साया डायन का E-16 | horror stories in hindi | Hindi story my

 

साया डायन का E-16



खट खटाने की आवाज सुनकर फिर अवनीत बोलता हैं - यह पक्का रजत ही होगा - इतना बोलकर अवनीत दरवाजा खोलने के लिए जाने लगता हैं। पर अवनीत जैसे ही दरवाजा खोलता हैं तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती हैं। क्यूंकि अभी थोड़ी देर पहले तक कोई उसके घर का दरवाजा बड़ी जोर जोर से खट खटा रहा था पर उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो बाहर दूर दूर तक कोई नहीं था। अवनीत घर से बाहर निकल कर इधर उधर देख रहा था पर उसे बाहर कोई नहीं दिखा और ऊपर से बाहर बड़ी जोर जोर से हवाए चलने लगी थी।

ऐसा लग रहा था जैसे कोई बड़ा भयानक सा तूफान आने वाला हैं। तभी अवनीत बोलता हैं - बाहर तो कोई दिख नहीं रहा तो दरवाजा कौन खट खटा रहा था और ऊपर से इतनी जल्दी यह तूफान कैसे चलने लगा ऐसे में रजत कैसे आएगा - इतना बोलकर अवनीत अपने घर के अंदर की ओर जाने लगता हैं। पर अभी वो दो तीन कदम ही अपने घर की ओर चला था की तभी उसके पिछे से एक आवाज आई जो यह बोल रही थी - अवनीत, अवनीत मदद कर मेरी यह मुझे मार देंगे -

आवाज सुनकर अवनीत तुरंत पिछे मुड़ा पर पिछे कुछ साफ़ नहीं दिख रहा था क्यूंकि उस समय तक बाहर काफ़ी अंधेरा भी हो गया था और ऊपर से तेज हवाएं चलने की वजह से पुरे में धूल धूल हो रखी थी इस वजह से भी कुछ साफ़ साफ़ नहीं दिखा रहा था। पर सुनते ही अवनीत उस आवाज को भी पहचान गया था की वो किसकी आवाज हैं इसलिए अवनीत आवाज लागाते हुए बोलता हैं - रजत कहाँ हैं तू - अवनीत के इनता बोलने के तुरंत बाद फिर से रजत की आवाज आती हैं पर इस बार उसकी आवाज सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे वो दर्द से तड़प रहा हो और वो यह बोल रहा था - भाई अवनीत बचाले मुझे -

अवनीत भी आवाज सुनकर तुरंत समझ जाता हैं की रजत बहुत ज्यादा दर्द में हैं इसलिए वो इधर उधर भाग भाग कर रजत को आवाज लगाते हुए ढूंढ़ने लगता हैं। अवनीत इधर उधर पुरे में भाग भाग कर रजत को ढूंढ रहा था पर उसे रजत कही नहीं मिल रहा था और जैसे जैसे समय बीत रहा था वैसे वैसे रजत की आवाज का दर्द भी बढ़ता जा रहा था। अवनीत भी अब भाग भाग के काफ़ी थक गया था पर वो रुक नहीं रहा था क्यूंकि उसका सबसे अच्छा दोस्त दर्द से तङप रहा था पर वो उसे ढूंढ नहीं पर रहा था

ऊपर से अवनीत को अब कुछ समझ भी नहीं आ रहा था की वो क्या करें क्यूंकि उस तूफ़ान में यह भी समझ नहीं आ रहा था की रजत की आवाज आखिर आ कहाँ से रही हैं तभी अवनीत फिर से जोर से बोलता हैं - भाई तू कहाँ हैं - अवनीत के इतना बोलने के बाद फिर रजत की आवाज आती हैं - भाई मैं यही हूँ मुझे बचाले भाई बहुत दर्द हो रहा हैं यह मुझे मार देंगे - रजत की ऐसी आवाज सुनकर अवनीत भी दिमाग़ सही से काम नहीं कर रहा था। पर तभी अचानक से तूफ़ान के साथ साथ बहुत तेज बारिश होने लगती हैं बारिश शुरू होते ही अवनीत एक जगह रुक कर इधर उधर देखने लगता हैं।

और तभी उस बारिश के साथ साथ अवनीत की आँखो से भी अशुओ की एक बारिश शुरू हो जाती हैं क्यूंकि उसे ऐसा लगता हैं की उसका दोस्त भी कही ना कही उसकी ही वजह से मुशीबत में फशा हैं और चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा हैं और वो यह भी सोच की उसे बाबा ने कहा भी था की रजत के साथ ही रहना क्यूंकि उसके ऊपर भी मुशीबत आ सकती हैं। अवनीत वहाँ खड़े खड़े यही सब सोच ही रहा था और यही बोल रहा था - हे भगवान मदद करो हमारी मैं क्या करू -

अवनीत इतना ही कहा था तभी अवनीत के फ़ोन पर किसी का कॉल आने लगता हैं फ़ोन की आवाज सुनकर अवनीत तुरंत अपनी जेब से फ़ोन निकाला और फ़ोन की स्क्रीन पर उसने देखा की रजत लिखा हुआ था उसने यह देखकर तुरंत फ़ोन उठाया और बोला - भाई कहाँ हैं और तू ठीक हैं - पर दूसरी ओर से रजत ने जो कहा उसे सुनकर तो अवनीत के होश ही उड गए। क्यूंकि फ़ोन की दूसरी ओर से रजत ने कहा - अबे भाई तू कहाँ हैं मैं कबसे तेरे घर में तेरा इंतजार कर रहा हूँ -
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं.


इस कहानी के लेखक हैं - शिव



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