष ने कह - अरे यार तुम भी अब बस करो और चलो अब खाना बना लो भूख भी लग रही हैं - संतोष के इतना कहने के बाद प्रीति किचन में जाकर खाना बनाने की तैयारी कर ही रही थी की तभी अचानक किसी के चीखने की बहुत तेज आवाज आई ऐसा लगा कोई ऊपर के फ्लोर पर से चिल्ला रहा है आवाज बहुत तेज तेज सुनाई दे रही थी और प्रीति को ऐसा लगा रहा था जैसे कोई औरत चिल्ला रही हो। आवाज सुनकर प्रीति तुरंत किचन से बाहर भागती हुई आई पर वो जैसे ही बाहर आई तो उसने देखा नेहा और संतोष तो बाहर बैठे हुए गेम खेल रहे थे। और उनको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उन दोनों ने कोई आवाज नहीं सुनी हो।
संतोष ने जैसे ही प्रीति को देखा पर प्रीति को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसके तो मानो होश उड़े हुए थे और वो बिल्कुल डरी सहमी हुई थी। फिर संतोष ने पूछा - क्या हुआ - तो उसने डरते हुए जवाब दिया - संतोष वो वो ऊपर किसी की चीखने की आवाज आ रही थी संतोष कोई है ऊपर - फिर संतोष ने प्रीति को संभालते हुए कहा - अरे कोई नहीं है कहीं किसी की आवाज नहीं आई - लेकिन प्रीति मानने को तैयार नहीं थी और वो यही कहा रही थी - ऊपर कोई क्योंकि मैंने आवाज साफ साफ सुनी है कोई औरत सीख रही है और ऐसा लग रहा था जैसे वो दर्द से तड़प रही थी - संतोष ने फिर कहा - अरे बाबा चलो कोई बात नहीं एक बार देख कर आ जाता हूँ मैं -
इतना बोलकर संतोष ऊपर जा रहा था तभी प्रीति ने कहा - नहीं मैं भी चलूंगी अकेले मुझे बहुत डर लग रहा है अब इस घर में ऐसा लगता है कोई ना कोई है आसपास पर संतोष तुम समझ नहीं रहे हो यह घर ठीक नहीं है - फिर संतोष ने कह - अरे यार चलो तुम भी चलो मेरे साथ तुम भी ऊपर देख लो अब - पर दोनों ने जैसे ही ऊपर जाकर देखा तो ऊपर कोई भी नहीं था फर्स्ट फ्लोर 2nd फ्लोर कहीं पर कोई नहीं था। लाइट जला कर दोनों ने ऊपर पूरा घर छान मारा फिर संतोष ने कहा - तुम्हारा कोई बहम था वो चलो अब मैं भी तुम्हारे साथ किचन में हेल्प करता हूँ प्रीति तुम फालतू में डर रही हो क्योंकि तुम आज थकी हुई हो इसलिए तुम परेशान हो रही हो खाना खाकर सो जाओ आराम से कल सुबह सब ठीक लगेगा -
उसके बाद संतोष प्रीति के साथ किचन में जाकर खाना बना रहा था और तभी प्रीति की नजर पड़ी कि नेहा फिर आस पास नहीं थी तभी उसने संतोष से कह - नेहा कहाँ चली गई - फिर संतोष ने कहा - बाहर बैठी होगी वो नहीं डरते तुम्हारी तरह - प्रीति ने फिर कहा - नहीं उसको भी बुलालो जाओ उसको भी लेकर आओ - संतोष को अब गुस्सा तो आ रहा था लेकिन क्या करता वो फिर उसने कहा - अच्छा अभी गया - इतना बोलकर संतोष आवाज लगाते हुए बाहर जाने लगा पर उसे वहाँ नेहा कही नहीं दिख रही थी। तभी उसे ऐसा लग जैसे घर के पीछे गार्डन की तरफ से आवाज आ रही हो और ऐसे लग रहा था वहाँ बच्चे खेल रहे हो।
तभी प्रीति ने संतोष के पास आकर कहा - देखा मुझे भी ऐसी आवाज आ रही थी नेहा फिर से चली गई उन लोगों के पास - उसके बाद प्रीति और संतोष भागते हुए घर के पीछे गार्डन में पहुचे तो उन्होंने देखा नेहा तो वहाँ पर अकेले बैठी हुई थी संतोष ने नेहा के पास जाकर उसे पकड़ा और कह - बेटा क्या हुआ यह क्यों आई - नेहा ने फिर कहा - अरे कुछ नहीं पापा मेरी नई फ्रेंड थी ना रश्मि और प्रिया उनके साथ खेल रही थी - फिर संतोष ने कहा - बेटा यहां तो कोई नहीं है तूम किसकी बात कर रही हो - नेहा ने फिर कहा - पापा अभी तो वो दोनों यहीं थे पर जब आप लोग आते हो तो वो चले जाते हैं उन्होंने कहा वो बस मुझसे ही बातें करेंगे और बस मेरी ही दोस्त है - इसके आगे की कहानी अब अगले एपिसोड हैं।
इस कहानी के लेखक हैं - रामचंद्र यादव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव
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