खून का प्यासा भयानक शैतान एपिसोड 2
दोनों ने अब सोच लिया मरना तो तय है वो दोनों हिम्मत हार चुके थे। तब लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था शायद रमेश और अरविंद पर उस दिन भगवान की कृपा रही होगी। तभी दोनों नदी के अब इस तरफ आने लगे जहाँ वह बजरी निकाल रहे थे। और दोनों तुरंत नदी से बाहर निकल कर अपनी माचिस उठा लेते हैं और पास में सुखी झाड़ी बहुत थी उनमें आग लगा देते हैं। झाड़ी बहुत सुखी थी इसलिए आग तुरंत लग जाती है और आग की लपटें बहुत तेज तेज उठने लगती हैं।
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लेकिन रमेश और अरविंद अभी भी बहुत डरे हुए थे रमेश ने अरविंद से कह - अरविंद यह शायद वही शैतान है जिसको लोग रूप बदलने वाला शैतान कहते हैं और बहुत लोग तो यह भी कहते हैं यह एक श्रापित आत्मा है लेकिन लोगों का ऐसा कहना भी था कि यह शैतान अगर किसी के खून की एक बूंद की भी महक ले ले तो वह उसे जिंदा नहीं छोड़ता। - अरविंद और रमेश यही सब इधर उधर की बातें आपस में कर रहे थे। तभी ऐसा लगा कि पीछे से कोई चलता हुआ उनके के पास आ रहा है। रमेश और अरविंद पहले से ही बहुत ज्यादा घबराए हुए थे दोनों एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो जाते हैं। और रमेश ने रोते हुए कहा - अरविंद भाई अब हमारा मरना तो बिल्कुल तय है - अरविंद जो खुद भी बहुत ज्यादा डरा हुआ था उसने कहा - ऐसा मत कहो अभी भगवान है वह हमको बचाएंगे - अरविंद ने रमेश के हाथ से टॉर्च ली और कहा - अब रुकना नहीं है। -
उसके बाद दोनों पूरी जान लगा कर दौड़ने लगते हैं उसी जंगल के रास्ते से होते हुए अपने घर जाने को पूरा दम लगा कर भाग रहे थे। वह दोनों लेकिन उनमें से किसी की भी यह हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि कोई भी पीछे मुड़कर एक बार भी देखें बस वह भाग रहे थे। तभी अरविंद ने सामने देखा एक झोपड़ी दिख रही है अरविंद ने कहा - रमेश शायद हम जंगल से बाहर निकल गए- दोनों भागते हुए उस झोपड़ी के पास खड़े हो गए। वहां पर एक सफेद धोती पहने हुए बूढ़ा आदमी बैठा हुआ था। रमेश और अरविंद वही के रहने वाले थे लेकिन इन्होंने कभी यहां ऐसी झोपड़ी देखी नहीं थी। और इस आदमी को भी नहीं पहचानते थे। लेकिन फिर भी वह दोनों उस बूढ़े के पास जाकर बैठ गए। उन्होंने उस बूढ़े से कहा - चाचा आगे मोहल्ला कितनी दूर है - उस बूढ़े आदमी ने कहा - तुम मोहल्ले में तो हो यहीं से तो मोहल्ला शुरू होता है सबसे पहला घर मेरा ही है - लेकिन दोनों कुछ समझ नहीं आ रहा था।
क्योंकि ना उन्होंने कभी इस आदमी देखा था और मोहल्ले में कभी ऐसी झोपड़ी भी नहीं देखी थी। इसकी बातें भी थोड़ी अजीब सी लग रही थी इसलिए दोनों उठ कर वहां से जाने लगे। अब पहले से ही भागते हुए वह थक चुके थे। इसलिए थोड़ा आराम से जा रहे थे रमेश ने कहा - अरविंद आज हम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं लगता है क्योंकि इस जंगल से हम रोज आते जाते हैं आज इस जंगल में हम अभी तक भटक रहे हैं सिर्फ 10 मिनट का रास्ता और हम बाहर नहीं निकल पाए अभी तक अब मुझे नहीं लगता कि हम बचकर जा पाएंगे यहां से - रमेश की ऐसी बेतुकी बातें सुनकर अरविंद ने कहा - अब तू चुप हो जा तेरी वजह से ही हम इतनी देर तक नदी में रुके तूने ही कहा था कि आज ज्यादा बजरी है निकाल लेते हैं लालच के चक्कर में आज हमारा यह हाल है - दोनों एक दूसरे से बात ही बात में थोड़ा झगड़ रहे थे लेकिन वहाँ रुके नहीं थे।
जंगल की आगे की तरफ लगातार चल रहे थे। तभी अरविंद की टॉर्च की रोशनी किसी चीज पर पड़ी थोड़ा ध्यान से देख तो वही बूढ़ा आदमी अब उन दोनों के ठीक सामने पर खड़ा हुआ मिला।अरविंद और रमेश अब क्या करे दोनों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी वो दोनों फिर पीछे की तरफ भागने लगे। दोनों थोड़ा ही पीछे भागे होंगे कि उन्होंने देखा वही पतला हड्डी जैसा जिसे जानवर या शैतान कह रहे थे। वह उनके पास खड़ा हुआ है। अरविंदो रमेश चीखने और चिल्लाने लगे और कहने लगे - हमने क्या करा है हमें क्यों मार रहे हो। - लेकिन उस जानवर जैसे आदमी को उनकी कुछ भी बात समझ नहीं आ रही थी।
वह पता नहीं क्या कह रहा था तभी पीछे से उस बूढ़े आदमी ने अरविंद को पकड़ लिया और घसीटते हुए ले जाने लगा पर अरविंद उस बूढ़े से अपने आप को छुड़ा नहीं पा रहा था और थोड़ी ही देर में अरविंद की आवाज मानो पूरे जंगल में गूंज रही हो बचाओ बचाओ छोड़ दो मुझे और वह जो बूढ़ा आदमी था अब वह बिल्कुल भयानक रूप में आ गया था। रमेश ने देखा जो अरविंद को ले जा रहा है घसीटता हुआ वह बूढ़ा अब पूरा बदल कर उस आदमी की तरह हो गया था जो उसके सामने खड़ा हुआ हैं। पतला और एकदम हड्डी सा और देखते ही देखते उसने रमेश को पकड़ा और पीछे से जकड़ कर उसे भी घसीटते हुए थोड़ी दूर ले गया फिर उस शैतान ने रमेश को तड़पा-तड़पा कर मार दिया। उसने रमेश के शरीर से एक एक बूंद खून चूस लिया था।
और अगले दिन लोगों को रमेश और अरविंद की लाश बहुत बुरी हालत में उसी जंगल में मिली। कहते हैं कि उस जंगल में आज भी रोज रात को वह शैतान घूमता है जो एक साथ कई रूप बना लेता है। अगर उसे लोगों के खून की एक बूंद की महक से भी पकड़ कर उनको मार देता है। यह वहाँ कई वर्षों से चला आ रहा हैं उस जंगल के बारे में अरविंद और रमेश को भी इस मोहल्ले के बड़े लोगों से कई बार पता चला था।