श्रापित बंगला E-3
संतोष ने अपनी बेटी नेहा से कहा - बेटा यहाँ तो कोई नहीं है तूम किसकी बात कर रही हो - नेहा ने फिर कहा - पापा अभी तो वो दोनों यहीं थे पर जब आप लोग आते हो तो वो चले जाते हैं उन्होंने कहा वो बस मुझसे ही बातें करेंगे और बस मेरी ही दोस्त है - तभी यह देख कर प्रीति रोने लगी और संतोष पर चिल्लाने लगी - देखा मैं तुम्हें मना कर रही थी इस घर में मत आओ यह घर कुछ अजीब है सही कह रहा था वो टैक्सी ड्राइवर लेकिन तुम्हें तो किसी की बात समझ में ही नहीं आती है - संतोष ने फिर प्रीति से कहा - प्रीति चलो खाना खाकर अब सो जाते हैं - तभी नेहा ने कहा - पापा मैं अभी थोड़ी देर में आऊंगी अभी मैं अपनी फ्रेंड के साथ और खेलूंगी -
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पर संतोष ने गुस्से में नेहा का हाथ पकड़ा और कहा - नेहा चलो यहाँ से तो बस चलो अभी यहाँ कोई नहीं है बाद में खेलना - इतना कहकर संतोष नेहा को घर के अंदर ले आया - पर नेहा बाहर जाने के लिए रो रही थी। फिर संतोष ने कहा - बेटा अभी खाना खाके सो जाओ कल सुबह अपनी फ्रेंड के साथ खेल लेना और हमको भी उनसे मिलवा देना पर अभी सो जाओ - लेकिन नेहा लगातार रो रही थी और बस यही बोल रही थी - नहीं मुझे बाहर जाना है और अपनी फ्रेंड के साथ खेलना है वो दोनों बहुत अच्छी हैं मुझे बस उन दोनों के साथ ही खेलना है मुझे जाने दो गार्डन में - नेहा को रोता हुआ देख अब प्रीति को भी अपने पति संतोष पर गुस्सा आ रहा था।
और वो गुस्से में ही बोलने लगी - जब मैं आपको कह रही थी कि यहाँ नहीं रहना यह घर ठीक नहीं है तब तुम्हें मुझ पर कोई यकीन नहीं हो रहा था अब देख लो नेहा की हालत ना जाने किसकी बात कर रही है यह और ना जाने किसके साथ खेल रही थी उस समय भी जब तुम बाहर गए थे तब भी अचानक से यह ऊपर के फ्लोर पर चली गई और किसी से हस हस के बातें भी कर रही थी जब मैंने कहा तब तुम्हें मेरी बात पर कोई यकीन नहीं हुआ - संतोष प्रीति की सारी बात सुनी और शांति से कहा - प्रीति चलो ठीक है लेकिन आज तो अब रात हो गई है अब तो सो जाओ कल सुबह बात करेंगे क्या करना है -
उसके बाद वो तीनो खाना वगैरह खाकर सो जाते हैं वैसे ही आज दिन भर थके हुए थे तो बिस्तर पर लेटते ही संतोष को नींद आ गई। लेकिन प्रीति इतने सारे हादसे देखने के बाद कहाँ सोने वाली थी उसकी नींद तो वैसे ही उड़ी हुई थी। उसके मन में लगातार बस यही सब बातें गूंज रही थी कभी वो उस टैक्सी ड्राइवर गुड्डू की बातें याद करती तो कभी उसे नेहा का अचानक तीसरे फ्लोर पर चले जाना और कभी और बच्चों की आवाज हंसते खेलते हुए सुनाई देना यही सब सोचते सोचते प्रीति बिस्तर पर लेटी हुई थी और तभी शायद उसकी आँख भी लग गई। लेकिन थोड़ी देर में अचानक हुई एक आवाज से प्रीति की आँख फिर तुरंत खुल गई।
और प्रीति ने जो देखा उसके बाद प्रीति के हालक से एक जोरदार डरावनी चीख निकली और सीखते ही प्रीति अपने बेड से सीधा नीचे जमीन पर गिरी और जमीन पर ही पड़े पड़े प्रीति अपनी आँखो से साफ-साफ देख पा रही थी। की एक सर कटी हुई औरत इनके कमरे के दरवाजे पर खड़ी हुई है और उसके साथ दो छोटी छोटी लड़कियां भी हैं और उनके भी सर कटे हुए थे। यह सब देखने के बाद तो मानो प्रीति की जान ही निकल गई हो और उसके चीखने की आवाज बड़ी तेज निकली थी। और उसी आवाज से संतोष की आँख भी तुरंत खुल गई और उसने देखा की प्रीति नीचे जमीन पर पढ़ी हुई रो रही है।
संतोष ने तुरंत प्रीति को उठाया और उसको संभालते हुए पूछने लगा - क्या हुआ है और तुम रो क्यों रही हो और नीचे कैसे गिरी - लेकिन प्रीति इतना ज्यादा डरी हुई थी और घबराई हुई थी कि प्रीति के हलक से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी पर प्रीति डरते डरते दरवाजे की तरफ उंगली दिखा रही थी और बोलने की कोशिश कर रही थी - संतोष वो वो देखो वो औरत खड़ी है संतोष वो हमें मार देगी वो हम सब को मार देगी वो देखो - संतोष ने प्रीति को चलाते हुए कहा - प्रीति कोई नहीं है दरवाजा बंद है और लाइट भी तो चल रही है कमरे में तो कोई भी नहीं है तुमने कोई सपना देखा होगा प्रीति तुम आज दिन भर से ऐसी चीज के बारे में ही सोच रही हो इसलिए तुमने कोई सपना देखा होगा - लेकिन प्रीति लगातार बस यही बताने की कोशिश कर रही थी की - संतोष नहीं वहाँ वहाँ वो देखो है वो है वहाँ -
पर संतोष ने प्रीति को बड़े प्यार से संभाला और कहा - मैं हूँ ना तुम्हारे साथ और बताओ कहाँ है कोई तो नहीं है कुछ भी नहीं है - उसके बाद प्रीति ने फिर से दरवाजे की तरफ डरते डरते देखा तो सच में वहाँ कोई नहीं था। लेकिन प्रीति बहुत ज्यादा डर चुकी थी इसलिए वो बस रो रही थी और यही कह रही थी - नहीं संतोष मैंने देखा है एक औरत जिसके दरवाजे की कुंडी के खट खटाने से मेरी आँख खुली और मैंने देखा एक सर कटी औरत और उसके साथ दो सरकटे बच्चे दरवाजे पर खड़े थे। संतोष समझ चुका था की आज दिन भर से इस बंगले के बारे में जो गलत गलत बातें प्रीति के दिमाग में बैठी हुई हैं उसका ही कोई असर हुआ है और उसने कोई डरावना भयानक सपना देखा है। उसके बाद संतोष ने प्रीति को अपने साथ ही सेहलाते हुए सुलाया।
और फिर सुबह लगभग 5:00 बजे के करीबन संतोष की आँख खुली तो संतोष ने देखा प्रीति और नेहा अभी भी सो रही हैं। संतोष को पता था वैसे भी कल से उसकी वाइफ और उसकी बेटी थकी हुई थी और बहुत परेशान थी इसलिए उसने उन्हें सोने देना ही ठीक समझा। पर संतोष को आज स्कूल पढ़ाने के लिए भी जाना था इसलिए संतोष नहा धोकर फ्रेश हुआ और तैयार होकर उसने चाय बनाकर अपनी वाइफ को बेड पर ही लाकर दी और फिर तभी प्रीति की आँख भी खुली तो उसने देखा काफी उजाला हो गया था फिर संतोष ने कहा - आज मुझे स्कूल भी जाना है अब तो उठ जाओ -लेकिन कल रात जो भी हुआ वो प्रीति बिल्कुल भी नहीं भूल सकती थी।
इसलिए प्रीति ने कहा - संतोष हम इस घर में अब और नहीं रहेंगे हमको यह बंगला खाली करना होगा तुम आज ही शहर में कहीं और घर देख लो कोई बात नहीं किराए थोड़ा ज्यादा होगा लेकिन यह बंगला ठीक नहीं है संतोष सच कहा था उस टैक्सी ड्राइवर ने श्रापित बंगला है - सुबह-सुबह संतोष ने अपनी वाइफ के मुँह ऐसी बात सुनी तो उसको भी थोड़ा गुस्सा आ गया फिर उसने कहा - इस बंगले में तो कुछ नहीं है यह बंगला बिल्कुल ठीक है लेकिन तुम्हें उस जो बेवकूफ ड्राइवर ने कल बताया ना वही तुम्हारे दिमाग में बैठ गया है उसी का असर है तुम पर नहीं तो इस घर में और कुछ नहीं है मैं भी तो हूँ मुझे क्यों नहीं कुछ दिखा अब तुम फालतू की बकवास छोड़ो उठो और मैं जा रहा हूँ स्कूल - इतना बोलकर संतोष उस कमरे से बाहर निकल आया और अपने स्कूल जाने की तैयारी करने लगा।
प्रीति भी अब अपने बिस्तर से उठ गई थी और तभी उसने नेहा को देखा तो प्रीति को ऐसा लगा कि नेहा की सांसे बहुत तेज तेज चल रही है। उसके बाद प्रीति ने उसके चेहरे पर हाथ लगाया तो इस सर्दी के मौसम में भी नेहा का बदन बहुत गर्म था। मानो बुखार से उसका पूरा शरीर तप रहा हो। यह देख कर प्रीति घबरा गई और उसने संतोष को बाहर से तुरंत बुलाया संतोष ने भी आकर देखा कि नेहा को बहुत तेज बुखार है संतोष ने कहा - तुम इसके पास ही रुको मैं अभी बाहर कहीं डॉक्टर हो तो उसे लेकर आता हूँ - इतना बोलकर संतोष बाहर सड़क पर गया और इधर उधर के लोगों से पता करने के बाद पता चला डॉक्टर तो राजपुर में मिल जाएगा। पर संतोष के पास यहाँ पर अभी कोई बाइक वगैरह तो थी नहीं तो संतोष रोडवेज विक्रम में ही बैठकर राजपुर चला गया।
वो राजपुर में एक क्लीनिक पर गया तो पता चला डॉक्टर तो 9:00 बजे से पहले नहीं आते हैं संतोष काफी देर तक यह बैठा हुआ इंतजार कर रहा था लेकिन अभी तो 7 ही बज रहे थे। तभी ने वहाँ लिखे हुए फोन नंबर पर फोन करा और डॉक्टर को जल्दी आने को कह दिया संतोष ने अपने बंगले का एड्रेस बता दिया था और डॉक्टर ने कहा 20 से 25 मिनट में वो उसके घर पहुंच जाएंगे। उसके बाद संतोष फिर क्लीनिक से वापस विक्रम में बैठकर अपने बंगले पर आ गया। घर में पहुंचते ही उसने देखा उसकी वाइफ नेहा को पकड़कर रो रही थी और उसे सैलाने में लगी थी। संतोष ने जाते ही नेहा को गोद में उठा लिया पर नेहा को तो मानो कोई होश नहीं था वो बिल्कुल भी बेशुद थी। और उसकी सांसें बहुत तेज तेज चल रही थी और उसका बदन जलती हुई आग की तरह तप रहा था।
उसके बाद संतोष ने प्रीति को बताया कि डॉक्टर थोड़ी देर में अभी यहां आ जाएंगे। और थोड़ी देर बाद डॉक्टर संतोष के बताए अनुसार उस एड्रेस पर अपनी नैनों से आ गए। संतोष बाहर ही डॉक्टर का इंतजार कर रहा था इसलिए उसे डॉक्टर बाहर गेट पर ही मिले और वो उन्हें लेकर साथ में अंदर गया और उसने बताया कि उसकी बेटी की हालत बहुत ज्यादा खराब है और हम नए-नए इस शहर में आए हैं हमें कुछ ज्यादा पता भी नहीं कहाँ हॉस्पिटल है और कहाँ क्लीनिक वगैरा - पर डॉक्टर जैसे उस बेडरूम में आए जहाँ नेहा लेटी हुई थी तो आश्चर्य की बात तो यह थी कक नेहा जो अब तक बहुत गंभीर हालत में थी उसकी हालत बहुत खराब थी पर डॉक्टर जैसे ही बेडरूम के अंदर पहुंचे वैसे ही नेहा को तुरंत होश आ गया और वो उठ कर बैठ गई।
डॉक्टर ने नेहा को देखा और उसके चेहरे पर हाथ लगाया और उसे थोड़ा चेक करा तो उसे बिल्कुल भी बुखार नहीं था और नेहा बिल्कुल ठीक थी। उसको चेक करने के बाद डॉक्टर ने कहा - कुछ भी तो नहीं हुआ इसको यह बिल्कुल नॉर्मल है - लेकिन संतोष और प्रीति के तो मानव अब होश ही उड़ गए थे। क्योंकि ऐसा कैसे हो सकता है अभी दोनों जने बहुत परेशान थे कि नेहा की कितनी हालत खराब है उसके बावजूद डॉक्टर के आते ही एकदम से कैसे सब ठीक हो सकता है बिना किसी दवाई या किसी मेडिसन के फिर डॉक्टर ने कहा - आपको कोई वेहम हुआ होगा क्यूंकि ठंडी भी ज्यादा है आज इस वजह से बाकी नेहा की तो हालत बिल्कुल ठीक है इसको कुछ नहीं हुआ अच्छा मैं चलता हूँ अब -
डॉक्टर ने कहा लेकिन डॉक्टर जाते जाते हैं थोड़ा रुके और उन्होंने संतोष से कहा - भाई आपको इस घर को किराए पर लेने के लिए किसने कहा था - अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।
इस कहानी के लेखक हैं - रामचंद्र यादव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव
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