अधूरा हैं इंसाफ E-1
नमस्कार हिंदी स्टोरी माय वेबसाइट में आपका स्वागत है आज फिर हम एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी आपके सामने लेकर आए हैं। यह घटना ममता जी के साथ घटी एक भयानक घटना है। क्योंकि इस घटना के बाद ममता जी के ऊपर बहुत गहरा असर पड़ा और उनकी जिंदगी इस घटना के कारण दोराहे पर आकर खड़ी हो गई थी वो कहती हैं कि यह घाव इनकी जिंदगी में जो लगा है यह अब शायद कभी नहीं भर पाएगा क्योंकि इसके कारण ममता जी की आज जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है। बाकी आगे की कहानी अब उनकी उन्हीं के शब्दों में जारी रखेंगे।
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नमस्कार मेरा नाम ममता सिंह राठौर है और मैं उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक छोटे से गांव में रहती हूँ।17 मई 2008 मेरी दूसरी शादी होने वाली थी इस दिन। जी हां दूसरी शादी क्योंकि मेरी पहले भी शादी हो चुकी थी 2004 6 मार्च को मेरी शादी राजेश सिंह राठौर से हुई थी। मैं और राजेश अपनी नई जिंदगी में बहुत खुश थे सब लोग भी यही कहते थे इनकी जोड़ी तो ऐसी लगती है जैसा भगवान ने खुद ऊपर से बनाकर भेजी हो। और हम दोनों आपस में भी बहुत प्रेम करते थे लेकिन शायद हमारी खुशियों को किसी की बुरी नजर लग गई थी। क्योंकि हमारी हंसती मुस्कुराती जोड़ी पूरी तरह से तबा हो गई शादी के लगभग 1 साल बाद की बात है कि मुझे लेने मेरे भैया आए हुए थे।
और मैं उनके साथ अपने घर यानी माईके चली गई थी। मेरे घर जाने से पहले ससुराल में सब ठीक था मैं अपनी सासू माँ जिठानी देवर ससुर सबसे मिलकर खुशी खुशी अपने घर चली गई थी। और फिर मुझे माईके गए हुए लगभग 2 महीने से ज्यादा हो गए थे लेकिन मेरे पति यानी राजेश मुझे लेने अभी तक नहीं आए थे। ऐसा 1 साल में अब तक कभी हुआ तो नहीं था की मैं 2 महीने के लिए उनसे दूर थी और उन्होंने मेरी हाल खबर लेने के लिए मुझसे कोई संपर्क नहीं करा हो। वो अक्सर हमेशा 1 हफ्ते या 10 दिन के अंदर ही मुझे लेने आ जाया करते थे पर इस बार 2 महीने हो गए थे।
उसके बाद मैंने अपने भैया से कह कर गाँव में फोन करवाया किसी के पास क्योंकि पहले गाँव में हर किसी के पास तो फोन हुआ नहीं करते थे। फिर मेरे भैया ने मेरे ससुराल के लोगों से बात करी तो उन्होंने कहा कि - राजेश तो उसी रात को तुम्हारे घर चला गया था जिस दिन तुम लोग ममता को ले गए थे - उन लोगो की बात सुनकर मेरे भैया ने बड़ी हैरानी के साथ कहा - कैसी बात कर रहे हो आप लोग अगर यहाँ आते तो हमें पता नहीं चलता क्या 2 महीने से तो हमें कुछ पता नहीं उनके बारे में और आप कह रहे हो कि उसी रात में ही वो हमारे घर आ गए थे। - लेकिन मेरे ससुराल वाले मेरे भैया की बात सुनने को तैयार नहीं थे।
वो लोग बस एक ही बात कह रहे थे राजेश तो यहाँ से निकल गया था तुम्हारे घर। उसके बाद जब मेरे भैया ने घर आकर मुझको बताया कि ऐसा कह रहे हैं तुम्हारे ससुराल वाले तो मानो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई हो मुझे एक अजीब सा डर और चिंता सताने लगी एक पल में मानो मेरी जिंदगी ही तबाह हो गई हो मेरे भैया और पापा हम तीनों तुरंत मेरे ससुराल गए। पर वहाँ गाँव और घर के सभी लोग यही बता रहे थे कि राजेश उसी शाम को अपने ससुराल यानी मेरे मायके चला गया था। हम सब लोग बहुत परेशान थे और हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था की आखिर राजेश गए तो गए कहाँ।
उसके बाद मेरे ससुराल वालो ने मिलकर पुलिस स्टेशन में एफ आई आर लिखवाई। एफ आई आर करवाने के बाद मैं अपने मायके वापस आ गई अपने भैया और पापा के साथ। लेकिन पुलिस वालों को राजेश की कोई भी खबर नहीं मिली और लगभग 2 साल बीत गए फिर भी पुलिस वालों को राजेश के बारे में कुछ नहीं पता चला और उन्होंने आखिरकार राजेश की फाइल बंद कर दी। मेरे घर वालों ने भी मुझे ससुराल नहीं जाने दिया और अब उस घटना को लगभग 3 साल से ज्यादा बीत गया है और अब मेरी दूसरी शादी मेरे घरवाले करवा रहे थे। मेरी दूसरी शादी से राजेश के घर वालों को भी कोई परेशानी नहीं थी। सब कुछ अच्छे से बीत गया था और 17 मई 2008 को मेरी शादी संदीप सिंह से हो गई थी।
शादी की पहली रात में ही मुझे बहुत अजीब अजीब सा लग रहा था लेकिन मैंने यह बात उस समय संदीप को नहीं बताई थी। रात के लगभग 7:30 बज रहे होंगे मैं अपने कमरे में अकेले थी आज यहाँ ससुराल में मेरी पहली रात थी। तभी मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरे चेहरे पर पीछे से हाथ रखा और मेरे कंधे को सहलाने लगा। मैंने एक झटके में पीछे देखा लेकिन पीछे तो कोई नहीं था। बकायदा कमरे की लाइट जल रही थी और दरवाजा भी बंद था और मुझे उस हाथ का स्पर्श साफ-साफ महसूस हुआ था। उस समय मुझे थोड़ा थोड़ा डर भी लग रहा था। क्योंकि जब से मैं दिन से ही यहाँ आई हूँ तब से ही मुझे अजीब सा महसूस हो रहा था।
पर थोड़ी देर में दरवाजा खोलते हुए संदीप अंदर आ गया था उसके आते ही मैंने उसको सारी बात बताई जो आज दिन भर से मेरे साथ हो रही थी। मेरी बात सुनकर संदीप ने मुझे समझाते हुए कहा - ममता आज तुम अपना घर सब छोड़कर यहाँ अनजाने जगह पर आई हो इसलिए तुम्हें ऐसा लग रहा होगा ऐसा कुछ नहीं है हम सब है ना यहाँ। वो रात को मेरी किसी तरह बीती लेकिन जितने दिन भी मैं यहाँ अपने ससुराल में थी हर रोज मेरी तबीयत बिगड़ती ही जा रही थी। और एक दिन मेरी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी मेरे गले में ऐसे निशान पड़ गए थे जैसे किसी ने मेरा गला दबा रखा होगा। मुझे हर वक्त ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरी जान लेना चाह रहा हो। क्योंकि जब मैं सोती तब मुझे बड़े ही भयानक भयानक से सपने आते
और मुझे ऐसा लगता कि कोई मेरे बाल पकड़कर मुझे घसीट ता हुआ जंगल की तरफ से नदी में फेंक रहा हो और मुझे कभी-कभी ऐसा महसूस होता था कि जैसे कोई मेरा गला पूरी ताकत से दबा रहा हो हर रात मेरी चिकने चिल्लाने और तड़पने की आवाज पूरे घर में गूंजने लगी थी अब मेरे यहाँ ससुराल के लोग भी तंग आ चुके थे। और सभी लोग कहते थे - पता नहीं किस पागल से पाला पड़ गया और यह मुसीबत हम अपने घर लेकर आ गए - लेकिन मुझे ऐसा लगता था कि मुझ पर मेरा कोई काबू नहीं है और मैं जो बोलना भी नहीं चहती वही मेरे मुंह से निकलता था। और एक दिन मेरे ससुराल वालों ने मेरे घर वालों को बताया उसके बाद मेरे पापा और भैया सब लोग फॉरेन मेरे ससुराल पहुंच गए। लेकिन उस समय मुझे पता नहीं क्या हुआ जैसे मैं किसी को नहीं पहचानती और मैं ना चाहते हुए भी अनाप-शनाप बोल रही थी मैं यही बोल रही थी - सब को मार दूंगा मैं सबको मार दूंगा बदला लेकर रहूंगा मैं - इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।