रोहित गाँव से शहर नौकरी करने आया था और वो यहाँ घर में अकेले ही रहता था। रात के 9 बजे रोहित अपना डिनर कर के अपने कमरे में बैठ कर फ़ोन चला रहा था। तभी उसके घर के बाहर से दरवाजा खट खटाने की आवाज़ आई। रोहित दरवाजा खोलने को उठा और यह सोच ही रहा था - कौन होगा इतनी रात को मैं तो यहाँ किसी को ज्यादा जानता भी नहीं हूँ - और जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो देखा उसके सामने विनोद खड़ा था।
#
इस कहानी को ऑडियो में सुने
विनोद उसके ही गाँव का लड़का था विनोद को देखकर रोहित बड़े हैरानी के साथ बोलता हैं - अरे तू यहाँ और तुझे कैसे पता चला मैं यहाँ रहता हूँ। - विनोद रोहित की बात का जवाब देते हुए बोलता हैं - बस पता लगा लिया मैंने क्यों तुझे पसंद नहीं आया क्या जो मैं यहाँ आया - रोहित अपनी झूठी मुस्कान के साथ बोलता हैं - अरे ना यार मुझे क्यों नहीं अच्छा लगेगा तू मेरा दोस्त जो हैं चल अब ये सब छोड़ तू अंदर आ - रोहित विनोद को घर के अंदर बैठा कर चाय बनाने चला जाता हैं।
रोहित चाय बना ही रहा था तभी उसके फ़ोन की रिंग बजी फ़ोन देखा तो पता चला अभिषेक फ़ोन का था अभिषेक भी रोहित के गाँव का ही था। रोहित फ़ोन को अपने कान से लागते हुए बोलता हैं - और भाई क्या हाल हैं - दूसरी ओर से अभिषेक अपनी दुःख भरी आवाज में बोलता हैं - अबे यार हाल को छोड़ पहले ये बता की तुझे पता चला विनोद की आज सुबह ही मौत हो गई हैं - रोहित बड़े ही हैरानी के साथ बोलता हैं - क्या... तू क्या बोल रहा हैं विनोद तो मेरे साथ ही हैं तुझे मैं ही मिला आज मज़ाक करने को - अभिषेक रोहित की बात सुनकर बोलता हैं -अरे भाई मैं मज़ाक क्यों करूंगा अपनी कसम और भाई विनोद की लाश का हम लोग भी ही अंतिम संस्कार कर के आ रहे हैं - अभिषेक फ़ोन रखते हुए बोलता हैं - भाई लग रहा हैं उसे सब पता चल गया हैं। एक काम कर तू अभी ही वहाँ से निकल जा। तेरा वहाँ रहना बिलकुल सही नहीं हैं - इतना बोलकर अभिषेक ने फ़ोन रख दिया था पर रोहित के पैर अब डर से कापने लगे थे। वो जानता था अभिषेक मज़ाक नहीं कर रहा हैं क्यूंकि उसने अपनी कसम खाई थी वो कभी भी अपनी कसम ऐसे ही नहीं खाता। रोहित सोच ही रहा था वो क्या करे तभी उसको अपनी किचन की खिड़की दिखती हैं और रोहित अपने किचन में बनी खिड़की से निकल कर भाग जाता हैं।
रोहित भागे ही जा रहा था तभी रोहित देखता हैं। उसके पीछे एक ऑटो आ रहा हैं रोहित ऑटो को हाथ दे कर रुक देता हैं और उस ऑटो में बैठ जाता हैं कहाँ जायेगा भैया जी ऑटो वाला बोलता हैं रोहित थोड़ा सोचते हुए बोलता हैं - रेलवे इस्टेसन ले चलो - ऑटो वाला ऑटो को रेलवे इस्टेसन की ओर ले जाने लगता हैं और ऑटो चलाते हुए ही बोलता हैं - क्या मिला भैया जी आपको किसी के साथ ऐसा कर के - इतना ही सुनकर रोहित की दिल की धड़कन तेज हो गई थी। और रोहित डरते डरते हुए बोलता हैं - कौन हो तुम - ऑटो वाला कुछ नहीं बोलता बस अपना ऑटो चलाता रहता हैं रोहित को डर तो लगी रहा था तभी ऑटो वाले ने एक जंगल के बीज में ही ऑटो रुकी और जंगल में भाग गया। रोहित कुछ समझ नहीं पा रहा था की वो क्यों भागा रोहित डरते हुए ऑटो से बाहर आता हैं और इधर उधर अपनी मदद के लिए देखने लगता हैं पर उसे कोई नहीं दिखता। जब रोहित को कोई नहीं दिखता तो वो पैदल ही रेलवे इस्टेसन की ओर जाने लगता हैं। रोहित कुछ ही आगे गया था तभी उसको एक लड़की अपने आगे से आती दिखती हैं धिरे धिरे वो लड़की रोहित के पास आ जाती हैं रोहित जैसे ही उस लड़की का चेहरा देखता हैं तो उसका डर के मारे खून जम सा गया था।
वो लड़की और कोई नहीं बल्कि विनोद की बीवी थी। जिसे रोहित ने दो महीने पहले ही मार दिया था। दो महीने पहले जब विनोद की बहन की शादी जिस दिन होने वाली थी उसी दिन रोहित को विनोद के घर में चोरी करते हुए विनोद की बीवी ने देख लिया था। रोहित ने सोचा अब ये सबको बता ना दे इसलिए रोहित उसको यही मार कर भाग गया था। और जब घर के बाहर आया तो उसे घर के पीछे से निकलते हुए एक ऑटो वाले ने देख लिया था। और लगे हाथ रोहित ने उसे भी मार दिया था। -
अब विनोद की बीवी अपनी डरावनी आवाज में बोलती हैं - क्या मिला रोहित तुझे हमारे साथ ऐसा कर के - यही बोलते हुए धिरे धिरे रोहित के पास आते जा रही थी। रोहित उससे बचने के लिए अपने पीछे की ओर भागने लगता हैं और अचानक से रोहित भागते-भागते रुक जाता हैं। वो देखता हैं विनोद उसके सामने ही खड़ा था इस समय रोहित के डर की कोई सीमा नहीं थी उसका दिल अपनी दुगनी रफ़्तार से धड़के जा रहा था। और तभी वो ऑटो वाला भी जंगल से बाहर आ जाता हैं। और रोहित के पास आते हुए बोलता हैं पाप की कमाई कब तक खाइयेगा एक ना एक दिन तो हिसाब चुकाना ही बढ़ेगा।
रोहित डरते हुए और रोते हुए विनोद से बोलता हैं - मुझे माफ कर दो विनोद मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दो - विनोद अब बड़े ही गुस्से के साथ बोलता हैं - कैसे माफ कर दो तुझे अब तू ही बता पहले तुने मेरी बीवी को मारा फिर इस ऑटो वाले को मारा और फिर तेरी वजा से मैं मारा - यही बोलते हुए विनोद रोहित की ओर बढ़ने लगा था। पीछे से विनोद की बीवी और आगे से विनोद बगल से ऑटो वाला तीनो रोहित की ओर बड़े जा रहे थे। विनोद रोहित के पास आते ही उसकी एक आँख में अपनी ऊँगली डाल देता हैं। जिसे उसकी एक आँख फुट जाती हैं रोहित के दर्द की कोई सीमा नहीं थी। रोहित की उस समय की जो हालत थी उसको लब्जो मैं नहीं बताया जा सकता। और तभी उसके पीछे से विनोद की बीवी ने रोहित की गर्दन पकड़ कर ऊपर उठा दिया और ऑटो वाले ने उसका एक हाथ खींच का उखाड़ दिया और देखते ही देखते वो तीनो रोहित के शरीर के एक एक अंग निकाल कर अलग करते जा रहे थे मानो वो अपनी कीमत उससे सूत समेत वापस ले रहे हो।