दहशत एपिसोड 3
मैंने देखा बाहर वही लड़की खिड़की बजा रही थी। वो अपने एक हाथ से और उसका एक हाथ कटा हुआ था चेहरा बिल्कुल कट रखा था। और खून खून था पूरे चेहरे पर और बाल आगे को बिखरे हुए थे। मेरी नजर उस पर ही थी और मेरे हाथ में मोबाइल फोन भी था मैंने तुरंत अपने पापा को फोन करा और कहा - पापा मुझे डर लग रहा है वो बाहर आ गई है अब वो मेरे कमरे के बाहर खड़ी है - मैंने इतना ही बोला था और मेरे पापा ने भी देरी नहीं लगाई और तुरंत मेरे कमरे पर आकर बोले - खोलो दरवाजा मुकेश - मैंने भी तुरंत दरवाजा खोल और डरा हुआ सहमा हुआ सा पापा से लिपट कर रोने लगा मेरे पापा ने कहा - कहाँ कोई तो नहीं है यहाँ कोई नहीं है - मैंने फिर कहा पापा से - बाहर है देखो खिड़की के पास अपने बाहर देखा खिड़की की तरफ -
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लेकिन मेरे पापा ने जैसे ही खिड़की के बाहर की तरह देखा तो उन्हें वो नजर नहीं आ रही थी। और मैं भी उस समय पापा के साथ ही खड़ा था और वो मुझे अभी भी साफ-साफ दिख रही थी। लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है जब मैं कमरे के अंदर था तब मुझे वो बड़ी विचित्र हालत में दिख रही थी उसका हाथ कटा था खून से तरबतर थी लेकिन बाहर बिल्कुल सही और बिल्कुल ठीक-ठाक खड़ी हुई अपनी डरावनी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी। तभी मैंने अपने पापा से कहा - पापा यह मार देगी मुझे यह नहीं छोड़ेगी मुझे अब - पर मेरे पापा ने मुझे समझाते हुए कहा - बेटा कोई नहीं है बाहर कुछ भी तो नहीं है - पापा लाइट जला कर देख रहे थे लेकिन पापा को आस पास कोई नहीं दिख रहा था।
उसके बाद पापा मुझे अपने साथ नीचे बरांडे में ले आए अब घर के सभी लोग भी जाग चुके थे मम्मी पापा भाई-बहन सब लोग थे मेरे साथ बरांडे में लेकिन मैं जोर जोर से रो रहा था बस एक ही बात कह रहा था - वो मुझे मार देगी अब वो नहीं छोड़ेगी मुझे अब - घर के सब लोग मेरे पास ही बैठे हुए थे और सब मुझे समझाते हुए कह रहे थे - कोई नहीं है यहां कौन तुम्हें मारेगा मुकेश हम हैं यहाँ कोई नहीं मार सकता तुम्हें और कुछ भी नहीं है ऐसा क्या हो गया मुकेश तुम्हें - उसके बाद सब ने बरांडे में एक चारपाई रखी हुई थी सब ने मुझे उसी पर लेटा दिया। लेकिन वो लड़की मुझे मेरे सिरहाने के सामने खड़ी फिर दिख रही थी और मुझे वो डरावनी मुस्कान लिए घूर रही थी।
और मैं अपनी मम्मी पापा सबको कह रहा था - यह देखो यहीं खड़ी है - लेकिन किसी को मेरी बात पर यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि वो और किसी को भी नहीं दिख रही थी और सब यही कह रहे थे - किसी चीज से डरा होगा मुकेश इसलिए मुकेश को ऐसा वहम हो रहा है - पर अभी तक जो वो लड़की मेरे सिरहाने के पास खड़ी थी अब वो मेरे सीने पर आकर बैठ गई और अपने लंबे-लंबे नाखून मेरे गले में घुसाने लगी अब मेरी चीखने चिल्लाने की आवाज बहुत तेज हो चुकी थी मेरे गले से बहता खून देखकर घर वाले बहुत डर गए थे और मेरी मम्मी भी रोने लगी थी और पूरे घर में दहशत का माहौल हो गया लेकिन मेरे पापा ने शायद किसी को भेज दिया था घर से थोड़ा दूर एक तांत्रिक बाबा रहते हैं जो भूत प्रेत मैं थोड़ा रुचि रखते हैं और ऐसी चीजों को जानते भी हैं।
हमारे पड़ोस के एक भैया बाबा को लेकर घर उसी समय पहुंच गए थे बाबा ने बरांडे में कदम रखते ही घर के सब लोगों को कहा - सब दूर हट जाओ इस लड़के के पास अभी कोई मत खड़े रहना सब दूर हो जाओ बाबा ने मेरे ऊपर गंगाजल छिड़का या कुछ और यह तो पता नहीं और उसके बाद बाबा जोर-जोर से मंत्र पढ़ने लगे। बाबा मंत्र तो पढ़ रहे थे लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था मैं अब अपने बस में नहीं था और मेरे मुंह से अपने आप आवाज निकल रही थी - यह मुझे पसंद आ गया है और मैं भी इसे पसंद हूँ इसलिए मैं इसको लेकर जाऊंगी - बाबा ने मंत्र पढ़ते पढ़ते जोर से कहा - कौन है तू बोल कौन है तू कहां से आई है - शायद वो मेरे अंदर प्रवेश कर चुकी थी।
इसलिए मेरे मुंह से अपने आप आवाज निकल रही थी और जो मैं नहीं बोलना भी चाहता था वो वही कह रही थी - इसको मैंने देखा और यह मुझे पसंद आ गया और मैं भी इसको पसंद हूँ इसलिए अब यह सिर्फ मेरा है और मैं इसको लेकर जाऊंगी - बाबा शायद समझ चुके थे कि यह क्या है और कौन है इसलिए बाबा ने कहा - अच्छा डायन है तू अभी बताते हैं रुक - फिर बाबा ने मेरे पापा को कहा - यहाँ आग जलाने की व्यवस्था करो तुरंत अभी - पापा ने लकड़ियां वगैरह लाकर तुरंत वहां आग जलाई बरांडे में बाबा ने एक लोहे की सरिया को जलाकर बिल्कुल लाल कर दिया और कहा - तू अभी प्यार से छोड़कर चली जा वरना तुझे इसी अग्नि में भस्म कर देंगे हम - लेकिन मेरे मुंह से बड़ी भयानक आवाज निकल रही थी वो कह रही थी - चाहे कुछ भी हो जाए मैं इसको लिए बिना नहीं जाऊंगी यहाँ से क्योंकि यह मुझे पसंद आ गया है और मैं भी इसको पसंद हूँ -
उसकी बात सुनकर बाबा ने कहा - चल ठीक है - उसके बाद बाबा ने वो गर्म सरिया लाकर मेरे पैर के तलवे पर लगा दी मुझे उस गर्म सरिया का असर कुछ भी नहीं हो रहा था तभी मैंने देखा और उस समय सब लोगों ने देखा कि वो डायन वही पर सब के सामने आ गई और उसने गुस्से में कहा - ए तांत्रिक छोड़ दे मुझे वरना सबसे पहले तुझे ही मरूंगी फिर इन सबको वरना हट जा मेरे रास्ते से मुझे तुम सब से कोई लेना देना नहीं हैं मुझे बस यह लड़का चाहिए - फिर बाबा ने कहा - अभी मैं तुझे इसी में भस्म कर दूंगा नहीं तो अभी भाग जा यहां से और कभी लौटकर मत आना - बाबा ने इनता कहा और मंत्र पढ़े और अग्नि में कुछ डालने लगे तभी उसकी रोने चीखने की आवाज बढ़ गई और उसको भागते हुए अब सब लोग देख रहे थे। उसके बाद बाबा ने बताया कि वो एक डायन है मीरा नाम की बाबा ने फिर अपनी बात जारी सकते हुए कहा -
पहले वो रेलवे स्टेशन पर चाय समोसे बेचा करती थी पर एक दिन वो लड़का जिसको वो बहुत पसंद करती थी उस लड़के ने मीरा को मार दिया। उसने उसके चेहरे को बिलेड से पूरी तरह से काट दिया और उसका एक हाथ काट कर उसके पूरे शरीर में चाकू से जख्म कर के मार दिया और तड़पते हुए मीरा ने अपनी जान दे दी थी - बाबा उसे देखते ही उसकी सारी कहानी समझ गए थे बस उसके मुंह से ही सुनना चाह रहे थे। बाबा ने फिर कहा - मुकेश ने इसको देखा होगा और इसे को वो अच्छी लगी होगी और उसे भी मुकेश पसंद आ गया अगर तुम लोग थोड़ा और देर कर दे मुझे बुलाने में तो शायद आज यह मुकेश की जान ले लेती और यह उसे अपने साथ ले जाती।
उसके बाद बाबा ने मंत्र पढ़कर ताबीज बनाई और मेरे गले में डाल दी और एक धागा हाथ में बांध दिया। फिर कहा - अब ऐसा कुछ नहीं होगा इतना कहकर बाबा तो चले गए पर मैं उसी दहशत में उस रात तो क्या कई रातो तक नहीं सो पाया और मैंने उसके बाद से कभी भी ट्रेन से सफर नहीं किया। इस कहानी को आज मैंने आपके सामने बता तो दी लेकिन सच मानो यह कहानी बताते समय आज मेरी रूह फिर काप रही है आज भी मैं उस दहशत में हूँ।
इस कहानी के लेखक हैं - रामचंद्र यादव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव
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