मौत का सन्देश || bahut darawni kahani || Hindi story my

 


मौत का सन्देश


मेरा नाम सुधीर हैं और आज शायद मैं मर जाऊंगा मुझे कोई बीमारी नहीं पर जो पिछले 7 दिन से मेरे साथ हो रहा हैं अब उसके चलते मुझे भी लगने लगा हैं की आज मैं मर जाऊंगा। और यह सब मेरे साथ आज से 8 दिन पहले शुरू हुआ था उसे पहले सब नार्मल था और मैं अपनी जिंदगी में खुश था। पर एक दिन यानी आज से 8 दिन पहले जब में ऋषिकेश अकेले ही घूमने गया था और पूरा दिन घूमने के बाद जब मैं ऋषिकेश से अपने घर देहरादून लौट रहा था उस समय रात के लगभग 10 बज रहे होंगे। और मैं ऋषिकेश से लगभग 15 या 20 किलोमीटर आगे निकल आया था।
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तभी मैंने देखा एक लड़की जिस पुल से मैं होकर उस समय जा रहा था वो लड़की उस पुल के एकदम किनारे खड़ी थी। मुझे लगा कही यह इस पुल से कूद ना जाए इसलिए मैंने तुरंत अपनी बाइक साइड में लगाई। और तुरंत बाइक से उतर कर उसको रोकने के लिए उसकी ओर भागा पर मैं उसके पास पहुंच पाता उसे पहले ही वो लड़की उस पुल से नीचे कूद गई। पहले तो मैंने पुल के ऊपर से ही नीचे की ओर देखा तो मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे उसमे उस समय भी जान हो क्यूंकि मुझे उस लड़की के हाथ पैर हिलते हुए दिख रहे थे। उसके बाद मैं तुरंत उस ओर भागने लगा जिदर से पुल के नीचे जाने का रास्ता था।

पर मुझे एक बड़ा झटका तब लगा जब मैं उस पुल के नीचे पंहुचा क्यूंकि वहाँ पहुंच कर मैंने देखा वो लड़की तो कही पर नहीं थी और ना ही कही पर खून था। मैं वहाँ खड़े खड़े बस यही सोच रहा था की यह हो कैसे सकता हैं क्यूंकि जब मैंने ऊपर से देखा तो वो लड़की यही पर पड़ी हुई थी और उसके आस पास पुरे में उसका खून पड़ा हुआ था। पर अब नीचे ऐसा कुछ भी नहीं था यही सब सोचते हुए उस दिन मैं किसी तरह घर आया। मेरे घर में मैं अकेला ही रहता हूँ इसलिए मैं सीधा घर में जाते ही लेट गया और मुझे लेटे हुए थोड़ा ही समय हुआ था की मेरे घर में जो लैंडलाइन फ़ोन था वो लगातार बजे ही जा रहा था और उसके बजने की वजह से मैं फिर से उठ तो गया। पर मैं यही सोच रहा था की उसमे फ़ोन कैसे आ सकता हैं क्यूंकि मेरे घर में जो लैंडलाइन फ़ोन था वो तो लगभग पिछले 5 सालो से बंद पड़ा हुआ था।

फिर भी मैं अपने बिस्तर से उठा फ़ोन के पास गया और जैसे ही फ़ोन को अपने कानो से लगाया तो दूसरी ओर से एक लड़की की आवाज आई और उसने कहा - सुधीर 8 दिन के बाद तुम्हारी मौत हो जाएगी - और उसके इतना बोलते ही फ़ोन कट गया। उस समय तो मैंने उस फ़ोन पर कुछ ज्यादा ध्यान नहीं दिया और मैं जाकर फिर से सो गया। पर अगले दिन जब मैं रात को सो रहा था तब लगभग 11 या 12 बज रहे होंगे तभी मेरा लैंडलाइन फिर बजने लगा पहले तो मैंने सोचा की मैं आज फ़ोन नहीं उठाउंगा पर फ़ोन लगातार बजे ही जा रहा था और उसकी वजह से मैं सो भी नहीं पा रहा था इसलिए मैं गुस्से में उठा और जाकर जैसे ही फ़ोन उठाया तो फ़ोन की दूसरी ओर से उस दिन भी उस ही लड़की ने कहा - सुधीर 7 दिन बाद तुम्हारी मौत हो जाएगी -

और मैं उस लड़की को कुछ बोल पाता उसे पहले उसने फ़ोन काट दिया। उसने फ़ोन तो काट दिया था पर अब मेरी नींद पूरी उठ गई थी क्यूंकि 5 साल से बंद पड़े फ़ोन पर दो दिन से रोज रात को फ़ोन आया रहा था। मैं यही सब सोच रहा था की यह कैसे हो सकता हैं मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था की यह क्या हो रहा हैं और क्यों हो रहा हैं। यही सब सोचते हुए मेरा वो दिन भी बीत गया और अगले रात फिर से मुझे उस लड़की का फ़ोन आया और उसने मुझसे फिर यही कहा - सुधीर 6 दिन बाद तुम्हारी मौत हो जाएगी - इतना बोलकर उसने फिर फ़ोन रख दिया। मुझे लगा यह सब इस फ़ोन की वजह से ही हो रहा होगा इसलिए मैं अगले दिन जैसे ही सुबह हुई मैंने सब से पहले अपना वो लैंडलाइन वाला फ़ोन उठाया और बाहर फैक कर आ गया फिर मैंने सोचा अब तो सब ठीक हो ही जाएगा।

इसलिए मैं उस रात सब कुछ भूल कर सो रहा था की तभी मेरे घर दरवाजे को कोई बाहर से बड़ी जोर जोर से खट खटा रहा था। और उसी आवाज को सुनकर मैं उठा और दरवाजा खोलने को गया और जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गई। और मेरे शरीर में डर की एक लहर सी चलने लगी क्यूंकि मैंने देखा बाहर वही लड़की खड़ी थी जो मुझे ऋषिकेश से आते समय दिखी थी। फिर उस लड़की ने मुझसे कहा - सुधीर 5 दिन बाद तुम्हारी मौत हो जाएगी - मैं आज भी कुछ बोल पाता उसे पहले ही वो लड़की गायब हो गई। और उस दिन से रोज रात को वो लड़की मेरी मौत का सन्देश लेकर आती हैं। पर पता नहीं आज वो लड़की मेरी मौत का सन्देश लेकर आएगी या फिर मेरी मौत ही लेकर आएगी।

अब रात हो ही गई हैं और वो लड़की भी आती ही होगी। अरे लगता हैं वो आ गई क्यूंकि कोई मेरे घर का दरवाजा खट खटा रहा हैं पर मैंने भी आज सोच लिया था की आज मैं अपने घर का दरवाजा नहीं खोलूंगा चाहे कुछ भी हो जाए। मैं अपने बेड पर बैठे बैठे यही सब सोच ही रहा था की तभी एकदम मेरे सर के ऊपर से एक आवाज सी आई आवाज ऐसी थी की जैसे कुछ चीज टूट गई हो। आवाज सुनकर मैंने जैसे ही देखा की तभी मेरे सर पर पंखा गिर गया। और देखते देखते मेरी आँखो के आगे अंधेरा सा चाह गया।



इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव



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