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कब्रिस्तान से आया पिज़्ज़ा का आर्डर


ऋषि रात के 10 बजे अपनी बाइक पर बैठ कर अपनी डिवटी ख़तम होने का इंतजार कर रहा था। ऋषि एक फ़ूड डिलीवरी बॉय था । जिसकी डिवटी 11 बजे ख़तम होती थी। ऋषि इंतजार ही कर रहा था। तभी उसके फ़ोन में एक आर्डर आया। आर्डर किसी विनोद कुमार नाम से एक  पिज़्ज़ा का आर्डर था और उसके पास के ही रेस्टोरेंट से था। ऋषि जल्दी से रेस्टोरेंट में जाता हैं। और आर्डर लेकर डिलीवरी करने जाने लगता हैं । आर्डर की डिलीवरी रेस्टोरेंट की लोकेशन से पाँच किलोमीटर की दुरी पर थी।

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ऋषि 80 की स्पीड से जल्दी से आर्डर की लोकेशन पर पहुंच जाता हैं। लोकेशन एक कब्रिस्तान की थी। लोकेशन पर पहुंच कर ऋषि अपने आप से कहता हैं। - यार गलत लोकेशन ये लोग आर्डर तो कर लेते हैं पर लोकेशन गलत डाल देते हैं - यही सब बोलते हुए ऋषि आर्डर के नीचे दिए नम्बर पर कॉल करने लगता हैं। एक दो ही रिंग में कॉल रिसीव हो जाता हैं कॉल रिसीव होते ही ऋषि बोलता हैं। - हेलो सर मैं ऋषि आपका पिज़्ज़ा का आर्डर लेकर आया हूँ सर आप मुझे अपना सही एड्रेस बता दीजिये वो सर ये GPS मुझे लागत लोकेशन पर ले आया हैं। - ऋषि की बात सुनकर दूसरी ओर वाला आदमी बोलता हैं - आप अभी कहाँ हैं - ऋषि उस आदमी की बात का जवाब देता हैं - मैं अभी कब्रिस्तान के गेट के आगे हूँ GPS मुझे यहाँ लेआया हैं - ऋषि की बात सुन कर वो आदमी बोलता हैं - तुम बिलकुल सही जगह पर हो। तुम कब्रिस्तान का गेट खोलकर अंदर आ जाओ मैं अभी अंदर ही हूँ।


यह सुनकर ऋषि को बड़ा अजीब लगाता हैं। पर वो सोचता हैं - क्या पता ये आदमी कब्रिस्तान का चौकीदार हो। इसलिए तो इतनी रात को भी कब्रिस्तान के अंदर हैं।

ऋषि ठीक हैं सर बोलकर फ़ोन रख देता हैं

ऋषि यही सोच रहा था की वो अंदर जाए या नहीं ऋषि अपने आप से बोलता हैं - नहीं यार मैं आर्डर केंसिल नहीं कर सकता आर्डर केंसिल करा तो फालतू की पैनल्टी लग  जाएगी जितना आज काम करा हैं सब देना पड़ जाएगा। ऋषि ना चाहते हुए भी कब्रिस्तान के अंदर जाने लगता हैं। ऋषि कब्रिस्तान के अंदर आ तो गया था पर उसे ना जाने क्यों थोड़ा डर लग रहा था। कब्रिस्तान के अंदर आकर देखता तो उसे वहाँ कोई नहीं दिखता। ऋषि को जब अंदर कोई नहीं दिखता तो वो बोलता हैं। - अरे यार यह चौकीदार का कमरा कहाँ हैं - ऋषि यह पूछने के लिए उस आदमी को फ़ोन करने लगता हैं।



 ऋषि जब उस आदमी को फ़ोन करता हैं तो दूसरी ओर से आवाज आती हैं। - आपके द्वारा देईल किया गया नम्बर अमान्य हैं। - ऋषि हैरानी के साथ बोलता हैं - ये कैसे हो सकता हैं अभी तक तो इस ही नम्बर से बात हो रही थी और अब नम्बर गलत बता रहा हैं गैर छोड़ो मुझे क्या कंपनी में बोल देता हो सर कस्टमर का नम्बर नहीं लग रहा और आर्डर केंसिल हो जायेगा और फ्री का पिज़्ज़ा मिल जायेगा। ऋषि जैसे ही अपना फ़ोन कंपनी में लगाने जा रहा था तभी उसका पैर किसी चीज से टकरा जाता हैं और वो नीचे गिर जाता हैं। ऋषि उड़ते हुए अपने  फ़ोन की टोर्च जला कर देखने की कोशिश करता हैं की वो किस चीज से टकरा कर गिरा था।


 ऋषि जब अपने फ़ोन की टोर्च जलाता हैं तो वो देखता हैं की वो एक क़ब्र से टकरा कर नीचे गिर गया था। और उस क़ब्र पर लिखा था लेट विनोद कुमार जैसे ही ऋषि यह पढ़ता हैं तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती हैं। ऋषि डर से कप ही रहा था तभी। उसके पीछे से एक आवाज आती हैं। - हाँ भैया मेरा ही आर्डर हैं मैं ही विनोद कुमार हूँ - ऋषि आवाज सुनकर जैसे ही अपने पीछे मोड़ता हैं। वो देखता हैं उसके पीछे एक 25-26 साल का लड़का खड़ा था। ऋषि उसको देखकर डरे ही जा रहा था। तभी विनोद ऋषि से बोलता हैं - अरे क्या हो गया भाई तुम इतना डर क्यों रहे हो - ऋषि पहले तो कुछ नहीं बोलता फिर डरते डरते बोलता हैं। - वो-वो क़ब्र पर आपका ही नाम लिखा हैं - ऋषि की बात सुनकर वो आदमी बोलता हैं।- अबे भाई क्या एक नाम के और लोग नहीं हो सकते - ऋषि को उसकी बात सही लगती हैं


और वो उसको  उसका आर्डर देता हैं और शक करते हुए बोलता हैं। -आप इतनी रात को कब्रिस्तान में क्या कर रहे हैं फिर - ऋषि की बात सुनकर वो आदमी बोलता हैं - मैं यही रहता हूँ - यही बोलकर वो आदमी कब्रिस्तान के ओर अंदर जाने लगता हैं । उस आदमी का ऐसा वैवार देख कर ऋषि को बड़ा अजीब लगता हैं। ऋषि उस आदमी को जाते देख ही रहा था तभी उसके पीछे से एक आवाज आती हैं। - अरे कौन हैं मैं कहता हूँ कौन हैं वहाँ - ऋषि आवाज सुनकर पीछे मूड कर देखता हैं।


वहाँ एक 60-65 साल का आदमी खड़ा था उसके कपडे देख कर लग रहा था वो वहाँ का चौकीदार था। अरे कौन हो बेटा तुम और इतनी रात को इस कब्रिस्तान में क्या कर रहे हो - ऋषि उस आदमी की बात का जवाब देते हुए बोलता हैं। अंकल मैं एक डिलीवरी बॉय हूँ और मैं यहाँ पिज़्ज़ा डिलीवरी करने ही आया था। - ऋषि की बात सुनकर वो चौकीदार बड़ी हैरानी के साथ बोलता हैं - पिज़्ज़ा डिलीवरी करने पर किसको - ऋषि जवाब देता हैं। - यहाँ जो दूसरे चौकीदार हैं ना उनको - चौकीदार ऋषि की बात सुनकर अपनी आँखे बड़ी करते हुए बोलता हैं - दूसरा चौकीदार अरे बेटा ये कब्रिस्तान हैं कोई बैंक नहीं जो दो तीन चौकीदार हो यहाँ बस एक ही चौकीदार हैं वो भी बस दिन के टाइम के लिए वैसे उसने अपना नाम क्या बताया था -


ऋषि झट से बोलता - विनोद कुमार - विनोद कुमार का नाम सुनकर वो आदमी बोलता हैं - वो सामने देख रहे हो वो उसकी ही क़ब्र हैं और अब तुम यहाँ से जल्दी चले जाओ नहीं तो यहाँ कुछ भी हो सकता हैं। ऋषि उस आदमी की बात सुनकर बोलता हैं - कुछ भी अब आप कुछ भी बोलोगे क्या अंकल आज मैं ही मिला क्या आपको डराने के लिए।


चौकीदार अपनी गंभीर आवाज में बोलता हैं - क्या तुमने ये नहीं सोचा की वो आदमी इतनी रात को कब्रिस्तान में क्या कर रहा हैं और वो अब कहाँ गया। - ऋषि चौकीदार को अपने हाथ से इशारा करते हुए बोलता हैं - वो उस ओर गया था पता नहीं अब कहाँ चला गया - यही बोल कर जैसे ही ऋषि चौकीदार की ओर देखता हैं तो चौकीदार वहाँ नहीं था। ऋषि डरते हुए बोलता हैं - अरे ये अंकल कहाँ चले गए अभी तो यही थे। ऋषि सब समझते देर नहीं करता और कब्रिस्तान के बाहर की ओर भागने लगता हैं ऋषि जैसे ही के कब्रिस्तान गेट के पास पूछता हैं तो देखता हैं कब्रिस्तान के गेट में बाहर से ताला लगा था। ऋषि डरा हुआ तो पहले से ही था तभी उसको और डराने के लिए उसके पीछे से एक आवाज आती हैं। - अरे बेटा तुम अभी तक यहाँ से गए नहीं क्या - ऋषि आवाज सुन कर जैसे पीछे मुड़ता हैं तो वो देखता हैं यही चौकीदार उसके सामने खड़ा था पर इस बार वो कुछ अलग लग रहा था। इस बार उसका चेहरा सूखा और सफ़ेद था


 वो चौकीदार ऋषि के पास आते हुए बोलता हैं - तुम अभी तक गए नहीं मैंने कहा था ना चले जाओ पर तुम नहीं गए लगता हैं तुम्हे यह कब्रिस्तान पसंद आ गया हैं - यही बोलते हुए वो चौकीदार ऋषि के पास आते जा रहा था। ऋषि का उस चौकीदार को पास आते देखकर ऋषि की सांसे रुकने सी लगी थी। वो चौकीदार जितना पास आते जा रहा था वो उतना ही भयानक होते जा रहा था। चौकीदार ऋषि के पास आ कर बोलता हैं - मैंने कहा था ना तुम यहाँ से चले जाओ पर तुम नहीं गए ना। चलो कोई नहीं अब मैं तो तुम्हे कुछ नहीं करूंगा पर वो तुझे नहीं छोड़ेगी  - ऋषि डरते हुए पूछता हैं कौन नहीं छोड़ेगी। -


चौकीदार ऋषि को उसके पीछे देखने का इशारा करता हैं। जैसे ही ऋषि अपने पीछे देखता हैं तो ऋषि को ऐसा लग रहा था जैसे उसका दिल अभी छाती फाड़ कर बाहर आ जायेगा क्यूंकि ऋषि के सामने कोमल खड़ी थी। कोमल को सामने देखकर ऋषि को सब समझ आ गया था उसके साथ यह सब क्यों हो रहा। कोमल ऋषि की गर्लफ्रेंड थी जिसे ऋषि ने 1 साल पहले पिज़्ज़ा में जहर देकर मार दिया था। और अब कोमल के हाथ में भी एक पिज़्ज़ा का बॉक्स था।


कोमल वो पिज़्ज़ा का बॉक्स ऋषि के पास लाती हैं और बड़े प्यार से बोलती हैं - ये लो ऋषि मैं ये पिज़्ज़ा मैं खाश तुम्हारे ही लिए लई हूँ । - ऋषि जैसे ही उस पिज़्ज़ा के बॉक्स की तरफ देखता हैं तो उसको दिखता हैं उसमे एक हाथ कटा हुआ रखा था। ऋषि जैसे ही उस हाथ को देखता हैं तो उसको ऐसा लगने लगा था जैसे उसका एक हाथ कट गया हो। जैसे ही ऋषि अपने हाथ की ओर देखता हैं तो वो देखता हैं जो उस बॉक्स में हाथ था वो और किसी का नहीं बल्कि उसी का हाथ था। ऋषि अपना हाथ देखकर दर्द से तड़पने लगा था तभी कोमल अपनी ड्रावनी मुस्कान के साथ बोलती हैं - इसे खाओ ऋषि - ऋषि रोते हुए बोलता हैं - मुझे माफ कर दो कोमल मुझसे गलती हो गई - कोमल अपनी गंभीर आवाज में बोलती हैं - मैंने कहा इसे खाओ ऋषि मतलब इसे खाओ । - जैसे ही उस बॉक्स को पकड़ने के लिए ऋषि अपना हाथ आगे करता हैं वो देखता हैं उसका दूसरा हाथ भी कटा हुआ था। ऋषि दर्द और डर से तड़पे जा रहा था और कोमल मुस्कते हुए ऋषि का दिल देखते ही देखते चहती से निकल लेती हैं।

ऋषि ने अपने हाथो से कोमल को जहर दिया था तो उसने सबसे पहले ऋषि के हाथ कटे और फिर उसने कोमल के दिल के साथ खेला था इस लिए कोमल ने उसका दिल ही निकल लिया था।


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