मौत का तालाब || horror talab story in hindi || Hindi story my

 


मौत का तालाब


नमस्कार हिन्दी स्टोरी माय वेबसाइट में आपका स्वागत हैं आज की जो कहानी हैं वो हमें उमेश जी ने भेजी हैं और अब आगे की कहानी हम उमेश जी के ही शब्दों में जारी रखेंगे। मेरा नाम उमेश हैं आज जिस घटना को मैं आपको बताने जा रहा हूँ वो मेरे चाचा के दोस्त के साथ घटी घटना हैं। मेरा चाचा जब 18 साल के थे तब उनका एक दोस्त बिर्जेश और बिर्जेश का दोस्त विशाल रोज रात को गाँव के पास वाले तालाब से मछली पकड़ते और दिन में आस पास के गाँव में जाकर उन मछलियों को बेज आते इस तरह उन दोनों का घर चला था पर चार पाँच दिन से यह दोनों तालाब के किनारे मछली पकड़ने के लिए जो मेड बनाते थे उसमे कोई रोज रात को आकर अपने पैर से उस मेड को तोड़ दे रहा था
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और इसके करण जो मछलियां मेड के ओर आती तो पर मेड टूट जाने की वजह से वो सारी मछलियां वापस तालाब में चली जाती। चार पाँच दिन से परेशान बिर्जेश और विशाल ने सोचा की आज रात को तालाब के पास चुप कर देखेंगे की कौन रोज आकर हमारी मेड तोड़ देता हैं। और दोनों ने ऐसा ही करा दोनों अपने अपने घर से खाना खाकर तालाब की तरफ निकल गए और वहाँ जाकर पास की झाड़ियों में छुपकर बैठ गए। वो दोनों मेड बना कर लगभग रात के 9 बजे से ही छुपे बैठे थे। पर काफ़ी देर तक बैठने के बाद भी कोई नहीं आया जब बिर्जेश ने विशाल से कहा - भाई तुम जब तक नजर रखो उतनी देर मैं सो जाता हूँ और जब तुम्हे नीद आने लगे या कोई आ जाए तो मुझे जगा देना।- इतना बोलकर बिर्जेश उधर ही लेट कर सो गया। और विशाल अभी भी तालाब की तरफ नजर रखे बैठा था।

और बिर्जेश को लेटे हुए अभी एक घंटा ही हुआ होगा की तभी विशाल ने देखा एक औरत सफ़ेद रंग की साड़ी पैहने तालाब की ओर चले जा रहे थी। तभी विशाल ने भी बिर्जेश को जगा दिया और कहा - भाई वो देख मुझे लगता हैं की यही औरत रोज हमारी मेड तोड़ती हैं - विशाल की बात सुनकर बिर्जेश ने कहा - अभी दो मिनट में इस बात का बता चल जाएगा की वही मेड तोड़ती हैं या नहीं - इनता बोलकर दोनों अपनी जगह से छुपे बैठे उस औरत को देखे जा रहे थे तभी उन्होंने देखा वो औरत चलते तालाब के पास गई और बिर्जेश और विशाल की बनाई मेड को अपने पैर से तोड़ दिया। तभी विशाल को यह देखकर बड़ा ही गुस्सा आया और उसने अपना डंडा उठाया और उस औरत को मारने के लिए उसकी तरफ भग कर जाने लगा।

पर तभी उस औरत ने भी विशाल को देख लिया था की कोई उसको मारने के लिए आ रहा हैं इसलिए वो भी वहाँ से भागने लगी लेकिन हैरानी की बात तो यह हैं की वो औरत तालाब के अंदर की ओर भग रही थी। पर वो पानी के नीचे नहीं जा रही थी वो पानी के ऊपर ऊपर ही भाग रही थी। बिर्जेश दूर से खड़ा खड़ा बस उसे देख रहा था और विशाल को बार बार रुकने को बोल रहा था पर पता नहीं विशाल को उस समय क्या हो गया था की वो बिना रुके उस औरत के पिछे पिछे भागते हुए तालाब में घुस गया और लगा तार उस औरत के पिछे भागे जा रहा था वो औरत अब लगभग तालाब के बीचो बिच आ गई थी पर फिर भी वो पानी के बिलकुल ऊपर ही चल रही थी और विशाल के पानी अब कमर से भी ऊपर आ गया था फिर भी विशाल रुक नहीं रहा था।

इसलिए बिर्जेश भी भागता हुआ विशाल के पास आ रहा था और उसे आवाज लगा कर रोकने की कोशिश कर रहा था। पता नहीं पर शायद विशाल को बिर्जेश की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी या फिर विशाल और कुछ हो गया था जिसके कारण उसे कोई होश ही नहीं था। और विशाल भागते भागते तालाब के इतने अंदर आ गया था की अब बस उसका सर सर ही दिख रहा था। अब उस औरत ने भी भाग भाग कर तालाब पूरा पर कर लिया था और बिर्जेश तालाब के बाहर से खड़े हो विशाल को आवाज मारे जा रहा था पर विशाल बिना रुके अब तालाब के इतने अंदर चला गया की वो पानी में पूरा गायब हो गया। और अब बिर्जेश को विशाल और वो औरत कही नहीं दिख रहे थे।

विशाल तो अब पानी में पूरा डूब चूका था और वो औरत भी पता नहीं गया गायब हो गई थी। बिर्जेश बाहर ही खड़ा था तभी बिर्जेश के कंधे पर किसी ने हाथ रखा बिर्जेश पहले से ही बहुत डरा हुआ था क्यूंकि उसे जो देखा वो अविश्वसनीय था फिर भी वो डरते हुए पिछे मुड़ा तो जो उसने देखा उसे देखकर उसकी आँखे फटी की फटी रह गई। उसने देखा उसके कंधे पर उसी औरत ने हाथ रखा हुआ था जो अभी थोड़ी देर पहले तालाब के ऊपर भाग रही थी। पर इस बार उस औरत का चेहरा बड़ा ही खौफनाक लग रहा था उसका चेहरा जगह जगह से कटा फटा हुआ और पूरा सफ़ेद था। तभी उस औरत ने अपना हाथ बिर्जेश के कंधे हटा कर उसके गले पर रख दिया।

और उसने अपने एक ही हाथ से उसका गला दबाने लगी धीरे धीरे उस औरत ने अब बिर्जेश का गला इतनी जोर से दबा दिया था की बिर्जेश की सांसे उखाड़ने लगी थी और उसकी आँखो के आगे अब धीरे धीरे अंधेरा सा होने लगा था। और देखते देखते बिर्जेश की पूरी आँखे बंद पड़ गई। और जब सुबह उसकी आँख खुली तो उसने देखा वो तालाब के पास ही बेहोश हो गया था और उसके गले से अभी भी खून बह रहा था क्यूंकि रात में जब उस औरत ने उसका गला दबाया था तो उसके नाख़ून बिर्जेश के गले के अंदर घुस गए थे। पर तभी उसने तालाब की तरफ देखा तो उसके होश फिर उड़ गए क्यूंकि उसने देखा विशाल की लाश पानी के ऊपर ही तहर रही थी। और उस दिन के बाद से बिर्जेश ने मछलियां ही बेचना बंद कर दिया।


इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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