श्रापित गांव E-2 || gaon ki bhoot wali kahani || Hindi story my

 


श्रापित गांव एपिसोड 2


पहले एपिसोड विनय ने इस गाँव के श्राप के बारे में जाना लेकिन उसे इन बातो पर विश्वास नहीं था। इसलिए विनय ने अगले दिन से ही जहां सकीना और सुरेश रहा करते थे वहाँ नजर रखना शुरू कर दिया। विनय ने सोचा कोई हैं जो इनका नाम लेकर वो सब मौते कर रहा हैं। इसलिए विनय रोज रात के 8 बजे आकर सकीना और सुरेश के घर के बाहर बैठ कर नजर रखने लगा लेकिन काई दिनों तक नजर रखने पर भी विनय को कुछ ऐसा नहीं दिखा। पर एक दिन विनय रोज से थोड़ा जल्दी ही सकीना और सुरेश के घर पास आ गया। विनय एक पेड़ के किनारे बैठा हुआ था तभी उसने देखा वही चाचा जिसने विनय को सुरेश और सकीना की सब कहानी बताइए थी। उसने देखा वो चाचा अपने हाथ में एक प्लास्टिक की थैली में कुछ लेकर सुरेश और सकीना के घर का दरवाजा खोल के सीधा घर के अंदर चला गया।

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विनय यह देखकर समझ चुका था पूरे गाँव को मूर्ख इसी ने बना रखा है। लेकिन विनय उस दिन वापस चला गया और क्यूंकि उसने सोचा अगले दिन आकर फिर देखूंगा और यह कल भी आया तो पक्का यही चाचा इस पूरी घटना का जिम्मेदार हैं।अगली रात विनय फिर सकीना और सुरेश के घर के बाहर आया उसी समय। और उसी पेड़ के नीचे छुपकर उस चाचा का इंतजार करने लगा। थोड़ो ही देर में उसने देखा वही चाचा आज भी एक प्लास्टिक की थैली में कुछ लेकर सुरेश के घर के अंदर जा रहा है। विनय को तो अब पक्का विश्वास हो गया था की सारी मौत का जिम्मेदार यही चाचा है। उस दिन विनय वहाँ से चला गया और फिर तीसरी रात को विनय अपनी पूरी तैयारी के साथ आया था।


विनय आज सोच कर आया था इस चाचा का तो आज मैं काम तमाम कर ही दूंगा। इस चाचा ने बहुत बेवकूफ बनाया सबका। विनय यही सब सोच रहा था तभी वो चाचा वहाँ आ गया। आज भी वो चाचा अपने हाथ एक प्लास्टिक की थैली लेकर आया था। चाचा ने सुरेश के घर का दरवाजा खोला और घर के अंदर चला गया। उसके अंदर जाते ही विनय अपनी जगह से उठा और वो भी सुरेश के घर के अंदर चला गया। विनय भी आज अपनी पूरी तैयारी से आया हुआ था।


अंदर जाते ही विनय ने उस चाचा को दबोचा लिया और विनय ने कहा - चाचा तुम्हारी जान ले लूंगा मैं आज। सभी मौत के जिम्मेदार तुम ही हो क्यों अब बताओ क्यों लोगों का तुम मूर्ख बना रहे हो बताओ मुझे नहीं तो अभी मैं तुम्हारा गला धड़ से अलग कर दूंगा। चाचा बता दो जल्दी वरना अच्छा नहीं होगा अब - इतना बोलकर विनय ने उस चाचा को वही पटक दिया। और अपने पैरों से दबाकर बोला - चाचा तीन गिनती के अंदर बता दो वरना मैं तुम्हे आज सच में मार दूंगा - उसके बाद चाचा ने रोते हुए कहा - अगर मैंने तुमको बता दिया तो वह लोग मुझे मार देंगे - चाचा की बात सुनकर विनय ने अपने दांत पीसते हुए कहा - अगर तुमने नहीं बताया तो वो तुम्हे मारे या ना मारे पर मैं तुम्हें अभी मार दूंगा -


विनय को इतना गुस्से में देख उस चाचा ने कहा - तुम्हे सब जानना ही है तो कल इसी समय यही मिलना उसके बाद तुम अपनी आँखो से सब सच देख लेना - विनय उस समय बड़े गुस्से में था। लेकिन उसने उस समय चाचा को छोड़ दिया और कहा - चाचा तुम कल कही भागे या मुझसे झूठ बोलने की कोशिश भी करी ना मैं सच मानो तुम्हारी जान ले लूंगा - इतना बोलकर विनय उस चाचा को छोड़ दिया और वहाँ से अपने घर चला जाता गया। कल यानी अगली रात विनय 8 बजे ही सुरेश कर घर के बाहर खड़ा हो गया। और थोड़ी देर में उसने देखा वो चाचा आ रहा हैं और उसने आज भी अपने हाथ में एक प्लास्टिक की थैली लेकर आ रहा हैं और उस थैली में वो कुछ बांध कर ला रहा हैं।


चाचा ने आज विनय को देखते ही कहा - चलो अब मेरे साथ - इतना बोलकर वो सुरेश के घर के अंदर जाने लगा आगे वो चाचा चल रहा था और पीछे विनय। घर के अंदर आते ही चाचा ने अपने हाथ में जो थैली ले रखी थी उस थैली में से दो समोसे और दो प्लेट निकाल कर दोनों समोसे में चटनी लगाई और बगल के कमरे के दरवाजे के पास में रख दी। और दोनों थोड़ा पिछे होकर खड़े रहे। थोड़ी देर बाद विनय ने देखा किसी ने दरवाजा खोला पर जिसने दरवाजा खोला था वो नहीं दिख रहा था और उसने समोसौ की प्लेट अंदर खींच ली। उसके बाद उस चाचा ने विनय से कहा - जिन्हे तुम ढूंढ रहे हो वो वही हैं - उस चाचा की बात पूरी होती उसे पहले ही विनय ने चिल्लाते हुए कहा - तुम कोई भी हो अब तुम्हारा भांडा फूट चुका है तुम कोई भी हो अब तुरंत बाहर निकल जाओ वरना मैं पुरे गांव वालों को फोन कर के बुला लूंगा। अभी भी सोच लो फिर क्या होगा तुम्हारा अंजाम गाँव वाले वही करेंगे तुम्हारे साथ जो करना चाहिए -


लेकिन फिर भी कोई दरवाजा नहीं खोल रहा था। विनय गुस्से में गया और दरवाजे को पीटने लगा। तभी भी कोई दरवाजा नहीं खोल रहा था उसके विनय ने उस दरवाजे में लगातार लात मार मार कर उस दरवाजा तोड़ दिया। और जैसे ही विनय ने अंदर देखा तो उसके होश उठ गए। क्युकी अंदर कोई नहीं था और बस वहाँ समोसा की प्लेट खाली पड़ी थी और प्लेट में थोड़ी चटनी बस यही सब था उस कमरे के अंदर। विनय यही सोच रहा था जो लोग इसके अंदर थे वो गए तो गए कहां थे। क्योंकि प्लेट तो दो थी इसलिए जाहिर सी बात है अंदर दो ही लोग रहे होंगे। उसके बाद गुस्से में विनय अपने पिछे मुड़ा और बोला - चाचा बताओ कहां है वो लोग कहां भाग गए चाचा बताओ उन लोगों के क्या नाम थे और कौन है वो लोग - विनय बिना रुके बस बोले जा रहा था।


तभी किसी ने उस चाचा को कमरे के अंदर खींच लिया और विनय को बाहर धक्का दे दिया। और वो टुटा हुआ दरवाजा भी अपने आप बंद हो गया और उसके थोड़ी देर बाद से ही विनय को अंदर चीखने चिल्लाने की आवाज आने लगी। ऐसा लग रहा था कोई चाचा को मार रहा हो क्यूंकि चाचा दर्द से तड़प कर चिख रहे थे। लेकिन थोड़े समय बाद वो सभी आवाज आना बंद हो गई और उसके बाद वो बंद दरवाजा खुला। विनय बाहर ही खड़ा था अभी भी। दरवाजा खुलते ही अंदर से दो लोग बाहर आए। और जैसे ही विनय ने उन दोनों को देखा तो विनय की आंखें फटी की फटी रह गई। और लग रहा था कि विनय की सांसे भी मानो रुक जाएगी। क्योंकि अंदर से जो 2 लोग बाहर निकले थे वो बिल्कुल जले हुए थे वो एक लड़का और एक लड़की थे और दोनों बिल्कुल जली भुजी झुलसी हुई हालत में थे उनका चेहरा बड़ा ही भयानक सा था और दोनों ने बाहर आते ही विनय से अपनी डरावनी आवाज में एक साथ कहा इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।


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