मौत का इंसाफ || horror storie hindi || hindi story my

 


मौत का इंसाफ

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लोकेश, विशाल और अर्जुन तीनो रेलवे स्टेशन के पास के ही मुकेरा गाँव में रहते हैं और तीनो का रोज शाम का काम था रेलवे स्टेशन जाकर बैठना और आवारागर्दी करना जैसे उनका वही एक काम था। एक तरह से कह सकते हैं की वो तीनो आवारा लड़के थे। उस ही रेलवे स्टेशन पास में ही एक पुराना गेस्ट हाउस था जिसमे एक बूढ़ा चौकीदार रहता था। वो चौकीदार रोज शाम के 7 बजे उस गेस्ट हाउस में अपनी डूटी पर आ जाता था।
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 और तीनो लोकेश,विशाल और अर्जुन भी रोज शाम को 7 या 7:30 बजे उस रेलवे स्टेशन पर आवारा गर्दी करने जाते थे। और रास्ते में ही उन्हें वही गेस्ट हाउस मिलता था और यह तीनो रोज उस बूढ़े चौकीदार को आते जाते परेशान करते थे। कभी बूढ़े चौकीदार की टोपी लेकर भग जाते या कभी बूढ़े चौकीदार के पिछे बम फोड़ देते तो कभी उल्टा सीधा बोलकर भग जाते। यह भी उन तीनो का रोज काम था और बूढ़ा उन तीनो का कुछ नहीं कर पाता था।

ऐसे ही एक दिन की बात हैं यह तीनो रोज की तरह आज भी रेलवे स्टेशन आज ही रहे थे तभी अर्जुन अपने दोनों दोस्तों से बोलता हैं - अरे वो देखो वो बूढ़ा लगता हैं आज अपने थेहले में कुछ बढ़िया खाना लाया हैं चलो उसे वो थेहला छीन कर लाते हैं वैसे भी मुझे बहुत भूख लगी हैं - अर्जुन की बात सुनकर लोकेश बोलता हैं - हाँ यार तू सही बोल रहा हैं भूख तो मुझे भी लगी हैं - इतना बोलकर वो तीनो उस ही बूढ़े चौकीदार के पास जाते हैं और उसके बाद लोकेश उस चौकीदार से बोलता हैं - और चाचा क्या हाल हैं और इस थेहले में आज क्या माल भर कर लाए हो - इतना बोलकर ही लोकेश ने वो थेहला उस चौकीदार के हाथ से छीन लिया और कह - अरे चाचा तुम तो रोज ही खाना खाते हो आज हम खा कर देख लेते हैं तुम कैसा खाना बनाते हो - विशाल को बात गत्म होते ही वो बूढ़ा चौकीदार बोलता हैं - अरे बेटा तुम्हे खाना ले जाना हैं तो ले जाओ पर उसमे जो मेरी दवाइया रखी वो मुझे दे दो - पर वो तीनो चौकीदार की बात सुने बिना वहाँ से रेलवे स्टेशन की ओर जाने लगते हैं।

और पेलेटफार्म के ऊपर जाकर बैठ जाते हैं और उस थेहले को खोलने लगते हैं जिस थेहले को उस बूढ़े चौकीदार से छीन कर लाए थे। जैसे ही तीनो उस थेहले को खोलते हैं पहले तो उसमे से दवाइया निकलती हैं वो तीनो उन दवाइयों को साइड में फैक देते हैं और उसमे रखा खाना खा लेते हैं।

ऐसे ही अगले दिन जब यह तीनो फिर शाम को स्टेशन की ओर जा रहे थे तब वो तीनो आपस में ही बोलते हैं आज फिर चौकीदार का खाना छीन लेते हैं पर इस बार अर्जुन बोलता हैं - ना यार रोज रोज किसी का खाना छीनना सही नहीं हैं थोड़ा उसके साथ मस्ती कर लेते वो सही पर यार वो बूढ़ा चौकीदार अपने लिए खाना लता हैं और हम छीन कर खा लेते हैं और तो और कल हमने उसकी दवाइया भी फैक दी मुझे लगता हैं यार हमें उसे माफ़ी मांगनी चाहिए - लोकेश और विशाल को भी अर्जुन की बात सही लगती हैं और वो उस ही गेस्ट हाउस पास जाते हैं पर उन्हे वहाँ वो चौकीदार कही नहीं दिखता। वो सोचते की सायद वो आज आया नहीं होगा इसलिए वो फिर अपनी आवारा गर्दी करने रेलवे स्टेशन चले जाते हैं। और अगले दिन वो तीनो फिर जब रेलवे स्टेशन जा रहे थे तो आज भी उन्हे वो चौकीदार गेस्ट हाउस में कही नहीं दिखता। अब इस बात को तीन चार दिन बीत जाते हैं और  अब ये तीन भी इस बात को भूल कर रेलवे स्टेशन पर बैठे थे और रोज की तरह आवारा गर्दी कर रहे थे। और थोड़ी मस्ती कर रहे थे ऐसा मस्ती कर रहे थे की कभी कोई दक्का देता फिर पकड़ लेता ऐसी नार्मल सी मस्ती चल रही थी।

 तभी पता नहीं क्या हुआ लोकेश को जैसे किसी ने ढक्का दे दिया और सीधा जाकर रेलवे ट्रेक पर जा गिरता हैं और उसी समय ही उस ट्रेक पर ट्रेन आ जाती हैं और ट्रेन लोकेश को कुछल कर चली जाती हैं। विशाल और अर्जुन कुछ समझ ही नहीं पाए की यह उनके साथ अचानक से क्या हो गया।

अब लोकेश की मौत को पूरा एक हफ्ता हो चूका हैं तभी अर्जुन, विशाल के घर उसको आवारा गर्दी करने के लिए बुलाने के लिए जाता हैं तब विशाल की मम्मी उसको बताती हैं की उसको तो बहुत देर हुए घर से निकले । विशाल की मम्मी की बात सुनकर अर्जुन समझ जाता हैं की वो स्टेशन ही गया होगा। इसलिए वो भी स्टेशन की ओर जाने लगता हैं अभी अर्जुन कुछ ही गए गया तभी उसे उस ही बूढ़े चौकीदार का बेटा दिखता हैं अर्जुन उसके बेटे के पास जाकर पूछता हैं - अरे भाई आज तुम्हारे पापा काम पर नहीं जाते क्या - अर्जुन की बात सुनकर चौकीदार का बेटा बोलता हैं - नहीं भाई वो जाएंगे भी कैसे उनकी मौत तो लगभग 10 दिन पहले हो गई हैं उनकी तबीयत बहुत गराब चल रही थी फिर भी वो रोज काम पर चले जाते थे पर एक दिन कुछ बदमाश लोगो ने उनका बेग छीन लिया उसमे उनकी दवाइया रखी थी जिसे उन्हें खाना जरूरी था और वो दवाइया नहीं खा पाए जिससे उनकी तबीयत और भी ज्यादा गराब हो गई और उसके कुछ समय ही बाद उनकी मौत हो गई

 - चौकीदार के लड़के की बात सुनकर अर्जुन समझ गया था की उसकी मौत का करण हम ही थे और बात बताने के लिए अर्जुन विशाल के पास जाने लगता हैं और जैसे ही अर्जुन उस गेस्ट हाउस के पास पाउचता हैं तो देखता की विशाल उस ही बूढ़े चौकीदार और लोकेश के साथ बैठ कर बाते कर रहा था। उस चौकीदार और लोकेश को देखकर अर्जुन का खून जम सा गया था। पर वहाँ उसका दोस्त था इसलिए अर्जुन धरे धरे उनके पास जाता हैं और जैसे ही विशाल को बुलाने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखता हैं वैसे ही विशाल का सर नीचे गिर जाता हैं। उसका सर इस तरह नीचे गिरा जैसे उसका सर पहले से ही कटा रखा हो। और जैसे ही विशाल का सर नीचे गिरा वैसे ही चौकीदार और लोकेश अर्जुन की ओर मुडे तो उनका भयानक चेहरा देखकर अर्जुन की दिल की धड़कन अपनी दुगनी रफ़्तार में हो गई थी। तभी चौकीदार ने अर्जुन से कह - क्या हुआ बेटा डरो मत क्यूंकि अब तुम भी हमारे साथ के बन जाओगे - इतना बोलकर चौकीदार उठा और अर्जुन के पास आकर खड़ा हुआ और अपना हाथ अर्जुन की गर्दन पर रखा और देखते ही देखते उसका सर उसकी गर्दन से निकाल दिया। 

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