इस जगह पर मत सोना || hindi story my || real life horror storie

 


                  इस जगह पर मत सोना


गाँव दिन में जितना खूबसूरत और आकर्षक लगता हैं उतना ही रात को डरावना और भयानक भी हो जाता हैं। आप कभी गाँव गए हो पर अपने गाँव के बारे में कोई भूत की बात ना सुनी हो ऐसा हो ही नहीं सकता। क्यूंकि गाँव में रह रहे लोग भूतों को या कोई भूत वाला हादसा जरूर देख चुके होते हैं। गाँव में भूतों के हादसे इसलिए ज्यादा होते हैं क्यूंकि गाँव में ज्यादा जगहों पर अंधेरा ही होता हैं। और भूतों को भी अँधेरे में रहना ज्यादा पसंद होता हैं।
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आज की जो यह कहानी हैं वो मनीषा जी के साथ घाटी घटना हैं। वैसे तो वो देहरादून में रहती थी पर छुट्टियों के समय में जब वो अपने पुरे परिवार के साथ अपने गाँव गए थी। तब उनके साथ एक ऐसी घटना घाटी जिसे याद करके उनका दिल आज भी देहल सा जाता हैं।
अब यह कहानी में उनके ही शब्दो में जारी रखूंगा।
मेरा नाम मनीषा हैं और आज हम बड़े ही ख़ुश थे क्यूंकि आज हमारा पूरा परिवार गाँव आया हुआ हैं। मेरे परिवार में मेरे मम्मी पापा और मेरे दो भाई और मेरी एक बहन थी। आज पूरा दिन हम भाई बहन पुरे गाँव में और खेतो में घूमते रहे। पूरा दिन घूमने के बाद हम शाम को घर वापस आ गए। थोड़ी देर अपने दादा से कहानियाँ सुनी और फिर खाना खा कर सो गए।

लगभग रात के 12 ही बजे होंगे तभी मुझे किसी बच्चे के खेलने की आवाज आई । आवाज को नजरअंदाज कर के मैंने दूसरी ओर को करवट बदल ली। मेरे करवट बदलते ही किसी बच्चे की मेरे चारो भागने की आवाज आने लगी जैसे कोई मेरे चारो ओर चक्कर लगा रहा हो। मैंने सोचा मेरा छोटा भाई होगा या मेरी चाची के बच्चे होंगे और मुझे परेशान करने के लिए मेरे चक्कर लगा रहे होंगे । मैंने उस बच्चे को ढाटने के लिए जैसे ही आँखे खोली और उस बच्चे का चेहरा देखा तो मेरे हाथ पैर डर के मारे कापने लगे। क्यूंकि उस बच्चे का चेहरा पूरा सफ़ेद और जगह जगह से फटा हुआ था। यह कर मेरी दिल की धड़कन अपने दुगनी रफ़्तार में हो गई थी। और वो बच्चा मेरे चारो और घूम घूम कर अपने दोनों हाथो से धक्का दे रहा था। तभी पता नहीं मुझे क्या होने लगा की मैं जोर जोर से रोने लगी। मेरी रोने की आवाज सुनकर घर में सब जग गए थे ।

और मेरे पास आकर मुझसे पूछने लगे की मैं रो क्यों रही हूँ पर पता नहीं उस समय मैं कुछ बोल क्यों नहीं पा रही थी। मेरी ऐसी हालत देख कर घर वाले समझ गए थे की कुछ तो गड़बड़ हैं। और हैरानी की बात तो ये थी की घर के सब लोग वही पर आ गए थे। पर वो बच्चा किसी ओर को नहीं दिख रहा था। और वो बच्चा अभी भी मेरे चारो ओर घूमे जा रहा था और मुझे देखकर मुस्कुराए जा रहा था। मेरी ऐसी हालत देखकर मेरी मम्मी मुझे घर में ही बने मंदिर पर लेकर गई। और मंदिर में ही जाते मेरा रोना भी अपने आप रुक गया था। और वो बच्चा भी पता नहीं कहाँ गायब हो गया था। कुछ देर मंदिर में ही रुकने के बाद मम्मी मुझे वापस से मेरे बिस्तर पर लेकर आ गई। और बिस्तर में आते ही वो बच्चा फिर से मेरे सामने आ गया था और उसने फिर से मेरे चारो ओर चक्कर लगाना शुरू कर दिया था 

 जैसे ही उसने चक्कर लगाना शुरू करा था उसके कुछ समय बाद से मैं अपने आप फिर से रोने लगी थी। पता नहीं क्यों उस समय मैं कुछ भी किसी को बता क्यों नहीं पा रही थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था की यह बच्चा किसी ओर को क्यों नहीं दिख रहा और किसी ओर को क्यों नहीं डरा रहा था। मेरे घर वाले भी कुछ समझ नहीं पा रहे थे की मेरे साथ क्या हो रहा हैं। और वो बच्चा अभी भी बार बार मेरे चक्कर लगा कर मुझे धक्का दे रहा था। एक तो उसका चेहरा ही इतना भयानक था की किसी को भी डरा दे ऊपर से उसका बस मुझे ही डराना मेरे डर को बड़ा रहा था। तभी मेरी मम्मी ने मेरे पापा से मुझे नानी के घर छोड़ आने को कह। तब मेरे पापा मुझे नानी के यहाँ छोड़ने जाने लगे और वो बच्चा तब तक मेरे साथ था जब तक हम घर से बाहर नहीं निकले थे और घर से निकलते ही वो बच्चा भी गायब हो गया था।

उस रात नानी के यहाँ रहने के बाद अगले दिन जब मेरे दादा एक बाबा के पास गए तो उन्होंने बताया की उस जगह से बिस्तर हटा दो जिस जगह पर मेरा बिस्तर लगा था। फिर वो बच्चे की आत्मा फिर किसी को परेशान नहीं करेगी। बस उस जगह पर बिस्तर फिर मत लगाना।
यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित हैं 

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