एक गलती पड़ी भारी E-3 || horror story lyrics in hindi || Hindi story my

 


एक गलती पड़ी भारी E-3



हम लोग शिवानी को लेकर बाबा के निवास पर दिन में ही पहुंच गए। पर हमने देखा बाबा तो अपनी झोपड़ी में हैं ही नहीं और बाबा वहाँ ना देखकर हम लोग बाबा को जंगल में इधर उधर ढूंढ रहे थे। और थोड़ी देर बाद हमने देख बाबा सामने से ही चले आ रहे थे बाबा ने आकर हमको बताया कि वो नदी पर स्नान करने गए थे। उसके बाद बाबा ने दीपक की पत्नी शिवानी को अपने पास बैठाया और हम सब लोगों को कहा - तुम सब थोड़ा-थोड़ा दूर हट जाओ - शिवानी वहाँ बैठे बैठे रो रही थी और कह रही थी - क्या हुआ हैं मुझे क्यों लाए हो मुझे यहाँ - लेकिन किसी ने उसे कुछ नहीं बताया।
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उसके बाद बाबा ने एक लोटे में जल भरा और मंत्र पढ़ने लगे और फिर बाबा ने अपने झोले से थोड़ी राख या भभूति जो भी थी उसे निकाल कर उन्होंने उस जल में डाल दिया और शिवानी को पीने के लिए कहा - लेकिन शिवानी पानी पीने से साफ मना कर रही थी। उसके बाद बाबा ने दीपक को कहा - तुम इसको यह पानी पीलवा हो - बाबा की सुनकर दीपक ने बाबा से वो लोटा लिया और शिवानी को वो पानी जबरदस्ती पिला दिया। फिर बाबा ने शिवानी के बाल पकड़कर उसको अपने से आगे की तरफ पटक दिया। शायद बाबा ने उधर मंत्र वगैरा पढ़कर कुछ बिछा रखा था क्यूंकि जैसे शिवानी उस पर गिरी उसकी आवाज फिर चेंज हो गई।

और वो फिर आदमी वाली ही आवाज में बोलने लगी वो कह रही थी कि - मैं तुम सब को मार दूंगा तुम सब मारे जाओगे तुम लोगों ने हमारे बीच में आ कर अच्छा नहीं किया अब तुम सब मरोगे यह मुझे अच्छी लगी है और इसे मैं लेकर ही जाऊंगा - शिवानी की आवाज सुनकर ऐसा लग रहा था कि उसके अंदर से एक साथ दो दो आदमी की खतरनाक भयानक आवाज आ रही हो और वो कह रहे थे - बाबा तू हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता और तू हमारा कुछ नहीं कर सकता तु भी मारा जाएगा अब बाबा छोड़ दे हमें और चला जा यहाँ से मैं इसको लेकर जाऊंगा यह मुझे अच्छी लगी है अब यह बस मेरी है और कोई हमारे बीच में आएगा तो बस वो मारा जाएगा -

फिर बाबा ने कहा - दीपक जाओ एक बाल्टी में पानी भरकर फिर लेकर आओ - बाबा की बात सुनकर दीपक तुरंत गया और पानी लेकर आया। फिर बाबा ने उसमें थोड़ी राख डाली और मंत्र पढ़ने लगे उसके बाद बाबा ने शिवानी के बालों को पकड़कर उसी बाल्टी में शिवानी का मुंह दबा दिया। बाबा ने पूरी जान से शिवानी को बाल्टी में दबा रखा था और शिवानी चीख चिल्ला रही थी बस यही कह रही थी - मुझे छोड़ दो वरना मैं सबको मार दूंगा यह तो बस मेरी है अब इसे मैं लेकर जाऊंगा - फिर बाबा ने कहा - तू अभी बता दे की तू कौन है और इस लड़की को परेशान क्यों कर रहा है क्यों तू इस लड़की की जिंदगी में आया उसके बाद मैं तुझे छोड़ दूंगा और जाने दूंगा नहीं तो मैं तुझे यही बंद कर दूंगा और यही बंदी बना लूंगा -

लेकिन बाबा ने इतना कहा कि जैसे फिर शिवानी बाबा का मजाक उड़ा रही हो और वो बाल्टी के अंदर से ही बड़ी भयानक आवाज में हंसने लगी या फिर यूं कहो जो उसके अंदर आत्मा या शक्ति थी वो कह रहा था - बाबा तू मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता और ना ही तू मुझे बंदी बना सकता है - बाबा ने इतना सुनाओ तो शायद बाबा को भी गुस्सा आ गया और बाबा ने शिवानी के बाल पकड़े और उसको घसीटते हुए अपनी झोपड़ी के अंदर ले गए यह देखकर मैं और दीपक बाकी सब लोग बहुत डर गए। कि बाबा शिवानी को बाल से पकड़कर घसीट रहे थे लेकिन हम में से किसी ने भी कुछ भी बोलना सही नहीं समझा।

अंदर से झोपड़ी बहुत बड़ी थी उसके बाद बाबा शिवानी को लेकर उस जगह पर गए जहाँ हो पूजा क्या करते थे। उस दिन मंगलवार था बाबा ने शिवानी को बालों से पकड़कर नीचे जमीन में दबा रखा था और बाबा पूजा करने लगे शायद हनुमान जी की पूजा कर रहे थे। बाबा को पूजा करते करते थोड़ा अलग किसम का गुस्सा आ गया बाबा ने उसका सर हनुमान जी की मूर्ति के नीचे जोर से पटका और कहा - अब तुझे इसी जगह बंद कर देंगे और तू कभी नहीं आजाद हो सकता इसलिए बता दे तू कौन है क्यों परेशान कर रहा है इस लड़की को - शायद जो आत्मा या शक्ति शिवानी के अंदर थी वो डर गई थी और घबरा रही थी।

इसलिए डरते हुए शिवानी के अंदर से आवाज निकली वो कह रहा था -कि हम दोनों पीपल के पेड़ पर रहते हैं और यह लड़की उसी पेड़ के नीचे बैठी थी और तभी हमको यह पसंद आ गई इसलिए हम इसके साथ आ गए इसको ले जाने अपने साथ - फिर बाबा ने कहा - तुम दो हो - उसके बाद शिवानी के अंदर से उसी भयानक आवाज ने कहा - हम दोनों भाई हैं हम जिन हैं - फिर बाबा ने कहा - अभी चले जा यहां से वरना यही तुझे कैद कर दूंगा मैं - अब वो जिन जो शिवानी के अंदर थे वो बाबा से शायद डर गए थे। इसलिए वो कह रहे थे - आप हमें यहां से दूर रखो - उनकी बात सुनकर बाबा ने कहा - तुम हनुमान जी के चरणों में हो तुम अभी खत्म हो जाओगे वरना अभी छोड़कर चले जाओ इसको और कहो कभी नहीं आओगे -

लेकिन जिन फिर हंसने लगे उसी भयानक आवाज में इस बार बाबा को गुस्सा आ गया और उन्होंने जो बाल्टी जल से भरी हुई थी वो पूरी शिवानी के ऊपर डाल दी तो शिवानी के अंदर जो जिन थे शायद तड़पने लगे और उनके रोने चीखने की आवाज आने लगी कि - छोड़ दो हमें जाने दो हम वादा करते हैं अब कभी नहीं आएंगे इसके पास - बाबा ने हनुमान जी के चरणों में ही फिर से शिवानी का सर पकड़ कर पटक दिया। फिर सब ने देखा कि शिवानी बेहोश हो गई यह देखकर तो दीपक रोने लगा और घर के सब लोग भी डर गए फिर बाबा ने कहा - कुछ नहीं हुआ तुम लोग मत घबराओ भगवान ने इस लड़की को बचा लिया सुर अगर शायद आज देर हो जाती तो यह लड़की अपनी जिंदगी खो बैठती तुम लोग शुक्र करो भगवान जी का कि उन्होंने इस को बचा लिया -

और बाबा ने शिवानी के बालों में जो रस्सी बांधी हुई थी उसे खोल दी और उसके हाथों को भी खोल दिया। और थोड़ी देर में शिवानी को भी होश आ गया और वो नॉर्मल भी हो गई थी। और उसको कुछ नहीं समझ में आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है कि वो यहाँ इस हालत में कैसे हो गई। उसके बाद बाबा ने शिवानी के गले में एक ताबीज बंधी और एक ताबीज हाथों में बांधी और दीपक को भी एक ताबीज थी फिर बाबा ने कहा - वैसे तो वो अब कभी इसके पास नहीं आ सकते क्योंकि यह ताबीज जब तक रहेगी वो तो क्या कोई भी बुरी शक्ति भूत प्रेत या जिन शिवानी के पास नहीं आ सकते। - उसके बाद हम सब घर वापस आ गए।

यह घटना बहुत विचित्र थी क्योंकि मैंने आज तक अपनी जिंदगी में ऐसी घटना नहीं देखी थी। इस घटना के लगभग 3 महीने बाद शिवानी और दीपक यहाँ से दिल्ली चले गए और वो अभी वहीं पर हैं आज आपके सामने जो यह कहानी मैंने बताई यह मैंने उन्हीं से पूछने के बाद उनकी कहानी आपके सामने लेकर आया हूँ।

इस कहानी को भेजा हैं रोहित वर्मा ने और उनसे सुनकर लिखा हैं  रामचंद्र यादव ने
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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