ऑटो वाले को मिली डायन || bhoot ki kahani || hindi story my

 




                 ऑटो वाले को मिली डायन 


 नमस्कार मेरा नाम अर्जुन है और मैं एक आटो ड्राइवर हूं। दिन हो या रात जब भी मुझे सवारी मिलती है जहां जाने के लिए कहती है मैं उधर ही जाता हूं। परंतु एक दिन मेरे साथ ऐसी घटना हुई कि अगर मैं उसको याद भी करता हूं तो फिर मैं दहल जाता हूं। क्योंकि वह रात शायद मैं अपनी जिंदगी में कभी ना भूल पाऊंगा। लेकिन मैं आज आपको उस दिन का सारा हाल बताऊंगा की क्या हुआ था मेरे साथ।

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 मैं रोज अपने घर से 8:30 या 9:00 बजे करीबन अपना ऑटो लेकर निकल जाता हूं क्योंकि मेरे घर में 2 छोटे बच्चे हैं जो स्कूल जाते हैं उनको तैयार करने नाश्ता करवा कर स्कूल भेजने में मुझे थोड़ा समय लग जाता है। मेरी पत्नी घर पर नहीं रहती वह कहीं और रहती है इस वजह से मैं रात को बच्चों की वजह से ही घर जल्दी आ जाता हूं रात 9:00 बजे तक अक्सर में घर आ जाता हूं। पर उस दिन मुझे थोड़ा ज्यादा रात हो गई थी सवारी को लेकर थोड़ा दूर जाना था इस वजह से आते आते मुझे लगभग 10:30 बज रहे होंगे। मैंने सोचा अब कहीं रुकना नहीं है सीधा घर ही जाना है तो मैं अच्छी तेज रफ्तार से ऑटो को चला रहा था।

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क्योंकि घर भी बहुत दूर था यहां से लगभग 30 किलोमीटर जाना था इसलिए मैं बहुत तेजी से तो जा रहा था पर रास्ते में एक बड़ा जंगल भी पढ़ता था जो खतरनाक इसलिए माना जाता था क्योंकि वहां हाथी सड़क पर आ जाते थे। कई बार ऐसा होता है उत्तराखंड के पहाड़ों के जंगल में अक्सर ऐसा हो ही जाता है मैं इस समय ऋषिकेश डोईवाला के बीच में जो जंगल पड़ता है वहीं से होकर जा रहा था। अंधेरी रात थी और बहुत सुनसान सड़क थी इस समय पर मुझे यही डर था कि कोई जंगली जानवर ना निकल जाए बाहर। जंगल काफी दूर तक फैला हुआ है उस गहरे सन्नाटे में बस ऑटो की आवाज ही सुनाई दे रही थी। तभी ऑटो की लाइट पड़ी और अचानक मैंने देखा कि एक महिला बिल्कुल रोड पर खड़ी ऑटो को हाथ दे रही है। मैंने सोचा की अंधेरी रात हैं और यह महिला यहां कैसे खड़ी है लेकिन मेरा मन था कि चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन अब मैं ऑटो नहीं रुकूंगा और किसी भी सवारी को नहीं बैठाउगा।

 मुझे बस जल्दी घर जाना है क्योंकि घर में बच्चे अकेले थे तभी मैंने देखा कि वह महिला अचानक से रोड के बीचो बीच आ गई और मैं इतनी जल्दी अपना ऑटो रुक नहीं पाया और मैं अपनी रफ्तार से ऑटो को लेकर निकल गया। लेकिन मैं बहुत हैरान था क्योंकि वह महिला बिल्कुल बीच में आ गई फिर भी मेरी गाड़ी ना उस से टकराई ना मुझे ऐसा भी कुछ महसूस हुआ कि कुछ भी मेरी गाड़ी के आगे आया हो। पर मैं भी गुस्से से बोला मरना है क्या इस पागल औरत को। और मैंने भगवान से शुक्र भी मनाया चलो कम से कम बच्ची तो उस बात को भूल कर मैं गाड़ी तेज ही चला रहा था। लेकिन मैं लगभग आधा किलो मीटर निकल गया होंगा की कि मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे ऑटो में कोई बैठा है मैंने सामने शीशे में देखा वही महिला जो अभी आधा किलोमीटर पहले हाथ दे रही थी। अब मेरे ऑटो में बैठी हुई है उस महिला को अपने ऑटो में बैठे देख मैं बुरी तरह से डर चूका था।

और मैंने सोचा यह कैसे हो सकता है मैंने चिल्लाते हुए कहा - तुम कब बैठी - उस महिला ने तुरंत जवाब देते हुए कहा - क्या भैया जी आपने ही तो गाड़ी रोकी तब मैं बैठी हूं आपने ही तो बैठाया है मुझे - लेकिन मुझे पूरा विश्वास था क्योंकि मैंने तो गाड़ी नहीं रोकी है और ना ही मैंने इसको बैठने को कहा तब यह बैठी कैसे मैं सोच रहा था। तभी मैंने गुस्से में तुरंत ब्रेक मारी और नीचे उतरा मैंने कहा - निकलो बाहर मुझे आपको नहीं ले जाना मुझे अभी बस घर जाना है। - लेकिन उस महिला ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया। अब मेरा पारा गुस्से से आई हो चुका था और मैंने पूरे जोर से ऑटो में जो साइड में परदे लगे हुए होते हैं। तभी मैंने नीचे उतर कर उनको खोला तो मुझे बड़ी जोर का झटका लग चुका था। मेरी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि अब वह महिला ऑटो में नहीं थी। मैंने सोचा यह क्या हो रहा है मेरे साथ यह मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हैं और अब डर के मारे मेरी हालत तो खराब हो ही चुकी थी और उस समय मैं बहुत घबरा गया था।

मुझे लगा कही यह मेरा कोई बहम तो नहीं है पर ऐसा कैसे हो सकता है। मैंने आज शराब भी ज्यादा नहीं पी रखी थी वैसे मैं अक्सर ऑटो चलाने के बाद घर आते समय थोड़ी शराब पी लेता हूं पर आज मैंने ज्यादा नहीं पी थी। क्योंकि मुझे वैसे ही आज बहुत देर हो गई थी और अब इस घटना के बाद मेरा आज बहुत दिमाग खराब हो चुका था। पर मैं फिर भी किसी तरह गाड़ी में बैठा और गाड़ी को स्टार्ट करके तुरंत चलने में ही भलाई समझी अब मैंने सोच लिया था चाहे कुछ भी हो जाए अब मैं गाड़ी नहीं रुकूंगा। और अब मैं गाड़ी को बड़ी तेज स्पीड से भगा रहा था पर शायद आज मेरी किस्मत खराब थी या फिर होनी को कुछ और ही मंजूर था। क्योंकि यह सब बातें भूल कर मैं अब तेजी से निकलना चाहता था। खैर इतना हादसा हुआ है तो भूलना भी आसान नहीं था लेकिन मैं फिर भी जल्दी इस जंगल से बाहर निकल ना चाह रहा था।

 लेकिन तभी मुझे ऐसा लगा कि मुझे किसी ने पीछे से पकड़ लिया हो और मैं थोड़ा शहम सा गया और मैंने जैसे ही इस बार पिछे मूड कर देखा तो अबकी बार वही महिला फिर मेरे ऑटो में दिखी लेकिन इस बार उसका चेहरा बड़ा ही भयानक था और खतरनाक उसने मेरी गर्दन पर हाथ रखा हुआ था। उसको देखकर मानो मेरी सांस ही रुक चुकी थी। और उसने मुझसे बड़ी भयानक आवाज में कहा - क्यों भैया जी हम को नहीं ले जाओगे हम को क्यों नहीं ले जाओगे चलो कोई बात नहीं अब हम ले जाएंगे आपको अब तुम चलोगे मेरे साथ - उस महिला का इतना ही कहना था मेरे हलक से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी तभी वह महिला पीछे की तरफ बड़ी जोर से खींचने लगी। यह सब देख कर मैं अपने आपको संभाल नहीं पा रहा था।

तभी मुझे ऐसा एहसास हुआ कि मेरी गाड़ी किसी चीज से बहुत तेज जाकर टकराई। और अभी मेरी आँखो के आगे अंधेरा सा हो गया और जब मुझे होश आया तो मैं पास के ही जौली ग्रांट हॉस्पिटल में था। मेरे सर पर 12 टांके लगे और अंदरूनी चोट भी लगी मुझे डॉक्टरों ने बताया कि मुझे वन विभाग के पुलिसकर्मी यहां पर लेकर आए। और उन्होंने यह भी बताया कि मेरी हालत बहुत गंभीर थी और मेरा ऑटो एक पेड़ से जा टकराया था। वह मुझे बेहोशी की हालत में हॉस्पिटल लैकर आए थे। अब मैं ठीक हूं लेकिन मैं अब उस हादसे के बाद मैं उस रास्ते से जाने में अभी भी बहुत घबराता हूं।


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