खौफनाक रात || नए दूल्हे के साथ घाटी खौफनाक घटना || horror storie in hindi || hindi story my


                      खौफनाक रात


कहते हैं जब किसी की नई नई शादी होती हैं तो उसे बाहर ज्यादा घूमना नहीं चाहिए। क्यूंकि भूत और आत्मा नए दूल्हे या दुल्हन के पास ज्यादा आकर्षित होते हैं।आज की जो यह कहानी हैं यह हमारे ही एक दोस्त के साथ घाटी घटना हैं। उसकी शादी के दो दिन के बात की बात हैं जब उसकी बीवी अपने घर गई हुई थी और वो अपने कमरे में अकेला ही था उस दिन। और अब यह कहानी मैं उनके ही शब्दों में जारी रखूँगा।

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मेरा नाम नीरज हैं मैं जब भी उस दिन को याद करता हूँ तो मेरा दिल सैहम सा जाता हैं। यह बात मेरी शादी के दो दिन के बाद की बात हैं। मुझे घर में सब गाँव में बाहर घूमने के लिए मना कर रहे थे पर मैं कहाँ मानने वाला था।  और जब मैं शाम को घर आया तब थोड़ी थोड़ी बारिश होने लगी थी। कुछ देर घर वालो के साथ बैठा रहा उस दिन बारिश होने के करण लाइट भी चली गई थी क्यूंकि गाँव में थोड़ी सी ही बारिश होने के करण लाइट चली जाती हैं।

लाइट जाने के करण पुरे घर में अंधेरा हो गया था और थोड़ी देर घर वालो के साथ बैठे रहने के बाद मैं अपनी जगह से उठ कर घर में जो मिठाईया रखी थी मैं जा कर सभी मिठाईया उठा उठा कर खाने लगा वैसे मैं कभी मिठाई नहीं खाता था


पर उस दिन मैं लगातार मिठाईया खाए जा रहा था और मिठाईया खा कर मैं अपने कमरे में सोने चला गया। दरवाजे में कुण्डी लगा कर मैं अपने बिस्तर सोने चला गया सोते हुए अभी मुझे आधा घंटा ही हुआ होगा तभी मुझे किसी औरत की आवाज आई वो बोल रही थी - नीरज कैसे हो और हो गई शादी - मैंने एकदम से आँखे खोली और जैसे ही सामने देखा तो एक औरत मेरे सामने खड़ी थी जिसने लाल रंग की साड़ी पहनी थी। और वो धिरे धिरे से मेरे पास आते जा रही थी मैं अभी यही सोच रहा था की यह अंदर कैसे आ गई क्यूंकि मैंने दरवाजा तो बंद कर दिया था पर ये औरत अंदर कैसे आ गई और ये हैं कौन मैं उसका चेहरा देख कर याद ही कर रहा था।


 तभी मुझे एकदम से याद आया ये तो मेरी बड़ी वाली बुआ हैं जो लगभग 20 साल पहले ही मर चुकी थी। और अब वो मेरे बैड के पास आकर खड़ी हो गई थी  तभी उसने कहा - नीरज शादी कर लिए और मुझे बुलया भी नहीं - इतना ही बोलकर उसने मेरे छाती पर अपना हाथ रख दिया। उनका हाथ रखते ही मेरा दम सा घुटने लगा और मेरे मुँह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी। पर किसी तरह मैंने पापा को आवाज दी पर आवाज सही से नहीं निकल रही थी।


पर शायद मेरी किस्मत अच्छी थी की मेरी वो हल्की सी ही आवाज मेरे जीजा ने सुन ली और मेरे जीजा समझ गए की कुछ तो गड़बड़ हैं और उन्होंने तुरंत पापा को बताया की नीरज अंदर से आवाज लगा रहा हैं। फिर उसके बाद सबने किसी तरह दरवाजा खोला और सब अंदर आ गए सब अंदर तो आ गए थे पर वो अभी भी मुझे वही पर ही खड़ी दिख रही थी।


फिर उसके बाद सब मुझे बाहर बरांडे में लेकर आ गए सब मुझसे बार बार पूछे जा रहे थे की क्या हुआ। पर पता नहीं मैं उस समय कुछ बोल क्यों नहीं पा रहा था तभी वो फिर से मेरे पास आकर खड़ी हो गई और फिर से उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रख दिया। पर सब वही पर ही खड़े थे पर वो औरत यानी मेरी मरी हुई बुआ किसी ओर को नहीं दिख रही थी और पता नहीं कब वो एकदम से मेरे ऊपर आकर बैठ गई। फिर मैंने अपने पापा से बोला - क्या भैया लड़के की शादी कर ली पर मुझे नहीं बुलया -इतना बोलकर मैं रोने लगा मैं ऐसा कुछ भी नहीं बोलना चाह रहा था पर मेरे मुँह से यह शब्द अपने आप ही निकाल रहे थे।


इतना सुनकर मेरे घर वाले भी समझ गए थे की मेरे साथ क्या हो रहा हैं और कौन कर रहा हैं तभी फिर वो मेरे ऊपर से नीचे उत्तरी और मुझसे यह कहने लगी - चलो नीरज चलो यहाँ कोई तुमहा नहीं हम लोग ही तुम्हारे हैं वो देखो वो सब तुम्हे ही लेने को आए हैं - जिस तरफ उन्होंने देखने को कहा था मैंने जैसे ही उस तरफ यानी बाहर की ओर देखा तो मेरे डर की कोई सीमा नहीं थी क्यूंकि बाहर बहुत सारे बड़े ही भयानक लोग खड़े थे


और मुझसे बोल रहे थे - चलो नीरज जल्दी चलो हम सब तुम्हे ही लेने को आए हैं। - फिर एक बार से मेरी मरी हुई बुआ ने मुझे कह - चलो नीरज सब अपने हैं देखो तुम्हे लेने पूरी बारात आए हैं। -  मेरे घर वाले सब मेरे पास ही बैठे थे पर उन्हें कोई नहीं दिख रहा था। मुझे भूतों की पूरी की पूरी बारात दिख रही थी। तभी मुझे पता नहीं क्या हुआ की मेरा मान भी उन सबके साथ जाने को करने लगा और मैं अपनी जगह से उठने लगा पर मेरे घर वाले मुझे कही नहीं जाने दे रहे थे। तभी मैंने अपने पापा से कह की मुझे टॉयलेट जाना हैं मुझे जाने दो इस बार मुझे टॉयलेट जाने दिया पर मेरे साथ मेरे पापा और मेरे जीजा भी गए। इस बार तो मैं टॉयलेट कर के फिर से बरांडे मैं ही कर बैठ गया।


 कुछ देर बैठते ही मैंने एक बार फिर से टॉयलेट जाने को कह - मेरे पापा ने बोला अभी तो गया था फिर से मैंने बोला हाँ मुझे जाना हैं तो बस जाना हैं - इस बार टॉयलेट मेरे जीजा अकेले ही मेरे साथ गए। जैसे ही मैं टॉयलेट के पास आया तभी मेरी बुआ और उनके साथ वाले लोग जो मेरे घर के बगल में जंगल था वहाँ खड़े होकर मुझे बुलाने लगे। और मैं भी एकदम से उनके ही पास को भागने को जैसे ही हुआ तभी मेरे जीजा ने मेरे हाथ पकड़ लिया। पर मेरे जीजा मुझे रुक नहीं पर रहे थे। क्यूंकि ऐसा लग था मेरे अंदर काई लोगो की जान आ गई हो। मेरे जीजा मुझे रुक नहीं पा रहे थे तभी उन्होंने पापा को आवाज दी उनके आवाज देते ही मेरे पापा और मेरे घर वाले सब वही पर आ गए। और मुझे पकड़ कर बरांडे में ही रखे बिस्तर में लेटा दिया।


तभी मेरे पापा ने एक आदमी को बुलवाया जो थोड़ा भूत के बारे में जानता था। उसने आकर देखा और बोला यहाँ वो पहले थी पर अब वो यहाँ से जा चुकी हैं। इतना बोलकर वो तो वहाँ से चला गया। पर मुझे वो सब और मेरी मरी हुई बुआ अभी भी दिख रहे थे । मैं रह रह कर कभी भागने की कोशिश करता और अभी अपने आप ही हंसता और कभी रोता यह देख कर मेरे भाई ने हनुमान चालीसा अपने फ़ोन में चला कर मेरे पास रख दी। हनुमान चालीसा चलते ही मेरी बुआ जो मेरे पास खड़े होकर मुझे बस अपने साथ चलने को बोल रही थी। उसे पता नहीं क्या होने लगा और गुस्से में मेरी छाती पर बैठ कर मेरा गला दबाने लगी। और मैं तड़पने सा लगा। मेरी यह हालत देख कर घर वालो ने हनुमान चालीसा बंद कर दी। हनुमान चालीसा बंद होते ही वो मेरा गला छोड़ कर छाती से नीचे उत्तर गई। और मैं भी एकदम संत हो गया। उस रात मेरा पूरा परिवार मेरे ही पास बैठा रहा। और पूरी रात नहीं सोया।


और मेरी मरी हुई बुआ और उनके साथ के लोग भी मुझे पूरी रात दिखते रहे और लगभग सुबह के चार बजे के बाद ही वो सब वहाँ से गए। और सुबह मैंने सारी बात सबको बताया तो मेरे पापा मुझे एक मंदिर में ले गए जहाँ के बाबा भूत देखते थे। उन्होंने मुझे एक ताबीज बना कर दी। उस दिन से मुझे मेरी मरी हुई बुआ और उनके साथ के लोग कभी नहीं दिखे।

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