दहशत E -2 || bhoot ki kahani darawni || Hindi story my

 


दहशत एपिसोड 2

एपिसोड 1👉क्लिक 


वो लड़की धीरे धीरे मेरा गला दबाने लगी थी और मेरी सांसे अब उखड़ने लगी थी मेरा चेहरा भी पसीने से तरबतर हो गया था। मुझे लग रहा था अब इसी पल मेरी जान निकल जाएगी मैं बहुत बुरी तरह से तड़प रहा था और तड़पते हुए मेरी एक चीज और निकली। तभी मेरे पापा ने मुझे तुरंत पकड़ लिया और मुझको जगाया तो मैंने देखा अभी तो मैं उसी ट्रेन में ही था और ऊपर कि सीट पर सोते हुए एक खतरनाक भयानक सपना देख रहा था। मेरे पापा ने रुमाल से मेरा चेहरा साफ किया जो पसीने से भीग रखा था उस हल्की हल्की ठंड में भी मुझे पसीना आ रहा था। मेरी धड़कने अभी भी दुगनी रफ़्तार से धड़क रही थी।

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उसके बाद मेरे पिताजी ने मुझे अपने पास ही नीचे सीट पर बैठा लिया मैंने घड़ी में टाइम दिखा दो रात के अभी दो ही बज रहे हैं थे। अब मैं उठ कर बूगी के वॉशरूम में गया और मैंने अपनी आंखों पर पानी के छींटे मारे और मुंह धोकर फिर से सीट पर बैठ गया। मैंने सोचा आप जितना भी सफर बचा है सीट पर बैठकर ही पूरा करूंगा अब मैंने सोच लिया था सोना तो नहीं है। तो मैंने अब बचा हुआ पूरा सफर जागते हुए ही सीट पर बैठकर ही काटा जब नई दिल्ली स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो हम सभी सामान उठाकर ट्रेन से नीचे उतर रहे थे तब मेरी नजर सामने वाली सीट पर पड़ी। तो मैंने देखा की वो लड़की भी उतर रही थी अपना सामान लेकर जिसको मैंने लखनऊ स्टेशन पर देखा था और रात में सपने में भी देखा था।


उसको देखते ही मानो मेरा दिल फिर जोर-जोर से धड़कने लगा और मुझे एक अजीब सा डर लग रहा था मैं भी अपने घर वालों के साथ चिपक कर चल रहा था। उसके बाद हम नई दिल्ली स्टेशन से बाहर पैदल ही चल रहे थे किसी ऑटो को देखने के लिए। तभी मेरे होश फिर उड़ गए क्योंकि मैंने देखा अभी भी वो लड़की हमारे आगे आगे ही चल रही थी। इस बार मैंने अपने भाई से कहा - दिनेश इसे देख यह लड़की लखनऊ स्टेशन पर भी बैठी थी और जिस ट्रेन में हम आए उसमें ही थी शायद उसी बोगी में भी थी जिसमें हम थे - मेरी बात सुनकर मेरे भाई ने पहले तो मुझे अपनी अजीब सी निगाहों से देखा फिर कहा - कहाँ कौन किसकी बात कर रहे हो -


मैंने फिर अपने भाई से कहा - अरे जो सामने जा रही है - लेकिन दिनेश ने कहा - भैया क्या हो गया आपको सामने तो कोई नहीं जा रहा - उसके इतना कहते ही अब मानो मेरे होश ही उड़ गए क्योंकि वो लड़की तो मुझे अभी भी दिख रही थी और आश्चर्य की बात तो यह है कि किसी और को नहीं दिख रही थी लेकिन थोड़ी देर में ही पापा ने ऑटो कर लिया और हम ऑटो में बैठ कर अपने दिल्ली वाले घर पहुंच गए। घर पहुंच कर हमने थोड़ी साफ सफाई करी क्योंकि घर लगभग 2 महीने से बंद पड़ा था। साफ सफाई के बाद खाना वाना खाकर हम सब आराम करने लगे और मैं भी अपने कमरे मेरा कमरा में जाकर लेट गया। और थोड़ी देर में मेरी आँख भी लग गई और तभी मुझे नींद में ही ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरे बेड पर कोई और भी लेटा हुआ है और वो बहुत जोर-जोर से सांसे ले रहा है और उसने एक हाथ मेरे ऊपर भी रखा हुआ है। मैंने तुरंत आँखे खोली तो मानो मेरे होश उड़ गए। और उसके साथ ही मेरे मुंह से बहुत जोर से चीखने की आवाज निकली और मैं बेड से कूद कर तुरंत बाहर की तरफ भागने लगा।


 मैं रोता चीखता चिल्लाता हुआ बाहर भाग रहा था बाहर मेरे पापा कीयारी में साफ सफाई कर रहे थे। उन्होंने मुझे इस हालत में देखा तो तुरंत आकर पकड़ लिया। पापा मुझसे पूछ रहे थे - क्या हुआ मुकेश बेटा क्या हुआ - लेकिन मेरे मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी मैं बहुत डरा घबराया हुआ था थोड़ी देर में ही हमारे घर के सभी लोग वहाँ आ गए सब मेरे से बार-बार पूछ रहे थे - क्या हुआ क्या हुआ - पर मेरे मुंह से बस इतना ही निकला - वो लड़की अंदर है और वो मेरे कमरे में है बिस्तर पर लेटी है वो वही लड़की है वो - मैं साफ साफ नहीं बोल पा रहा था हक लाते हुए मेरे मुंह से शब्द निकल रहे थे। मेरे पापा और भाई बहन सभी लोग तुरंत कमरे के अंदर भाग कर गए।


लेकिन उन्होंने देखा कमरे में तो कोई भी नहीं था कमरा तो पूरी तरह से खाली पड़ा हुआ था। सबने इधर उधर भी देखा लेकिन कोई नहीं था और ना ही कोई बाहर भी जा सकता था। क्योंकि घर के चारों तरफ बाउंड्री लगी थी और गेट बंद था मैंन।मेरे पापा ने फिर मेरे से कहा - बेटा कोई भी तो नहीं है कहीं तुमने शायद कोई सपना देखा होगा रात में भी डर गए थे इतना लंबा सफर कर कर आए हैं हम लोग सब थक गए हैं इसलिए तुम्हें कोई वहम हुआ है नींद में तुमने सपना देखा होगा कोई - मम्मी पापा भाई बहन सब यही कह रहे थे कि मुकेश तुमने कोई सपना ही देखा होगा सब लोग थोड़ी देर में इधर उधर तो चले गए लेकिन मैं अभी भी बहुत दहशत में था


क्योंकि मुझे पता था मैंने अभी तो कोई सपना नहीं देखा है क्योंकि यह सपना तो नहीं हो सकता जब मैं बेड से नीचे कूदा तभी भी मैंने देखा वो लड़की बेड पर लेटी हुई थी जो पहले लखनऊ स्टेशन में मिली थी फिर ट्रेन में मैंने सपना देखा था और जब हम दिल्ली स्टेशन पर उतरे तब भी वो लड़की उसी ट्रेन से नीचे उतरी थी आश्चर्य की बात तो यह थी कि वो लड़की मेरे सिवा किसी को नहीं दिख रही थी। यही सब सोचते विचार थे दहशत के साए में पूरा दिन तो खत्म हो गया और रात को जब सब लोगों ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में सोने को चले गए। और मैं भी अपने कमरे में चला गया मैंने कमरे का दरवाजा बंद करा और बेड पर लेटा ही हुआ था।


कमरे में लाइट भी जल रही थी मैं अपने फोन में कुछ काम कर रहा था लगभग 1 घंटे बाद यानी समय 11:00 या 11:30 हो रहा होगा। तब मैंने सोचा अब लाइट बंद करके सो जाता हूँ मैं बेड से उठा और लाइट बंद करने के लिए गया तभी मैंने सुना कोई मेरे कमरे की खिड़की बजा रहा है खिड़की बजाने की आवाज बड़ी जोर जोर से आ रही थी मैंने तुरंत खिड़की की तरफ देखा तो फिर मेरे होश उड़ गए। मेरे रगों में चलता खून जम सा गया तभी मेरी एक चीखने आवाज निकली क्योंकि मैंने देखा बाहर वही लड़की खिड़की बजा रही थी। वो अपने एक हाथ से और उसका एक हाथ कटा हुआ था चेहरा बिल्कुल कट रखा था। और खून खून था पूरे चेहरे पर और बाल आगे को बिखरे हुए थे। इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।


एपिसोड 3👉क्लिक 


इस कहानी के लेखक हैं - रामचंद्र यादव
इस कहानी में आवाज दी हैं - प्रियंका यादव


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