साया डायन का E-18
रजत, अवनीत के घर से बाहर निकल कर अवनीत को आवाज लगाने लगता हैं पर बाहर तेज बारिश तूफ़ान और ऊपर से अंधेरा था जिसकी वजह से रजत को बाहर कुछ भी साफ़ दिख नहीं रहा था फिर भी रजत उसी तेज बारिश और तूफ़ान में अपने दोस्त को आवाज लगाता हुआ अवनीत को ढूंढ़ने लगता हैं। रजत इधर उधर भाग भाग कर अवनीत को आवाज लगा रहा था - अवनीत कहाँ हैं तू भाई अवनीत कहाँ हैं तू - पर रजत के बार बार आवाज लगाने पर भी उसे अवनीत का कोई जवाब नहीं आता।
जैसे जैसे रजत उसे ढूंढ़ते हुए भाग रहा था वैसे वैसे उसके अंदर का डर भी बढ़ता जा रहा था क्यूंकि उन दोनों को बाबा ने बहुत ज्यादा सावधान रहने को कहा था। और वो साथ ही साथ यह भी सोच रहा था की - काश मैं अपने घर गया ही नहीं होता पता नहीं अवनीत अभी ठीक होगा या नहीं यह भी नहीं पता क्युकी बाबा ने यह भी कहा था की अभी अवनीत एक आम इंसान जैसा ही हैं और उसकी जान को भी बहुत ज्यादा खतरा हैं क्यूंकि उसे अभी अपनी शक्तियों के बारे में कुछ याद नहीं हैं उसे यह तो पता हैं की वही महादेव का भेजा हुआ दूत हैं पर वो इस पूर्णिमा से पहले अपनी शक्तियों को नहीं पा सकता - यही सब बाते रजत के दिमाग़ में चल रही थी।
और वही दूसरी और बाबा सुबह से भैरव पूजा के ध्यान में थे और उनके पास में उनका शिष्य अशोक बैठा हुआ बाबा की तरफ ही देख रहा की तभी बाबा ने एकदम से आँखे खोली और कहा - नहीं यह नहीं हो सकता - बाबा के इतना बोलने के तुरंत बाद अशोक बड़ी ही हैरानी के साथ बोलता हैं - क्या हुआ गुरु जी क्या नहीं हो सकता - फिर उसके बाद बाबा ने अशोक की तरफ देखता और अपनी झोली से कुछ निकलकर अशोक को देते हुए कहा - अशोक यह लो भैरव सुरक्षा कवच इसमें से एक तुम अभी अपने गले में डाल लो और तुम तुरंत डायन कोट के लिए निकल जाओ -
फिर अशोक बोलता हैं - गुरु जी हुआ क्या हैं अब तो गुरु जी काफ़ी रात हो गई हैं और इस समय कोई डायन - फिर बाबा ने कहा - अशोक देर मत करो अवनीत की जान खतरे में हैं - बाबा के इतना बोलने के बाद अशोक बोलता हैं - जो आज्ञा गुरु जी - इतना बोलकर अशोक जैसे ही जाने को हुआ की तभी वहाँ भागता हुआ रजत आ जाता हैं वहाँ पहुंचते ही रजत सीधा बाबा के पैरो में गिर के रोने लगता हैं और बोलता हैं - बाबा अवनीत पता नहीं कहाँ चला गया हैं मुझे तो डर लग रहा हैं कही उसे कुछ हो ना गया हो - रजत की बात सुनकर बाबा रजत के कंधे पर हाथ रखते हुए बोलते हैं - बेटा तुम परेशान मत हो उसे कुछ नहीं होगा मैं अभी अशोक को अवनीत के पास ही भेज रहा था -
इतना बोलकर बाबा फिर अशोक की तरफ देखते और बोलते हैं - अशोक जाने से पहले आश्रम के पिछे जो भैरव मंदिर हैं वहाँ से तुम अपने साथ भैरव बाबा का खप्पर ले लेना - बाबा की बात सुनकर फिर अशोक बोलता हैं - जो आज्ञा गुरु जी - इतना बोल अशोक वहाँ से चला जाता हैं। वही दूसरी ओर अवनीत तेज बारिश तूफ़ान में बेहोश जमीन पर पड़ा हुआ था की तभी उसके कान में एक आवाज आई जिससे उसकी बेहोशी से हल्की हल्की आँख खुली तो उसके सामने 21 या 22 साल का लड़का खड़ा हुआ था अवनीत को उस लड़के चेहरा तो अँधेरे की वजह से सही से दिख नहीं रहा था पर उस लड़के की बात अवनीत को साफ़ साफ़ सुनाई दे रही थी।
वो लड़का यह बोल रहा था - जैसा अपने मुझे कहा था वैसे मैं इस महादेव के दूत को यहाँ लेकर आ गया हूँ वो देखिए वो सामने पड़ा हुआ हैं अब आप मुझे आज्ञा दे की आगे क्या करना हैं - उस लड़के के इतना बोलने के तुरंत बाद उस लड़के से थोड़ी ही दूर पर एक रौशनी सी उतने लगी और देखते ही देखते वो रौशनी इतनी तेज हो गई की उस रौशनी की वजह से अवनीत को सामने कुछ भी नहीं दिख रहा था पर फिर भी अवनीत उस ही ओर अपनी नजरें गड़ाए देखने की कोशिश कर रहा था और यह समझने की कोशिश कर रहा था की यहाँ यह हो क्या रहा हैं।
और थोड़ी देर में जैसे वो रौशनी पूरी तरह से खत्म हुई तो वहाँ अवनीत ने जो देखा उसे देखकर तो अवनीत की आँखे फटी की फटी ही रह गई क्यूंकि उसने देखा उस रौशनी से एक लगभग 20 या 21 साल की लड़की निकली पर उस लड़की के बाल इतने बड़े थे की वो जमीन को छू रहे थे पर अवनीत तो कुछ और ही देख रहा था उसे यह तो यह भी अजीब नहीं लग रहा था की यह लड़की अचानक एक रौशनी से कैसे निकल आई वो तो बस एक टक उस लड़की के चेहरे को ही देख रहा था
क्यूंकि वो लड़की देखने में बड़ी ही सुन्दर और आकर्षक तो थी ही पर जैसे उसकी उस सुन्दरता में एक जादू सा था क्यूंकि उस लड़की के चेहरे को देखते ही अवनीत उस लड़की की खूबसूरती में खो सा गया था अब अवनीत को उस लड़की के चेहरे के अलावा वहाँ कुछ नहीं दिख रहा था इससे पहले अवनीत यह सब सोचकर परेशान था की वहाँ हो क्या रहा हैं पर अब जैसे उसका दिमाग़ उस लड़की के चेहरे के आगे शून्य सा हो गया था।
अब इसके आगे की कहानी अगले एपिसोड में हैं
