एक गलती पड़ी भारी E-2 || bhoot ki sacchi kahani || Hindi story my

 


एक गलती पड़ी भारी E-2


वहाँ पहुंच कर हम दोनों ने बाबा को सारी घटना बताइए कि क्या हो रहा है बाबा ने हमारी बात ध्यान से सुना और कहा - जाओ यह बाल्टी उठाकर सामने से पानी भरकर ले आओ - दीपक ने थोड़ी हैरानी भरी नजरों से बाबा की तरफ देखा। और फिर हम दोनों उस कुएं से पानी लेकर आ गए बाबा ने थोड़ा सा पानी एक डब्बे में रखा और ना जाने कौन से मंत्र पढ़ने लगे। बाबा ने लगभग 5 मिनट तक मंत्र फूंक कर उस पानी को हमारे हाथ में दिया और कहा - जाओ पूरे कमरे में इसको छिड़क देना किसी तरह से आज की रात बिता लो और कल हम इसका समाधान कर देंगे क्योंकि कल मंगलवार है और हम मंगल या इतवार को ही यह सब देखते हैं।
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हमने बाबा को बार-बार कहा की बाबा आप एक बार हमारे साथ घर चल के देख लो लो फिर हम आपको वापस यही छोड़ देंगे। लेकिन बाबा जाने को तैयार नहीं हो रहे थे बाबा ने कहा - कल आप लोग यहाँ मुझे लेने आना हम कल ही देख लेंगे - बाबा की बात सुनकर मैंने दीपक के घर पर फोन कर के बताया तो फिर दीपक के पापा ने बाबा से बात करी और फिर बाबा आने को तैयार भी हो गए। बाबा ने अपना थोड़ा सामान अपने झोले में लिया। और फिर हम बाबा को लेकर थोड़ी देर में ही दीपक के घर पहुंच गए। और उसके घर पहुंचते ही बाबा ने घर के सभी लोगों को कहा तुम सब लोग अब थोड़ा दूर हट जाओ और इस कमरे का दरवाजा बंद कर दो सब लोगों ने ऐसा ही किया।

सब कमरे से बाहर निकल आए और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया बाबा जो अपने साथ जल लेकर आए थे मंत्र फूंक कर उन्होंने उस जल को कमरे के चारों तरफ छिड़कना शुरू कर दिया बाबा बाहर से ही कमरे की दीवारों पर और हर जगह जल छिड़क रहे थे यकीन मानो यह अविश्वसनीय और अकल्पनीय लग रहा था। क्योंकि बाबा जैसे जैसे जल छिड़क रहे थे वैसे वैसे मानो दीवारों से एक धुआं उठ रहा था। और चारों तरफ धुआं धुआं सा हो गया बाबा ने कहा -जिस भी आत्मा या शक्ति ने इस लड़की के अंदर प्रवेश कर रखा है वो बहुत ज्यादा शक्तिशाली है और बहुत खतरनाक है - यह सुनकर दीपक बहुत ज्यादा डर गया और उसने जाकर सीधा बाबा के पैर पकड़ लिए।

फिर दीपक ने बाबा से कहा - बाबा किसी भी तरह से आप मेरी पत्नी को बचा लो बस - बाबा ने दीपक को अपने दोनों हाथों से उठाया और हल्की मुस्कान से कहा - कुछ नहीं होगा बस तुम लोग थोड़ा दूर रहो अभी - इतना कहकर बाबा ने कमरे का दरवाजा खोल दिया। और फिर अंदर का दृश्य देखकर वहाँ खड़े सभी लोगों की रगों में चलता खून मनोज जमसा गया हो। क्योंकि अंदर हमने देखा दीपक की पत्नी यानी शिवानी अपने उल्टे हुए बेड पर बैठी हुई थी और अपने दोनों हाथ से उठाकर कांच मुंह में डालकर कांच जबा रही थी। और उसके पूरे मुंह से खून बह रहा था या फिर यूं भी कह सकते कि शिवानी के पूरे शरीर से खून खून बह रहा था उस समय बाबा ने उस कमरे के अंदर अब वही जल छिड़कना शुरू करा और मंत्र पढ़ने लगे।

बाबा जैसे जैसे वो कमरे के अंदर भी जल छिड़क रहे थे तो पूरे कमरे के अंदर से धुआ धुआ ही निकल रहा था। आज तक ऐसा मैंने कभी देखा नहीं था कि अगर किसी के अंदर भूतिया आत्मा आई हो और जल छिड़कने से इस तरह दुआ निकल रहा हो। यह बहुत अविश्वसनीय दृश्य था तभी वो दीपक की पत्नी शिवानी फिर से आदमी की आवाज में ही चिल्लाने लगी वह कह रही थी सबको मरना है क्या अब बाबा को बड़ी बुरी तरह से घूरते हुए गुरा रही थी और वह बाबा को कह रही थी तू भी मरेगा अब तू यहां क्यों आया है जो हमारे बीच में आएगा वह मारा जाएगा चला जा यहां से अभी चला जा नहीं तो तू भी मारा जाएगा इसको मैं लेकर जाऊंगा यह मुझे अच्छी लगी है -

बस यही कह रही थी शिवानी उसके बाद बाबा और दीपक और उसके पापा को साइड में बुलाया और कहा -  इसके अंदर एक बहुत खतरनाक शक्ति प्रवेश कर चुकी है इसलिए इस लड़की को इस बुरी शक्ति से मुक्त कराना इतना आसान नहीं होगा कल मंगलवार है और किसी तरह से तुम कल इसको मेरे निवास पर ले आना तभी इसको हम इस बुरी शक्ति से बचा सकते हैं - दीपक ने रोते हुए कहा - तो बाबा आज क्या होगा आज शिवानी को हम इस बुरी हालत में कैसे छोड़ सकते हैं - उसके बाद बाबा ने इतना ही कहा - मैं अभी कुछ बंदोबस्त कर दूंगा रात भर की बात है दिन में थोड़ा बहुत नॉर्मल हो जाएगा लेकिन याद रहे रात को तुम लोगों में से एक ना एक किसी को जागा रहना होगा ।

और इस लड़की पर तुम लोग खास नजर रख कर रखना - फिर बाबा ने शिवानी को बड़ी मुश्किल से पकड़ कर एक कुर्सी में बांध दिया। और उसके चारों तरफ मंत्र पढ़कर एक घैरा बना दिया और कमरे के दरवाजे पर एक धागा दीवान दिया। इतना कर के बाबा ने मुझसे कहा - चलो मुझे अब छोड़ आओ - उसके बाद मैं और दीपक बाबा को बाइक में बैठा कर उनके स्थान पर छोड़ने जा रहे थे और थोड़ी देर में हम वहां पहुंच गए। फिर बाबा गाड़ी से उतरे और दीपक को कहा - दीपक यह रात तुम्हारी पत्नी पर बहुत भारी पड़ने वाली है समझ लो उसके जिंदगी की यह बहुत भयानक और भारी रात गुजरने वाली है इस रात इसकी जान को बहुत खतरा है इसलिए भगवान से दुआ करना कि वो तुम्हारी पत्नी को सही रखें और उस बुरी आत्मा से बचाकर रखें - बाकी कल तुम लोग दिन में ही खाना पीना खाकर अपनी पत्नी को यहां ले आना बाकी भगवान की मर्जी -

इतना कहकर बाबा अपने झोपड़ी के अंदर चले गए मैं और दीपक रास्ते पर यही सोच रहे थे कि बाबा कितनी बड़ी चेतावनी देखकर चले गए इस रात के लिए। यही सब बाते करते हुए हम लोग घर पहुंचे तो दीपक कमरे के अंदर गया तो वहां ऐसा लग रहा था की दो आदमी आपस में बात कर रहे हो आदमियों की बात करने की आवाज आ रही थी। लेकिन बाबा ने कहा था की ना तो शिवानी को कोई छू ना और ना ही कोई इसको खोलना बस वहीं पर जगह रह कर उस पर नजर रखनी थी किसी तरह डरते डरते आखिर वो रात तो बीत गई। जब सुबह सब लोग उठे तो सब ने देखा शिवानी बिल्कुल नॉर्मल थी उसे कुर्सी से बांधा हुआ था और बाबा ने बताया था कि सुबह में खोल देना दीपक ने अपनी पत्नी को कुर्सी से खोला और बाबा ने जो गेरा बनाया हुआ था।

उसको काट दिया शिवानी बिल्कुल बेहोश थी और गई के डॉक्टर ने शिवानी पर पानी छिड़का और उसको होश में लाकर उसकी चोटों पर मलमपट्टी करने लगे शिवानी के पूरे बदन पर चोट लगी हुई थी। उसका सर फटा हुआ था और कांच जबाने के कारण उसका पूरा मुंह कटा हुआ था और शिवानी कह रही थी - क्या हुआ मुझे यह सब क्या हुआ मेरे साथ - वो रो रही थी और पूछ रही थी लेकिन बाबा ने बताने से मना किया था इसलिए हम में से किसी ने शिवानी को कुछ नहीं बताया। शिवानी सबसे पूछती रही क्या हुआ मुझे ऐसी हालत कैसे हो गई मेरी -

क्योंकि उसको शायद कुछ भी याद नहीं था वो रात वाली घटना के बारे में और बाबा के कहे अनुसार दीपक और दीपक के घर वाले सब खाना पीना खाकर दिन में ही शिवानी को लेकर बाबा के निवास पर पहुंच गए मैं पर हमने देखा बाबा तो अपनी झोपड़ी में हैं ही नहीं। इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।


यह कहानी भेजी हैं रोहित वर्मा ने और उनसे सुनकर लिखा हैं रामचंद्र यादव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव



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