भूतिया घर || bhutiya ghar story in hindi || Hindi story my

 

भूतिया घर

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मेरा नाम मोहित हैं मैं आज लगभग पिछले 5 घंटे से लगातार ड्राइविंग कर रहा हूँ क्यूंकि मैं आज अपने ऑफिस के काम से हरिद्वार से हिमाचल एक हफ्ते के लिए जा रहा हूँ । मुझे वहाँ अपने ऑफिस की तरफ से ही रहने को घर मिला हुआ हैं। वैसे जो घर मुझे वहाँ रहने को मिला हैं वो घर मेरे बॉस के दोस्त का घर हैं पर उस घर में लगभग 10 सालो से कोई नहीं रहता। बस एक चौकीदार ही हैं जो घर को पिछले 10 सालो से रह रहा हैं और मेरे वहाँ जाने की खबर पा कर उसने उस घर में सफाई वगेरा पहले ही करा रखी हैं।
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अब हिमाचल में लगभग उस जगह पहुंचने ही वाला हूँ जहाँ मुझे रहना हैं। पर अब मैं जिस जगह पर हूँ मुझे अब इस जगह से आगे रास्ता पूछते हुए 
ही जाना होगा क्यूंकि इससे आगे का रास्ता अब गूगल मैप को भी नहीं पता। और रास्ता पूछने की लिए मैं कोई इंसान ढूंढ रहा हूँ पर पिछले 10 मिनट से मुझे एक भी आदमी नहीं दिखा हैं। अरे एक मिनट वो सामने से शायद एक आदमी चला आ रहा हैं फिर उसके बाद उस आदमी के पास आते ही मैंने कहा - अरे भैया जरा सुनना तो वो आपको पता हैं की पुतिन कुटी कहाँ पर हैं -

क्यूंकि मुझे जहाँ जाना था लोग उसे पुतिन कुटी के नाम से जानते थे और मेरे बॉस ने भी मुझसे यही कहाँ था वहाँ तुम किसी से भी पुतिन कुटी का नाम पूछ लेना वो तुमको तुरंत रास्ता बता देंगे और कुछ ऐसा ही हुआ मेरे इतना पूछते ही उस आदमी ने मुझे अपने हाथ से इशारा करते हुए कहा - भैया वो जो सामने आपको कच्चा रास्ता दिख रहा हैं उसी रास्ते से सीधा आगे आधा किलोमीटर चले जाओ वही हैं आपकी पुतिन कुटी - पर इतना बोलने के बाद उस आदमी ने अपने चेहरे की रेखा बदली और कहा - भैया जी आप से एक बात पुछु क्या - फिर मैंने तुरंत कहा - हाँ भैया जी पूछो -

फिर उस आदमी ने कहा - भैया आप उस पुतिन कुटी में क्यों जा रहे हैं क्यूंकि उसमे तो कोई भी नहीं रहता बस एक बुड्ढा चौकीदार ही रहता हैं और मुझेतो वो चौकीदार भी कुछ सही नहीं लगता - मैंने उस आदमी की बात सुनकर कहा - भैया मैं वहाँ कुछ समय के लिए वहाँ रहने जा रहा हूँ पर आपको वो चौकीदार क्यों सही नहीं लगता मतलब मैं कुछ समझा नहीं - फिर उस आदमी ने कहा - भैया लोग कहते हैं की वो पुतिन कुटी भूतिया हैं और उस चौकीदार के अलावा कोई वहाँ नहीं रह पाता खुद उस पुतिन कुटी का मालिक भी नहीं -

उस आदमी की बात सुनकर मैंने हस्ते हुए कहा - अरे भाई आज के ज़माने में भी आप कहाँ भूत वूत की चक्कर में पड़े हैं और वैसे आप मज़ाक बहुत बढ़िया कर लेते हैं अच्छा मैं चला हूँ और हाँ रास्ता बताने के लिए आपका धन्यवाद - इतना बोलकर मैं अपनी गाड़ी स्टार्ट करी और चल दिया उस पुतिन कुटी की ओर फिर उसके बाद लगभग 5 मिनट में वहाँ पहुंच भी गया। और मैं जैसे ही वहाँ पंहुचा तो मैंने देखा जहाँ मुझे रहना था वो पुतिन कुटी वो देखने में बड़ी ही पुरानी लग रही थी और शायद वो देखने में इसलिए पुरानी लग रही थी क्यूंकि लगभग 10 या 12 सालो से इसमें पेंट नहीं हुआ होगा। मैंने वहाँ पहुंचते ही अपनी गाड़ी का होरन मारा क्यूंकि उस पुतिन कुटी का गेट अंदर से बंद था।

मैं बाहर गाड़ी में बैठे बैठे बस यही सोच रहा था की - इसका नाम किसने रखा होगा क्यूंकि यह देखने में एक महल जैसा हैं पर नाम पुतिन कुटी - मैं यही सब सोच रहा था तभी मैंने देखा एक बूढ़ा आदमी उस घर से निकल कर बाहर आया और उसने आके फिर गेट खोला और कहा - आ जाओ सहाब जी - उसके बाद मैं अपनी गाड़ी गेट के अंदर ले गया फिर मैंने गाड़ी वही खड़ी करी और जैसे ही मैं अपना बेग लेकर अंदर जाने को हुआ तभी पिछे से चौकीदार ने कहा - रोकिये सहाब जी मैं आप को आपका कमरा दिखा देता हूँ -

फिर उसके बाद वो बूढ़ा चौकीदार मेरे आगे आगे चलने लगा और मैं उसके पिछे पिछे। पर जैसे ही मैंने उस घर को अंदर से देखा तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गई क्यूंकि वो घर घर नहीं था बल्कि एक महल था। उसके बाद वो चौकीदार मुझे मेरे कमरे तक ले गया। और वो जैसे ही वापस जाने को हुआ तभी मैंने उससे कहा - अरे काका यहाँ कोई आस पास ढाबा वाबा हैं क्या - फिर उस चौकीदार ने कहा - जहाँ से तुम अभी आए थे उधर से ही उल्टे हाथ की तरफ मूड जाना वहाँ एक ढाबा हैं - फिर उसके बाद मैं अपना सामान वगेरा वही अपने कमरे में रख कर सीधा अपनी गाड़ी से ढाबे की तरफ निकल गया।

और थोड़ी ही देर मैं वहाँ पहुंच कर खाना खाने लगा और जैसे ही मैं खाना खा कर वापस जाने को जैसे ही हुआ तभी मुझे उस ढाबे वाले ने कहा - भैया आप किस तरफ जा रहे हैं अगर आप नीचे की तरफ जा रहे तो इस लड़के को भी नीचे तक छोड़ देना - फिर मैंने कहा - नहीं भैया में तो उस पुतिन कुटी की तरफ जी रहा हूँ - मेरे इतना बोलने के बाद पता नहीं उस ढाबे वाले को क्या की उस ढाबे वाले के भी चेहरे की रेखा बदलने लगी और उसने कहा - भैया आप उस पुतिन कुटी में क्या करने जा रहे हैं वहाँ तो कोई भी नहीं जाता - फिर मैंने कहा - भैया मैं वहाँ कुछ समय के लिए रहने को आया हूँ -

फिर उस ढाबे वाले ने कहा - भैया आपको नहीं पता क्या उस पुतिन कुटी के बारे में - फिर मैंने कहा - क्या नहीं पता मतलब कही आप भी तो यही नहीं बोलने वाले की वो एक भूतिया घर हैं - फिर उस ढाबे वाले ने कहा - हाँ भैया क्यूंकि वो एक भूतिया घर हैं पर मैं आपको एक बात और कहूंगा की आप पुतिन कुटी की जगह दूसरे घर में रहे तो ही सही होगा - फिर मैंने थोड़ा सा हस्ते हुए कहा - भैया मुझे इन भूतों पर बिलकुल भी विश्वास नहीं हैं - इतना बोलकर मैं फिर से वापस पुतिन कुटी में आ गया।

और मैं जैसे ही अपने कमरे में जा रहा था तभी पिछे से मुझे चौकीदार ने आवाज लगाई और कहा - सहाब जी एक बात सुनना जरा - चौकीदार आवाज सुनकर मैं पिछे मुड़ा और बोला - हाँ काका जी बोलिए - फिर उस चौकीदार ने कहा - सहाब ही अगर आपको रात में किसी की आवाज आती हैं या फिर ऐसा लगे की कोई आपको बोला रहा हैं तो उस पर ज्यादा ध्यान मत देना -

अभी कहानी खत्म नहीं हुई हैं बल्कि अभी तो असली कहानी शुरू हुई हैं यानी आगे की कहानी अब अगले एपिसोड में हैं।



इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव



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