हॉरर हॉस्टल स्टोरी || Real life horror storie || hindi story my

 


                   हॉरर हॉस्टल स्टोरी


देहरादून में एक ऐसा हॉस्टल हैं जिसे लोग हॉन्टेड हॉस्टल के नाम से जानते हैं। क्यूंकि वहाँ रह रहे बच्चों का कहना हैं की वहाँ लगे झूलो में से रात को अपने आप झूला झूलने  और की आवाज आती हैं। और ऐसा लगता हैं की कोई झूला झूलते हुए बाते कर रहा हो। पर जब बच्चे वहाँ रह रहे बच्चे खिड़कियों से झूलो की तरफ देखते तो उन्हे झूलो पर बैठा कोई नहीं दिखता। और झूले अपने आप चलते रहते हैं और बाते करने की आवाज भी आती हैं। कोई दिखता नहीं।
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आज की जो यह कहानी हैं इस हॉस्टल में ही रह रही मेघा जी के साथ घाटी घटना हैं। अब यह कहानी में उनके ही शब्दो में जारी रखूँगा।
मेरा नाम मेघा हैं मैं और मेरी बहन प्रीती दो साल से इस हॉस्टल में साथ रह रहे थे। पर एक दिन मेरी बहन प्रीती घर में कुछ आने के वजह से घर गई हुई थी। हॉस्टल के जिस रूम में हम रह रहे थे उसमे मैं और मेरी बहन ही थे। उस दिन मेरी बहन घर गई हुई थी इसलिए मैं आज रात को अपने रूम मे अकेले ही सो रही थी। रात के 12 ही बजे होंगे तभी मेरे रूम के दरवाजे पर किसी ने थप थपाया और कह - मेघा दरवाजा खोल - पहली बार में तो मैंने सही से सुना नहीं।

और उसके थोड़ो ही देर बाद फिर से किसी ने आवाज लगाई - दरवाजा खुल ना मेघा मैं प्रीती - और इस बार मैंने आवाज साफ़ साफ़ सुनी यह प्रीती की ही आवाज थी। मैं सोच ही रही थी की प्रीती इतनी रात को यहाँ कैसे वो तो आज घर गई हुई थी। तभी एक बार फिर से प्रीती ने आवाज दी - जल्दी दरवाजा खुल मेघा मैं कबसे खड़ी हूँ बाहर - मैंने अब ज्यादा ना सोचते हुए कह - हाँ दी अभी खोलती हूँ - यह बोलकर मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो वहाँ सच में प्रीती ही खड़ी थी। पर हमारा घर इतना पास नहीं था। की कोई सुबह जाए और रात को आ जाए। वैसे भी प्रीति ने तीन दिन की छुट्टी ली थी क्यूंकि उसे घर में लगभग दो तीन दिन का काम था।

इसलिए मैंने थोड़ा शक करते हुए प्रीती से पूछा। - क्या हुआ दीदी आप तो तीन दिन बाद आने वाली थी कुछ हुआ क्या - प्रीती मेरी बात का जवाब देते हुए बोलती हैं - अरे यार बस ही छूट गई थी और मैं दूसरी बस का इंतजार कर रही थी पर वो दूसरी बस आई ही नहीं। चल अब बाकि बात कल सुबह करेंगे मुझे बहुत नींद आ रही हैं। - इतना बोलकर प्रीती सोने चली गई। और मैं भी उसके पिछे पिछे सोने चली गई। प्रीती का बेड मेरे ही बेड के ऊपर था। सोते हुए अभी कुछ ही समय हुआ होगा। तभी मुझे ऐसा लगा कोई मेरे सामने खड़ा हो मैंने एकदम से आँखे खोलकर देखा। मेरे सामने कोई और नहीं बल्कि प्रीती ही खड़ी थी। मैंने प्रीती को ऐसे खड़े हुए देखा तो कह - क्या हुआ दीदी अब तक सोए नहीं क्या - मेरी बात का जवाब देते हुए प्रीती बोलती हैं - मुझे डर लग रहा हैं मैं तेरे ही साथ सोऊंगी। - मुझे लगा इनती रात को इनती दूर से आई हैं क्या पता इसलिए डर लग रहा हो।

इसलिए मैंने प्रीती को अपने ही साथ सोने दिया। सोते हुए अभी कुछ ही देर हुई होंगी तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे गले पर हाथ फैर रहा हो। मैंने पहले तो इस पर ज्यादा धियान नहीं दिया। पर लगातार हाथ फैरने की वजह से मेरी नींद टूट गई। और मुझे ऐसा लगा की प्रीती हाथ फैर रही हैं इसलिए मैंने उसे मना करने के लिए जैसे ही उसकी ओर पलटी तो जैसे मेरा खून जम सा गया हो और दिल की धड़कन अपनी दुगनी रफ़्तार से चलने लगी। मैंने देखा  प्रीती की जगह एक बड़ी ही भयानक सी औरत जिसका चेहरा जला हुआ था। उसका चेहरा देखते ही मेरे मुँह से एक बड़ी ही तेज चीख निकली। और मेरी चीख निकलने के कुछ समय में ही पुरे कोरिडोर की लाइट जल गई। और लाइट जलते ही वो औरत भी पता नहीं कहाँ गायब हो गया। और फिर हॉस्टल के सभी लोग मुझसे आकर पूछने लगे की क्या हुआ और मैंने सारी बात सबको बताया तो सबका कहना था की मैंने कोई सपना देखा होगा। और सब मुझे यही बोलकर अपने अपने रूम मैं सोने चले गए।

 पर मुझे पूरा विश्वास था की मैंने कोई सपना नहीं देखा था यह मेरे साथ सच में हुआ था। सबके जाने के बाद मैं फिर से अपने बेड पर आकर लेट गई। इतना सब होने के बाद फिर से नींद तो अब आने से थी। फिर भी मैं लेट गई। लेटे हुए अभी कुछ ही समय हुआ होगा। तभी एक बार फिर से    मेरे रूम के दरवाजे से थप थपाने की आवाज आई। थप थपाने की आवाज के एकदम बाद फिर से किसी ने प्रीती की आवाज में मुझे आवाज दी वो बोल रही थी। - दरवाजा खोल मेघा मैं हूँ प्रीती - आवाज सुनते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मुझे ऐसे लगने लगा किसी ने मेरे ऊपर लखो चीटिया छोड़ दी हो और वो सब चीटिया एक साथ मुझे काट रही हो। कोई मुझे मेरी ही बहन की आवाज लगातार आवाज लाए जा रहा था।

वो बार बार यह बोल रहा था - मेघा दरवाजा खोल मैं तेरी बहन हूँ प्रीती देख कबसे मैं ठंड में खड़ी हूँ - उसकी बात सुनकर एक बार को तो मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे सच में मेरी बहन ही आवाज मार रही हो और मैं जा कर दरवाजा खोल दू। पूरी रात मुझे मेरी बहन की आती रही और मैं पूरी रात सो नहीं पाई थी। 

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