दिल दहला देने वाली कहानी
यह बात तब की हैं जब मैं यानी विक्की और मेरा दोस्त महेश हम दोनों अपने दोस्त विनोद की शादी में उसके गाँव जा रहे थे। विनोद हम दोनों का कॉलेज फ्रेंड था और जहाँ उसका गाँव था वहाँ ना तो मैं कभी गया था और ना ही महेश कभी गया था। फिर भी मैंने और महेश ने सोच लिया था की अपने दोस्त विनोद की शादी में जरूर जाना हैं। इसलिए हमने विनोद से फ़ोन में ही उसके गाँव का पूरा एड्रेस ले लिया था।
उसका गाँव गढ़वाल के पहाड़ो में था इसलिए हम बस में ही जा रहे थे। और विनोद के बताए अनुसार बस ने जब हमें पहाड़ो के उस एक छोटे से बस स्टॉप पर उतारा जहाँ से विनोद के गाँव जाने के लिए हमें गाँव दूसरी गाड़ी करनी पड़ती हैं। पर हमें बस ने जब वहाँ उतारा तब तक काफ़ी अंधेरा हो गया था रात के लगभग उस समय 8 या 9 बज रहे होंगे। पर अंधेरा तक तो ठीक था पर हमने जैसे ही उस बस स्टॉप में इधर उधर देखा तो हमें वहाँ आस पास कोई भी गाड़ी या कोई भी इंसान नहीं दिख रहा था
पर हमें विनोद ने तो बताया था की हमारे बस से नीचे उतारते ही कोई ना कोई टैक्सी वहाँ मिल ही जाएगी पर यहाँ तो तो दूर की बात कोई इंसान भी नहीं दिख रहा था। फिर उसके बस मैंने तुरंत महेश से कहा - अरे यार यहाँ तो कोई नहीं दिख रहा तू जरा विनोद को तो फ़ोन लगा - मेरी बात सुनकर महेश ने तुरंत विनोद को लगाया पर उसका फ़ोन स्विच ऑफ आ रहा था। उसके तीन चार बार कोशिश करने पर भी विनोद का फ़ोन नहीं लगा तो उसने मुझसे कहा - अबे भाई विनोद का फ़ोन तो स्विच ऑफ आ रहा हैं अब क्या करें विनोद के आलावा और किसी का नम्बर भी तो नहीं हैं -
महेश की बात सुनकर मैंने कहा - चल यार थोड़ा आगे चलकर देखते हैं क्या पता कोई टैक्सी या कोई आदमी रास्ता पूछने के लिए ही मिल जाए - मेरे इतना बोलने के बाद हम दोनों पैदल ही बस स्टॉप से आगे की तरफ जाने लगे। हम दोनों पैदल चलते चलते लगभग एक किलोमीटर तक आगे निकल गए थे पर हमें अभी तक वहाँ कोई भी इंसान नहीं दिखा था। तभी हम थोड़ा और आगे ही गए होने तभी हमने देखा हमारे आगे से एक खच्चर वाला चला आ रहा था उसके पास आते ही मैंने उस खच्चर वाले से कहा - अरे भैया यह कंचन पुर कहाँ हैं -
मेरी बात सुनकर वो खच्चर वाला रुका और बोला - कंचन पुर नाम तो सुना हुआ हैं हाँ याद आया कंचन पुरे तो यहाँ से सीधा जाओगे तो यहाँ से लगभग 15 किलोमीटर दूर पर पड़ेगा - उसकी बात खत्म होते ही महेश ने कहा - अरे भैया यहाँ आस पास कोई टैक्सी वैक्सी मिल जायेगी क्या - फिर उस खच्चर वाले ने कहा - वो एक किलोमीटर पिछे जो बस स्टॉप हैं ना वहाँ क्या पता मिल जाए - फिर मैंने कहा - अरे यार अभी तो हम वही से आ रहे हैं पर कोई भी टैक्सी नहीं थी - मेरी बात सुनकर फिर उस खच्चर वाले ने कहा - फिर तो भैया आपको सुबह ही कोई टैक्सी मिलेगी - उस खच्चर वाले की बात सुनकर फिर मैंने कहा - यार फिर कोई दूसरा तरीका नहीं होगा वहाँ तक जाने का - फिर उस खच्चर वाले ने कहा - नहीं भईया -
फिर तुरंत महेश ने कहा - भाई यहाँ कोई आस पास ऐसी जगह हैं जहाँ हम रात भर रुक सकें - इस पर फिर उस खच्चर वाले ने कहा - वो यहाँ से थोड़ा ही आगे एक हॉटल हैं पर - उसकी बात सुनकर मैंने कहा - पर क्या - फिर उस खच्चर वाले ने कहा - पर यही की लोग कहते हैं की वो हॉटल कुछ सही नहीं हैं - उसकी बात खत्म होते ही मैंने फिर कहा - सही नहीं हैं मतलब भाई हम कुछ समझे नहीं - फिर उस खच्चर वाले ने कहा - यही की भैया लोग कहते हैं की वो हॉटल भूतिया हैं और वहाँ जल्दी से कोई नहीं जाता -
उसकी बात सुनकर महेश हँसने लगा और हँसते हुए ही कहा - अबे यार भाई तू भी कहाँ इन भूतों की बात कर रहा हैं यह भूत वूत कुछ नहीं होते और विक्की मैंने तेरे से कहा था ना की गई में कोई ना कोई भूतों की बात जरूर करेगा - महेश की बात सुनकर उस खच्चर वाले ने कहा - अरे भैया मेरा काम था आपको बताना तो मैंने आपको बता दिया हाँ यह दूसरी बात हैं आपको उस पर विश्वास हैं या नहीं - फिर मैंने कहा - अरे भैया इसका ऐसा मतलब नहीं था यह तो मज़ाक कर रहा था वैसे आपने कहाँ बताया था वो हॉटल - फिर उस खच्चर वाले ने कहा - वो यहाँ से सीधा आगे जाओगे तो थोड़ा ही आगे आपको वो हॉटल दिख जाएगा -
फिर उसके बाद उस खच्चर वाले के बताये अनुसार मैं और महेश हम दोनों चल दिए उस हॉटल की ओर। फिर उसके बाद हम थोड़ा ही आगे गए थे की तभी हमें वो हॉटल भी मिल गया जिसके बारे में खच्चर वाले ने बताया था। पर हम जैसे ही वहाँ पहुचे तो हमने देखा की वो हॉटल देखने में काफ़ी पुराना लग रहा था उस हॉटल को देखकर महेश ने कहा - अरे भाई काश यह हॉटल बाहर से जैसा दिख रहा हैं वैसा अंदर से ना हो - क्यूंकि वो हॉटल बाहर से देखने में काफ़ी पुराना और गन्दा लग रहा था। फिर उसके बाद मैंने कहा - भाई मुझे तो यह हॉटल सच में हैंटेड लग रहा हैं - मेरी बात सुनकर महेश ने कहा - अबे भाई तू कहाँ उस खच्चर वाले की बात में आ रहा हैं और चल देखते हैं की कोई कमरा आज रात के लिए मिलेगा भी या नहीं -
फिर उसके बाद हम दोनों उस हॉटल के अंदर जैसे ही गए तो जो हमने देखा उसे देखकर हम दोनों की आँखे फटी की फटी रह गई। क्यूंकि हॉटल अंदर से भी काफ़ी गन्दा और पुराना था और उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे इस हॉटल में कई दिनों से सफाई नहीं हुई हो। मैं और महेश यही सोच रहे थे आखिर कोई इसमें रह कैसे सकता हैं क्यूंकि उस हॉटल के अंदर से एक अजीब तरह की गंद आ रही थी।
फिर भी हम दोनों हॉटल के अंदर गए और हॉटल के अंदर इधर उधर देखने लगे पर इस हॉटल के अंदर हमें कोई भी नजर नहीं आ रहा था। और उस हॉटल में एक अजीब तरह की शांति थी जो मुझे कही ना कही छुब रही थी। तभी महेश ने मुझसे कहा - विक्की यह हॉटल हैं या कबाड़ खाना चल यार बाहर कोई दूसरा हॉटल ढूंढ़ते हैं - फिर मैंने कहा - अबे भाई इतनी मुश्किल से तो यह हॉटल मिला हैं नहीं तो यहाँ हॉटल तो दूर की बात आस पास कोई घर भी नहीं दिख रहा हैं -
हम दोनों यही सब बाते कर ही रहे थे तभी हमारे पिछे से एक आवाज आई - हाँ जी सर मैं क्या मदद कर सकता हूँ आपकी - आवाज सुनकर हमने तुरंत पिछे मूड कर देखा तो हमारे पिछे 35 या 40 साल का एक आदमी खड़ा हुआ था और उसके कपडे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो इस हॉटल मैनिजर होगा। फिर उसके बाद वो आदमी हमारे पास चलके आया और बोला - बोलिए सर मैं आपकी कैसे मदद कर सकता हूँ - फिर मैंने कहा - भैया क्या कोई रूम खाली होगा क्या - मेरी बात खत्म होते ही महेश ने मेरे कानो में कहा - अबे भाई इसमें सारे ही रूम खाली हैं -
तभी मैंने अपनी कोनी से महेश को हल्का सा मारा और धीरे से कहा - अबे चुप - तभी उस हॉटल के मैनिजर ने कहा - हाँ मिल जायेगा - फिर उसके बाद उससे कमरे की बात करने के बाद वो आदमी हमें कमरे तक ले गया। फिर उसके बाद हम कमरे जाकर सीधा लेट गए क्यूंकि हम दोनों काफ़ी थक चुके थे और थोड़ी ही देर में हमारी आँख भी लग गई। फिर ना जाने कितनी देर बाद मेरी जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा महेश बिस्तर पर उठकर बैठा हुआ था तभी मैंने महेश से कहा - क्या हुआ भाई तुझे नींद नहीं आ रही क्या -
फिर उसके बाद महेश ने मेरी तरफ देखा और कहा - भाई ध्यान से सुन शायद कोई टॉयलेट के अंदर हैं - महेश की बात सुनकर मैं भी सुनने की कोशिश करने लगा तो मुझे भी ऐसा लगने लगा जैसे कोई टॉयलेट के अंदर हो। मुझे ऐसा इसलिए लग रहा था क्यूंकि टॉयलेट के अंदर से किसी गुनगुनाने की आवाज आ रही थी। आवाज सुनकर मैं और महेश हम दोनों उठकर अपने बिस्तर पर ही बैठे थे तभी ऐसा लगा जैसे किसी ने बाथरूम का दरवाजा अंदर से हल्का सा खोला।
और मैं महेश हम दोनों अपनी नजर दरवाजे पर गाड़ाए बिस्तर पर ही बैठे थे पर तभी जब बाथरूम का पूरा दरवाजा खुला तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गई और मेरे दिल की धड़कन अपनी दुगनी रफ़्तार से ऐसे चलने लगी जैसे मेरा दिल अभी छाती फाड़ कर बाहर आ जायेगा। क्यूंकि मैंने देखा बाथरूम के अंदर से महेश अपना मुँह पोछते हुए बाहर निकला और जैसे ही उसने अपने मुँह से टावल हटाया तो उसकी भी आँखे फटी की फटी रह गई क्यूंकि उसने देखा मेरे बगल में भी एक महेश बैठा हुआ था।
और जो महेश मेरे बगल में बैठा हुआ था उसकी भी हालत ख़राब हो रखी थी। पर उन दोनों से ज्यादा हालत तो मेरी ख़राब हो रखी थी क्यूंकि मुझे समझ में नहीं आ रहा था की इन दोनों में से असली महेश कौन सा हैं। तभी बाथरूम के दरवाजे के पास खड़े महेश ने कहा - अबे विक्की जल्दी उठ वहाँ से वो पता नहीं कौन हैं - उसकी बात खत्म होती उससे पहले जो महेश मेरे बगल में बैठा हुआ था उसने कहा - नहीं विक्की वो पता नहीं कौन हैं मैं तो कब से तेरे साथ हो -
फिर उस दूसरे महेश ने कहा जो बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा हुआ था - यार भाई तू जब सो रहा था मैं तभी टॉयलेट गया था पर जब वहाँ से वापस आया तो पता नहीं यह कहाँ से तेरे बगल में आकर बैठ गया - मैं इन दोनों की बात बड़े ही ध्यान से सुन रहा था पर मैं यह खुद समझ नहीं पा रहा था की इन दोनों में असली महेश कौन हैं। तभी मुझे याद आया की महेश के सीधे हाथ में एक निशान हैं इसलिए मैंने कहा - तुम दोनों में से जो भी असली महेश हैं वो अपने सीधे हाथ की बाजु ऊपर कर के मुझे दिखाओ -
फिर उसके बाद जो महेश बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा हुआ था उसने तुरंत अपने सीधे हाथ की बाजु ऊपर करी और कहा - देख भाई - मैंने जैसे ही उसके हाथ की तरफ देखा तो उसके हाथ वो निशान था जिसके बारे में मैं सोच रहा था। पर तभी जो महेश मेरे बगल में बैठा हुआ था उस महेश ने भी तुरंत अपने सीधे हाथ की बाजु ऊपर करी और कहा - भाई यह देख तू यही निशान देखना चाहता हैं ना - मैंने जैसे ही अपने बगल वाले महेश के हाथ की तरफ देखा तो मेरा दिमाग़ पूरा ख़राब हो गया था क्यूंकि उन दोनों महेश के हाथ में बिलकुल वैसा ही निशान था जिस निशान के बारे में मैं अब तक सोच रहा था । और साथ ही मुझे अब यह भी समझ में नहीं आ रहा था की मैं अब क्या करू और मैं इन दोनों में से किस पर विश्वास करू और किस पर ना करू। और मैं वहाँ से भाग भी तो नहीं सकता था क्यूंकि इन दोनों में एक मेरा दोस्त महेश था पर यह समझ में नहीं आ रहा था की महेश असली कौन हैं।
और साथ ही मैं यह भी सोच रहा था की आखिर यह हो क्या रहा हैं हमारे साथ यह अचानक से एक और महेश कहाँ से आ गया। मैं वहाँ बैठे बैठे यही सब सोच रहा था तभी जो महेश बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा था उसने मुझसे कहा - अबे विक्की ज्यादा सोच मत और उठ जल्दी वहाँ से क्यूंकि यहाँ आते समय उस खच्चर वाले ने भी हमें बताया था की यह हॉटल भूतिया हैं पर हम दोनों ने उसकी बात नहीं मानी और यहाँ आकर इस मुसीबत में फस गए -
उस महेश की बात खत्म होती उससे पहले ही जो महेश मेरे बगल में बैठा था उसने कहा - विक्की मुझे तो लगता हैं यही वो भूत हैं जिसकी वो खच्चर वाला बात कर रहा था - पर अब मैं और ज्यादा गबरा गया था क्यूंकि इन दोनों में से एक तो महेश था और दूसरा इस हॉटल का भूत। मैं यही सब सोच रहा था तभी जो महेश बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा था उसने कहा - विक्की जो तेरे बगल में बैठा हैं उससे पूछ की तेरे को घर में किस नाम से बुलाते हैं -
उस महेश ने जैसे ही यह कहा तभी जो महेश मेरे बगल में बैठा हुआ था उसने कहा - विक्की इसकी बात मत सुन यह तुझे फालतू की बातों में फसा रहा हैं - मुझे शायद अब समझ में आने लगा था की इनमे से असली महेश कौन हैं पर तभी जो महेश बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा हुआ था उसने कहा - विक्की बातों में तो यह फसा रहा हैं इससे पूछ अभी फैसला हो जायेगा कौन हैं असली और कौन हैं नकली - महेश की बात अब मुझे समझ तो आ गई थी पर मैं यही सोच रहा था की एकदम से पूछना भी सही नहीं होगा क्यूंकि जो महेश का रूप ले सकता हैं वो और भी बहुत कुछ कर सकता हैं।
पर तभी जो मेरे बगल में महेश बैठा हुआ था उसने कहा - अबे विक्की उठ और चल जल्दी मेरे साथ हमारा रहा रुकना सही नहीं हैं - फिर मैंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा - महेश तू बता दे ना की मुझे घर में किस नाम से बुलाते हैं - पर जो महेश मेरे बगल में बैठा था उसने पहले तो कुछ नहीं कहा पर थोड़ी देर में उसने कहा - अबे विक्की तू मुझ पर शक कर रहा हैं क्या - फिर मैंने कहा - ना भाई शक नहीं कर रहा हूँ पर तू बता ना फिर मैं बिलकुल शक नहीं करूंगा -
फिर मेरी बात खत्म होते ही जो महेश बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा हुआ उसने कहा - देखा विक्की इसे बता ही नहीं हैं तो यह तुझे बताएगा ही कैसे अब उठ जल्दी वहाँ से - फिर उस दूसरे महेश ने कहा - ना भाई मुझे पता हैं पर अभी याद नहीं रहा पर भाई मैं ही महेश हूँ और उठ और चल मेरे साथ - उसके इतना कहते ही मैं तुरंत अपने बिस्तर से उतरा और और तुरंत भागता हुआ उस महेश के पास गया जो बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा हुआ था।
फिर इसके बाद हम दोनों तुरंत भागते हुए उस कमरे से निकले सीधा उस हॉटल से बाहर जाने लगे। पर वो दूसरा वाला महेश भी उठकर हमारे पिछे आने लगा और पिछे से ही आवाज लागाते हुए बोल रहा था - अबे विक्की रुक मैं ही असली महेश हूँ तू गलती कर रहा हैं - पर हम दोनों उसकी आवाज को अनसुना करते हुए भागे जा रहे थे। और भागते भागते सीधा हम हॉटल के दरवाजे तक पहुचे तो हमने जैसे ही दरवाजा खोलने की कोशिश करी तो पता चला की शायद किसी ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था क्यूंकि हमारे पूरी जान से कोशिश करने के बाद भी दरवाजा नहीं खुल रहा था।
पर तभी हमारे पिछे से उस दूसरे महेश ने कहा - विक्की तू मुझे अकेले ही जोड़कर जा रहा हैं तू कैसा दोस्त हैं विक्की मेरी बात का यकीन कर और आजा मेरे साथ मुझे यहाँ से बाहर जाने का दूसरा रास्ता पता हैं और वैसे भी यह तुझे नहीं बचा पायेगा बस मैं ही तुझे यहाँ से निकाल सकता हूँ क्यूंकि मैं ही असली महेश हूँ भाई विश्वास कर मुझ पर और आजा मेरी तरफ और दोनों साथ में ही बाहर चलते हैं यह पता नहीं कौन हैं और पता नहीं यह तेरे साथ क्या करेगा - वो लगातार बाद बोले ही जा रहा था और मुझे अपने पास बुला रहा था। पर तभी मेरे साथ वाले महेश ने कहा - विक्की वो देख खिड़की उसे ही तोड़कर बाहर जाते हैं।
फिर उसके बाद हम दोनों तुरंत खिड़की के पास गए और पास में ही रखी कुर्सी उठकर खिड़की में फेक कर मारी जिससे वो खिड़की तुरंत तोड़ गई। और दूसरा वाला महेश अंदर ही रह गया। फिर उसके बाद मैं और महेश हम दोनों पैदल ही विनोद के घर की तरफ गए और जब हम वहाँ पहुचे तो हमने सारी बात विनोद और उसके घर वालो को बताई तो विनोद के पिता जी ने हमें बताया की अगर मैं गलती से भी उस दूसरे वाले महेश पर विश्वास कर लेता तो हम दोनों मारे जाते क्यूंकि उस हॉटल में जो भूत हैं वो पहले अपने ऊपर विश्वास कराता हैं फिर उसके बाद मारता हैं। और आज उस घटना को पुरे एक साल हो गए हैं और मैं आज भी यही सोचकर डरता हूँ की मैं कही उस दिन गलती से भी उस पर विश्वास कर लेता तो फिर क्या होता।
