साया डायन का E-13 | Bhayanak Dayan ki kahani | Hindi story my

 

साया डायन का E-13



फिर उसके बाद दोनों बाबा की उस कुटिया के अंदर जाते हैं पर वो दोनों देखते हैं बाबा तो दूसरी ओर मुँह करें पूजा कर रहे थे। पर दोनों जैसे ही कुटिया के अंदर जाते हैं तो बाबा बिना पिछे मुडे बोलते हैं - अरे तुम आ गए बेटा - इतना बोलकर बाबा अपने पिछे मुड़ते और अपनी आँखे खोलकर देखते तो उनके सामने रजत और अवनीत खड़े थे। रजत को देखकर बाबा उसे तुरंत पहचान जाते हैं और बोलते हैं - अरे बेटा तुम - फिर उसके बाद वो दोनों बाबा के पास जाते हैं और उनके चरणों में झुक कर नमस्कार करते और फिर रजत बोलता हैं - बाबा आप किसी का इंतजार कर रहे थे क्या -

फिर बाबा बोलते हैं - हाँ बेटा वो मैं अपने शिष्य का इंतजार कर रहा हूँ मैंने उसने डायन कोट पीछा था किसी काम से - बाबा की बात सुनकर फिर रजत बोलता हैं - किस काम से बाबा - फिर बाबा ने कहा - वो मैंने अपने शिष्य को डायन कोट की थोड़ी मिट्टी लाने को भेजा हैं - फिर रजत ने कहा - पर क्यों बाबा वहाँ की मिट्टी से आप क्या करेंगे - फिर बाबा ने कहा - वो इसलिए क्यूंकि बेटा मुझे लगता हैं अब समय आ गया हैं उस डायन और महादेव के दूत के युद्ध का और वहाँ की मिट्टी से हमें उस डायन की कमियों का पता चल जाएगा -

बाबा की सारी बात सुनकर फिर रजत ने कहा - वैसे बाबा हमें आपको कुछ बताना हैं - फिर बाबा ने कहा - कहो बेटा तुम क्या बताना चाह रहे हो - फिर रजत ने अवनीत की तरफ देखा और बोला - भाई - रजत के इतना बोलते ही अवनीत अपनी जगह पर खड़े होकर अपनी सर्ट निकालने लगता हैं और अपनी पूरी सर्ट निकाल कर अवनीत जैसे ही पिछे घूमता हैं और जैसे ही बाबा उसकी पीठ पर त्रिशूल का निशान देखते ही वो बोलते - ओम नमः शिवायः - क्यूंकि वो तुरंत समझ जाते हैं की अवनीत ही महादेव का भेजा हुआ दूत हैं जो उस डायन को मरेगा। फिर उसके बाद अवनीत अपनी जगह पर फिर बैठ जाता हैं और फिर बाबा बोलते हैं - बेटा यह निशान तुम्हारी पीठ पर कबसे हैं -

फिर अवनीत बोलता हैं - बाबा जी यह निशान तो मेरी पीठ पर पैदाइशी  हैं - फिर बाबा बोलते हैं - बेटा अभी तुम्हे पता नहीं हैं तुम कौन हो तुम्हारे अंदर महादेव की शक्ति का एक अंश हैं और तुम्हारा जन्म एक बहुत जरूरी कार्य की पूर्ति के लिए हुआ हैं - अवनीत अपने दोनों हाथ जोड़े बाबा की सारी बाते बड़े ध्यान से सुन रहा था तभी बाबा अपनी बात जारी रखते हुए बोलते हैं - बेटा हर सौ सालो में भगवान अपने 7 दूतो को धरती पर धर्म की रक्षा के लिए भेजते हैं जिनमे भगवान की शक्ति का एक अंश होता और उन्हें अपनी उन्ही शक्ति का प्रयोग कर धर्म की और इस धरती में रह रहे हर जीवो की रक्षा करनी पडती हैं।

और इस बार तुम उन 7 दूतो में से एक हो और हर बार हर दूत का कार्य भी अलग अलग होता हैं जैसे की तुम्हे इस बार उस डायन को मारने का कार्य सौपा गया हैं ताकी तुम उस डायन को मार कर इस धरती को उस डायन के अत्याचार से बचा सको। जैसे तुम यहाँ इस डायन को मरोगे बिलकुल वैसे ही जो तुम्हारे साथ के बाकि भगवान के दूत हैं वो भी कही ना कही अपना कार्य कर रहे होंगे। और एक बात हाँ अब तुम्हे बहुत ज्यादा सावधान रहने की जरूरत हैं क्यूंकि उस डायन को भी अब पता चल चूका होगा की तुम यहाँ आ चुके हो इसलिए वो अब तुम्हे वहाँ बुलाने के लिए काफ़ी सारे जानो की मदद ले सकती हैं

क्यूंकि वो डायन तुम्हे मारने के लिए बहुत ज्यादा तड़प रही होगी इसलिए तुम ऐसी कोई सी भी गलती मत करना जिससे उस डायन को कोई भी फायदा हो क्यूंकि गलती से भी उस डायन ने तुम्हे मार दिया तो फिर उस डायन की शक्ति बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी - बाबा की सारी बाते बड़े ध्यान से सुनने के बाद फिर अवनीत ने कहा - पर बाबा मैं अपनी इन शक्तियों का इस्तेमाल कैसे करू मेरा मतलब हैं मुझे आज तक अपने अंदर ऐसी कोई सी भी शक्ति का कोई अनुभव नहीं हुआ मैं तो इतने सालो से बिलकुल एक आम इंसनों की तरह ही जीवन जी रहा हूँ - क्या बाबा अवनीत को उसकी शक्तियों का अनुभव करा पाएंगे। जानने के लिए आप हिन्दी स्टोरी माय वेबसाइट के नोटिफिकेशन ऑन कर दे ताकी अगला एपिसोड आते ही आपको उसका नोटिफिकेशन मिल जाए।
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं 



इस कहानी के लेखक हैं - शिव



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