आखरी रैगिंग E-3 || bhoot ki stories in hindi || Hindi story my

 


आखरी रैगिंग एपिसोड 3



भानु प्रताप ने देखा जिसका हाथ पकड़ कर वो भाग रहा है वो और कोई नहीं वो भी भानु प्रताप सिंह ही है यानी वह खुद का ही हाथ पकड़ कर भाग रहा है भानु प्रताप ने तुरंत अपना हाथ छोड़ा और चिल्लाता और चीखता हुआ हॉस्टल से बाहर की तरफ भागने लगा। भानु प्रताप सिंह अपनी पूरी स्पीड से कूदता फंता भाग रहा था। भानु हॉस्टल की चौथी मंजिल से भागता हुआ सबसे नीचे आकर सीढ़ियों पर ही बैठ गया भानु बहुत ज्यादा घबरा रखा था। और यही सोच रहा था यह कैसे हो सकता है पहले मुझे वो दो दो सूर्य प्रताप दिखे और मैं सूर्य प्रताप सिंह का हाथ पकड़ कर भाग रहा था तभी अचानक उसकी शक्ल मेरी जैसे कैसे हो गई। क्या हो रहा है मेरे साथ यह सब सोचता हुआ भानु प्रताप बैठा हुआ था।

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और तभी भानु उठा और बगल में पानी की टंकी रखी हुई थी भानु प्रताप गया और अपनी आंखों पर पानी के छींटे मारने लगा। और सोच रहा था कहीं मैं नींद में तो नहीं हूँ लेकिन भानु प्रताप अपने पूरे होशो हवास में था। फिर भानु प्रताप सीढ़ियों पर फिर बैठ गया। और सोच रहा था क्या है यह क्यों हो रहा मेरे साथ इसी उधेड़बुन में खोया हुआ था। जो सारे कॉलेज के लिए सर दर्द था आज उसी की हालत खराब हुई पड़ी थी। तभी उसने सुना किसी के कदमों की आवाज आ रही है और कोई सीढ़ियां उतरकर नीचे ही आ रहा है भानु सोच रहा था कौन होगा तभी किसी ने आवाज मारी - सर आप यहाँ बैठे हो मैं पूरे हॉस्टल में आपको ढूंढ रहा था - ये आवाज सुनकर भानु प्रताप समझ तो चुका था की कौन हैं । और डरते हुए उसने पीछे देखा तो पाया कि पीछे सूर्य प्रताप सिंह ही खड़ा हुआ है।


लेकिन भानु प्रताप पूरी जान से चिल्लाया चीखता हुआ बोला - क्या हुआ तुमको क्यों मेरा पीछा कर रहे हो तुम अभी भाग जाओ यहाँ से नहीं तो अच्छा नहीं होगा - उसके बाद भानु दांत पीसते हुए बोला - भाग यहाँ से जल्दी - भानु की बात सुनकर सूर्य प्रताप ने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा - अरे सर ठाकुर खानदान के होने के बावजूद इतना डरते हो कहाँ गई तुम्हारी ठाकुरई। बातें तो बहुत बहादुरी वाली किया करते थे डर के मारे कमरे से भाग कर यहाँ नीचे सीढ़ियों पर क्यों बैठे हो। मुझे भी अपने साथ कमरे से भगा कर ला रहे थे अचानक मेरा हाथ छोड़कर काहे नीचे भाग लिए मैं पूरे हॉस्टल में तुमको ढूंढ रहा था क्या हो गया सर -


इतना कहा सूर्य प्रताप ने और भानू उसको बस एक टक देख रहा था। लेकिन सूर्य प्रताप ने अबकी बार भानु का हाथ पकड़ा और कहाँ - चलो सर कमरे में जाकर सो जाओ तभी चैन आएगा आपको शायद - पर कमरे में जो दिखा उसके बाद तो भानु की हिम्मत हो नहीं रही थी वहाँ जाने की और अभी आते वक्त गैलरी में भी जो कुछ भी हुआ उसे भी भानु अपना वहम तो मानने को तैयार नहीं था इसलिए भानू ने कहा - तुमको जहाँ जाना है चले जाओ लेकिन मैं कहीं नहीं जाऊंगा। - इतना कहा ही था भानू ने की भानु के फोन की घंटी बजने लगी भानु ने तुरंत जेब से फोन निकालकर रिसीव करा तो उधर से आने वाली आवाज सुनकर भानु के होश ही उड़ गए।


उधर से फोन पर कोई कह रहा था - अरे सर कहाँ हो आप हम कब से इंतजार कर रहे हैं आपका आपके कमरे में कहाँ चले गए भानु बहुत ज्यादा डर चुका था लेकिन फिर भी डरते डरते उसके मुंह से आवाज निकली उसने कहा - कौन-कौन हो तुम - दूसरी तरफ से तुरंत आवाज आई - अरे सर इतनी जल्दी भूल गए हम आपके दोस्त वही बाराबंकी जिले वाले अरे आपकी बिरादरी के ही तो हैं हम भूल गए सूर्य प्रताप सिंह - अब भानु के पसीने छूटने लगे क्योंकि यह कैसे हो सकता है। एक सूर्य प्रताप सिंह फोन पर बात कर रहा और एक सूर्य प्रताप सिंह भानु प्रताप के ठीक सामने खड़ा हुआ था।


भानु प्रताप सिंह डरता हुआ उठा और थोड़ा आगे की तरफ गया लेकिन भानु मरता क्या न करता बिना रुके बिना पीछे देखे हॉस्टल से बाहर निकल कर भागने लगा भानु और सीधा सड़क पर आया और यही सोच रहा था।अब किधर जाऊं इसलिए वो आते जाते गाड़ियों को हाथ दे रहा था। और यह सोच रहा था कोई लिफ्ट दे कहीं पर भी जाऊं लेकिन अभी तो बच जाऊं यही सोच रहा था भानु लेकिन उस अंधेरी रात में सड़क पर इक्की दुक्की गाड़ियां तो चल रही थी पर कोई रुक नहीं रहा था।

तभी ऐसा लगा भानु को किसी ने पीछे से पकड़ लिया और कहा - सर इतनी भी जल्दी क्या है हम हैं ना आपके साथ हम ले चलेंगे आपको -


भानु ने जैसे ही पीछे घूम कर देखा तो पिछे सूर्य प्रताप सिंह था। अब भानु रोने लगा और उसने रोते हुए ही कहा - मैंने क्या किया है छोड़ दो मुझे मुझे क्यों परेशान कर रहे हो तुम - गिड़गिड़ा रहा था भानु लेकिन सूर्य प्रताप ने कहा - नहीं सर आपको कैसे छोड़ सकता हूँ आप तो हमारे ही जिले के हैं और हमारे ही बिरादरी के हैं हमारे दोस्त भी बन चुके हैं - इतना बोलकर सूर्य प्रताप भानु को घसीटना हुआ जंगल की तरफ ले जा रहा था। और भानु रो रो कर कह रहा था छोड़ दो मुझे छोड़ दो लेकिन सूर्य प्रताप पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था।


वो उसको घसीटा हुआ जंगल के अंदर ले जा रहा था। कीचड़ गड्ढों में घसीटते हुआ सूर्य प्रताप पूरे जंगल में भानु को ले जा रहा था। और भानु की चीखने की आवाज पुरे जंगल में गूंज रही थी। लेकिन सूर्य प्रताप,भानु को तब तक घसीट रहा था जब तक भानु ने दम नहीं तोड़ दिया। अगले दिन जब कॉलेज में सूर्य प्रताप के बारे में पता करा जा रहा था तो कुछ स्टूडेंट ने बताया की भानु प्रताप ने उसे रैगिंग करते हुए जंगल की तरफ भेज दिया था। तब से शायद वो वापस नहीं आया। उसके बाद पुलिस के साथ जब हॉस्टल के कर्मचारी सूर्य प्रताप को ढूंढते हुए जंगल के अंदर जा रहे थे तो उन्हें जंगल में ही भानु प्रताप की लाश मिली जिसकी खासिटने के कारण बड़ी बुरी हालत में लाश थी।


और थोड़ा ओर आगे गए तो कटहल के पेड़ के पास सूर्य प्रताप की भी लाश पड़ी हुई थी। और वहाँ एक बोरी में चार कटहल और एक पाटल और एक टॉर्च भी पड़ी हुई थी। दोनों की बॉडी जब हॉस्पिटल ले जाई गई तो वहाँ पता चला सूर्य प्रताप सिंह की मौत एक जहरीले सांप के काटने से हुई थी। और भानु प्रताप को घसीटते घसीटते मारा गया कहते हैं लोगों को आज भी उस जंगल में कटहल के पेड़ के पास सूर्य प्रताप सिंह घूमता हुआ मिल जाता है।


इस कहानी के लेखक हैं - रामचंद्र यादव

इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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