मौत का खेल || Horror storie in hindi || hindi story my

 


                              मौत का खेल


लखनऊ का राजकीय इंटर कॉलेज में आज पंकज प्रसाद जी का पहला ही दिन है। बतौर अध्यापक इस विद्यालय में पंकज जी को अंग्रेजी पढ़ाना है। यहां पर अभी 5 दिन पहले ही पंकज जी का तबादला हुआ है इससे पहले देहरादून के एक नामी विद्यालय में यह अंग्रेजी पढ़ाया करते थे।1 -1996- 25 जनवरी आज पंकज जी इस विद्यालय में बतौर अध्यापक अंग्रेजी पढ़ाने के लिए आए हैं। लेकिन आज स्कूल में कल यानी 26 जनवरी की तैयारी करवाने के लिए सभी अध्यापक अध्यापिका देर तक रुकी हुई थी।
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 पंकज जी भी उनके साथ ही रुक गए सभी तैयारियां करते करते लगभग 6:00 बज गए जनवरी का महीना था। इस वजह से 6:00 बजे अच्छा अंधेरा भी हो गया और सभी टीचर स्कूल बस में जाने के लिए बैठ गए एक टीचर ने कहा कि सर आप भी बैठ जाओ इसी बस में कल सुबह आ जाना आपका घर जहां है। बस वही से होकर ही गुजरती है लेकिन पंकज जी ने कहा नहीं मैं स्कूटर लेकर आया हूं स्कूटर मैं ही चला जाऊंगा इतना कहकर पंकज जी अपना स्कूटर स्टार्ट कर रहे थे। और बस निकल गई थोड़ी देर में स्कूटर स्टार्ट हो गया ठंड का मौसम था इस वजह से स्टार्ट होने में थोड़ा टाइम लगा शुक्र है स्टार्ट हुआ।

 पंकज जी थोड़ा आगे ही निकले थे कि एक व्यक्ति पंकज जी से बोला अरे सर मुझे भी छोड़ देना मैं भी वही जाऊंगा मुझे थोड़ा काम था। इसलिए मैं बस में नहीं जा पाया । उस व्यक्ति ने कहा मेरा नाम मुकेश त्रिवेदी है और मैं यहां का चौकीदार हूं अब मेरी भी ड्यूटी खत्म हो गई है तो मुझे भी घर जाना है। आप जा ही रहे हो तो मुझे भी ले चलो पंकज जी ने सोचा सही है वैसे भी रात हो गई है दो जने रहेंगे बात करते-करते निकल जाएगा। घर यहां से लगभग 30 मिनट की दूरी पर था पंकज जी और मुकेश दोनों बात कर रहे थे और स्कूटर भी अपनी रफ्तार में चल रहा था। रास्ते में एक जंगल भी पड़ता है आमतौर पर इस जंगल से यातायात चलता रहता है। कोई ज्यादा दिक्कत होती नहीं है।

 जंगल में थोड़ी दूर ही पहुंचे होंगे कि पंकज जी ने देखा एक सुंदर लड़की जंगल में ही सड़क किनारे बैठी रो रही है। और हेल्प मी हेल्प मी प्लीज हेल्प मी चिल्ला रही थी लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया। और अपनी रफ्तार से चलते रहे लेकिन पंकज जी बोले मुकेश से हमने कहीं गलती तो नहीं करी क्या पता क्या जरूरत रही हो उसको हमें उसकी मदद करनी चाहिए थी। मुकेश जी बोला सही कह रहे हो पंकज और मुकेश जी सोच रहे थे कि हमने उसकी मदद क्यों नहीं करी। लगभग 500 मीटर ही आगे पहुंचे की पंकज जी पर लाइट पड़ी अब की बार पंकज जी की धड़कन तेज हो गई और पंकज जी बोले मुकेश यह देखो वही लड़की है।और फिर से यही बात दोहरा रही थी वह हेल्प मी हेल्प मी प्लीज हेल्प मी प्लीज हेल्प मी लेकिन इस बार पंकज जी ने गाड़ी तेज भगानी चाहिए।

 और कहा भगवान का शुक्र है कि हमने गाड़ी वहां नहीं रॉकी और दोनों यही बात कर रहे थे। कि यह कैसे हो सकता है। यही लड़की हमको पीछे मिली इतनी जल्दी कैसे आगे आ सकती है। यह और उसी हालत में बैठी हुई दोनों एक दूसरे से यही कह रहे थे। अब कुछ ही दूर पहुंचे होंगे कि पंकज ने देखा स्कूटर बहुत भारी चल रहा है। और कुछ घसीट ने की आवाज आ रही है। पंकज जी घबराए और पीछे देखा तो पंकज जी के होश उड़ गए। पंकज जी की आंखें फटी रह गई खून जम गया और दिल की धड़कन मानो रुक ही गई हो। जो मुकेश उनके साथ बैठा हुआ था उसके पैर बड़ी दूर तक फैले हुए थे। और चेहरा भी बहुत खौफनाक हो चुका था।

पंकज की सांसे मनो रुक गई हो अब बहुत भयानक आवाज में मुकेश पंकज से बोला - सर जी अंग्रेजी पढ़ाने आए हो यहां पर तुम - पंकज ने डरते हुए कहा - हां तो - मुकेश बोला तो फिर मरना होगा पंकज ने इतना ही सुना स्कूटर छोड़ा भागने लगा पंकज के अंदर जितनी जान थी। उतनी स्पीड से पंकज उसी जंगल के रास्ते में भाग रहा था गाड़ियां तो चल रही थी। लेकिन मानो पंकज पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा था और पंकज रोते हुए चिल्लाते हुए भाग रहा था बचाओ बचाओ पंकज को आगे से तुरंत किसी ने थाम लिया पंकज ने ऊपर देखा तो वह वही लड़की थी। जो पीछे बैठी रो रही थी पंकज तुरंत पहचान गया उसे उस लड़की ने पंकज से कहा सर हेल्प मी सर हेल्प मी सर प्लीज हेल्प मी पंकज की डर से हालत खराब हो चुकी थी।

और पंकज जोर जोर से रोने लगा कौन हो तुम मुझे क्यों नहीं जाने दे रहे पंकज ने इतना ही कहा कि पीछे से किसी ने पंकज को बड़ी जोर से जकड़ लिया और उसी भयानक आवाज में वह बोला सर जी मरना तो तुमको पड़ेगा। पंकज रोते हुए बोला आखिर क्यों तुम लोग मुझे मारना चाहते हो मैंने क्या किया है ऐसा भारी भरकम आवाज में मुकेश ने कहा जो मेरी जगह लेगा वह मरेगा। और तू आज मरेगा पंकज तो पहले से ही डरा हुआ था फिर भी घबराते हुए उसने कहा आप की जगह मुकेश बोला हां मेरी जगह मैं राजकीय इंटर कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाया करता था। और अब जो मेरी जगह लेगा वह मरेगा।

 बस मुकेश बताने लगा मैं रोज सुबह सही समय पर विद्यालय जाता था। और सच्ची निष्ठा और ईमानदारी से सभी बच्चों को पढ़ाता था सभी बच्चे और बच्चों के माता-पिता भी मेरा बहुत सम्मान करते थे। सब लोग मेरा बड़ा ही आदर किया करते थे तभी कुछ दिनों मैं यह खबर आई थी अब मुकेश त्रिवेदी जी का प्रमोशन हो जाएगा और त्रिवेदी जी को विद्यालय का प्रिंसिपल बनाया जाएगा मैं बहुत खुश था। और सभी बच्चे भी खुश थे लेकिन स्कूल के प्रिंसिपल रविंद्र नाथ त्यागी खुश नहीं थे उन्होंने मुझे अपने कक्ष में बुलाया और कहा कि स्कूल खत्म होने के बाद तुम मुझसे मेरे कक्ष में मिलो और ऐसा ही हुआ दोपहर 2:00 बजे सभी बच्चे अपने घर चले गए।

और सभी टीचर स्कूल बस में अपने घर निकल गए मैं त्यागी सर के कक्ष में गया सर ने कहा - आओ कल से तुम इस स्कूल के प्रिंसिपल बन जाओगे तुम अब मेरी जगह ले लोगे ऐसा आज तक नहीं हुआ कि किसी प्रिंसिपल को हटाकर इस स्कूल में किसी और को बनाया गया और इस प्रिंसिपल को सब उसके नीचे काम करना पड़ रहा हो मैं तुम्हें कुछ डॉक्यूमेंट समझा देता हूं बहुत सी जिम्मेदारी आ जाएंगी कल से तुम्हारे ऊपर। इस विद्यालय के लिए यह कहकर त्यागी जी ने मुझे अपने साथ छत पर बुला लिया धूप में मैंने कहा सर मेरी बहन बाहर है।

 वह घर अभी नहीं गई मेरे साथ ही जाएगी इसी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ती थी सर ने कहा चले जाना आ जाओ हम छत पर ही थे। किनारे खड़े बात कर रहे थे तभी त्यागी जी ने अचानक मुझे जोर से पकड़ लिया और कहा तू मेरी जगह लेगा और मुझे धक्का दे दिया 4 मंजिल का विद्यालय था। नीचे मेरी बहन मेरा इंतजार कर रही थी सड़क पर और मैं सीधा सड़क पर ही गिरा मेरी बहन देखकर जोर जोर से रोने लगी और मुझे जैसे तैसे पकड़कर सड़क पर ले आई की कोई मदद करेगा लेकिन कोई भी। गाड़ी वाला या कोई भी व्यक्ति हमारी कोई भी मदद नहीं कर रहा था मेरी बहन मुझे बड़ी मुश्किल से उठाकर ले जा रही थी। जंगल वाली रोड पर किनारे मुझे लीटाकर सबसे लिफ्ट मांगने की कोशिश करती रही रो रही थी। हेल्प मी प्लीज हेल्प मी मदद कर दो लेकिन कोई भी मदद करने वाला नहीं मिला।

 तभी अचानक एक गाड़ी रुकी और मेरी बहन ने सोचा यह मेरी मदद जरूर करेंगे लेकिन वह स्कूल के प्रिंसिपल त्यागी जी थे। मेरी बहन ने कहा सर भैया को चोट लगी है। प्लीज मदद कर दो लेकिन त्यागी जी बाहर निकले और लगातार मेरी बहन पर चाकू के वार शुरू कर दिए। जब तक मेरी बहन में दम नहीं तोड़ दिया जब तक वह चाकू बरसाते गए तो बस तब से ही अब जो मेरी जगह लेता है। मैं उसको मार देता हूं हमने पहले प्रिंसिपल त्यागी को मारा और जितनी भी टीचर अंग्रेजी पढ़ाने आए एक-एक कर सब को मार दिया अब तेरी बारी गहरे सदमे में बेहोशी की हालत में पंकज था। वह लड़की फिर बोली हेल्प मी सर हेल्प मी ना भूल कर पंकज का पूरा शरीर नोच लिया और लगातार पंकज को वह लोग घसीटते रहे पूरे जंगल में और पंकज जोर जोर से चीख चिल्ला रहा था। बचाओ बचाओ लेकिन पंकज को बचाने वाला कोई नहीं था।

 पंकज बेहद दर्द से तड़प रहा थातड़प तड़प के उसकी जान चली गई थोड़ी देर में। अगले दिन यानी 26 जनवरी को यूपी पुलिस को उसी जंगल में सड़क किनारे पंकज प्रसाद की लाश बड़ी बुरी हालत मे मिली आज भी उस राजकीय इंटर कॉलेज में अभी तक अंग्रेजी पढ़ाने वाले अध्यापक की जरूरत है। अगर कोई अध्यापक भी आ जाता है तो वो 4 या 5 दिन के अंदर उसकी मौत हो जाती है। वह चौकीदार आज भी वही स्कूल के बाहर मिल जाता है नए अंग्रेजी अध्यापक को क्या आप अंग्रेजी पढ़ना चाहेंगे।

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