साया डायन का E-15 | New hindi Darawni kahani | Hindi story my

 

साया डायन का E-15



बाबा , अवनीत को शूलपाणी शिवलिंग की बाते बता ही रहे थे की तभी वहाँ बाबा जी का शिष्य डायन कोट की मिट्टी लेकर आ जाता हैं। और वहाँ आते ही वो बोलता हैं - गुरु जी अपने मुझे जो कार्य सौपा तो वो मैंने पूरा कर लिया हैं पर - इनता बोलकर बाबा का शिष्य चुप हो जाता हैं फिर उसे ऐसे चुप देख बाबा बोलते हैं - पर क्या अशोक - फिर बाबा का शिष्य यानी अशोक बोलता हैं - गुरु जी डायन ने आज उस लड़के को मार दिया जिस लड़के के ऊपर पर साया डायन का था जिसे उस डायन ने महादेव के दूत को वहाँ ले जाने के लिए चुना था

पर गुरु जी मुझे एक बात अभी भी समझ में नहीं आ रही की अगर उस डायन को उस लड़के की मदद चाहिए थी तो उस डायन ने उसे मारा क्यों - अशोक की बात सुनकर बाबा फिर अवनीत और रजत की तरफ देखते हैं और बोलते हैं - बेटा कल तुम्हे कोई लड़का कही ले जाने के लिए तो नहीं आया था - इतना बोलकर बाबा फिर रजत की तरफ देखते हैं और बोलते हैं - बेटा तुम्हारा वही दोस्त जो एक साल पहले डायन कोट चला गया था वो कही कल तुम लोगो के पास तो नहीं आया था -

फिर अवनीत बोलता हैं - बाबा जी हम आपको अभी यह बताने ही वाले थे की कल रात बिर्जेश मेरे घर आया था और वो यह बोल भी रहा था की अगर मैं उसके साथ नहीं गया तो वो डायन उसे मार देगी पर उस समय तक रजत ने मुझे वहाँ की सारी बाते बता दी थी इसलिए हमें लगा की अगर उस डायन को बिर्जेश को मारना ही था तो पहले ही मार देती पर हमें क्या पता था की इस बार वो डायन उसे सच में मार देगी - इन दोनों की बात खत्म होते ही फिर अशोक बोलता हैं - पर गुरु जी वो लड़का इन दोनों को बुलाने क्यों गया था और अब वो डायन महादेव के दूत को वहाँ कैसे बुलाएगी -

अशोक की बात सुनकर फिर बाबा जी हल्का सा मुस्कुराते हुए बोलते हैं - इन दोनों को नहीं बल्कि बस यह जो तुम्हारे सामने बैठे हैं इने ही बुलाने गया था क्यूंकि अशोक यही महादेव के भेजे हुए दूत हैं - अशोक अवनीत का जैसे यह सच जानता हैं की अवनीत ही महादेव का भेजा हुआ दूत हैं तो तुरंत अपने दोनों हाथ जोड़कर अवनीत को नमस्कार करता हैं। फिर उसके बाद बाबा अपनी बात जारी रखते हुए बोलते हैं - अशोक यह बात भी साफ़ हैं की उस डायन ने बिर्जेश को क्यों मारा क्यूंकि उसे लगा की बिर्जेश उसकी कोई मदद के लायक नहीं हैं

और यह दिखाने के लिए भी की अगर महादेव का दूत वहाँ नहीं गया तो वो ऐसे ही सबकी जान लेते रहेगी। और उस डायन ने बिर्जेश को मारने से पहले बिर्जेश के जरिये किसी और को डायन कोट तक बुलवाया होगा और फिर उसे महादेव के दूत को डायन कोट तक ले जाने का काम सौपा होगा - इतना बोलकर बाबा फिर अवनीत की तरफ देखते और बोलते हैं - पर बेटा तुम्हे अब बहुत ज्यादा सावधान रहने की जरूरत हैं क्यूंकि अब जो तुम्हे डायन कोट ले जाने आएगा वो तुम्हे बुलाएगा नहीं बल्कि वो तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता हैं इसलिए बेटा जब तक तुम्हारी शक्तियां जागृत नहीं हो जाती तब तक तुम बस सावधान ही रहना -

फिर बाबा की बात बीच में ही काटते हुए अवनीत बोलता हैं - पर बाबा जी आज तो मंगलवार हैं यानी अभी 6 दिन हैं सोमवार की पूर्णिमा को तब तक तो वो डायन काफ़ी लोगो की जान ले लेगी और अभी अब ने ही कहा था की वो सारी शक्तियां हमेशा से मेरे साथ ही रहती हैं और मेरी मदद करती हैं तो मुझे उस डायन से डरने की क्या जरूरत हैं - फिर बाबा बोलते हैं - क्यूंकि बेटा वो डायन भी बहुत शक्तिशाली हैं - इतना बोलकर बाबा रजत की तरफ देखते हैं और बोलते हैं - बेटा तुम भी सावधान रहना और जितना हो सकें अपने दोस्त के साथ ही रहना - फिर इतना बोलकर बाबा अशोक से डायन कोट की मिट्टी लेते हैं जो वो एक थैली में भरकर लाया था।

फिर उसके बाद बाबा बोलते हैं - अच्छा तो बेटा मैं अब भैरव पूजा करने जा रहा हूँ जिससे हमें उस डायन की कमियों का पता चल जाएगा - बाबा के इतना बोलने के बाद अवनीत और रजत बाबा के पैर छूकर वहाँ से चले जाते हैं। फिर उसके बाद पूरा दिन इधर उधर घूमने के बाद शाम को लगभग 8 बजे जब अवनीत और रजत जैसे ही अवनीत के घर के पास पहुंचते हैं तभी रजत के फ़ोन में किसी का कॉल आने लगता हैं। फिर रजत फ़ोन में बात करने के बाद अवनीत से बोलता हैं - अरे यार अवनीत मेरे बापू जी का फ़ोन था मैं अभी घर से थोड़ी देर में सकल दिखा कर आता हूँ क्यूंकि यार कल सुबह से मैं घर नहीं गया हूँ तू घर के अंदर जा मैं अभी थोड़ी देर में आता हूँ -

फिर अवनीत बोलता हैं - अरे कोई बात नहीं भाई - अवनीत के इतना बोलने के बाद अवनीत बाइक से नीचे उतरता हैं और रजत बाइक से अपने घर की ओर जाने लगता हैं। फिर उसके बाद अवनीत अपने घर के अंदर जाता हैं और सोचता हैं - जब तक रजत अपने घर से वापस आता हैं तब तक मैं खाना वाना बना लेता हूँ - इतना बोलकर अवनीत अपने किचन में जाकर खाना बनाने लगता था। अभी अवनीत को खाना बनाते हुए कुछ समय हुआ था तभी अवनीत के घर के दरवाजे को कोई बाहर से बड़ी जोर जोर से खट खटाने लगता हैं।

खट खटाने की आवाज सुनकर फिर अवनीत बोलता हैं - यह पक्का रजत ही होगा - इतना बोलकर अवनीत दरवाजा खोलने के लिए जाने लगता हैं। पर अवनीत जैसे ही दरवाजा खोलता हैं तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती हैं।
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं.



इस कहानी के लेखक हैं - शिव



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