भूतिया घर E-2 || bhayankar bhoot ki kahani || Hindi story my

 

भूतिया घर E-2


मैं अपने कमरे जैसे ही जा रहा था तभी चौकीदार ने मुझे पिछे से आवाज मारी और कहा - सहाब ही अगर आपको रात में किसी की आवाज आती हैं या फिर ऐसा लगे की कोई आपको बुला रहा हैं तो उस पर ज्यादा ध्यान मत देना - चौकीदार की बात सुनकर मैंने बड़ी ही हैरानी के साथ कहा - मतलब मैं कुछ समझा नहीं आप कहना क्या चाहते हैं किसकी आवाज और कौन मुझे बुलाएगा -
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फिर उस चौकीदार ने कहा - मतलब यही की तुम्हे रात में किसी की आवाज आती या फिर ऐसा लगे जैसे आपको को कोई बुला रहा हो तो उस आवाज को अनसुना कर देना - इतना बोलकर वो चौकीदार वहाँ से चला तो गया पर मुझे अभी भी उस चौकीदार की बात समझ में नहीं आई थी। पर मैंने इस पर कुछ ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने कमरे में जाकर लेट गया। पर लेटे लेटे मेरे दिमाग़ में ढाबे वाले और उस आदमी की बात चल रही थी जिसने मुझे रास्ता बताया था।

और मैं यही सोच रहा था की ऐसा क्या हैं इस घर में जो यहाँ ले लोग इस घर का नाम सुनकर ही डर जाते हैं और यही सब सोचते हुए मेरी आँख भी पता नहीं कब लग गई। और फिर ना जाने पता नहीं कितनी देर में मेरी आँख फिर खुली तो मुझे अपने कमरे के बाहर से उसी बूढ़े चौकीदार की आवाज बड़ी तेज तेज सुनाई देर रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी से बात कर रहा हो। वो चौकीदार किसी से बात करते हुए बोल रहा था - वो बस एक हफ्ते के लिए यहाँ आया हैं उसे कुछ मत करो अरे वो चला जाएगा - चौकीदार की ऐसी बाते सुनकर मैं यह देखने के लिए अपने बिस्तर से उठा की यह चौकीदार किस से बाते कर रहा हैं

और यही देखने के लिए मैंने जैसे ही अपने कमरे का दरवाजा खोला तो मैंने देखा चौकीदार के साथ तो कोई भी नहीं था वो अकेले में ही बाते कर रहा था। यह देखकर मैंने जैसे ही चौकीदार को आवाज लगाई - अरे काका किस से बाते कर रहे हो - मेरे इतना ही बोलने के बाद पता नही किसने एकदम से मेरा गला पकड़ लिए और बड़ी तेजी से दक्का देते हुए मेरे कमरे के अंदर ले गया और मुझे दीवार से चिपका कर ऊपर उठा दिया। पर मुझे वो नहीं दिख रहा था जिसने मेरा गला पकड़ा हुआ था। उस समय मेरा दम उखड़ने लगा था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा अभी दम निकल जाएगा।

पर तभी उस बूढ़े चौकीदार ने कमरे अंदर आकर बड़ी जोर से कहा - जोड़ उसे मैंने कहा ना वो बस एक हफ्ते के लिए यहाँ आया हैं मैं कहता हूँ जोड़ उसे - और उस चौकीदार के इतना बोलते ही जिसने भी मेरा गला पकड़ा हुआ था उसने तुरंत छोड़ दिया। फिर उसके बाद मैंने थोड़ी देर बैठे बैठे सही से सांस ली क्यूंकि मेरा गला पकड़ने की वजह से मेरे से सही से सांस भी नहीं ली जा रही थी। और उसके बाद मैं बैठे बैठे सांस ही ले रहा था तभी उस चौकीदार ने मुझे कहा - मैंने आप से कहा था अगर किसी की आवाज आए तो उसे अनसुना कर देना अभी मैं यहाँ नहीं होता तो पता नहीं क्या हो जाता और हाँ आगे से ध्यान रखना अब सुबह से पहले कमरे से बाहर मत निकलना - 

इतना बोलकर वो चौकीदार तो वहाँ से चला गया। पर मैं अभी भी यही सोच रहा था की आखिर वो था क्या पर उसके बाद मैंने अपने आप को थोड़ा सभाला और वहाँ से उठकर अपने कमरे का दरवाजा बाद करा और सीधा फिर अपने बिस्तर पर आकर लेट गया। पर जो अभी मेरे साथ हुआ उसके बाद तो अब नींद आने से थी फिर भी मैं सोने की कोशिश करने लगा। और काफ़ी देर तक लेटे रहने के बाद भी जब मुझे नींद नहीं आई मैं फिर अपने बिस्तर से उठा और अपने कमरे में ही टहलने लगा।

और टहलते टहलते मैं जैसे ही अपने कमरे की खिड़की के पास पंहुचा तो जैसे ही मैंने खिड़की से बाहर देखा तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गई और मुझे अपनी आँखो पर से ही विश्वास हट गया क्युकी मैंने देखा घर के बाहर मेरी बीवी भागती हुई चली आ रही हैं और उसके पिछे एक बिना सर वाला आदमी भागा चला आ रहा हैं। मैं वही से खड़े खड़े बस यही सोच रहा था की ये हो कैसे सकता हैं क्यूंकि मेरी बीवी तो हरिद्वार में दी और मैंने बस उसे यही बताया था की मैं हिमाचल जा रहा हूँ पर मैं ये नहीं बताया था की मैं हिमाचल में कहाँ जा रहा हूँ।

मैं वहाँ खड़े खड़े यही सब सोच रहा था तभी नीचे मेरी बीवी की आवाज आने लगी वो बोल रही थी - मोहित मुझे बचा लो मोहित मुझे बचा लो - मैंने जैसे ही ये सुना मैं तुरंत भागता हुआ अपने कमरे से बाहर निकला और जैसे ही मैं बाहर के दरवाजे तक पंहुचा तभी एकदम से मेरे आगे वही चौकीदार खड़ा हो गया और तभी मैंने उससे कहा - हट जाओ काका बाहर मेरी बीवी खतरे में हैं - मेरी बात सुनकर उस चौकीदार ने कहा - बाहर तुम्हरी बीवी नहीं हैं वो मौत हैं अगर तुमने यह दरवाजा खोल दिया तो तुम्हे मैं भी नहीं बचा पाउँगा - फिर मैंने कहा - अरे मेरी बीवी हैं बाहर मैंने अपनी आँखो से देखा हैं -

फिर उस चौकीदार ने कहा - वो तुम्हरी बीवी नहीं बल्कि एक छलावा हैं और हाँ इस पुतिन कुटी के बाहर बस एक ही छलावा नहीं बल्कि बहुत सारे छलावे हैं तभी लोग यहाँ आने से भी डरते हैं - फिर मैंने कहा - पर उस छलावे को कैसे पता मेरी बीवी कैसी दिखती हैं और उसकी आवाज कैसी हैं - फिर चौकीदार ने कहा - छलावे हमारे अंदर की सारी बाते जान जाते हैं और वो ये भी जान जाते हैं की हम किस चीज से उनकी जाल में फाश सकते हैं - उसकी सारी बाते सुनने के बाद मैं कहा - चलो ये मान लिया वो छलावे हैं पर जो इस घर के अंदर हैं वो कौन हैं फिर जिसने अभी थोड़ी देर पहले मेरा गला पकड़ा था - 

अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।


इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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