साया डायन का E-12 | New Hindi Darawni kahani | Hindi story my

 

साया डायन का E-12



रजत बोलता हैं - भाई हम यह थोड़ी ना बोल रहे हैं की तुने उसे मारा हैं बस ये जानना चाह रहे थे की तू इतनी सुबह उस डायन कोट वाले रास्ते से क्यों जा रहा था क्यूंकि भाई 6 बजे तुने लोकेश को फ़ोन करके बता दिया था इसका मतलब तू जब यहाँ से जा रहा होगा तब तो अंधेरा ही हो रहा होगा और तू तो सबसे ज्यादा यहाँ से जाने में डरता हैं पर आज ऐसा क्या हो गया था हो तू अँधेरे में ही यहाँ से जा रहा था - रजत ने इतना ही कहा था की राहुल के चेहरे की जैसे हवाइया ही उठ गई हो। उसको देखकर साफ़ पता चल रहा था जैसे वो कुछ चुपा रहा हो।

रजत के इना सब बोलने के बाद भी जब राहुल कुछ जवाब नहीं देता तब लोकेश बोलता हैं - अरे भाई कुछ बोल तो सही हम तुझसे कुछ पूछ रहे हैं तू इतनी सुबह यहाँ करने क्या आया था - लोकेश इतना कहा था की फिर राहुल थोड़ा हकलाते हुए बोलता है - वो वो मुझे बाजार में कुछ काम था जिसके करण में इस रास्ते से जा रहा था - फिर एकदम से रजत बोलता हैं - बाजार में क्या काम था तुझे इतनी सुबह इतनी सुबह तो बाजार खुलाता भी नहीं - फिर राहुल ने कहा - था मुझे कुछ जरूरी काम मैं अपनी हर चीज तो तुम्हे बता नहीं सकता ना -

इतना बोलकर राहुल वहाँ से जाने लगता हैं और रजत उसे पिछे से रोकने ही वाला था की तभी अवनीत ने रजत का हाथ पकड़ा और कहा - जाने दे भाई उसे - फिर रजत बोलता हैं - पर भाई - फिर अवनीत ने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा - भाई जब हम इसके पास आए थे तब तुझे देखा था की वो क्या लिख रहा हैं - फिर रजत ने कहा - ना भाई - फिर अवनीत लोकेश की तरफ देखता हैं तो लोकेश बोलता हैं - ना भाई मैने भी नहीं देखा - फिर उन दोनों के चुप होते ही अवनीत ने बोलता - पर मैंने देखा था की वो क्या लिख रहा था - फिर एकदम से रजत बोलता हैं - क्या लिख रहा था भाई वो -

फिर अवनीत ने जो बताया उसे सुनकर तो लोकेश और रजत के रोंगटे ही खड़े हो गए क्यूंकि फिर अवनीत ने बताते हुए कहा - अरे उसने दिव्या लिखा हुआ था मतलब समझे कुछ - फिर रजत बोलता हैं - इसका मतलब अब राहुल के ऊपर साया डायन का तो नहीं - फिर अवनीत बोलता हैं - इसका बिलकुल यही मतलब हैं - फिर इन दोनों को बीच में ही टोकते लोकेश बोलता हैं - पर भाई जब बिर्जेश के ऊपर साया डायन का आया था तब बिर्जेश तो बिलकुल पागल सा हो गया था पर राहुल तो देखने में बिलकुल सही सा लग रहा था क्या पता हो सकता हैं वो ऐसी ही दिव्या का नाम लिख रहा हो या फिर कोई और लड़की हो जिसका नाम भी दिव्या हो -

लोकेश की सारी बात सुनने के बाद फिर अवनीत ने कहा - भाई अगर ऐसा होता तो वो बताता नहीं क्या की वो इतनी सुबह यहाँ से क्यों जा रहा था - फिर लोकेश बोलता हैं - पर भाई वो डायन यह सब क्यों कर रही हैं - फिर अवनीत ने कहा - वो सब भाई हम तुझे बाद में बताएँगे - इतना बोलकर अवनीत, रजत की तरफ देखता हैं और बोलता हैं - चल भाई जल्दी हम उन बाबा के पास चलते हैं क्यूंकि मुझे लगता हैं अब राहुल की जान भी खतरे में हैं - तभी लोकेश अवनीत की बात बीच में ही काटते हुए बोलता हैं - कौन से बाबा के पास और क्या करने -

फिर रजत बोलता हैं - भाई तुझे कहा ना की वो सब हम तुझे बाद में बताएँगे - इतना बोलकर रजत और अवनीत वहाँ जाने लगते हैं और जैसे ही वो दोनों अपनी बाइक के पास पहुंचते हैं तभी रजत अवनीत से बोलता हैं - चल भाई तू पिछे बैठ बाइक में चलाता हूँ - रजत के इतना बोलने के बाद अवनीत उसे अपनी जेब से चाबी निकाल कर देता हैं और उसके पिछे बैठ जाता हैं। यह दोनों अभी कुछ ही आगे गए थे तभी रजत बोलता हैं - भाई मुझे एक बात अभी भी समझ नहीं आई - रजत के बात सुनकर फिर अवनीत बोलता हैं - कौन सी बात -

फिर रजत बोलता हैं - यही भाई की उस डायन ने तो बिर्जेश को पागल कर दिया था पर राहुल तो बिलकुल सही हैं कही उस डायन ने किसी ओर को तो नहीं तुझे वहाँ लाने के लिए चुना हैं और हम फालतू में राहुल पे शक कर रहे हैं - फिर अवनीत बोलता हैं - ना भाई मुझे पूरा विश्वास हैं की उस डायन ने अब राहुल को ही मुझे लाने को चुना हैं क्यूंकि भाई इतनी सुबह अँधेरे में उसे बाजार में क्या काम हो सकता हैं अब तू ही बता और हाँ हम जैसे ही उसके पास गए तो उसने तुरंत दिव्या का नाम मिटा क्यों दिया और उसे क्या काम था बाजार में उसने यह भी बताने से मना कर दिया -

फिर रजत अवनीत की बात बीच में ही काटते हुए बोलता हैं - भाई उस डायन ने राहुल को इस बार कुछ क्यों नहीं करा मेरा मतलब हैं उसे भी तो कुछ होना चाहिए था पर वो तो बिलकुल सही हैं - फिर अवनीत उसे समझाते हुए बोलता हैं - क्यूंकि भाई मुझे लगता हैं उस डायन ने बिर्जेश को पागल कर तो देख ही लिया था पर वो उसके कोई काम नहीं आया इसलिए इस बार वो कुछ अलग ही करना चाह रही हैं ताकी में जल्द से जल्द वहाँ जाऊ - दोनों यही सब बाते कर ही रहे थे तभी दोनों बाबा की कुटिया तक पहुंच जाते हैं।

फिर उसके बाद दोनों बाबा की उस कुटिया के अंदर जाते हैं पर वो दोनों देखते हैं बाबा तो दूसरी ओर मुँह करें पूजा कर रहे थे। पर दोनों जैसे ही कुटिया के अंदर जाते तो बाबा बिना पिछे मुडे बोलते हैं - तुम आ गए बेटा -
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।



इस कहानी के लेखक हैं - शिव



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