रोहन अपनी सिफ्ट पूरी कर के अपने कॉल सेंटर के ऑफिस से बाहर पार्किंग में अपनी बाइक के पास आता हैं और अपनी बाइक स्टार्ट करने लगता हैं। पर बाइक स्टार्ट नहीं हो रही थी। रोहन थक हार कर अपनी बाइक का तेल देखने लगता हैं उसने देखा उसकी बाइक का तेल ख़तम हो गया हैं। बाइक का तेल ख़तम होने की वजह से बाइक को अपनी ऑफिस में ही छोड़ कर पैदल ही घर जाने लगता हैं। वो जनता था रात के 11 बज चुके हैं और अब उसे कोई बस नहीं मिलेगी रोहन का घर ऑफिस से 8 किलोमीटर की दुरी पर था। जो मेनरोड का रास्ता था।
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पर रोहन अपने घर जाने के लिए जंगल वाले शॉर्टकट रास्ते से जाने का सोचता हैं पहले तो उसे उस रास्ते से जाने में डर लग रहा था क्यूंकि वो जंगल का रास्ता बहुत छोटा था और वहाँ से कोई भी गाड़ी नहीं जाती थी और जो लोग भी बैदल वहाँ से जाते थे। वो भी बस दिन के समय में ही जाते थे। रोहन फिर अपने आप से ही बोलता हैं - यार क्या करो मेनरोड से जाता हूँ तो 8 किलोमीटर चलना बढ़ेगा और जंगल वाले रास्ते से बस तीन किलोमीटर की ही दुरी में मेरा घर आ जायेगा। चलो इस जंगल वाले रास्ते ही चलता हूँ कही बार दिन के समय में भी तो मैं वहाँ से गया ही हूँ। -
रोहन शॉर्टकट के चलते जंगल वाले रास्ते से ही जाने लगता हैं। वैसे तो रोहन डरता नहीं था पर इतनी रात को जंगल से जाने में थोड़ा डर लगना तो सोबाविक ही था। रोहन चल ही रहा था तभी उसे उसके थोड़ा ही आगे एक औरत जिसने सफ़ेद कपडे पहने थे। वो अपना सर नीचे की ओर कर के रो रही थी। पहले तो रोहन वही रुक जाता हैं पर वो इंसानियत के नाते उसे पूछने के लिए उसके पास जाता हैं की वो यहाँ इनती रात को जंगल में क्या कर रही हैं। और रो क्यों रही हैं - रोहन उस औरत के पास जा कर बोलता हैं - अरे बहन जी आप कौन हैं और आप रो क्यों रही हैं - रोहन की बात सुनकर वो औरत कुछ नहीं बोलती और अपना सर नीचे की ओर करे अभी भी रोहे ही जा रही थी उसने अपना सर नीचे की ओर कर रखा था। इसलिए रोहन उस औरत का चेहरा अभी तक नहीं देख पाया था। रोहन अपनी बात जारी रखते हुए एक बार फिर से बोलता हैं। - अरे बहन जी मैं आप से ही बोल रहा हूँ कौन हैं आप और इतनी रात को यहाँ इस जंगल में बैठ कर रो क्यों रही हो। - इस बार वो औरत रोहन की बात सुन लेती हैं पर कुछ नहीं बोलती बस अपना सर ऊपर की ओर करती हैं और रोहन की ओर देखती हैं। जैसे ही रोहन ने उस औरत का चेहरा देखा तो उसका दिल थम सा गया और उसके हाथ पैर कापने लगे थे।
रोहन ने देखा वो औरत और कोई नहीं बल्कि मधु ऑन्टी थी पर इनकी मौत तो लगभग दो साल पहले ही हो गई थी। रोहन बिना टाइम गवाएं वहाँ से अपने पीछे की ओर भागने लगता हैं। रोहन कुछ ही दूर गया था तो उसने देखा उसके आगे एक आदमी बैठा बीड़ी पी रहा हैं। रोहन भागते हुए उस आदमी के पास जाता हैं और हपते हुए बोलता हैं - अरे अंकल मुझे बचा लो - रोहन की बात सुनकर वो आदमी बोला - क्या हुआ बेटा और किस से बाजाने के लिए बोल रहे हो - रोहन हकलाते हुए बोलता हैं - वो-वो वहाँ... भू.भू.भूत हैं- रोहन की बात सुनकर वो आदमी हसने लगता हैं और हस्ते हुए बोलता हैं - अच्छा तो अब कहाँ हैं तुम्हारा भूत - रोहन उसे अपने हाथ से इशारा करते हुए बोलता हैं - वो वहाँ - वो आदमी फिर हस्ते हुए बोलता हैं अच्छा तो चलो मेरे साथ मैं भी तो देखू- इतना बोलकर वो आदमी रोहन का हाथ पकड़ लेता हैं और उस ही ओर खींच के ले जाने लगता हैं। रोहन उसके साथ नहीं जाना चाहता था। पर रोहन कुछ कर नहीं पा रहा था
रोहन को लेकर वो आदमी उस ही जगह पर आ गया था जहाँ पर अभी कुछ देर पहले मधु ऑन्टी थी। पर अब वो वहाँ नहीं थी। रोहन इदर-उदर मधु ऑन्टी को देख ही रहा था पर उसे वो कही नहीं दिखती तभी उस आदमी की ओर देखता पर अब वो आदमी भी वहाँ नहीं था रोहन डरते हुए उस आदमी को आवाज देता हैं - अंकल कहाँ हैं आप अरे अंकल - जब उसको वो आदमी कही नहीं दिखता तो फिर रोहन वहाँ से भागने लगता हैं। भागते भागते रोहन अचानक से रुक जाता हैं। और डर से कापने लगता हैं वो देखता हैं वही आदमी अब अपनी पहले वाली ही जगह पर बैठ कर बीड़ी पी रहा था। और उसको देख कर मुस्कुरारे जा रहा था। उस आदमी की वो मुस्कान रोहन का खून जमा रही थी। रोहन जैसे ही अपने पीछे भागने को मुड़ता हैं तो उसकी सांसे थम सी गई थी। उसका दिल मानो उसकी छाती फाड़ कर बाहर आने को था।
उसने देखा उसके पीछे मधु ऑन्टी खड़ी थी। और उसका चेहरा सफ़ेद और फटा हुआ था और उसने चेहरे की जगह जगह से खून निकल रहा था। और मधु ऑन्टी धिरे धिरे उसके पास आ रही थी। वो जितना पास आ रही थी वैसे वैसे ही रोहन के दिल की धड़कन तेज होते जा रही थी। मधु ऑन्टी रोहन के पास आकर रोते हुए बोलती हैं। उसने मुझे क्यों मारा था मेरी क्या गलती थी - रोहन डरते हुए बोलता हैं - कि.कि.किसने मारा - मधु ऑन्टी अब खुस्से के साथ बोलती हैं - तेरे बाप ने उसने मुझसे पैसे उदार लिए थे और जब मैंने अपने पैसे मांगे तो उसने मेरा गला दबा कर मुझे मार दिया। आज बड़े दिनों के बाद मेरा बदला पूरा होगा। तेरे बाप ने मुझे इसी जगह पर मारा था अब मैं तुझे..- इतना बोलकर मधु ऑन्टी हसने लगती हैं रोहन अब विनती के सुर में बोलता हैं - मुझे जाने दो मुझे जाने दो ऑन्टी मैंने तो कुछ नहीं करा तो आप मुझे क्यों मार रही हो। - रोहन की बात सुनकर मधु ऑन्टी हसने लगती हैं और हस्ते हुए ही बोलती हैं मैं तुझे यहाँ मरूंगी और तेरा बाप वहाँ तेरे गम से मरेगा। - इतना बोलकर वो रोहन के पास आकर उसका गला दबाने लगती हैं। रोहन की लाख कोशिश करने पर भी रोहन अपना गला छुड़ा नहीं पा रहा था। देखते ही देखते रोहन की सांसे अब टूटने लगी थी। और देखते ही देखते रोहन का दम भी निकल जाता हैं।