भूतिया पेड़ | Sachi Darawni Kahaniya | Hindi story my

 

भूतिया पेड़


मेरा नाम अमन हैं और मैं एक ट्रैक्टर ड्राइवर हूँ वैसे मैं हर रोज शाम होने से पहले ही अपने घर चला जाता हूँ पर आज ट्रैक्टर पर कुछ ज़्यदा ही काम आ गया था जिसके कारण मुझे आज घर जाने में काफ़ी देर हो गई हैं। अब रात के लगभग 11 बज चुके हैं और अब जाकर आज मेरी छुट्टी हुई हैं। और अब मैं अपना ट्रैक्टर चला कर अपने घर की ओर ही आ ही रहा था।

तभी मेरे फ़ोन में बीवी का फ़ोन आया और जैसे ही मैंने कॉल रिसीव करी वैसे ही मेरी बीवी की गुस्से से भरी आवाज आई - कहाँ हैं आप आज घर आने का इरादा नहीं हैं क्या - फिर मैंने जवाब देते हुए कहा - अरे आ ही गया बस अभी रास्ते में ही हूँ आज कुछ ज्यादा ही काम आ गया था इसलिए थोड़ा लेट हो गया - मेरी बात सुनकर फिर मेरी बीवी ने कहा - चलो ठीक हैं पर वो उस रास्ते से मत आना तुम्हे तो पता ही हैं वो रास्ता रात में आने के लिए सही नहीं हैं -

फिर मैंने कहा - कौन सा रास्ता तुम किस रास्ते की बात कर रही हो - फिर मेरी बीवी ने कहा - अरे वही भूतिया पेड़ के पास वाला - फिर मैंने कहा - हाँ हाँ ठीक हैं - इतना बोलकर मैंने फ़ोन रख तो दिया था पर मेरा मान अभी भी उसी रास्ते से जाने को कर रहा था क्यूंकि वो रास्ता शॉर्टकट हैं। और मेरी बीवी इसलिए मुझे वहाँ से आने को मना कर रही थी क्यूंकि लोग कहते हैं वहाँ काई सारी आत्मा रहती हैं मैंने काई सारी आत्मा इसलिए कहा क्यूंकि कहते हैं की काई साल पहले वहाँ पर कुछ लोग इंसनों को गाड़ा करते थे और उन भूतों को काई लोगो ने देखा भी हैं।

और अब मैं उस मोड़ पर आ गया हूँ जहाँ से मुझे एक रास्ते का चुनाव करना था की मैं लम्बे रास्ते से जाऊँ या फिर उसी रास्ते से। मुझे पहले से ही देर हो गई थी इसलिए मैंने उसी रास्ते से ही जाने का फैसला कर लिया। फिर उसके बाद मैंने अपना ट्रैक्टर उस तरफ मोड़ दिया और उसी रास्ते से जाने लगा। और मैं अभी कुछ ही आगे गया ही था तभी मुझे लगभग 100 मिटर आगे कुछ सफ़ेद सी चीज दिखी पहले तो मुझे सही से पता नहीं चला की वो क्या हैं पर जब मैं थोड़ा और आगे गया तो देखा एक औरत सफ़ेद से कपडे पैहने अपने बालो को अपने सर के आगे कर के बैठी थी और वो आगे पिछे हिले जा रही थी। मुझे उस औरत को वहाँ ऐसे बैठे देख बड़ा ही अजीब लग रहा था।

 पर मैं उस औरत को अनदेखा कर के आगे निकल गया फिर उसके बाद मैं थोड़ा और आगे ही गया था तभी मेरे ट्रैक्टर ने अचानक से झटके देना शुरू कर दिया। और झटके देते देते ट्रैक्टर अचानक से बंद हो गया तभी मैंने तुरंत ट्रैक्टर के मिटर में देखा तो ट्रैक्टर में अभी भी काफ़ी तेल था पर मैंने जैसे ही अपने आस पास देखा तो जैसे मेरा खून जम सा गया हो क्यूंकि मेरा ट्रैक्टर उसी भूतिया पेड़ के पास ख़राब हुआ था। फिर उस समय मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मेरे अंदर का खून ठंडा होकर मेरे शरीर में एक कप-कपी सी ला रहा था।

पर उसके बाद मैंने अपने मन को किसी तरह से शांत करते हुए ट्रैक्टर को फिर से स्टार्ट करने की कोशिश करी पर ट्रैक्टर स्टार्ट नहीं हुआ। फिर उसके बाद मैं यह देखने के लिए ट्रैक्टर से नीचे उतरा की क्या गराबी आ गई हैं ट्रैक्टर में। मैं ट्रैक्टर को देख ही रहा था तभी मुझे किसी के रोने की आवाज सुनाई देने लगी आवाज सुनकर मैं इधर उधर देखने लगा पर मुझे वहाँ आस पास कोई नहीं दिख रहा था। मैं वैसे तो डरता नहीं पर इतनी रात को इस भूतिया पेड़ नीचे खड़े होने और ऊपर से किसी के रोने की आवाज सुनाई भी देना ऐसे में थोड़ा डर लगना सौभावक ही था।

मुझे एवं रोने की आवाज और तेज सुनाई देने लगी थी पर अभी भी मुझे वहाँ कोई नहीं दिख रहा था। फिर उसके बाद मैं यह देखने के लिए उस भूतिया पेड़ के और पास जा कर देखने की कोशिश करने लगा। मैं जैसे ही उस भूतिया पेड़ के दूसरी ओर गया तो मैंने देखा अब वहाँ वही औरत बैठी रो रही थी जो मुझे कुछ देर पहले दिखी थी।

मुझे उस औरत से डर तो लग ही रहा था फिर भी मैंने हिम्मत करते हुए पूछा - अरे कौन हैं आप और इतनी रात को यहाँ बैठे क्यों रो रही हैं - मेरी बात सुनकर उस औरत ने अपना सर मेरी ओर करा पर मैंने जैसे ही उस औरत का चेहरा देखा तो जैसे मेरे अंदर के खून की जगह बर्फ का पानी बैहने लगा हो। अगर मेरी जगह कोई कमजोर दिल वाला इंसान उसका चेहरा देख लेता तो उस ही वक्त बेहोश हो जाता क्यूंकि उस औरत का चेहरा बड़ा ही भयानक था। मैं उस औरत का चेहरा देखते ही वहाँ से अपने ट्रैक्टर की ओर भागने लगा और फिर मैं सीधा अपने ट्रैक्टर के पास ही आकर रुका और फिर से मैं ट्रैक्टर स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा।

और इस बार ट्रैक्टर एक दो ही सैल्फ स्टार्ट हो गया और जैसे ही ट्रैक्टर स्टार्ट हुआ तो उसकी हेडलाइट से मेरे आगे रौशनी हो गई और मैंने रौशनी में जैसे ही आगे देखा तो मुझे मेरे आगे चार पाँच बड़े ही भयानक लोग खड़े हैं। और वो सब मेरे ही पास आते जा रहे थे और यह देख कर मेरे दिल की धड़कन अपनी दुगनी रफ़्तार से चलने लगी थी और मेरी आँखो के आगे अंधेरा सा झाने लगा।

और जब मेरी आँख खुली तो देखा सुबह हो गई थी और अब वो सब भूत भी वहाँ से गायब हो गए थे। फिर उसके बाद मैं तुरंत अपने घर गया और जब मैंने सारी बात अपने घर में बताई तो मेरी मम्मी ने मुझे बताया की मैं इसलिए बच पाया था क्यूंकि की मैंने अपने हाथ में बालाजी का धागा बांधा था और इस ही लिए मैं बच पाया था।


इस कहानी के लेखक हैं - शिव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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