आख़री रात || Horror storie || Hindi story my

 


                          आख़री रात


यह कहानी संदीप की हैं। संदीप प्लम्बर का काम करता हैं उसके घर में उसकी बीवी और संदीप अकेले ही रहते हैं उसकी बीवी घर में अकेली थी इसलिए संदीप रोज अपने काम से जल्दी ही आ जाता था। संदीप रोज की तरह आज भी काम करने जाता हैं। लगभग उसका यहाँ पर दो दिन का काम और रह गया था। संदीप आज फिर शाम के 5 बजे ही अपने घर के लिए निकाल ने जा ही रहा था तभी संदीप का मालिक वहाँ पर आ जाता हैं।
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और संदीप से आकर बोला हैं - यार संदीप तोड़ा सा काम और रह गया हैं तू आज तोड़ा देर तक काम कर देगा तो आज ही काम पूरा हो जाएगा। - संदीप सारी बात सुनने के बाद बोलता हैं - नहीं सर मेरे घर में मेरी बीवी अकेले हैं और मेरा घर भी काफ़ी दूर हैं। मैं कल आकर काम पूरा कर दूंगा अभी मुझे जाने दो। - पर उसके मालिक को तो आज ही काम पूरा करवाना था इसलिए संदीप का मालिक बोलता हैं - यार तुम कुछ पैसे ज्यादा लेलेना पर मुझे काम आज ही पूरा चाहिए। - संदीप भी अपने मालिक की बात मान जाता हैं और काम पूरा करने लगता हैं।

काम पूरा होते-होते ही रात के 10 बज गए थे। संदीप ने अपने घर में फ़ोन कर के पहले ही बता दिया था। की वो आज लेट हो जायेगा। संदीप काम पूरा करके अपनी बाइक से जंगल वाले शॉर्टकट से जाने लगता हैं। संदीप अभी कुछ ही आगे गया ही होगा तभी उसकी बाइक चलते चलते अचनाक से बंद हो जाती हैं। बाइक बंद होने के बाद संदीप बाइक फिर से स्टार्ट करने की कोशिश करने लगता हैं पर बाइक स्टार्ट नहीं होती। बाइक स्टार्ट ना होने पर संदीप बाइक का पेट्रोल देखकर बोलता हैं। - क्या फूटी किस्मत हैं मेरी आज ही मुझे इस जंगल वाले रास्ते से आना था और आज ही बाइक का तेल गत्म होना था।

 अब बाइक को धक्का लगा कर ही घर ले जाना होगा। संदीप अभी थोड़ा ही आगे गया होगा तभी उसे अपने आगे एक आदमी बैठा दिखता हैं । संदीप ने सोचा यह आदमी पास के ही गाँव का होगा क्या पता इसे पता हो की कोई आस पास तेल तो नहीं बेचता । क्यूंकि गाँव में लोग पेट्रोल अपने घरों में भी बेचते हैं। यही सोच कर संदीप उस आदमी के पास जा कर बोलता हैं - हाँ भाई सहाब क्या यहाँ आस पास कोई पेट्रोल हैं या कोई पेट्रोल तो नहीं बेचता - संदीप की बात सुनकर वो आदमी बोलता हैं - कितना पेट्रोल चाहिए मैं ही बेचता हूँ - संदीप ने कह - एक लीटर दे दो -संदीप उस आदमी से पेट्रोल लेकर अपनी बाइक में डाल कर बाइक स्टार्ट करके अपने घर की ओर चल देता हैं ।

 अभी संदीप एक किलोमीटर आगे ही गया होगा तभी उसकी बाइक फिर से बंद हो जाती हैं । फिर संदीप बाइक फिर से स्टार्ट करने की कोशिश करता हैं पर बाइक स्टार्ट नहीं हो रही थी। फिर थक हार कर संदीप ने फिर से अपनी बाइक का पेट्रोल देखा तो उसे अपनी आँखो पर विश्वास नहीं हो रहा था। क्यूंकि अभी थोड़ी ही देर पहले संदीप ने अपनी गाड़ी में एक लीटर तेल डाला था। पर अब उसकी गाड़ी में एक बून्द भी पेट्रोल नहीं था। वैसे उसकी बाइक 40 का ऐफ्रिज देती थी। और यही सब संदीप सोच ही रहा था। तभी उसकी नजर उसी आदमी पर पड़ी जिसे अभी थोड़ी देर पहले संदीप ने पेट्रोल ख़रीदा था। संदीप अपने मन ही मन में सोचता हैं अभी थोड़ी पहले यह एक किलोमीटर पहले बैठा था पर इतनी जल्दी यहाँ कैसे आ गया।

संदीप यही सब सोच ही रहा था तभी वो आदमी संदीप से बोलता हैं - कितना पेट्रोल चाहिए भाई सहाब - संदीप को उसकी बात सुनकर बड़ी ही हैरानी होती हैं और वो ये सोचता हैं की इसको कैसे पता चला की बाइक का तेल यहाँ पर ही आकर गत्म होगा और इतनी जल्दी यह यहाँ आया कैसे। और इस बार संदीप उस आदमी पर शक करते हुए पूछता हैं - तुम इतनी जल्दी यहाँ कैसे आ गए और तुम्हे कैसे पता चला की मेरी बाइक का तेल यही पर ही गत्म होगा। - संदीप की बात सुनकर वो आदमी मुस्कराते हुए जवाब देता हैं - मुझे सब पता हैं चलो यह छोड़ो यह बताओ तुम्हे पेट्रोल कितना चाहिए - संदीप को उस आदमी की बात बड़ी ही अजीब लगती हैं और उसे घर जाने में भी देर हो रही थी। इसलिए वो ज्यादा ना सोचते हुए इस बार उस आदमी से 4 लीटर पेट्रोल ले लेता हैं। और अपनी बाइक में डाल कर अपनी बाइक स्टार्ट करता हैं और घर की ओर जाने लगता हैं।

 इस बार भी संदीप की बाइक लगभग एक किलोमीटर ही गई होंगी। तभी उसकी बाइक एक बार फिर बंद हो जाती हैं। संदीप सोच ही रहा था की उसके साथ ये क्या हो रहा हैं। तभी उसे एक आवाज आती हैं पेट्रोल चाहिए क्या भाई सहाब यह सुनकर जैसे संदीप का खून जम सा गया हो। क्यूंकि वही आदमी संदीप के सामने बैठ कर संदीप को देख कर मुस्कुरा रहा था और बोल रहा था पेट्रोल चाहिए क्या भाई सहाब। संदीप समझ गया था की यह कोई आम इंसान नहीं हैं। इसलिए संदीप उस आदमी से बचने के लिए वहाँ से भागने लगता हैं । और भागते भागते कुछ दूर पर जा कर रुक जाता हैं और डर से कापने लगता हैं। वो देखता हैं वही आदमी उसके कुछ ही आगे बैठा था और उसको देख कर मुस्कुरा रहा था।

और मुस्कराते हुए ही बोलता हैं पेट्रोल चाहिए क्या भाई सहाब। संदीप इस बार थोड़ा डरते हुए उस आदमी से पूछता हैं - कौन हो तुम - संदीप की बात का जवाब देते हुए वो आदमी अपनी बड़ी ही भयानक आवाज में बोलता हैं - तेरी मौत - इतना बोलकर वो हसने लगता हैं और संदीप की ओर बढ़ने लगता हैं। बढ़ते बढ़ते वो आदमी संदीप के एकदम सामने खड़ा हो जाता हैं। और संदीप से बोलता हैं - यहाँ से कोई भी मेरी इजाजत के बिना नहीं जा सकता। और कोई यहाँ से रात को जाता हैं तो उसे एक कीमत चुकानी होती हैं - संदीप उसकी बात सुनकर डरते हुए ही पूछता हैं - कैसी कीमत क्या चाहिए तुम्हे - संदीप की बात सुनकर वो आदमी बोलता हैं - मुझे तुम्हरी जान चाहिए। - संदीप उसे विनती करते हुए बोलता हैं - मैंने क्या बिगड़ा हैं तुम्हरा मुझे जाने दो - संदीप की बात का उस आदमी पर कोई असर नहीं हो रहा था।

और देखते ही देखते वो आदमी संदीप की आँखो में अपना हाथ डाल कर निकल लेता हैं। और देखते ही देखते संदीप वही दर्द से तड़प तड़प कर अपना दम थोड़ देता हैं।
कहते हैं वो आदमी रोज रात को उस जंगल वाले रास्ते पर पेट्रोल बेचता हैं और अगर कोई उससे पेट्रोल नहीं लेता तो वो जिन्दा नहीं बेचता हैं 

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