भूतों की टोली, horror story, hindi horror story, bhooto ki toli

 

                     भूतों की टोली


शर्दी के मौसम में समय का कुछ पता ही नहीं चलता । सिद्धार्थ के साथ भी ऐसा ही हुआ। सिद्धार्थ रोज सुबह रनिंग के लिए जाता हैं पर आज सिद्धार्थ को समय का कुछ पता ही नहीं चला था। सिद्धार्थ जब सुबहे उठा तो उसे लगा की आज वो रनिंग के लिए लेट हो गया हैं।
सिद्धार्थ बिना टाइम देखे ही जल्दी से रनिंग के लिए रेडी होता हैं। सिद्धार्थ कहता हैं - अरे यार आज कुछ टाइम का पता ही नहीं चला सब रनिंग के लिए आ गए होंगे बस मैं ही लेट हो गया यही सब बोलते होए घर से निकल जाता हैं। सिद्धार्थ बाहर देखता हैं बाहर अभी भी अंधेरा था। अरे मैं लेट हो गया हूँ या फिर आज कुछ जल्दी ही उठ गया हूँ बाहर अभी तक कोई नहीं आया चलो कोई नहीं आज थोड़ा जल्दी ही सही जब तक मैं वार्म उप करूंगा तब तक सभी आ जायेंगे यहाँ बोल कर सिद्धार्थ ग्राऊंड की ओर जाने लगता हैं जहाँ वो और उसके दोस्त रनिंग के लिए जाते थे। ग्राऊंड उसके घर से लग भग दो किलोमीटर की दुरी पर था। सिद्धार्थ कुछ ही आगे गया था। तो उसे लगता हैं उसके साथ और भी लोग भाग रहे थे। सिद्धार्थ इस पर कुछ ज्यादा ध्यान नहीं देता वो अपनी रनिंग करता रहता हैं।
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सिद्धार्थ अपनी रनिंग कर ही रहा था तभी उसकी नजर उसके बगल में भग रहे सुरेश पर पड़ी जब सिद्धार्थ ने सुरेश को देखा तो जैसे उसका खून जम सा गया था।
सिद्धार्थ को सर्दी में भी पसीना आने लगा था । उसकी आँखे बड़ी होने लगी थी क्यूंकि सुरेश तो एक साल पहले मर चूका था। सिद्धार्थ यही सोच रहा था। की यह कैसे हो सकता हैं। सुरेश कैसे आ सकता था। तभी उसने अपने साथ भाग रहे और लोगो को देखा तो सिद्धार्थ को ऐसा लगा जैसे उसके अंदर का खून भाप बन कर उड़ गया हो। क्यूंकि उस सड़क पर भाग रहे लोगो में से वो एक लौता जिन्दा इंसान था। सिद्धार्थ ने देखा उन सब के चेहरे सफ़ेद और फटे थे। किसी की आँखे नहीं थी और उन सबके चेहरे से खून निकल रहा हैं और उन सबके पैर उल्टे थे डर क्या होता हैं कोई उस समय सिद्धार्थ से पूछे। सिद्धार्थ के साथ भाग रहे सभी इंसान नहीं थे। क्यूंकि सिद्धार्थ आज रात को ही रनिंग के लिए आ गया था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करें। तभी वो सोचता हैं की वो घर की ओर लौट जाए। जैसे ही सिद्धार्थ घर जाने के लिए रुका तभी वो देखता हैं जो सब उसके साथ अभी तक भाग रहे थे वो सब भी उसके साथ रुक गए थे। और सुरेश भी रुक गया था। सिद्धार्थ ने देखा वो सब उसे ही देखे जा रहे थे ।


तभी सुरेश बड़े प्यार से कहता हैं रुक क्यों गए सिद्धार्थ आओ हमारे साथ चलो - सिद्धार्थ ना चाहते हुए भी उनके साथ जाने लगता हैं सिद्धार्थ के साथ चलते हुए सुरेश बोलता हैं। - यह दुनियाँ बहुत बुरी हैं सिद्धार्थ और उनमे से कोई तुम्हारा नहीं हैं। और हम सब तेरे दोस्त हैं और हम तुझे ही लेने आए हैं - सिद्धार्थ उनकी बात सुन तो रहा था पर वो यही सोच रहा था की वो कैसे यहाँ से जाए। सुरेश अपनी बात जारी रखते हुए कहता हैं - सिद्धार्थ अब हम तुझे अपने साथ ले चलेंगे इस बुरी दुनियाँ से दूर - सिद्धार्थ समझ चूका था वो इनके साथ अब ओर चला तो वो नहीं बजेगा। सिद्धार्थ को याद आता हैं सुरेश को भी रनिंग का शौक था। और वो भी एक दिन रात को ही रनिंग के लिए निकल गया था। और उस ही दिन उसकी मौत हो गई थी। जब सुबह हुई थी तो सुरेश की लाश मिली थी।
 कहते हैं रात का समय मरे हुए लोगो का होता हैं। और सिद्धार्थ भी उनके ही समय में आ गया था। सिद्धार्थ अब फैसला करता हैं वो उनके साथ नहीं जायेगा। सिद्धार्थ रुक जाता हैं इस बार भी सब रुक जाते हैं और एक साथ भयानक आवाज में बोलते हैं । चोलो सिद्धार्थ चलो - पर सिद्धार्थ इस बार नहीं चलता हैं। इस बार वो सब गुस्सा करते हुए सिद्धार्थ को देखने लागते हैं। और सिद्धार्थ की ओर बढ़ने लागते हैं।


सिद्धार्थ की दिल की धड़कन दोगनी हो चुकी थी। सिद्धार्थ के हाथ पैर कापने लगे थे। वो सब अभी भी सिद्धार्थ के पास ही आते जा रहे थे। सिद्धार्थ इस बस उनके बगल से निकल कर जोर से अपने घर की ओर भागने लगता हैं। सिद्धार्थ अपनी पूरी ताकत के साथ भागे जा रहा था भागते-भागते कुछ ही देर में अपने घर के गेट के पास आ जाता हैं। सिद्धार्थ अपने घर के गेट के पास आकर रुक जाता हैं। वो देखता हैं उसके गेट के पास सुरेश खड़ा था। वो उसे बड़े गुस्से से देखे जा रहा था। सिद्धार्थ उसे देख कर रोते हुए कहता हैं - मुझे जाने दो सुरेश प्लीज मुझे जाने दो - सिद्धार्थ के रोने का सुरेश पर कोई अशर नहीं हो रहा था। और होता भी कैसे सुरेश अब कोई इंसान नहीं बल्कि एक आत्मा था। और वो आत्मा यह फैसला कर चुकी थी की आज सिद्धार्थ को वो अपने साथ ही लेकर जाना चहती थी।


सिद्धार्थ रोते हुए बोलता हैं - मेरी क्या गलती हैं भाई मुझे जाने दे ना - सुरेश बोलता हैं - जो मेरी गलती थी वही गलती तेरी हैं।- सिद्धार्थ डरते हुए बोलता हैं - मतलब मैं कुछ समझा नहीं - सुरेश सिद्धार्थ की बात सुनकर बोलता हैं - मैं भी गलती से रात को आ गया था और तू भी। अब तुझे हमारे साथ चलना होगा। -  देखते-देखते सिद्धार्थ के पीछे वो सब भी आ गए थे। उनमे से एक बिना आँख वाला आदमी जिसकी आँख वाली जगह से खून लगातार निकले जा रहा था। वो  सिद्धार्थ के पास आता हैं और कुछ धीमी आवाज में बोलते हुए सिद्धार्थ के सीने में हाथ लगाता हैं। तभी पीछे से वो सभी भूत मिलकर उसके पास आने लगे थे। सुरेश बोलता हैं डरो मत सिद्धार्थ यह सब अपने लोग हैं। अभी थोड़ा दर्द होगा पर उसके बड़ सारा दर्द खत्म हो जायेगा।


सिद्धार्थ डर के मारे नीचे बैठ जाता और अपनी आँखे बंद कर लेता हैं। तभी उसके कंधे कोई हाथ रखता हैं। सिद्धार्थ डरते हुए बोलता हैं मुझे जाने दो मुझे जाने दो - तभी उसकी बात का जवाब देते हुए कोई बोलता हैं - क्या हो गया भाई और किसे बोल रहा हैं जाने देने के लिए - सिद्धार्थ वो आवाज सुनकर आँखे खोलता हैं तो देखता हैं उसके सामने विकास खड़ा था। विकास सिद्धार्थ का दोस्त था जो सुबह अपनी रनिंग के लिए आया था। सिद्धार्थ डरते हुए बोलता हैं। - वो सब कहाँ गए - सिद्धार्थ की बात सुनकर विकास बोलता हैं कौन सब यहाँ तो कोई नहीं हैं। और बोलेगा भी तुझे हुआ क्या हैं। सिद्धार्थ बोलता हैं ना अभी यहाँ बहुत सारे लोग थे और साथ में सुरेश भी था - विकास झाट से पूछता हैं - कौन सुरेश -सिद्धार्थ विकास की बात का जवाब देता हैं। - अरे वही रोहित का भाई - विकास हैरानी के साथ बोलता हैं - तू पागल तो नहीं हैं भाई वो सुरेश एक साल पहले ही मर चूका हैं। तुझे कोई  वैहम हो गया होगा।


सिद्धार्थ विकास की बात का कोई जवाब नहीं देता वो जनता था यह उसका कोई वैहम नहीं था। सिद्धार्थ विकास से पूछता हैं - अच्छा भाई टाइम क्या हुआ हैं - विकास अपना मोबाइल निकल कर टाइम देख कर बोलता हैं - 4 बज के 10 मिनट हुए हैं - सिद्धार्थ समझ जाता हैं वो सब गायब कहाँ हो गए थे। सुबह के 4 बज चुके थे और चार बजे से ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाता हैं इस समय कोई भी बुरी शक्ति नहीं आ सकती। सिद्धार्थ की जान भी इसी वजह से बजी थी।







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