श्रापित बंगला E-5
संतोष ने ऐड पर दिए हुए फ़ोन नंबरो पर फोन लगाने की कोशिश करी लेकिन आश्चर्य की बात तो यह थी कि उनमें से कोई भी घर अब खाली नहीं था। पर एक जगह से थोड़ी बात बनी तो उस मकान मालिक ने कहा -
हमारे यहाँ कुछ बाहर से गेस्ट आए हुए हैं जिन्हें हमने अपने उसी घर पर ही रुका हुआ है और वो लगभग 3 से 4 दिन तक रुकने वाले हैं अगर आप चाहें तो उसके बाद उस घर में आ सकते हैं - उसके बाद संतोष ने सारी बात अपनी वाइफ को बता दी पर प्रीति बस इसी चिंता में थी 3 से 4 दिन कैसे कटेंगे यहाँ फिर प्रीती ने कहा - संतोष जब तक हम दूसरे घर में शिफ्ट नहीं हो जाते तब तक तुम स्कूल की छुट्टी कर लेना प्लीज क्योंकि अकेले हम यहाँ नहीं रह पाएंगे -
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संतोष ने भी प्रीति को इतना परेशान देखते हुए हामी भर दी लेकिन प्रीति को इस बात की थोड़ी खुशी तो थी कि चलो कम से कम अब दूसरा घर तो मिल ही गया बस भगवान यह तीन चार दिन सही से बीत जाए। फिर संतोष ने प्रीति से कहा - चलो अब घर तो मिल ही गया है तीन-चार दिन बाद शिफ्ट हो जाएंगे है ना अब एक काम करते हैं आज कहीं बाहर घूम के आते है जिससे शायद तुम्हारा मूड भी ठीक हो जाएगा। फिर प्रीति ने कहा - हाँ ठीक है आज डिनर बाहर ही करके आएंगे - उसके बाद लगभग 4:00 बजे संतोष ने प्रीति से कहा - चलो अब तैयार हो जाओ डिनर के लिए -
फिर नेहा ने कहा - पापा हम घूमने जाएंगे बाहर मैं यह बात अपनी फ्रेंड को भी बता दूं मैं उन्हें अभी बोल कर आती हूँ कि हम घूमने जा रहे हैं पापा उनको भी ले चले क्या हम - इतना ही कहा होगा नेहा ने और फिर प्रीति का पारा पूरी तरह से हाई हो गया। फिर चिल्लाते हुए उसने कहा - इस लड़की ने दिमाग खराब कर रखा है यह लड़की पागल हो गई है जब से यहाँ आई है पता नहीं किन लोगों को बुलाने की बात कर रही है और किन लोगों से इसने दोस्ती कर ली है - इतना बोलने के बाद प्रीति थोड़े ही देर में फूट-फूट कर रोने लगी और रोते हुए बोलने लगी - संतोष या तो हमारी नेहा पागल हो गई है या फिर वो लोग हमारी नेहा को हमसे जुदा करना चाहते हैं वो लोग हमारी नेहा को क्यों बार-बार दिखाई देते हैं और नेहा से ही क्यों बात करते हैं संतोष कहीं यह लोग हमारी नेहा को कोई नुकसान ना पहुंचा दें मुझे बहुत डर लग रहा है -
संतोष ने प्रीति को ऐसे रोते और डरते हुए देख तो संतोष ने कहा - प्रीति ऐसा कुछ भी नहीं है और ऐसा कोई नहीं कर सकता कि कोई हमारी नेहा को हमसे अलग कर दे किसी की इतनी हिम्मत नहीं है कि हमारी नेहा को नुकसान पहुंचा सके इसलिए तुम फालतू में डरना और घबराना बंद करो चलो बाहर चलते हैं मूड फ्रेश हो जाएगा और नेहा तुम भी तैयार हो जाओ और अब हाँ ऐसी फालतू की बकवास बंद करो किसी फ्रेंड को नहीं बुलाना किसी को कुछ नहीं बताना ठीक जाओ जल्दी तैयार हो जाओ - थोड़ी ही देर में प्रीति और नेहा तीनों रेडी होकर बाहर जा ही रहे थे और इन तीनो के गेट के पास पहुंचते ही नेहा ने संतोष के हाथों से अपना हाथ छुड़ाया और बहुत तेजी से घर के पीछे जो एक बड़ा सा गार्डन था उस ओर भागने लगी।
संतोष नेहा के पीछे पीछे ही भाग रहा था और आवाज लगा रहा था। संतोष और प्रीति दोनों यही बोल रहे थे - नेहा रुक जाओ कहाँ जा रही हो नेहा क्या हुआ तुमको क्या हुआ बोलो नेहा रुको - लेकिन नेहा बिना कुछ बोले बस रोते हुए गार्डन की तरह ही भाग रही थी। तभी संतोष वही पर रुक गया और उसने प्रीति को भी वहीं रोक दिया फिर उसने कहा - एक मिनट रुकना देखते हैं किससे मिलने जा रही है आज देखते हैं कौन है जो हमारी नेहा को इतना परेशान कर रहा है - पर प्रीति कह रही थी - नहीं संतोष नेहा को पकड़ लो वो लोग हमारी नेहा को कहीं कोई नुकसान ना पहुंचा दें मेरी बात मानो संतोष यह वही है सर कटी बच्चे और उनकी माँ इसलिए नेहा को ले आओ वहाँ से -
लेकिन संतोष इस समय पूरे गुस्से में था और चिल्लाते हुए बोलने लगा - आखिर क्या किया है हमने इन लोगों का क्यों यह लोग हमारी नेहा को परेशान कर रहे हैं आज देख लेने दो कौन है तो फिर बताता हूँ इनको मैं - संतोष बहुत गुस्से में था गुस्से में आग बबूला होकर गार्डन के पास ही खड़ा था संतोष संतोष के मुंह में जो आ रहा था बस वही बोल रहा था संतोष ने फिर कहा - देखता हूँ आज इनके सर कटे हैं पर मैं सब कुछ काट दूंगा - संतोष अनाप-शनाप बोले ही जा रहा था और उसकी वाइफ लगातार रोते हुए बोल रही थी कि - नहीं नेहा को ले आओ - पर संतोष ना तो नेहा को पकड़ने जा रहा था और ना ही प्रीति को गार्डन में जाने दे रहा था।
लगभग 10 मिनट तक संतोष वहीं खड़ा था और प्रीति संतोष के साथ ही थी। और थोड़ी देर में नेहा किसी से कुछ बात करने लगी यह संतोष ने भी सुना लेकिन संतोष को वहाँ नेहा के आलावा कोई भी नहीं दिखाई दे रहा था। बस आस पास नेहा की ही आवाज सुनाई दे रही थी उसके बाद संतोष ने प्रीति की तरफ देखा तो वो अपना सर अपने घुटनों में नीचे दबा कर बैठी हुई रो रही थी। फिर संतोष ने जोर से चिल्लाते हुए प्रीति को कहा - देख लो किससे बात कर रही है तुम दोनों ने परेशान कर दिया मुझे यहाँ कोई भी नहीं है और नेहा बस अकेले ही बड़ बढ़ाए जा रही है और एक तो तुम पता नहीं क्या अनाप-शनाप बताती हो यह देखा वो देखा और नेहा को पता नहीं क्या हो गया मैं आज ही से इसे किसी डॉक्टर के पास ले चलता हूँ -
उसके संतोष के चिल्लाने से प्रीति ने जैसे ही ऊपर देखा तो प्रीति के होश उड़ गए। फिर प्रीति जोर से सीखते हुए बोली - यह यही है यह देखो यह संतोष संतोष यही है वो लड़कियां जिनको मैंने देखा था उस टाइम इन के सर कटे हुए थे पर अब वो बिल्कुल ठीक है संतोष वो देखो यह वही है - प्रीति के मुंह से यह सब सुना तो संतोष तो वैसे भी गुस्से में था इसलिए उसने प्रीति के गाल पर खींच के एक थप्पड़ मार दिया और कहा - तुम दोनों को पता नहीं क्या हो गया यहाँ कोई भी नहीं है मुझे क्यों कोई नहीं दिख रहा है तुमने मुझे 2 दिन से बेवकूफ बना रखा है परेशान कर रखा है अब मैं तुमसे दुखी हो गया हूँ - शायद प्रीति समझ चुकी थी कि संतोष को वो दोनों लड़कियां नहीं दिख रही हैं बस उसको ही नजर आ रही हैं और नेहा भी उनसे बात कर रही थी।
तभी संतोष ने नेहा को बड़ी जोर से आवाज मारी - नेहा पागल हो गई हो क्या जल्दी आओ इधर - उसके बाद नेहा अब शायद अपनी बात खत्म कर के भागते हुए अपने पापा के पास आई पर संतोष तो बहुत गुस्से में था तब उसने नेहा को भी खींच के एक थप्पड़ मार दिया। उसके बाद नेहा रोने लगी और उसने कहा - पापा मुझे गेट पर आंटी ने नहीं जाने दिया था वो रश्मि और प्रिया की मम्मी ने और मैं अभी प्रिया और रश्मि से बात कर रही थी और उन्हें बता रही थी कि हम आज बाहर घूमने जा रहे हैं - फिर संतोष ने दांत पीसते हुए कहा - हो गई बात तुम्हारी अब चलो - अब संतोष का मूड तो खराब हो ही गया था लेकिन उस वक्त वो थोड़ा बाहर जाना ही चाहता था ताकि शांति उसे भी मिल जाए।
और संतोषी यह भी सोच रहा था कि उसे नेहा और प्रीति को अब किसी मानसिक डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा लेकिन उस टाइम संतोष प्रीति और नेहा बंगले से तो बाहर आ गया। लेकिन अभी भी संतोष गुस्से में ही था और प्रीति लगातार रो रही थी इसलिए संतोष प्रीति पर चिल्लाते हुए बोला - अब यह रोना-धोना बंद करो क्योंकि मैं खुद परेशान हो गया हूँ तुम लोग के इस बर्ताव से पता नहीं कौन सी बात तुम्हारे दिमाग में बैठ गई और तुम पता नहीं क्या अनाप-शनाप सोचती रहती हो जिससे तुम्हें इतनी प्रॉब्लम हो रही है हम कल ही किसी डॉक्टर से मिलकर बात करेंगे - प्रीति को पता था की संतोष अब उसको किसी मानसिक रोगी की तरह ही अब देख रहा है।
लेकिन प्रीति तो सब जानती थी कि उसके साथ इतने दिन से जो भी हो रहा है वो कोई दिमाग में बैठी हुई किसी बात का असर नहीं है और ना ही उसका वहम पर वो संतोष को कैसे समझ पायेगी की प्रीति सच कह रही है क्योंकि संतोष ने भी अपनी आंखों से देखा नेहा बस हवे मैं ही बात कर रही थी। और संतोष ने तो अभी तक ऐसा कुछ भी महसूस नहीं किया था जिससे उसे पता चल पाता कि सच में यह बंगला सही नहीं है या इस बंगले की ही वजह से प्रीति और नेहा की ऐसी हालत हुई। लेकिन संतोष पढ़ा लिखा था और आज के ख्यालों का था और ऊपर से स्कूल टीचर उसको पता था अब ज्यादा प्रीति और नेहा पर इस बात से जुड़ा कोई भी सवाल करना ज्यादा ठीक नहीं होगा क्योंकि नेहा और प्रीति को इस बुरे दौर से बाहर निकाल नहीं पड़ेगा। इसके आगे की कहानी अब अगले एपिसोड में हैं।
इस कहानी के लेखक हैं - रामचंद्र यादव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव
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