नमस्कार दोस्तों हिन्दी स्टोरी माय के इस एपिसोड में हम आपके लिए रियल लॉइफ हॉरर स्टोरी लाए हैं। जो हमारे ही एक दोस्त के साथ घाटित घटना हैं। इस कहानी को मैं अब उन्ही के शब्दों में जारी रखूंगा।
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मेरा नाम विशाल हैं वैसे तो मुझे कभी डर नहीं लगता। पर कभी जब आस पास किसी की मौत हो जाती हैं तो मुझे डर के मारे पूरी रात नींद नहीं आती हैं ऐसा ही कुछ आज का दिन हैं।आज मेरे ही मोहल्ले की रजनी आंटी की मौत हो गई हैं और अब शाम हो गई थी अब से कुछ ही देर में रात भी हो जाएगी।
और मेरे डर का करण यह था क्यूंकि जब किसी की मौत होती हैं। तो कहते हैं तब 13 दिन तक उसकी आत्मा उसके घर के आस पास ही घूमती रहती हैं। आज वही सब सोचते हुए ना जाने कब रात हो गई पाता ही नहीं चला। और अब मैं अपने कमरे में आकर सोने चला गया। सोते हुए अभी कुछ ही देर हुई थी और मेरा थोड़ी थोड़ी आँख भी लगने लगी थी। तभी किसी ने मेरा पैर पकड़ कर नीचे की ओर खींचा मैंने एकदम से उठकर देखा पर वहाँ कोई नहीं था। मैं यह सोच ही रहा था यह सब क्या हो रहा हैं। क्यूंकि यह मेरा कोई वैहम नहीं हो सकता था।
क्यूंकि मैं अपनी जगह से थोड़ा नीचे की ओर खिसका हुआ था। अब मेरी दिल की धड़कन भी बड़ चुकी थी। पहले तो मैने अपने डर को थोड़ा काम करने के लिए टीवी देखने लगा। आधा एक घंटा टीवी देखने के बाद मैं सोने के लिए फिर अपने बिस्तर पर आ गया। पहले तो मुझे नींद नहीं आई पर थोड़ी देर तक लेटे रहने की वजह से मेरी थोड़ी थोड़ी आँख अभी लगी ही थी। तभी एक बार फिर से किसी ने मेरा पैर पकड़ कर नीचे की ओर खींचा मैंने इस बार भी एकदम से उठकर इधर उधर देखा पर वहाँ मुझे कोई नहीं दिखा अब मुझे सर्दी के मौसम में भी पसीना आने लगा था।
अब मुझे डर के मारे नींद नहीं आ रही थी। और इसी डर को थोड़ा कम करने के लिए मैंने एक बार फिर टीवी ऑन कर दी और मैं टीवी देखने लगा। मैंने टीवी तो लगा लिए थी पर मेरे अंदर यही सब चल रहा था। की यह हो क्या रहा मेरे साथ कौन हैं जो बार बार मेरे पैरो को खींचे जा रहा था और वो मुझे दिख नहीं रहा था। कही रजनी आंटी की आत्मा तो नहीं थी। यह सब मैंने बस सुना ही था पर आज मैं यह सब मैसूस कर पा रहा था। काफ़ी देर तक टीवी देखने के बाद अब मुझे थोड़ी नींद सी आने लगी थी। वैसे यह सब होने के बाद मुझे नहीं लग रहा था
की मैं अब सो पाऊँगा पर अब रात के लगभग 1 बज चुके थे इसलिए मैंने सोचा अब टीवी बंद कर देनी चाहिए। और जैसे ही मैं टीवी के स्विच के पास आया तभी मुझे किसी चीज के खट -खटाने की आवाज आई मैंने पहले तो उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। और मैं जैसे ही टीवी के स्विच को ऑफ़ कर के अपने बेड की ओर मुड़ा तभी एक बार फिर से किसी चीज के खट-खटाने आवाज आई इस बस जिस ओर से आवाज आई थी मैंने उस ही ओर जैसे मुड़ कर देखा तो जैसे मेरे अंदर का खून जम सा गया हो। मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे किसी ने मुझ पर एक साथ लाखो चीटिया छोड़ दी हो और वो सब एक साथ मुझे कट रही हो।
मैंने देखा मेरे कमरे की खिड़की के बाहर से रजनी आंटी खड़े होकर खिड़की को अपने एक हाथ से तप तपा रही थी और उसने वैसे ही कपडे पहने थे। जैसे वो पहले पहना करती थी। और उनके बाल खुले थे और मुझे ही गुरे जा रही थी। उनको ऐसे अपने सामने खड़े देख कर मेरे डर की कोई सीमा नहीं थी। अगर कोई डर नापने वाली मशीन होती तो उसमे मेरा डर सबसे ऊपर ही होता। वो आंटी अभी भी मेरे कमरे की खिड़की खट खटा रही थी। और अब मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी की अपने कमरे से बाहर निकल कर सबके पास चला जाऊ इसलिए मैंने अपने फ़ोन से अपने पापा को फ़ोन करा और बोला पापा मुझे डर लग रहा हैं। पापा मेरी बात तुरंत समझ गए क्यूंकि वो जानते थे मैं कभी नहीं डरता था इसलिए पापा तुरंत मेरे कमरे में आ गए पर पापा जैसे ही आई वो आंटी वहाँ से गायब हो गई थी। और पापा मुझे अपने साथ अपने कमरे मैं ले गए। और मैं पूरी रात वही रहा।
और सुबह जब मैंने सारी बात सबको बताया तो मुझे पाता चला की वो आंटी मेरे मोहल्ले के और भी लोगो को दिख चुकी थी।
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इस कहानी ने इस बात को सच साबित कर देती हैं की किसी के मरने पर उसकी आत्मा 13 दिन तक अपने घर के आस पास ही भटकती रहती हैं। और ऐसा हमने कही जगह देखा हैं की जब कोई मर जाता हैं तब उसकी आत्मा वहाँ के लोगो को दिख जाती हैं।