साया डायन का E-14
बाबा की सारी बाते बड़े ध्यान से सुनने के बाद फिर अवनीत ने कहा - पर बाबा मैं अपनी इन शक्तियों का इस्तेमाल कैसे करू मेरा मतलब हैं मुझे आज तक तो अपने अंदर ऐसी कोई सी भी शक्ति का कोई अनुभव नहीं हुआ मैं तो इतने सालो से बिलकुल एक आम इंसनों की तरह ही जीवन जी रहा हूँ - अवनीत की बात सुनकर बाबा फिर हल्का सा मुस्कुराते हुए बोलते हैं - ऐसा नहीं हैं बेटा की वो शक्तियां तुम्हारे साथ एक पल के लिए भी ना रही हो वो सारी शक्तियां तुम्हारे बैदा होने के बाद से तुम्हारे साथ ही रही हैं और तुम्हारी हमेशा से मदद करती आई हैं तुम एक आम इंसान जीव नहीं जी रहे थे क्यूंकि जिसके साथ भी यह सारी शक्तियां हो वो कभी एक आम इंसान तो नहीं हो सकता -
तभी बाबा की बात बीच में ही काटते हुए रजत बोलता हैं - बाबा अभी आपने कहा की अवनीत की तरह 6 और दूत हैं जिन्हे भगवान ने इस धरती की रक्षा के लिए भेजा और सबका काम भी अलग अलग हैं तो बाबा यह कैसे पता चलेगा की अवनीत को ही उस डायन को मारने का काम सौपा गया हैं मेरा मतलब हैं जो बाकि के 6 दूत हैं क्या पता उनमे से किसी को डायन को मारने का काम सौपा गया हो - रजत की बात सुनकर फिर बाबा बोलते हैं - मुझे पता हैं बेटा तुम यह सवाल क्यों कर रहे हो और मुझे लगा भी था तुम यह सवाल जरूर करोगे क्यूंकि तुम्हे डर हैं कही तुम्हारे दोस्त को कुछ हो ना जाए
पर बेटा तुम मेरी एक बात और भूल रहे हो की तुम्हारा यह दोस्त एक आम इंसान नहीं बल्कि यह महादेव के आशीर्वाद के साथ बैदा हुआ हैं जिसकी पीठ पर त्रिशूल का निशान हैं और यह त्रिशूल का निशान महादेव की निशानी हैं और मेरे गुरु ब्रिजनाथ बाबा ने अपना जीवन त्यागते समय मुझे बताया था की इस बार के 7 राक्षकों में महादेव भी अपने दूत को उस डायन कोट की डायन से इस धरती को मुक्ति दिलाने के लिए भेजेंगे और हाँ उन्होंने यह भी बताया था की जिस दूत को महादेव भेजेंगे उसकी पीठ पर एक त्रिशूल का निशान होगा।
जैसे हर दूत का कार्य अलग अलग होता हैं बिलकुल वैसे ही हर दूत के शरीर में निशान भी अलग अलग होते हैं और शरीर के अलग अलग अंग में होते हैं जैसे किसी के पैर में या किसी के हाथ में और जैसे इनकी पीठ पर त्रिशूल का निशान हैं वैसे ही दूसरे दूत के शरीर में कोई दूसरा निशान होगा और शरीर के कोई दूसरे अंग में होगा। हर बार हर अलग अलग देवता अपने दूत को धरती की रक्षा के लिए भेजते हैं और उस दूत के शरीर में उन्ही देवता का निशान होता हैं - बाबा की सारी बाते सुनने के बाद फिर अवनीत बोलता हैं - पर बाबा जी में उस डायन को कैसे मरूंगा -
फिर बाबा बोलते हैं - उस डायन को मारने से पहले बेटा तुम्हे अपनी शक्तियां जागृत करनी होगी - फिर अवनीत बोलता हैं - पर बाबा जी मैं अपनी शक्तियां जागृत कैसे करू - फिर बाबा बोलते हैं - इस आने वाले सोमवार को पूर्णिमा हैं और यह दिन तुम्हारी शक्तियों को जागृत करने के लिए बहुत अच्छा हैं उस दिन तुम्हे ब्रह्म मूरत के समय उठकर इस्नान करने के बाद शूलपाणी शिवलिंग में गंगा जल चढ़ाना होगा जिससे तुम्हारी पीठ पर जो त्रिशूल का निशान हैं वो काले रंग से नीले रंग का हो जायेगा
और यही वो संकेत हैं जिससे पता चल जायेगा की तुम्हारी शक्तियां जागृत हुई हैं या नहीं - बाबा की बाते सुनने के बाद अवनीत कुछ सोच में पड़ जाता हैं फिर बाबा अवनीत को ऐसे सोच में पड़े देख फिर बोलते हैं - तुम्हे कुछ पूछना हैं तो बेटा पूछ सकते हो - फिर अवनीत बोलता हैं - बाबा जी यह ब्रह्म मूरत क्या हैं और यह शूलपाणी शिवलिंग कहाँ - अवनीत की बात सुनकर फिर बोलते हैं - रात्रि के अंतिम प्रहर के ठीक बाद और सूर्योदय से ठीक पहले यानी सुबह के 4 बजे से लेकर 5:30 बजे तक के समय को ब्रह्म मूरत कहते हैं।
और हमारे ऋषि मुनियो ने ब्रह्म मूरत को पूजा के लिए विशेष महत्व दिया हैं। और शूलपाणी शिवलिंग हमारे आश्रम के पिछे जो मंदिर हैं उसी मंदिर में ब्रिजनाथ बाबा ने शूलपाणी शिवलिंग की इस्थापना करी थी - बाबा, अवनीत को शूलपाणी शिवलिंग की बाते बता ही रहे थे तभी वहाँ बाबा जी का शिष्य डायन कोट की मिट्टी लेकर आ जाता हैं।
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं।
